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नात शरीफ लिरिक्स हिंदी में | नाते पाक अच्छी-अच्छी | Naat Pak

शबे बारात पर नात शरीफ | Shab E Barat Naat | Nai Naat Sharif

शबे बारात पर नात शरीफ | Shab e barat Naat | Nai Naat sharif

नाते पाक - Naat e Paak

है दिल को मिरे जुस्तजू ए मुहम्मद।
मुझे जाने दो अब तो सू ए मुहम्मद।

न दौलत की हाजत न शौहरत की चाहत।
मुझे है फ़क़त आर्जू ए मुहम्मद।

यूँ अफ़ज़ल है मेराज की शब के इसमें।
ख़ुदा से हुई गुफ़्तगू ए मुहम्मद।

निगाहों में है उनके रोज़े का मन्ज़र।
ख़यालों में है जब से रु ए मुहम्मद।

करूँ क्यों न मिदह़त पसीने की उनके।
गुलाबों से अफ़ज़ल है बू ए मुहम्मद।

ह़बीब ए ख़ुदा हैं वो शाहे उमम हैं।
ये है इज़्ज़त ओ आबरू ए मुहम्मद।

फ़राज़ अब तो ये ही तमन्ना है दिल की।
निगाहों से देखूँ मैं कू ए मुह़म्मद।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरा०

शब ए बारात शायरी इन हिंदी | शब-ए-बरात नात शरीफ़

खुबसूरत नाते पाक - Khoobsurat Naat E Pak

सुब्हो सब से आला है शाम सबसे आ़ला है।
मेरे कमली वाले का धाम सबसे आ़ला है।

बाद रब के क़ुरआँ में आप ही का है चर्चा।
इस लिए ही आक़ा का नाम सबसे आ़ला है।

आसियों को मेहशर में आप जो पिलायेंगे।
वो ही हौज़े कौसर का जाम सबसे आ़ला है।

हर क़िले को बातिल के आप ने गिरा डाला।
आप ही का आ़लम में काम सबसे आ़ला है।

कुफ़्र पर जो ग़ालिब था आज तक वही जग में।
तीन सौ बहत्तर का लाम सबसे आ़ला है।

यह भी क़ौल है उनका ख़र्च हो जो मुफ़्लिस पर।
मोमिनो यहाँ वो ही दाम सबसे आ़ला है।

मैं फ़राज़ अब सबसे सिर्फ़ ये ही कहता हूँ।
आप का ही इस जग में गाम सबसे आ़ला है।

सरफ़राज़ हुसैन फराज़ पीपलसाना मुरादाबाद।

Hindi naat | Mehfil shab e barat | Naat sharif all

नात शरीफ़ हिंदी में - Naat Sharif Hindi Mein

आ़ला है ज़माने में किरदार मुहम्मद का।
दीवाना हुआ यूँ ही संसार मुह़म्मद का।

करता है कोई जब भी अज़कार ए नबी लोगो।
पाता है सुकूँ उस दम बीमार मुह़म्मद का।

या रब है दुआ़ तुझसे सुन ले तू स़दा मेरी।
ता ह़श्र रहे ताज़ा गुलज़ार मुह़म्मद का।

ज़ुल्मत के अँधेरों को पल भर में मिटा डाले।
हो जाए अगर आशिक़ बेदार मुह़म्मद का।

आशिक़ है भला किसका पूछे जो कोई मुझसे।
हो नाम मिरे लब पर हर बार मुह़म्मद का।

पढ़ते हैं अक़ीदत से जो उनपे दरूद अकसर।
ख़्वाबों में उन्हें होगा दीदार मुह़म्मद का।

आसी की फ़राज़ अब तो बस ये ही तमन्ना है।
देखूँ मैं निगाहों से दरबार मुह़म्मद का।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद

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