नात शरीफ बढ़िया-बढ़िया
भोजपुरी नातिया कलाम
हिंदी और भोजपुरी में नात शरीफ
नात-ए-अरबी-साँवरिया
मन मा बसें न कैसे अरबी साँवरिया?
ऊ हे मदीना मोरी प्रेम-नगरिया!
लागल है मनवा मोरा ऊ बस्ती मा!
रहम की छाए जहाँ हर दम बदरिया!
महबूब-ए-रब हैं, ऊ हैं प्यारे जगत् के!
अर्श-ए-बरी है जै की ऊंची अटरिया!
चौखट से उनकी कौउवो लौटा न सायेल।
बान्धन सखावत पे हैं ऊ अपनी कमरिया!
बदरा में जैसे कोई चन्दा छुपे है!
गोरे बदन पर लिपटी कमली है करिया!
हैं नाम-लेवा, आका! हम तो तुम्हारे!
हम का ओढा दो अब करम की चदरिया!
नयया फंसी है मोरी तूफान में,ले लो
दोऊ जगत के खेवनहार, खबरिया!
साहिल पे कर जावो अब उम्मत की किश्ती!
बाढ पे आका जी ! हौ दुनिया का दरिया!
ई हे तमन्ना हम्री,आरजू ई हे!
तोहरे ही दर पे बीते सारी उमरिया!
प्यारे कवि शिरी मोहन-रामचन्द्र दास!
और भी सुना दो हम का नात-ए-अरबी साँवरिया!
डाक्टर रामचन्द्र दास प्रेमी राज चंडी गढी,
द्वारा डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी मंजिल,डॉक्टर इनसान प्रेमनगरी हाऊस ,डॉक्टर खदीजा नरसिंग होम,रांची हिल साईड,इमामबाड़ा रोड, रांची-834001
नोट : यह नात-ए-रसूल-ए-खुदा हमारे आरा,छपरा, बलिया, महुआ, भोजपूर,वगैरा के मित्रों की फरमाइश पर पेश की जा रही है!
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