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जन्नतुल फ़िरदौस के बागो-बहार अपनी जगह : नात हिंदी में लिखी हुई

नात शरीफ लिरिक्स हिंदी में

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नात शरीफ हिंदी में लिखी हुई

लिखी हुई नाते

जन्नतुल फ़िरदौस के बागो-बहार अपनी जगह
है मदीने का मगर नूरी दयार अपनी जगह

बारगाहे-मुस्तफ़ा की बरकतों के वास्ते
छोड़ कर जिबरील आए बार बार अपनी जगह

गीत,ग़ज़लों में भी कैफ़ो-बे ख़ुदी तो है मगर
नअत पाके-मुस्तफ़ा का है ख़ुमार अपनी जगह

मुंतज़िर हिजरत की शब महबूबे दावर का रहा
जानिसारे मुस्तफा व यार गार अपनी जगह

मुनहदिम करने की कोशिश ज़ालिमों ने मगर
सैय्यदुश्शुहदा का है अब भी मज़ार अपनी जगह

एक दोज़ख की है ओर जन्नत की इक तस्वीर है
हुर्मला अपनी जगह है शीर खार अपनी जगह

यूँ तो सारे ही सहाबा हैं अज़ीमो-मोहतरम
हाँ मगर आक़ा के "ज़ाहिद" चारों यार अपनी जगह

मोहम्मद ज़ाहिद रज़ा बनारसी
9451439786

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