नाते मुस्तफा-Naat-e-Mustafa
नाते पाक-Naat-e-Paak
ईमान की ज़िया ये मयस्सर नबी से है।
रोशन हर इक दयार हर इक दर नबी से है।
रोशन हर इक दयार हर इक दर नबी से है।
तशरीफ़ वो जो लाए तो सब तीरगी मिटी।
यह कायनात सारी मुनव्वर नबी से है।
क्या क्या न उनके सदक़े मयस्सर हुआ हमें।
सागर में सीप, सीप में गौहर नबी से है।
Naat-e-Nabi नाते-नबी
उनके ही ज़रिए पायी है इस्लाम ने ह़यात।
इस्लाम का शजर यह तनावर नबी से है।
इस्लाम का शजर यह तनावर नबी से है।
बेला, कनेर, चम्पा, चमेली की बात क्या।
ख़ुश्बू में हर गुलाब मुआ़त्तर नबी से है।
आते न वो जहाँ में तो क्या ख़ाक होते हम।
अपना वजूद अपना मुक़द्दर नबी से है।
आने से क़ब्ल उनके थीं तारीकियाँ फ़राज़।
इतना ह़सीं जहाँन का मन्ज़र नबी से है।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद यू.पी.
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