माहे रमजान के इस्तकबाल पर शायरी | माहे रमजान मुबारक शायरी
माहे सियाम (नज़्म)
माहे रमज़ान आया मेरे घर पे यूँ
रौशनी हो गई हर जगह चार सू
बड़ी रौनक है देखो यहाँ हर जगह
जबसे आया है रमज़ान का महीना
सबके दिल में ख़ुशी चेहरे पे नूर है
क्योंकि शैतान भी हमसे अब दूर है
घर भी रौशन हैं अब दिल भी रौशन हुए
आया रमज़ान तो दिल भी गुलशन हुए
माहे रमज़ान आया मेरे घर पे यूँ
रौशनी हो गई हर जगह चार सू
बड़ी रौनक है देखो यहाँ हर जगह
जबसे आया है रमज़ान का महीना
सबके दिल में ख़ुशी चेहरे पे नूर है
क्योंकि शैतान भी हमसे अब दूर है
घर भी रौशन हैं अब दिल भी रौशन हुए
आया रमज़ान तो दिल भी गुलशन हुए
Ramadan Mubarak Shayari photo HD
Ramzan Mubarak status quotes images download
होंगी पुरनूर सेहरी व आफतारियां
रोज़ों का नूर चेहरे से होगा अयां
छोडेंगे ऐशो इशरत पढ़ेंगे नमाज़
घरों से आएगी तिलावत की आवाज़
सजेंगी मस्जिदें फिर नमाज़ी से यूँ
आसमानों पे होंगी ये गुफ़्तगू
ताक़ रातों में मौला को याद करें
ज़िन्दगी को यूँ ही बस आबाद करें
अल्लाह ने देखो बख्शा हमें ये मक़ाम
दे दिया हमको फिर से ये माहे सियाम
रोज़ों का नूर चेहरे से होगा अयां
छोडेंगे ऐशो इशरत पढ़ेंगे नमाज़
घरों से आएगी तिलावत की आवाज़
सजेंगी मस्जिदें फिर नमाज़ी से यूँ
आसमानों पे होंगी ये गुफ़्तगू
ताक़ रातों में मौला को याद करें
ज़िन्दगी को यूँ ही बस आबाद करें
अल्लाह ने देखो बख्शा हमें ये मक़ाम
दे दिया हमको फिर से ये माहे सियाम
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गुले गुलशन
मुंबई
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