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यक़ीनन वो जन्नत का हक़दार होगा, नात शरीफ हिंदी में लिखी हुई Naat Sharif In Hindi

लिखी हुई नाते | नात शरीफ लिरिक्स हिंदी में | Naat Sharif Lyrics In Hindi

नाते पाक

यक़ीनन वो जन्नत का ह़क़दार होगा।
ह़बीब -ए- ख़ुदा से जिसे प्यार होगा।

करम आपका जब ऐ सरकार होगा।
तभी दिल का सहरा ये गुलज़ार होगा।

ख़ुशी से छलक जायेंगी मेरी आँखें।
मदीने का जब मुझको दीदार होगा।

मैं जाऊँ कहाँ छोड़़ कर आपका दर।
कहाँ आप सा कोई ग़मख़्वार होगा।

उधर ही नज़र आयेंगे अंबिया सब।
जिधर वो मदीने का सरदार होगा।

इधर भी करम की नज़र मेरे आक़ा।
परेशान कब तक ये बीमार होगा।

लगी हैं निगाहें फ़राज़ उनके दर पर।
किसी दिन तो बेड़ा मिरा पार होगा।
सरफ़राज़ हुसैन "फ़राज़
पीपलसाना

आसान सी नात हिन्दी में लिखी हुई | Asan Si Naat Hindi Likhi Hui

नात ए पाक
रो - रो के यही कहते हैं बीमार ए मदीना।
बुलवा लो मदीना हमें सरकार ए मदीना।

क्यों कर न ज़ुबानों पे हो अज़कार ए मदीना।
हर फूल की ख़ुश्बू में है मेहकार ए मदीना।

अल्लाह ने बख़्शी है उन्हें शाने इमामत।
नबियों के भी सरदार हैं सरदार ए मदीना।

बिगड़ी हुई तक़दीर भी बनती है वहाँ पर।
रहता है मिरे दिल में यूँ पन्दार ए मदीना।

मजधार में कश्ती है मुसीबत में घिरा हूँ।
लिल्लाह ख़बर लीजिए मुख़तार ए मदीना।

ख़ुश्बू से मुअ़त्तर हैं ये जब ख़ुल्द ए बरीं की।
आलम में निराले हैं यूँ गुलज़ार ए मदीना।

करते हैं फ़राज़ आ के वहाँ सजदे मलायक।
फिर क्यों न हो दिल मेरा तलबगार ए मदीना।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसाना मुरादाबाद

नात शरीफ लिरिक्स इन हिंदी | Naat Sharif

नाते पाक
कब मेरी हसीं चाँद सितारों पे नज़र है।
हर वक़्त मदीने के नज़ारों पे नज़र है।

गुलज़ारे जहाँ भाते नहीं उसको कि जिसकी।
गुलज़ारे मुहम्मद की बहारों पे नज़र है।

अशजारे जहाँ चीज़ हैं क्या शम्सो क़मर की।
उस नूरे मुजस्सिम के इशारों पे नज़र है।

मख़लूक़े ख़ुदा कोई हो धरती से फ़लक तक।
उस रहमते आलम की तो सारों पे नज़र है।

लिल्लाह करम कीजिए सरकारे मदीना।
मजधार में कश्ती है किनारों पे नज़र है।

रखता है वो दामन को गुनाहों से बचाकर।
जिसकी भी जहन्नम के शरारों पे नज़र है।

किरदार फ़राज़ उसका निराला है जहाँ में।
जिसशख़्स की क़ुरआ़न के पारों पे नज़र है।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसाना मुरादाबाद

नात शरीफ लिरिक्स हिंदी में | नात शरीफ हिंदी में लिखी हुई
नात ए पाक

सारे जहाँ में हैं वही फ़रज़ाने या नबी।
जो हैं तुम्हारे नाम के दीवाने या नबी।

मस्ती में झूम जायेंगे मस्ताने या नबी।
कौसर के जब लुटाओगे पैमाने या नबी।

बेनूर आसमान था बेरंग यह जहां।
आ कर सजाए आप ने वीराने या नबी।

हम पर निगाह कीजिए दर पर बुलाइए।
बनने लगे असीरी के अफ़साने या नबी।

सुन्नत से दूर हो गए हम जब से आपकी।
दिल हो गए हमारे ये ज़म ख़ाने या नबी।

सब कुछ मिला है आपके सदक़े में जब हमें।
कैसे अदा हों आप के शुक्राने या नबी।

हो जाऐं तिशना खाब मुकम्मल फ़राज़ के।
इस पर खुलें जो दीद के मयख़ाने या नबी।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश

नात शरीफ पढ़ने के लिए लिखी हुई | mp3 Hindi Naat Padhne Ka Likha Hua

नाअ़त ए पाक
हर आँख का तारा है वो मेह़बूबे ख़ुदा है।
उस नूरे मुजस्सम की ही हर सिम्त ज़िया है।

हर एक अदा पर शहे कोनेन की देखो।
कोनेन है क्या ख़ालिक़े कोनेन फ़िदा है।

क्योंकर न बजा लाएँ भला ह़ुक्मे नबी हम।
फ़रमाने मुहम्मद ही तो फ़रमाने ख़ुदा है।

मक़बूल दुआ़ होगी यक़ीनन वहाँ उसकी।
दरबारे नबी में जो बशर मेह़वे दुआ़ है।

तअ़ज़ीम भला क्यों न करे उनकी ज़माना।
रुत्बा ही शहे दीं का ज़माने में बड़ा है।

जिस दिन से हुआ हूँ मैं गदा आपके दर का।
दामन मिरा उस दिन से मुरादों से भरा है।

उनके ही मुक़द्दर को फ़राज़ औज पे देखा।
सदक़ा शहे बत्ह़ा का यहाँ जिनको मिला है।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश

नई नई नात शरीफ़ हिंदी में लिखी हुई | New Naat 2021 Lyrics

नअ़त - ए - पाक
जब हुए जलवा फ़िगन मेह़बूबे दावर ख़ाक पर।
भीनी - भीनी हर सू फैली बू - ए - अतहर ख़ाक पर।

दिलनशीं लगता था कितना सारा मंज़र ख़ाक पर।
जिस घड़ी बिछता था उनका शाही बिस्तर ख़ाक पर।

रोनक़ें अ़र्श - ए - मुअ़ल्ला की ज़मीं पर आ गयीं।
रूनुमा जिस दम हुआ रब का दिलाबर ख़ाक पर।

रब्बे ह़बली उम्मती ही था ज़ुबाँ पर हर घड़ी।
आप सा आया न दूजा कोई रहबर ख़ाक पर।

भीख मिलती है सभी को आप के दरबार से।
आप सा देखा न कोई बन्दापरवर ख़ाक पर।

बेसर - ओ - सामाँ थी धरती ज़ेबो ज़ीनत के बग़ैर।
आप के सदक़े में आए लअ़लो गौहर ख़ाक पर।

आप की परतो से ले कर नूर के ज़र्रे ह़ुज़ूर।
नूर बरसाने लगे सब माहो अख़्तर ख़ाक पर।

गुम्बद - ए - ख़िज़रा के लेने के लिऐ बोसे फ़राज़।
किरनें अपनी भेजता है रोज़ ख़ावर ख़ाक पर।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसाना मुरादाबाद

नात हिंदी - Hindi Me Naat | Likhi Hui Naat Sharif Ki Photo

नाते पाक
मेरी साँसों में ख़ुश्बू सी बसी है।
ज़ुबाँ पर जब से मिदह़त आपकी है।

जिधर देखो उधर ही रौशनी है।
मदीने में ग़ज़ब की दिलकशी है।

नज़र में जब से तैबा की गली है।
लबों पर मेरे बस नात ए नबी है।

बुला लीजे मदीने में हमें अब।
जबीं अब आप का दर चाहती है।

डरें क्यों रोज़े मेहशर से भला हम।
मयस्सर जब के उनकी रहबरी है।

उन्हीं का नूर है आँखों में मेरी।
उन्हीं की याद मेरी बन्दगी है।
नबी का नाम लेवा है यहाँ जो।
फ़राज़ उसको ही ह़ासिल हर ख़ुशी है।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
मुरादाबाद

नबी की शान में शायरी नात शरीफ अच्छी-अच्छी | Nabi Ki Shan Mein Shayari Hindi

नाते मुस्तफा
ईमान की ज़िया ये मयस्सर नबी से है।
रोशन हर इक दयार हर इक दर नबी से है।

तशरीफ़ वो जो लाए तो सब तीरगी मिटी।
यह कायनात सारी मुनव्वर नबी से है।
नात शरीफ
क्या क्या न उनके सदक़े मयस्सर हुआ हमें।
सागर में सीप, सीप में गौहर नबी से है।

उनके ही ज़रिए पायी है इस्लाम ने ह़यात।
इस्लाम का शजर यह तनावर नबी से है।

बेला, कनेर, चम्पा, चमेली की बात क्या।
ख़ुश्बू में हर गुलाब मुआ़त्तर नबी से है।

आते न वो जहाँ में तो क्या ख़ाक होते हम।
अपना वजूद अपना मुक़द्दर नबी से है।

आने से क़ब्ल उनके थींतारीकियाँ फ़राज़।
इतना ह़सीं जहाँन का मन्ज़र नबी से है।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
मुरादाबाद यू.पी.

हिंदी नात न्यू नात शरीफ | Mustafa Ki Aamad Ka Har Taraf Ujala Hai Naat Sharif Likhi Hui

नाते नबी
ख़ुश बयाँ खुश अदा की आमद है।
फ़ख़्रे अर्ज़ ओ समा की आमद है।

सरवर ए अमबिया की आमद है।
यानि ख़ैरुलवरा की आमद है।

जिसकी ख़ातिर बना जहाँ सारा।
उस ह़बीब ए ख़ुदा की आमद है।

ज़िक्र करता है ख़ुद ख़ुदा जिसका।
आज उस पेशवा की आमद है।

क्यों न ख़ुशियाँ मनाएँ हम बोलो।
प्यारे बदरुद्दुजा की आमद है।

आओ भेजें सभी दरुद उन पर।
ह़ुस्ने शमसुद्दहा की आमद है।

जिसकी ताबिश है चाँद तारों में।
आ़र्श की उस ज़िया की आमद है।

नूर यूँ ही फ़राज़ है हर सू।
जग में नूरुलहुदा की आमद है।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश

Naat Sharif | नात शरीफ | हिंदी में नाते रसूल

नाअ़ते पाक
मदीने मे आक़ा दवा दे रहे हैं।
निगाह ए करम से शिफा दे रहे हैं।

हुई उन की आसान हर एक मुश्किल।
जो मुश्किल में उनको सदा दे रहे हैं।

है वक़्ते फ़जर अब उठो सोने वालो।
चलो अब मुअ़ज़्ज़न सदा दे रहे हैं।

इनायत का उनकी करूँ शुक्र कैसे।
मुझे माँगने से सिवा दे रहे हैं।

वो देखो सितारों को शम्शो क़मर को।
मदीने के ज़र्रे ज़िया दे रहे हैं।

मिलेगी नबी के गुलामों को जन्नत।
ये मुज़दा भी अहमद रज़ा दे रहे हैंं।

क़दम गर्दनों पर है वलियों की मेरा।
ये फरमान गौसुल वरा दे रहे हैं।

बनेगा यहाँ पर मुक़द्दर उसी का।
के माँ बाप जिसके दुआ़ दे रहे हैं।

ऐ पानी चला आ तू कासे मे अब तो।
तुझे ह़ुक्म ख़्वाजा पिया दे रहे हैं।

भरी उन की झोली करम से ख़ुदा के।
तेरे दर पे जो भी सदा दे रहे हैं।

खुदाया अ़ता हो वहाँ सब को जन्नत।
दुआ़ ये ह़बीब ए ख़ुदा दे रहे हैं।

ये दरिया दिली मेरे आक़ा की देखो।
के दुश्मन को अपने दुआ़ दे रहे हैं।
सरफराज़ हुसैन फराज़
पीपलसाना मुरादाबाद यू.पी.

नबी नबी नात शरीफ | Nabi Ki Naat Sharif

नाअ़त
अपना दरबार मुझको दिखा दीजिए।
मेरा बिगड़ा मुक़द्दर बना दीजिए।

आप ही के करम पर टिकी है नज़र।
बात बिगड़ी हुई अब बना दीजिए।
हिंदी में नात
आर्ज़ू अब मेरे दिल की है बस यही।
सब्ज़े गुम्बद मुझे भी दिखा दीजिए।

तीरगी है मेरे दिल के चारों तरफ़।
नूर से मेरा दिल जगमगा दीजिए।

जो भी बीमार हैं और लाचार हैं।
उनको मौला मेरे अब शिफा दीजिए।

प्यारे आक़ा के सदक़े में रब्बुलउला।
सब गुनाहों को मेरे मिटा दीजिए।

कामयाबी क़दम चूम लेगी फराज़।
सर को सजदे में अपने झुका दीजिए।
सरफराज़ हुसैन फराज़
पीपलसाना मुरादाबाद यू.पी.

नबी की याद में नात शरीफ | Nabi Ki Yaad Mein Naat Sharif

नाते पाक
आती है याद आपकी बस हर घड़ी मुझे।
बुलवाइये मदीने में अब या नबी मुझे।

मिल जाए मुझको देखने दरबार आपका।
तड़पाती है ह़ुज़ूर यही बेकली मुझे।

बीमार दिल की मेरे यही आर्ज़ू है अब।
मिल जाए उनके दर की ज़रा ख़ाक ही मुझे।

मालिक हो दो जहान के बिस्तर चटाई का।
आई पसंद आपकी यह सादगी मुझे।

नज़रे करम जो आपकी हो जाए बा ख़ुदा।
हो जाये फिर ज़माने की ह़ासिल ख़ुशी मुझे।

जिस जा नज़र उठाई मदीने में दोस्तो।
रह़मत की नज़र आई है बरसात ही मुझे।

दुश्मन के वास्ते भी दुआ़ की है आपने।
अच्छी लगी ये आपकी दरिया दिली मुझे।

होता है रश्क अपने मुक़द्दर पे ऐ फ़राज़।
ख़ुश हूँ मैं उनके दर की ग़ुलामी मिली मुझे।
सरफ़राज़ हुसैन फराज़
पीपलसाना मुरादाबाद यू.पी.

Naat Sharif | नात शरीफ लिरिक्स इन हिंदी

नात ए पाक
जिसने आक़ा की पैरवी कर ली।
ख़ुशनुमा उसने ज़िन्दगी कर ली।

नात पढ़ कर ह़ुज़ूर की हम ने।
पैदा ईमाँ में ताज़गी कर ली।

जिस ने फ़रमाने मुस्तुफ़ा माना।
उसने तुर्बत में रोशनी कर ली।

उनका दीवाना जो हुआ जग में।
ज़िन्दगी उसने ही भली कर ली।
नात शरीफ लिरिक्स हिंदी में
वो है ह़क़दार ख़ुल्द का बेशक।
जिसने तक़लीद आपकी कर ली।

जिसने की तर्क आप की सुन्नत।
उसने शैताँ से दोस्ती कर ली।

नात भी हो गई फ़राज़ अपनी।
उनकी सीरत की बात भी करली।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
मुरादाबाद

पाकिस्तानी नात शरीफ | Pakistani Naat Sharif

नअ़ते नबी
सारी दुनिया के कारख़ाने पर
है करम आप का ज़माने पर

बात बन जाएगी हमारी भी
हम को बुलवालो आस्ताने पर

दीनो दुनिया संवर गई उस की
रब की रह़मत है जिस घराने पर

चैन मिलता है बस मिरे दिल को
सर को सजदे में ही झुकाने पर

शीरीं भर जाती है ज़बानों में
नअ़ते अह़मद के गुनगुनाने पर

मुस्कुराते हैं चाँद तारे भी
मेरे आक़ा के मुस्कुराने पर

जो हैं दीवाने मेरे आक़ा के
वो ही ग़ालिब हैं सब ज़माने पर
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़"
पीपलसाना मुरादाबाद यू.पी.

न्यू नाते पाक | New Naat Sharif

नाअ़ते पाक
बहुत हो चुका दूर रह - रह के जीना
बुला लीजे शाहे उमम अब मदीना

कहीं और जाने की क्यों आर्ज़ू हो
है दर पे तुम्हारे जहाँ का ख़जी़ना

बसी इसमें जन्नत की ख़ुश्बू यक़ीनन
है फूलों से अफ़ज़ल तुम्हारा पसीना

ख़ुदारा इधर भी हो नज़रे करम अब
के मज धार में है हमारा सफी़ना
नाते पाक डाउनलोड
न तशरीफ़ लाते रसूल -ए- ख़ुदा गर
भला कैसे आता सलीक़े से जीना

जो आशिक़ तुम्हारे ख़ुदा के वो प्यारे
तुम्हारी मुहब्बत है जन्नत का ज़ीना

फ़राज उनके दर को मैं कैसे भुला दूँ
के है ज़र्रा - ज़र्रा वहाँ का नगीना
सरफ़राज़ हुसैन "फ़राज़"
पीपलसाना
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश अलहिन्द

Shab E Meraj Naat Shrif | नात शरीफ तकरीर

ना़अ़त
जो ग़ुलामे ह़ुज़ूर होता है
उसके चेहरे पे नूर होता है

जब करम पर सबूर होता है
दर गुज़र हर क़ुसूर होता है

जिसको खौफे ख़ुदा है ऐ लोगो
हर बुराई से दूर होता है

ज़ुल्मतों से कहो के हट जायें
अब नबी का ज़हूर होता है

सीरते मुस्तफ़ा पढ़ी जिसने
उनपे शैदा ज़रुर होता है

हो गया जो यहाँ मुह़म्मद का
वो ख़ुदा का ज़रुर होता है

नूरे हक़ की तजल्ली से देखो
ख़ाक पल भर में तूर होता है

सर को सजदे में ही झुकाने से
राज़ी रब्ब- ए- ग़फ़ूर होता है

लौ लगाता है रब से जो उसका
पार बेड़ा ज़रूर होता है

प्यारे आक़ा का जो है दीवाना
बस वही बा शऊ़र होता है

राज़ी रहता नहीं ख़ुदा उससे
जो तकब्बुर में चूर होता है

हर वो आशिक़ तड़पता है आक़ा
जो मदीने से दूर होता है
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज
पीपलसाना मुरादाबाद यू.पी

नाते पाक हिंदी में | नात शरीफ लिरिक्स हिंदी में

नाअ़त - ए - पाक
सुतूने अम्न - ओ - अमान हो तुम।
कलामे ह़क की ज़बान हो तुम।

नहीं है सानी तुम्हारा कोई।
के शामिल -ए-हर अज़ान हो तुम।

मिली है नकहत गुलों को जिससे।
बहारे कुल की वो शान हो तुम।

तुम्हारे सदक़े बनी हर इक शय।
बिना- ए- कोन-ओ मकान हो तुम।

मिसाल जिसकी नहीं है कोई।
वफ़ा का ऐसा जहान हो तुम।

ह़बीबे रब हो रफ़ीक़े जग हो।
ह़ुज़ूर कितने महान हो तुम।

ये फूल कलियाँ ये चाँद तारे।
सभी का ह़ुस्न ओ गुमान हो तुम।

तुम्हीं से चमका नसीब उस का।
फ़राज़ की आन बान हो तुम।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
मुरादाबाद

नात हिंदी में लिखी हुई | अच्छी-अच्छी नात शरीफ

नज़्म
सारे आलम में ख़ैरुल बशर कौन है?
और कोई नहीं या नबी आप हैं।
जिसपे क़ुर्बां हैं शम्स-ओ-क़मर कौन है?
और कोई नहीं या नबी आप हैं।

अर्श ने जिसके क़दमों के बोसे लिए,
जिसको सजदे शजर और ह़जर ने किए।
फ़र्श-ता-अ़र्श मेहवे सफ़र कौन है?
और कोई नहीं या नबी आप हैं।

नूर से जिसके नूरी हुआ आसमाँ,
बाग़े तैबा हुए जिससे रश्क-ए-जिनाँ।
सब्ज़ जिससे हैं बर्ग-ओ-शजर कौन है?
और कोई नहीं या नबी आप हैं।

जिसके सदक़े ये दरिया बहाए गए,
जिसपे गौहर जहां के लुटाए गए।
जिसकी ख़तिर बने बहरो बर कौन है?
और कोई नहीं या नबी आप हैं।

बेनवाओं को जिसने सहारा दिया,
जिसने ज़ुल्मतकदों को उजाला दिया।
साह़िब-ए-दिल वो ऐहल ए नज़र कौन है?
और कोई नहीं या नबी आप हैं।

जिसने राह-ए-सदाक़त दिखाई हमें,
बन्दगी जिसने करनी सिखाई हमें।
जिसका फ़रमान है पुर असर कौन है?
और कोई नहीं या नबी आप हैं।

जिससे सैराब धरती के बंजर हुए,
ख़ुशनुमा जिससे से सह़रा के मंज़र हुए।
वो फ़राज़ अपना ख़ुश दिल ख़िज़र कौन है?
और कोई नहीं या नबी आप हैं।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसाना मुरादाबाद

Naat Sharif Written Hindi | नात शरीफ लिरिक्स

सलाम ए अ़क़ीदत
रह़मत ए किब्रिया पर करोड़ों सलाम
अ़ज़मत ए मुस्तुफ़ा पर करोड़ों सलाम

जिनके सदक़े ज़मीं को बनाया गया
जिनकी ख़ातिर फ़लक को सजाया गया

जिनको अफ़ज़ल जहाँ से बनाया गया
जिनको अर्शे बरीं पर बुलाया गया

Salam Aur Durood सलाम ओ दरूद शरीफ़

उनकी इ़ज़्ज़ो क़िरा पर करोड़ों सलाम
अ़ज़मत ए मुस्तुफ़ा पर करोड़ों सलाम

नूर से जिनके नूरी हैं शम्स ओ क़मर
जिनकी ख़ातिर बने हैं ये सब बहरो बर

जिनकी तअ़ज़ीम करते हैं जिन्न ओ बशर
जिनकी तअ़रीफ़ करते हैं बर्ग ओ समर

उनकी मजद ओ सना पर करोड़ों सलाम
अ़ज़मत ए मुस्तुफ़ा पर करोड़ों सलाम

जिनकी ख़ुश्बू चमन के गुलों में बसी
जिन से ईमान की शम्अ़ रौशन हुई

जिनकी आमद से हर इक बुराई मिटी
जिनकी मेअ़राज में बात रब से हुई

उनकी शान ए ज़िया पर करोड़ों सलाम
अ़ज़मत ए मुस्तुफ़ा पर करोड़ों सलाम

जिनकी आमद से नाज़िल हुयीं बरकतें
जिन पे कुर्बान हैं रब की सब नेअ़मतें

फ़र्श से अ़र्श तक जिनकी हैं वुसअ़तें
जिनके सदक़े में बर आयें सब ह़सरतें

उनकी हर इक अ़ता पर करोड़ों सलाम
अ़ज़मत ए मुस्तुफ़ा पर करोड़ों सलाम

संग रेज़ों ने जिनका वज़ीफ़ा पढ़ा
जिनको रब ने बनाया शहे अम्बिया

जिनके दर के सवाली हैं शहो गदा
आ़म है जिनकी दुनिया में जूद ओ सख़ा

उनकी जूद ओ सख़ा पर करोड़ों सलाम
अज़मत ए मुस्तफ़ा पर करोड़ों सलाम

जिनके शैदा हुए हैं अ़ली मुर्तज़ा
जिनके आ़शिक़ हुए हैं उमर बासफ़ा

जिनकी तअ़रीफ़ करता है रब्बुलउ़ला
जिनकी मशहूर है जग में सब्र ओ रज़ा

उनकी सब्र ओ रज़ा पर करोड़ों सलाम
अज़मत ए मुस्तुफ़ा पर करोड़ों सलाम

जिनके नअ़रे से दुश्मन दहलते रहे
जिनसे ख़ैबर के मंज़र बदलते रहे

जिनके क़दमों से पत्थर पिघलते रहे
सिलसिले जिनसे वलियों के चलते रहे

यअ़नि शेर ए ख़ुदा पर करोड़ों सलाम
अज़मत ए मुस्तुफ़ा पर करोड़ों सलाम

जिनके शैदाई अब्बास ओ अकबर हुए
जिन पे हँस कर फ़िदा नन्हें असग़र हुए

जिन पे कुर् बाँ ह़ुसैन इब्ने ह़ैदर हुए
जो शहीदों में बाला ओ बरतर हुए

फ़ातह़े करबला पर करोड़ों सलाम
अज़मत ए मुस्तुफ़ा पर करोड़ों सलाम

जिनसे ग़ौसुलवरा को सदाक़त मिली
जिनसे ख़्वाजा पिया को करामत मिली

शाह वारिस को जिनसे विलायत मिली
जिनसे साबिर को सब्र ओ क़नाअ़त मिली

उनकी शान ए बक़ा पर करोड़ों सलाम
अ़ज़मत ए मुस्तुफ़ा पर करोड़ों सलाम

नूर से जिनके रौशन हुए दम्मदार
जिनसे होता है बेड़ा गरीबों का पार

जिनसे जा कर मिले शाहदानी के तार
जिन पे अब्दुल अज़ीज़ और केहतल निसार

सरवर ए औलिया पर करोड़ों सलाम
अज़मत ए मुस्तुफ़ा पर करोड़ों सलाम

जिनके शैदा बशीर ओ शराफ़र हुए
जिनसे सक़लैन पीर ए तरीक़त हुए

लफ़्ज़ जिनके कहे सब ह़क़ीक़त हुए
काम जिनके किए सारे सुन्नत हुए

उनकी हर इक अदा पर करोड़ों सलाम
अज़मते ए मुस्तुफ़ा पर करोड़ों सलाम

बिपता आक़ा को जब भी सुनाते हैं हम
बिगड़ी तक़दीर अपनी बनाते हैं हम

नूर ए ईमाँ से दिल जगमगाते हैं हम
उनका मीलाद अकसर मनाते हैं हम

जश्न ए ख़ैरुलवरा पर करोड़ों सलाम
अ़ज़मत ए मुस्तुफ़ा पर करोड़ों सलाम

ह़क शफ़ाअ़त का जिनको मिला वो नबी
जिन पे कुरआ़न नाज़िल हुआ वो नबी

जिन पे मिलती है हर इक दवा वो नबी
जो फ़राज अपनी सुनते सदा वो नबी

ह़ुब्बे सल्ले अ़ला पर करोड़ों सलाम
अ़ज़मत ए मुस्तुफ़ा पर करोड़ों सलाम
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसाना मुरादाबाद यू.पी.

Nabi E Paak Shayari Mehfil Me Likhi Hui | खूबसूरत नाते पाक

नाअ़त
जिन्हें है मुहम्मद की मिदह़त की आदत
उन्हीं को है रब की, इ़बादत की आदत

ग़रीबों, यतीमों, फ़क़ीरों, सभी पर
थी आक़ा की हरदम इ़नायत की आ़दत

वही लोग अफ़ज़ल हैं दोनों जहाँ मे
है क़ुरआँ की जिनको तिलावत की आ़दत

दो आ़लम मसख़्ख़र चटाई का बिस्तर
न थी आपकी बादशाहत की आ़दत

खिलाते थे औरों को ख़ुद भूखा रह कर
अजब थी नबी की क़नाअ़त की आ़दत

यूँ ही उनको कहते थे स़ादिक़ अमीं सब
अमानत में न थी ख़यानत की आ़दत

हमें बख़्शवायेगी मेह़शर में लोगो
ह़बीब ए ख़ुदा से मुहब्बत की आ़दत

फ़राज़ अब तो दिल की यही आर्ज़ू है
न छूटे कभी उन की मिदह़त की आ़दत
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसाना मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश

नात शरीफ लिरिक्स हिंदी में | Naat Sharif Lyrics in Hindi

नात
काश ऐसा कमाल हो जाए
उन को मेरा ख़याल हो जाए

देख लूँ जा के गुम्बदे ख़िज़रा
दूर दिल का मलाल हो जाए

या नबी आइए तसव्वुर में
मेरी तबियत बहाल हो जाए

बच्चों की नाते पाक

उनकी सुन्नत पे जो चले उस की
ज़िन्दगी ख़ुशख़िस़ाल हो जाए

नात कहने में आपकी आक़ा
मुझको ह़ासिल कमाल हो जाए

उनकी उँगली के इक इशारे पर
फिर दो पारा ह़िलाल हो जाए

हो ई़नायत फ़राज़ गर उनकी
ये गदा माला माल हो जाए

सरफ़राज़ हुसैन "फ़राज़" 
पीफलसाना मुरादाबाद यू.पी.

Naat Sharif In Hindi | Nabi Ki Naat Likha Hua नाते रसूल ए पाक

नअ़त

ऐसा आलम में कोई नज़ारा नहीं
या नबी जलवा जिसमें तुम्हारा नहींं

सारे नबियों के सरदार हो इसलिए
या नबी आप सा कोई प्यारा नहीं

यह शजर, यह हजर और जिन्नो बशर
किसने मुश्किल में तुमको पुकारा नहीं

अस्सर ए नो है ऐलान अपना यही
जो नबी का नहीं वो हमारा नहीं

या नबी ग़म में हों या ख़ुशी में हो हम
आपको हमने किस दिन पुकारा नहींं

जो मुनव्वर न हो आप के नूर से
ऐसा चरख़े बरीं पर सितारा नहींं

एक पल भी फ़राज़ उनके दरबार से
दूर रहना हमें अब गवारा नहींं
सरफ़राज़ हुसैन "फ़राज़"
पीपलसाना

रमज़ान की नात शरीफ़ हिंदी में लिखी हुई | Ramzan Ki Naat Sharif In Hindi

लिखी हुई नातें
रोज़े रखिए तो सही रमज़ान में।
ताज़गी आ जायेगी ईमान में।

इज़्ज़तो ज़िल्लत का मालिक है ख़ुदा।
यह इबारत है रक़म कुरआ़न में।

क्या निराला है दरे अक़दस तिरा।
बिगड़ी बनती है यहाँ इक आन में।

नेअ़मते बख़्शी हैं उसने बेशुमार।
ज़िक्र है यह सूर - ए - रह़मान में।

रमजान शायरी हिंदी में

एक के सत्तर मिलेंगे आप को।
ख़ूब सदक़ा कीजिए रमज़ान में।

ख़र्च करता है जो रब के नाम पर।
वो नहीं रहता कभी नुक़सान में।

ह़क्मे रब को भूल जाता है फ़राज़।
यह कमी है ह़ज़रते इंसान में।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसाना

Naate Paak Nabi Ki Naat : दूरूद पाक से हर आस्तान रोशन कर

मकान चीज़ है क्या कुल जहान रोशन कर
दूरूद पाक से हर आस्तान रोशन कर

सवांरनी है अगर तुझको आखिरत अपनी
तो पहले जिस्त का ये उन फुआन रोशन कर

जहालतों को मिटाने के वास्ते जग से
चरागे दीन से हर इक मकान रोशन कर

जला के इश्क़े शहे दीं की दिल में इक बाती
मजार क्या है तू हर इक सायबान रोशन कर

जमाने भर को मिले दर्स दीन का जिससे,
नबी के दीन का वो दीपदान रोशन कर

अगर तू आशिके यासीन है हकीकत में
सलाम ओ नात से सारा ज़मान रोशन कर

जो आरजू है तुझे फिर हसीं सहर की फराज
तो फिर से जग में बिलाली अजान रोशन कर
सरफ़राज हुसैन फ़राज़

बारह रबी उल अव्वल की बेहतरीन नात शरीफ़ अब हिंदी में | Miladunnabi Naat Sharif

बज़्म है सरकार की सरकार की ही बात हो।
उतना ही बस बोलिए जितनी के मालूमात हो।

बाद रब्बे दो जहाँ के आप ही अफ़ज़ल हैं जब।
आप से बर्तर जहाँ में कौन सी फिर ज़ात हो।

बस यही है आर्जू इस क़ल्बे मुज़तर की मिरे।
आप की मिदहत ज़ुबाँ पर या नबी दिन रात हो।

बारगाह - ए - मुस्तुफ़ा में पेश करते हैं दुरूद।
रह़मतों की घर हमारे क्यों न फिर बरसात हो।

बस इसी उम्मीद में आक़ा हैं हम बैठे हुए।
आप की नज़र-ए-करम हो तो हमारी नअ़त हो।

मालो ज़र हो ये हमारा या के इ़ल्म ओ फ़न हुज़ूर।
आप की बख़्शिश है बेशक कोई भी सौग़ात हो।

नअ़रा-ए-तकबीर कह कर रन में जो उतरे फ़राज़।
उस ग़ुलाम ए मुस्तफ़ा की किस लिए फिर मात हो।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसाना मुरादाबाद

नाते नबी, लिखी हुई नातें, नाते रसूल, नाते पाक - Naat e Paak

है दिल को मिरे जुस्तजू ए मुहम्मद।
मुझे जाने दो अब तो सू ए मुहम्मद।

न दौलत की हाजत न शौहरत की चाहत।
मुझे है फ़क़त आर्जू ए मुहम्मद।

यूँ अफ़ज़ल है मेराज की शब के इसमें।
ख़ुदा से हुई गुफ़्तगू ए मुहम्मद।

निगाहों में है उनके रोज़े का मन्ज़र।
ख़यालों में है जब से रु ए मुहम्मद।

करूँ क्यों न मिदह़त पसीने की उनके।
गुलाबों से अफ़ज़ल है बू ए मुहम्मद।

ह़बीब ए ख़ुदा हैं वो शाहे उमम हैं।
ये है इज़्ज़त ओ आबरू ए मुहम्मद।

फ़राज़ अब तो ये ही तमन्ना है दिल की।
निगाहों से देखूँ मैं कू ए मुह़म्मद।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसाना मुरा०

शब ए बारात शायरी इन हिंदी | शब-ए-बरात नात शरीफ़

सुब्हो सब से आला है शाम सबसे आ़ला है।
मेरे कमली वाले का धाम सबसे आ़ला है।

बाद रब के क़ुरआँ में आप ही का है चर्चा।
इस लिए ही आक़ा का नाम सबसे आ़ला है।

आसियों को मेहशर में आप जो पिलायेंगे।
वो ही हौज़े कौसर का जाम सबसे आ़ला है।

हर क़िले को बातिल के आप ने गिरा डाला।
आप ही का आ़लम में काम सबसे आ़ला है।

कुफ़्र पर जो ग़ालिब था आज तक वही जग में
तीन सौ बहत्तर का लाम सबसे आ़ला है।

यह भी क़ौल है उनका ख़र्च हो जो मुफ़्लिस पर
मोमिनो यहाँ वो ही दाम सबसे आ़ला है।

मैं फ़राज़ अब सबसे सिर्फ़ ये ही कहता हूँ।
आप का ही इस जग में गाम सबसे आ़ला है।
सरफ़राज़ हुसैन फराज़
पीपलसाना मुरादाबाद

नात शरीफ़ हिंदी में - Naat Sharif Hindi Mein

आ़ला है ज़माने में किरदार मुहम्मद का।
दीवाना हुआ यूँ ही संसार मुह़म्मद का।

करता है कोई जब भी अज़कार ए नबी लोगो।
पाता है सुकूँ उस दम बीमार मुह़म्मद का।

या रब है दुआ़ तुझसे सुन ले तू स़दा मेरी।
ता ह़श्र रहे ताज़ा गुलज़ार मुह़म्मद का।

ज़ुल्मत के अँधेरों को पल भर में मिटा डाले।
हो जाए अगर आशिक़ बेदार मुह़म्मद का।

आशिक़ है भला किसका पूछे जो कोई मुझसे।
हो नाम मिरे लब पर हर बार मुह़म्मद का।

पढ़ते हैं अक़ीदत से जो उनपे दरूद अकसर।
ख़्वाबों में उन्हें होगा दीदार मुह़म्मद का।

आसी की फ़राज़ अब तो बस ये ही तमन्ना है।
देखूँ मैं निगाहों से दरबार मुह़म्मद का।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसाना मुरादाबाद

Hindi Naat | Mehfil Shab E Barat | Naat Sharif All नाते पाक

नाते पाक
मदीने के शाम - ओ - सहर देखते हैंं।
जो ख़्वाबों में तैयबा नगर देखते हैं।

बरसती है रहमत उधर किबरिया की।
जिधर भी वो ख़ैरुल बशर देखते हैं।

दिया वास्ता जब से मेहबूबे रब का।
दुआ़ओं में अपनी असर देखते हैं।

दुआ़ उनकी मक़बूल करता है मौला।
जो ख़म उनके रोज़े पे सर देखते हैं।

ज़मीं तो ज़मीं है ह़कीक़त में लोगो।
निसार उनपे शम्स - ओ-कमर देखते हैं।

नहीं उन को भाते जहाँ के नज़ारे।
निगाहों से जो उनका दर देखते हैं।

ह़क़ीक़त फ़राज़ उनकी ज़ाहिर है सबपर।
करम उनका ऐहले नज़र देखते हैं।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसाना

नात ए पाक लिखी हुई | नात शरीफ अच्छी वाली

नात ए पाक
उनके किरदार की सादगी की।
हर ज़बाँ पर है मिदह़त नबी की।

दीने ह़क़ की सदा पैरवी की।
यूँ बसर आपने ज़िन्दगी की।

हूरो ग़िलमाँ हों या जिन्नों इन्सां।
बात करते हैं सब आप ही की।

आप से पेशतर था अँधेरा।
आपने दूर हर तीरगी की।

शम्म ए दीन रौशन है तुम से।
तुम ज़मानत हो इस रौशनी की।

मुझ गुनहगार की रोज़े मेह़शर।
लाज रख लेना दीवानगी की।

है फ़राज़ आप ही का तो शैदा।
डोर टूटे न यह आ़शिक़ी की।
सरफ़राज़ हुसैन 'फ़राज़'
मुरादाबाद

नाते पाक अच्छी-अच्छी | नात लिरिक्स हिंदी में | Naate Pak Lyrics

मदीने को जाने के दिन आ रहे हैं।
मुक़द्दर बनाने के दिन आ रहे है।

ये दिल जगमगाने के दिन आ रहे हैं।
के ख़ुशियाँ मनाने के दिन आ रहे हैं।

जहाँ सख़्त पहरा था वीरानियों का।
वही घर सजाने के दिन आ रहे हैं।

मुआ़फ़ी ख़ताओं की मागूँगा सबसे।
सभी को मनाने के दिन आ रहे हैं।

जहाँ सर झुकाते हैं आकर मलायक।
वहाँ सर झुकाने के दिन आ रहे हैं।

बढ़ेगी यक़ीनन ही बीनाई जिससे।
वो सुरमा लगाने के दिन आ रहे हैं।

फ़राज अपनी बिपता मदीने में जाकर।
नबी को सुनाने के दिन आ रहे हैं।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
मुरादाबाद

नात शरीफ हिंदी में लिखी हुई डाउनलोड Naat Sharif in Hindi Lyrics

नाअ़त ए पाक हिंदी में
जो भी गुलामे अहमदे मुख्तार हो गए।
वो ही जहाँ में साहिबे किरदार हो गए।

आने से क़ब्ल उनके थे वीराने हर तरफ़।
वीराने उन के आते ही गुलज़ार हो गए।

जब मैंने उनका नाम मुसीबत में ले लिया।
दुश्वार जो थे रस्ते वो हमवार हो गए।

हुस्नो अमल को देख के सरकार आपके।
अपने तो अपने आप के अग़यार हो गए।

तरजीह़ उनको देगा ख़ुदा -ए- करीम भी।
शैदा जो तुम पे सय्यदे अबरार हो गए।

क़ुर्बान जो हुए हैं मुहम्मद के नाम पर।
ख़ुल्द- ए- बरीं के लोग वो हक़दार हो गए।

साबित न हो सकेंगे वो ग़द्दार मुल्क के।
उनके फ़राज़ जो भी वफ़ादार हो गए।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसाना मुरादाबाद

खुबसूरत नाते पाक - Khoobsurat Naat E Pak नाते रसूल, नबी की शान में नाते रसूल

नात -ए- पाक
दूर दुनिया से अँधेरा कर दिया।
आप ने आ कर उजाला कर दिया।

कुफ़्र के दीपक बुझा कर आपने।
दीने ह़क़ का बोलबाला कर दिया।

पढ़ लिया कंकर ने कलमा उस घड़ी।
आप ने जिस दम इशार कर दिया।

जाँ निसारों ने तुम्हारे या नबी।
परचम-ए -इस्लाम ऊँचा कर दिया।

पुश्त पर शब्बीर बैठे जब कभी।
आप ने सजदे को लम्बा कर दिया।

आप का ऐहसान है मदनी मिरे।
आपने शादाब सहरा कर दिया।

रात भर रो -रो के आक़ा ने फ़राज़।
आतिशे दौज़ख़ को ठण्डा कर दिया।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
मुरादाबाद

नात शरीफ नात शरीफ | Naat Sharif In Hindi

नअ़ते पाक
नसीब जब भी मदीने की ह़ाज़री होगी।
मिरी नज़र की तभी दूर तिश्नगी होगी।

कभी तो मुझको बुलायेंगे रह़मत ए आलम।
कभी तो दूर मिरे दिल की बेकली होगी।

दरूद आप जो भेजेंगे रात- दिन उन पर।
तभी तो मोमिनों ईमाँ में ताज़गी होगी।

जो सिद्क दिलसे मुह़ब्बत नबी से रखता है।
लहद से दूर उसी की तो तीरगी होगी।

ग़ुलामे अह़मदे मुख़्तार हूँ यक़ीं है मुझे।
बरोज़े हश्र मिरी बात भी बनी होगी।

उसी पे होगी ख़ुदा -ए -करीम की रह़मत।
के जिसके दिल में मुहब्बत ह़ुज़ूर की होगी।

बरोज़े हश्र शफ़ाअ़त के वास्ते सबकी।
जब आप आयेंगे आक़ा बड़ी खुशी होगी।

फ़राज़ देखना असबाब बन ही जायेंगे।
वहाँ की ह़ाज़री क़िस्मत में गर लिखी होगी।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसाना मुरादाबाद

यक़ीनन वो जन्नत का हक़दार होगा, नात शरीफ हिंदी में लिखी हुई

नई नई नात शरीफ़ हिंदी में लिखी हुई | New Naat 2021 Lyrics
नअ़त - ए - पाक

नबी की याद में नात शरीफ़ हिंदी में Nabi Ki Yaad Mein Naat Sharif

नात शरीफ़
नबी की याद के जब दिल में लश्कर जाग जाते हैं।
हज़ारों बेकसों के फिर मुक़द्दर जाग जाते हैं।

ये सहरा जाग जाते हैं समन्दर जाग जाते हैं।
कदम सरकार गर रख दें तो पत्थर जाग जाते हैं।

तुम्हारा ज़िक्र करते करते सो जाते हैं जो अकसर।
तुम्हारा नाम लेकर वो गुल ए तर जाग जाते हैं।

ख़ुदा ए पाक की होती हैं नाज़िल रह़मतें उन पर।
इबादत में ख़ुदा की जो भी शब भर जाग जाते हैं।

मुक़द्दर रात का भी उनके ही सदक़े चमकता है।
उन्हीं के सदक़े में ही माहो अख़्तर जाग जाते हैं।

दुआ़ उनकी ख़ुदा ए पाक कोई रद नहीं करता।
मुहब्बत में तुम्हारी जो भी सरवर जाग जाते हैं।

कभीजब नात लिखता हूँ मैंआक़ा की मुहब्बत में।
ख़यालों में मिरे तैबा के मन्ज़र जाग जाते हैं।

न जाने कितने लोगों के यहाँ बिगड़े नसीबे भी।
रसूल ए पाक के सदक़े में अकसर जाग जाते हैं।

अजब तासीर आबे ख़िज्र में रक्खी है मौला ने।
के इसके पास आते ही सिकन्दर जाग जाते हैं।

तुम्हारी याद जब आती है मुझको हिज्र में आक़ा।
मिरी पलकों पे फिरअश्कों के गौहर जाग जाते हैं।
सरफ़राज हुसैन फ़राज़

अच्छी-अच्छी नात शरीफ | Naat Sharif in Hindi

नाअ़त
अल्लाह की रह़मत से आक़ा के इशारों पर।
पलटी है मिरी कश्ती तूफ़ाँ से किनारों पर।

पहले भी बहारें थी हर सिम्त ज़माने में।
वो आए तो फिर छाए सारी ही बहारों पर।

परवाह नहीं करते शौलों की तमाज़त की।
चलते हैं ग़ुलाम उनके हँसते हुए ख़ारों पर।

शैदा जो हुए उनके हर वक़्त यक़ीनन ही।
रहती है नज़र उनकी तैबा के नज़ारों पर।

आजाए मुक़ाबिल जो वो लौटना मुश्किल है।
भारी है ग़ुलाम उनका हर एक हज़ारों पर।

यह फ़र्शे ज़मीं क्या है उस अर्शेबरीं पर भी।
है राज मुहम्मद का सब चाँद सितारों पर।

बस यह ही तमन्ना हैआक़ा से फ़राज़ अपनी।
छोड़ें न कभी तन्हा औरों के सहारों पर।
सरफ़राज़ हुसैन "फ़राज़
पीपलसाना मुरादाबाद

नाते पाक | Naat Sharif नात शरीफ़ हिन्दी में — हिंदी उर्दू साहित्य संसार

आपकी रब ने बनाई ज़ात सबसे मुख़्तलिफ़।
प्यारे आक़ा आपकी हर बात सबसे मुख़्तलिफ़।

दिन भी सबसे मुख़्तलिफ़ है रात सबसे मुख़्तलिफ़।
तेरी गलियों की मदीने बात सबसे मुख़्तलिफ़।"

जान देने से नहीं डरते ख़ुदा के नाम पर।
आपके दीवानों के जज़्बात सबसे मुख़्तलिफ़।
नात शरीफ हिंदी में Naat Pak Lyrics
सर को सजदे मे झुकाऊँ तो ये लगता है मुझे।
बन्दगी के हैं ये ही लम्ह़ात सबसे मुख़्तलिफ़।

होज़े कौसर के भी मालिक हक़ शफाअ़त का भी है।
आपने पाए कई दर्जात सब से मुख़्तलिफ़।

सर झुकाते हैं शहंशाह आपके दरबार में।
आपके दरबार की हर बात सबसे मुख़्तलिफ़।

ये किताबुल्लाह भी है और कलामुल्लाह भी।
इस लिए क़ुरआं की हैं आयात सबसे मुख़्तलिफ़।

सारे नबियों पर फ़ज़ीलत दी ख़ुदा ए पाक ने।
सारे नबियों मे तुम्हारी ज़ात सबसे मुख़्तलिफ़।

मेरे आक़ा की शब ए मैराज में जो अर्श पर।
हक़तआ़ला से हुई वो बात सबसे मुख़्तलिफ़।

हर घड़ी अल्लाहु अकबर की सदायें हैं वहाँ।
हैं मदीने के मियाँ दिन रात सबसे मुख़्तलिफ़।

दर्स देती है हमें अब भी ये अर्ज़े करबला।
राहे हक़ मे जो मिटे वो ज़ात सबसे मुख़्तलिफ़।

अपने बेगाने सभी की झोलियाँ भरतीं वहां।
बट रही है उस जगह ख़ैरात सबसे मुख़्तलिफ़।

प्यारे आक़ा का यही फरमान है ए मोमिनों।
यादे रब मे जो कटे वो रात सबसे मुख़्तलिफ़।

जान देकर राहे हक़ मे हज़रते शब्बीर भी।
दीन ए हक़ की कर गए ख़िदमात सबसे मुख़्तलिफ़।

आपके दर पर मेरा बिगड़ा मुक़द्दर बन गया।
आपके दर से मिली सौग़ात सबसे मुख़्तलिफ़।

देखो नज़रों को उठाकर तुम भी अपनी सरफराज़।
रहमतों की है वहाँ बरसात सबसे मुख़्तलिफ़।

कोई माने या न माने है यक़ी मुझको फराज़।
लिक्खी हैं अहमद रज़ा ने ना़त सबसे मुख़्तलिफ़।
सरफराज़ हुसैन फराज़
पीपलसाना मुरादाबाद यू.पी.
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