Naat Sharif Lyrics नात शरीफ लिरिक्स हिंदी में : हज का महीना आ गया
फिर मुबारक देखिए हज का महीना आ गया
हाथ उसके दो जहां का हर ख़ज़ीना आ गया
की मुहम्मद की इताअत जिस किसी ने क़ल्ब से
पास उक़बा का उसी के सब दफीना आ गया
आप जब तशरीफ लाए ज़र्रा ज़र्रा कह उठा
मरहबा सल्ले अला शाहे मदीना आ गया
नूर-ए-हक से दो जहां को जगमगाने के लिए
रहमते आलम की सूरत इक नगीना आ गया
जब रसूले पाक आए इस जहां में मोमिनो
अहले-आलम को दहाने ज़ख़्म सीना आ गया
सुन्नतों पर सिद्क़ दिल से जो अमल पैरा हुआ
दर हक़ीक़त उसको जीने का क़रीना आ गया
अज़मतो रिफ़अत बढ़ी हर बंदा-ए-अल्लाह की
उम्मती के वास्ते इक ऐसा ज़ीना आ गया
मुनकर-ए-शान-ए-नबी पर लानतें हों बेशुमार
सर कलम कीजे नज़र गर वह कमीना आ गया
इश्क-ए-अहमद का वह दावा कर नहीं सकता कभी
क़ल्ब में जिसके ज़रा भी बुग़ज़ो कीना आ गया
था जिन्हें भी हुस्नो रानाई पे अपने कुछ ग़ुरुर
हुस्न-ए-अहमद देखकर उन को पसीना आ गया
साक़ी-ए-क़ौसर बनाया है ख़ुदा ने आपको
तिशनगी मिट जाएगी, गर्दिश में मीना आ गया
आसियों के लब पे होगा हश्र के मैदान में
बख्श़वाने अब हमें शाहे मदीना आ गया
जिस किसी को राहे ह़क में प्यास की शिद्दत बढ़ी
नाम लेते ही नबी का आबगीना आ गया
हो गया क़ुर्बान दीन-ए-मुस्तफ़ा पर शौक़ से
ख़ंजर-ए-बातिल के आगे जिसका सीना आ गया
मोजज़ा है मुस्तफा के उस्वा-ए-हुस्ना का यह
आज जो हमको शराब-ए-इश्क पीना आ गया
कब मुझे सरकार बुलवाएंगे हिंदुस्तान से
फिर मुबारक देखिए हज का महीना आ गया
जिस घड़ी मुझ पर हुई उनकी निगाहे इल्तेफ़ात
बहर-ए-ग़म से दूर इस दिल का सफ़ीना आ गया
नात गोई सुनके मेरी हमनवा कहने लगे
बनके महफिल में ग़ज़ाली चश्म-ए-बीना आ गया
( नात-ए-रसूल सल्ल०)
वाक़ई इश्क-ए-नबी में जिसको जीना आ गयाहाथ उसके दो जहां का हर ख़ज़ीना आ गया
की मुहम्मद की इताअत जिस किसी ने क़ल्ब से
पास उक़बा का उसी के सब दफीना आ गया
आप जब तशरीफ लाए ज़र्रा ज़र्रा कह उठा
मरहबा सल्ले अला शाहे मदीना आ गया
नूर-ए-हक से दो जहां को जगमगाने के लिए
रहमते आलम की सूरत इक नगीना आ गया
जब रसूले पाक आए इस जहां में मोमिनो
अहले-आलम को दहाने ज़ख़्म सीना आ गया
सुन्नतों पर सिद्क़ दिल से जो अमल पैरा हुआ
दर हक़ीक़त उसको जीने का क़रीना आ गया
अज़मतो रिफ़अत बढ़ी हर बंदा-ए-अल्लाह की
उम्मती के वास्ते इक ऐसा ज़ीना आ गया
मुनकर-ए-शान-ए-नबी पर लानतें हों बेशुमार
सर कलम कीजे नज़र गर वह कमीना आ गया
इश्क-ए-अहमद का वह दावा कर नहीं सकता कभी
क़ल्ब में जिसके ज़रा भी बुग़ज़ो कीना आ गया
था जिन्हें भी हुस्नो रानाई पे अपने कुछ ग़ुरुर
हुस्न-ए-अहमद देखकर उन को पसीना आ गया
साक़ी-ए-क़ौसर बनाया है ख़ुदा ने आपको
तिशनगी मिट जाएगी, गर्दिश में मीना आ गया
आसियों के लब पे होगा हश्र के मैदान में
बख्श़वाने अब हमें शाहे मदीना आ गया
जिस किसी को राहे ह़क में प्यास की शिद्दत बढ़ी
नाम लेते ही नबी का आबगीना आ गया
हो गया क़ुर्बान दीन-ए-मुस्तफ़ा पर शौक़ से
ख़ंजर-ए-बातिल के आगे जिसका सीना आ गया
मोजज़ा है मुस्तफा के उस्वा-ए-हुस्ना का यह
आज जो हमको शराब-ए-इश्क पीना आ गया
कब मुझे सरकार बुलवाएंगे हिंदुस्तान से
फिर मुबारक देखिए हज का महीना आ गया
जिस घड़ी मुझ पर हुई उनकी निगाहे इल्तेफ़ात
बहर-ए-ग़म से दूर इस दिल का सफ़ीना आ गया
नात गोई सुनके मेरी हमनवा कहने लगे
बनके महफिल में ग़ज़ाली चश्म-ए-बीना आ गया
Haj Ka Mahina Aa Gaya Naat Sharif Lyrics In Hindi
मुहम्मद मुस्तफ़ा ग़ज़ाली, पटना9798993200 : 8409508700
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