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इमाम हुसैन की शहादत मुहर्रम पर शायरी | ताजिया शायरी | कर्बला शायरी Muharram Shayari in Hindi

मोहर्रम का मरसिया शहादत इमाम हुसैन मुहर्रम शायरी हिंदी Muharram Shayari In Hindi

शहादत
वो वादा वफ़ा किया हजरत हुसैन ने।
हाँ इमान नही दिया हजरत हुसैन ने।।

ड़रकर नही काटी कभी जिंदगी जिसने।
शहादती जाम पिया हजरत हुसैन ने।।

जहाँ ने देखा हैदरी जलाल करबला में।
नेजे पे सर को लिया हजरत हुसैन ने।।

भूखें प्यासे करबला के शहीद हुयें।
पानी नही पिया हजरत हुसैन ने।।

तिरों की बारीश होती रही चार सू।
तिरों को सिने पे लिया हजरत हुसैन ने।।

यजिदी की जुल्मतें हद पार कर गईं।
असगर का लाशा लिया हजरत हुसैन ने।।

'शहज़ाद' सुनकर निकल आते हैं आँसू।
आख़री सज़दा किया हजरत हुसैन ने।।

मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद'
हिगणघाट,जि, वर्धा,महाराष्ट्र
8329309229

मुहर्रम शायरी | इमाम हुसैन शहीदी शायरी | शान ए हुसैन शायरी

शहिदी
सज़दा हुसैन का याद कायनात करेगी।
इमान वालों आज करबला बात करेगी।।

यजीद घबराया हौसला ए हुसैन देखकर।
तीस हजार फौज भला क्या साथ करेगी।।

बच्चा हुआ कुरबान अपने इमाम पर वो।
अपने इमाम की फजिलत हर नात करेंगी।।

उमर जियाद शुमरे लई सच्चों के कातील।
करतुत बयां मोहर्रम की हर रात करेगी।।

कासीम बने दुल्हा हुये वो रन में शहीद।
बहादूरी बयां शहीदों की जात करेगी।।

अब्बास के बाजू कटे नहरे फराद पर।
अली असगर की प्यास दिल पर मात करेगी।।

"शहज़ाद" शहीदों की याद ताजा हो गई।
कौम नये साल में जो मुनाजात करेगी।।

मजीदबेग मुगल "शहज़ाद"
हिगणघाट जि, वर्धा महाराष्ट्र
8329309229

मुहर्रम पर शायरी | अशुरा मुहर्रम शायरी | ताजिया शायरी हिंदी में

शहीदी
हुसैन आपके सदके में जन्नत बनी है।
इसलिये हर करबला का शहीद बना गनी है।।

तलवार भाला तेग के नीचे लड़े धुप में।
शहीद के सर फातेमा की चादर तनी है।।

मासूम अली असगर हुये थे जब शहीद तब।
हजारों यजिदियों से तब हुई जंग घनी है।।

एक दिन के बनें दूल्हा कासिम हुये थे शहीद।
बोली सुगरा कहा खोया मेरा धनी है।।

हुसैन आपने तो किसी का बुरा नही किया।
फिर क्यों लगा यजिद आपके पीछे शनी है।।

इस्लाम को गिजा मिली हुसैन के खून की।
मार्फत ये किरदारे हुसैन से छनी है।।

लड़ो बेटा मैंदान मे खीचड़ा पकता रहा।
हांडी में सिर्फ पत्थर और दिखा पानी है।।

बहादुरी के जौहर दिखे थे हुसैन के।।
हैदरी तलवार अली तेवर सें बनी है।।

'शहजाद ' हर साल महिना आता मोहर्रम का।
दिखा जुगराफिया हुसैन यजीद मे ठनी है।।

मजीदबेग मुगल 'शहजाद '
हिगनघाट जि वर्धा महाराष्ट्र
8329309229

हुसैन शायरी | मुहर्रम की शायरी Muharram Shayari Hindi

नात
नाना का प्यार
नाना का नवासों से प्यार देखिए।
मुस्तुफा का इस्लामी इजहार देखिए।।

वैलैल जुल्फे नवासों के हाथ में।
उँटों में मोहम्मद की कतार देखिए।।

प्यारे थे नवासे नबी को कितने।
होटों का बोसा गले का हार देखिए।।

बचपन हसन हुसैन का शानों पे गुजरा।
उम्मत हो नबी के ये दुलार देखिए।।

दोनों नवासे बराबर मुस्तुफा को।
तकती पे कटा बराबर अनार देखिए।।

कुदरत ने दिया कैसे साथ नबी का।
आया जन्नत का जोड़ा बिसार देखिए।।

इस्लाम के निगहबां प्यारे नवासे।
हुसैन की वो शहादत निसार देखिए।।

'शहजाद 'सारा जहाँ हुआ कैसे फिदा।
मुस्तुफा नवासे प्यार का वकार देखिए।।

मजीदबेग मुगल 'शहजाद '
हिगनघाट जि वर्धा महाराष्ट्र
8329309229

यादें हुसैन गुंजती हैं आज करबला में: करबला में इमाम हुसैन की शहादत पर शायरी

शहादत
यादें हुसैन गुंजती हैं आज करबला में।
हर आँख अश्क चुमती हैं आज करबला में।।

दस दिन का ये मातम कितना ग़म जदा हुआ।
माँ बच्चों को ढुंढती है आज करबला में

पानी की नही बारीश, हुई थी तिरों की।
शहिद की आँख मुदंती है आज करबला में।।

बच्चों को नही मिला खाना, नही पानी
बस मलकुल मौत चुनती है आज करबला में।।

शुमरें लई का तिर मासूम असगर पर चला
हाथ में लाश झुमती है आज करबला में

'शहजाद' लुट गया चमन फातेमा जहरा का
तड़प आवाज घुमती है आज करबला में

मजीदबेग मुगल 'शहजाद'
हिगणघाट जि,वर्धा,महाराष्ट्र
8329309229

Muharram Sad Shayari | Shan e Hussain Shayari | Karbala Shayari | Tajiya Shayari

"शहीदी"
ये पुछते हो क्यों सर कटाया हुसैन ने।
नाना जान की उम्मत बचाया हुसैन ने।।

भूखें प्यासें लढ़ गयें छोटे बड़े सभी।
शहीदों को जन्नत में बिठाया हुसैन ने।।

बोली सकीना बाबा पानी मुझे पिना।
अब्बास के हाथ दरिया से उठाया हुसैन ने।।

बच्चें की प्यास तिरों से बुझायी जाती।
खौफ़नाक मंजर जहाँ को दिखाया हुसैन ने।।

दुल्हा बनें कासिम चलें रन में लड़ने को।
लख्ते जिग़र की लाश दफ़नाया हुसैन ने।।

झुठे यजीद के हाथों बैत नही किया था।
सच्चाई की खातिर घर लुटाया हुसैन ने।।

पंजतनी जहाँ का वसिला बना शहीदी से।
इन्सानियत कैसी हों दिखाया हुसैन ने।।

'शहज़ाद' हुसैन यही पैगंम्बरी आल है।
सर दे अपना इस्लाम बनाया हुसैन ने।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद'
हिगनघाट,जि, वर्धा,महाराष्ट्र
8329309229

कर्बला शायरी शहादत पर शायरी

शहिदी
नही मांगते थे राज इमान पे अड़े थे।
हुसैन तो हमेशा वफ़ा की तरफ़ खड़े थे।।

यजीद को डर था हुसैन की पासबानी से।
इसीलिए तो हुसैन के पिछे यजिदी पड़े थे।।

जान दे बचाया इमान की पासबानी को।
हुसैन में हिरे नबी की वफ़ा के जड़े थे।।

हैदर ए कर्रार अजीम शेरे खुदा के शेर।
पाने शाहदत कर्बला की तरफ़ बड़ें थे।।

वादा निभाया नानाजान से बचपन का।
कर्बला में फूटे वो जवानी के घड़े थे।।

कर्बला याद दिलाती है शाने इमाम की।
नेजे पे सर आज़ भी हुसैनी के खड़े थे।।

लुटाया घरबार नाना की उम्मत के लिए।
जन्नत में हकदारों के लिए झड़ें गड़ें थे।।

'शहज़ाद ' अहसान हुसैन ना भूला कोई।
इसके पीछे बने हुसैन शहिद की जड़े थे।।

मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद '
8329309229

हौसला हुसैन का : इमाम हुसैन की शान में शायरी

शहीदी
कितना अजीम बुलन्द तर हौसला हुसैन का।
कुर्बान हो गया सच्चाई पे कबिला हुसैन का।।

यजीद का फरेब भरा मिला दावत नामा।
चल पड़ा साथ में हरेक वसिला हुसैन का।।

शहीद होने जा रहा था खेमें का हर जवान।
जहाँ की नज़र में जवा था सजिला हुसैन का।।

बच्चें भी बहादूर थे सर कटाने वाले।
अली असगर ने चलाया सिलसिला हुसैन का।

एक दिन के दूल्हा बनकर कासिम हुये शहीद।
था भतिजा वो हथेली का छाला हुसैन का।।

भूखे प्यासे शहीद होते थे करबला मे।
यजिदीयों ने किया रास्ता अड़ीला हुसैन का।।

शमशीर हैदरी का जोह़र मैदाने जंग मे।
बचपन का वादा निभाना फैसला हुसैन का।।

'शहज़ाद ' अकिदा हुसैन का बढ़ेगा हमेशा।
आखरी सजदा जमीने कर्बला हुसैन का।।

मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद '
8329309229

कर्बला शायरी फोटो Imam Hussain Shahadat Shayari Image

हजरत-ए-इमाम हुसैन की नज्र जदीद-व-मुन्फरिद गजल | इमाम हुसैन की शान में शायरी

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जदीद-व-मुन्फरिद गजल
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यारो!, हुसैन-इब्न-ए-अली हो गये शहीद!
बस दीन-ए-हक के वास्ते, इस्लाम के लिए!!
शब्बीर-ए-हक, यजीद के आगे नहीं झुकें!
इन-आम/ इनाम के लिए, किसी इकराम के लिए!!
सारे यजीदी रिन्द, गुनहगार-ए-या-हुसैन!
तड़पि करेंगे खुल्द सा इन-आम/ इनाम के लिए!!
कुफ्फार हैं, गुमान-व-औहाम के लिए!
या, कुफ्रिया कलाम के इब्हाम के लिए!!
सारे यजीदी रिन्द, ये कातिल, हुसैन के!
तरसा करेंगे, खुल्द के आराम के लिए!!
फिर्दौस/ फिरदौस में हैं, कौसर-व-तसनीम मौज-जन!!
तरसा करेंगे रिन्द, खुल्द के इक जाम के लिए!!
शायर हैं कुछ, गुमान-व-औहाम के लिए!
जैसे जदीद शेर के इब्हाम के लिए!!
डाक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी
द्वारा डॉक्टर रामदास राजकुमार दिलीप कपूर, डॉक्टर इनसान प्रेमनगरी हाऊस, डॉक्टर खदीजा नरसिंग होम, रांची हिल साईड,इमामबाड़ा रोड, रांची, झारखण्ड, इन्डिया!

हजरत-ए-इमाम हुसैन की नज्र एक जदीद गजल | कर्बला की शायरी

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जदीद गजल
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करबला की रेत, करबला की धूप, करबला की गर्मी!!!
याद आती है, सभी की कुर्बानी, यजीद की बेशर्मी!!
अब भी याद आती है, वो गुलामान-ए-हबीब-ए-रब की नर्मी!!
लाजिमी है, दीन-व-मजहब-ए-इस्लाम में सिला-ए-रहमी!!
था जबरदस्ती का शाह, बातिल आदमी, यजीद-ए-मलवून!!
अस्ल में था बादशाह, " अहमद" का नवासा, शब्बीर-ए-जाह!!
थी यजीदी फौज और बहत्तर मोमिनान-ए-बर-हक में जंग!!
थी जरूरी बातिल और हक में जंग, ऐ मुसलमान् भाई!!
सुर्खरू है, और इराक में है " करबला " मुनव्वर अब तक!!
रंग लाई, ऐ सखी!, शहीदान-इराक की कुर्बानी!!
थी जरूरी, बातिल और हक में जंग, ऐ मुसलमा( مسلماں) भाई!!
डाक्टर रामदास प्रेमी राजकुमार जानी दिलीपकुमार कपूर

हजरत-ए-इमाम हुसैन की नज्र Muharram Par Shayari

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जदीद गजल Imam Hussain Shahadat Shayari
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" मुहर्रम " की फजीलत को हर इक मोमिन समझता है, ऐ सखी!!
हुसैन-इब्न-ए-अली की भी शहादत रायगा(راءگاں) न गयी!!
थे सब हैरत-जदा!," शब्बीर-ए-आजम" थे खूब-रू गब्रू!!
शबीह-ए-मुस्तफा " ठहरे हुसैन इब्न-ए-अली, ऐ मेरी सखी!!
 तमामी आल-व-औलाद-ए-मुहम्मद,काबिल-ए-तारीफ है ही!!
" मुहम्मदी " की फजीलत को मुसलमा( مسلماں) जानता है, प्यारी सखी!!
तमामी आल-व-औलाद-ए-मुहम्मद हो गये कुर्बान-व-शहीद!!
शहादत रंग लाई हर शहीद-ए-करबला की, सुन ले/ ऐ सखी!!
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डाक्टर इन्सान प्रेमनगरी
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नोट :- मौलवी प्रेम-नाथ बिस्मिल मुरादपूरी साहब " मुहर्रम और इमाम हुसैन की पाक शहादत " शीर्षक पर दीगर शेर-व-सुखन आइंदा फिर कभी पेश किए जायेंगे, इन्शा-अल्लाह! फिलहाल मोहर्रम पर लिखी गई इन ग़ज़लों / शायरी को हिन्दी उर्दू साहित्य संसार के वेबसाइट पर लगा दीजिए! शुक्रिया।
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