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मदीने के शाम-ओ-सहर देखते हैंं | शबे बरात नात शरीफ लिखी हुई

Shab E Barat Naat Sharif Lyrics In Hindi

Shab e Barat Naat Sharif lyrics in Hindi

नात लिरिक्स हिंदी में | Naate Pak Lyrics

नाते पाक

मदीने के शाम - ओ - सहर देखते हैंं।
जो ख़्वाबों में तैयबा नगर देखते हैं।

बरसती है रहमत उधर किबरिया की।
जिधर भी वो ख़ैरुल बशर देखते हैं।

दिया वास्ता जब से मेहबूबे रब का।
दुआ़ओं में अपनी असर देखते हैं।

दुआ़ उनकी मक़बूल करता है मौला।
जो ख़म उनके रोज़े पे सर देखते हैं।

ज़मीं तो ज़मीं है ह़कीक़त में लोगो।
निसार उनपे शम्स - ओ-कमर देखते हैं।

नहीं उन को भाते जहाँ के नज़ारे।
निगाहों से जो उनका दर देखते हैं।

ह़क़ीक़त फ़राज़ उनकी ज़ाहिर है सबपर।
करम उनका ऐहले नज़र देखते हैं।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना

नात ए पाक लिखी हुई | नात शरीफ अच्छी वाली

नात ए पाक

उनके किरदार की सादगी की।
हर ज़बाँ पर है मिदह़त नबी की।

दीने ह़क़ की सदा पैरवी की।
यूँ बसर आपने ज़िन्दगी की।

हूरो ग़िलमाँ हों या जिन्नों इन्सां।
बात करते हैं सब आप ही की।

आप से पेशतर था अँधेरा।
आपने दूर हर तीरगी की।

शम्म ए दीन रौशन है तुम से।
तुम ज़मानत हो इस रौशनी की।

मुझ गुनहगार की रोज़े मेह़शर।
लाज रख लेना दीवानगी की।

है फ़राज़ आप ही का तो शैदा।
डोर टूटे न यह आ़शिक़ी की।

सरफ़राज़ हुसैन 'फ़राज़' मुरादाबाद

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