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जनतंत्र का जन्म कविता का सार | जनतंत्र का जन्म कविता का भावार्थ व्याख्या एवं प्रश्नों के उत्तर

जनतंत्र का जन्म कविता का सार | जनतंत्र का जन्म कविता का भावार्थ व्याख्या एवं प्रश्नों के उत्तर


आज के पोस्ट में हम जनतंत्र का जन्म रामधारी सिंह दिनकर की कविता का सारांश एवं भावार्थ व्याख्या और प्रश्नों के उत्तर प्रस्तुत करने जा रहे हैं यह कविता बिहार बोर्ड के दसवीं कक्षा की पुस्तक गोधूलि भाग 2 काव्य खंड में सम्मिलित की गई है इसलिए इसका अध्ययन हम सबके लिए जरूरी है।

जनतंत्र का जन्म कविता का सारांश

जनतंत्र का जन्म शीर्षक कविता आधुनिक भारत में जनतंत्र के उदय की जयघोष है। समय का रथ सिंहासन की ओर बढ़ता आ रहा है। वह सिंहासनासीन अधिनायक से कहता है कि अब तुम सिंहासन का मोह त्याग दो। इसपर केवल जनता का अधिकार है। उसी जनता का इस सिंहासन पर अधिकार है जो युगों से पद-दलित रही है और जिसने अपने शोषण के विरुद्ध कभी आवाज नहीं उठाई है। वह जनता अब कोई दुधमुंही बच्ची नहीं रही जिसे खिलौनों से बहलाया जा सकें। जनता कोपाकुल होकर जब अपनी भृकुटि चढ़ाती है तो भूचाल आ जाता है। बड़े-बड़े बवंडर उठने लगते हैं। उनके हुँकारों में महलों को उखाड़ फेंकने की ताकत है, उनकी साँसों में ताज को हवा में उड़ा देने का बल है। जनता की राह को रोकने की क्षमता किसी में भी नहीं है। वह अपने साथ काल लिए चलती है। काल पर भी उसका शासन चलता है। सुनो, वह जनता युगों के शोषण के अंधकार को चीरती हुई बड़े वेग के साथ सिंहासन की तरफ आ रही है। संसार का सबसे बड़ा जनतंत्र सिंहासन के पास खड़ा है। उसका हृदय से अभिषेक करो। अब तुम्हारा समय नहीं रहा। अब प्रजा का समय है।

देवता, मंदिरों, राजप्रासादों और तहखानों में निवास नहीं करते। वास्तविक देवता तो खेतों में, खलिहानों में हल चलाते मिलेंगे, कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ते और फावड़े चलाते मिलेंगे। अब उन्हीं किसानों और मजदूरों की बारी है। अब वे ही राज सिंहासन पर आरूढ़ होंगे। सिंहासन खाली कर देने में तुम्हें कोई आना-कानी नहीं करनी चाहिए।

Jantantra Ka Janm Ki Vyakhya


जनतंत्र का जन्म कविता के रचयिता रामधारी सिंह दिनकर हैं। इनका जन्म 23 सितम्बर 1908 ई. में सिमरिया, बेगूसराय बिहार में हुआ और मृत्यु 24 अप्रैल 1974 ई. में हुई। रामधारी सिंह दिनकर के पिता का नाम रवि सिंह और माता मनरूप देवी है।

रामधारी सिंह दिनकर की प्रारंभिक शिक्षा गाँव और उसके आस-पास हुई। 1928 ई. में मोकामा घाट रेलवे हाई स्कुल से मैट्रिक और 1932 ई. में पटना कॉलेज से इतिहास में बी. ए. ऑनर्स किया। ये बिहार विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर एवं भागलपुर विश्वविद्यालय में कुलपति भी रहे।

रामधारी सिंह दिनकर की प्रमुख रचनाएँ —

प्रणभंग, रेणुका, हुंकार, रसवंती, कुरूक्षेत्र, रश्मिरथी, नीलकुसुम, उर्वशी, हारे को हरिनाम, अर्धनारीश्वर, संस्कृति के चार अध्याय, शुद्ध कविता की खोज आदि हैं।

प्रस्तुत कविता में कवि रामधारी सिंह दिनकर ने जनतंत्र के उदय के बारे में अपने विचार व्यक्त किए हैं। जनतंत्र के राजनीतिक और ऐतिहासिक अभिप्रायों को कविता में उजागर करते हुए कवि यहाँ एक नवीन भारत की कल्पना करता है जिसमें जनता ही स्वयं सिंहासन पर आरूढ़ होने वाला है।

जनतंत्र का जन्म कविता का भावार्थ

सदियों की ठंडी-बुझी राख सुगबुगा उठी।
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है।।
दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो।
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।


भावार्थ

प्रस्तुत पंक्तियां राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि दिनकर ने कहा है कि सदियों की ठंडी और बुझी हुई राख में सुगबुगाहट दिखाई देने लगी है अर्थात क्रांति की चिंगारी भड़क उठी है। मिट्टी अर्थात जनता सोने की ताज पहनने के लिए व्याकुल है। राह छोड़ो समय साक्षी है। जनता के रथ के पहियों की घरघराहट की आवाज सुनाई दे रही है। सिंहासन खाली करों जनता आ रही है।

जनता ? हाँ, मिट्टी की अबोध मुरतें वहीं,
जाड़े पाले की कसक सदा सहने वाली,
जब अंग-अंग में लगे साँप हो चुस रहे,
तब भी न कभी मुँह खोल दर्द कहने वाली।

भावार्थ —

प्रस्तुत पंक्तियां राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है। इन पंक्तियों के द्वारा कवि दिनकर ने कहा है कि जनता सचमुच मिट्टी की अबोध मुरतें हैं। वह जाड़े की रात में जाड़ा पाला की कसक (रूक-रूक कर होने वाली पीड़ा) को हमेशा सहती है। वह थोड़ा भी आह नहीं करती है। ठंड से शरीर ऐसा कंपकंपाता है कि लगता है शरीर में हजारों साँप डंस रहे हैं। इतनी पीड़ा और दुख के बावजूद वह अपनी दुख किसी से नहीं कहती है।

जनता ? हाँ, लंबी-बड़ी जीभ की वहीं कसम,
जनता सचमूच ही बड़ी वेदना सहती है।
सो ठीक, मगर, आखिर, इस पर जनमत क्या है ?
है प्रश्न गुढ़ जनता इस पर क्या कहती है।

भावार्थ — Jantantra Ka Janm Class 10 Hindi

प्रस्तुत पंक्तियाँ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि दिनकर ने कहा है कि जनता सचमुच असहनीय वेदना को सह कर जीती है फिर भी जीवन में उफ तक नहीं करती है। कवि शपथ लेकर कहता है कि लंबी चौड़ी जीभ की बातों पर विश्वास किया जाए। जनता सचमुच बहुत ही पीड़ा सहती है। कवि कहता कि जनमत का सही सही अर्थ क्या है ? कवि इस प्रश्न का उत्तर जानना चाहता है। यह प्रश्न बहुत ही गंभीर है।

मानो जनता हो फुल जिसे एहसास नहीं,
जब चाहो तभी उतार सजा लो दोंनो में।
अथवा, कोई दुधमुही जिसे बहलाने के
जन्तर मन्तर सिमीत हों चार खिलौनों में।।


भावार्थ —
प्रस्तुत पंक्तियां राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है। इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने जनता को फुल के समान नहीं देखने और समझने को कहा है। कवि कहता है कि जनता फूल नहीं है कि इसे जब चाहो तब सजा लो या कोई दुधमुंही बच्ची नहीं कि इसे दो-चार खिलौने देकर बहला दो। जनता की हृदय सेवा और प्रेम से जीता जा सकता है।

लेकिन, होता भूडोल, बवडंर उठते हैं
जनता तब कोपाकुल हो भृकुटी चढ़ाती है।
दो राह , समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो
सिहांसन खाली करो, कि जनता आती है।।

भावार्थ

प्रस्तुत पंक्तियां राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है। इन पंक्तियों के द्वारा कवि कहता है कि जनता के पास अपार शक्तियाँ होती है। जनता जब हुंकार भरती है तो भूकंप आ जाता है। बवंडर उठ खड़ा होता है। जनता के हुंकार के सामने कोई टिक नहीं सकता है। जनता की राह को कोई रोक नहीं सकता है। सुनो, जनता रथ पर सवार होकर आ रही है, उसकी राह को छोड़ दो और सिंहासन खाली करो क्योंकि जनता आ रही है।

हुंकारों से महलों की नींव उखड़ जाती
साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है।
जनता की रोके, राह समय में ताव कहाँ ?
जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है।।

भावार्थ—

प्रस्तुत पंक्तियां राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है।

इन पंक्तियों के द्वारा कवि दिनकर ने कहा है कि जनता की हुँकार से, जनता की ललकार से महलों की नींव उखड़ जाती है। जनता की साँसों के बल से राजमुकुट हवा में उड़ते हैं। समय में वह शक्ति नहीं है जो जनता की राह को रोक सके। जनता जैसी चाहती है समय भी वैसा ही करवट लेती है।

अब्दो, शताब्दीयों, सहस्त्राब्द का अंधकार
बिता, गवाक्ष अंबर के दहके जाते हैं।
यह और नहीं कोई, जनता के स्वप्न अजय
चिरते तिमिर का वक्ष उमड़ते आते हैं।

भावार्थ— जनतंत्र का जन्म

प्रस्तुत पंक्तियां राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है। इन पंक्तियों के द्वारा कवि दिनकर ने कहा है कि वर्षों, सैकड़ों वर्षों, हजारों वर्षों का अंधकार का समय बीत गया। यह जनता के स्वप्न है जो अंधकार को चिरते हुए धरा पर उतर रहे हैं।

सबसे विराट जनतंत्र जगत का आ पहुँचा।
तैतिस कोटी-हित सिंहासन तैयार करो
अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है।
तैतिंस कोटी जनता के सिर पर मुकुट धरो।

जनतंत्र का जन्म कविता का भावार्थ

प्रस्तुत पंक्तियां राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है। इन पंक्तियों के द्वारा कवि कहता है कि भारत में लोकतंत्र का उदय हो रहा है। भारत स्वाधीन हो चूका है। यहां लोकतंत्र की स्थापना हो रही है। तैंतीस करोड़ जनता की हित की बात है। तैंतीस करोड़ सिंहासन तैयार करो क्योंकि अभिषेक राजा का नहीं बल्कि जनता का होनेवाला है। आज का शुभ दिन तैंतीस करोड़  जनता के सिर पर मुकुट रखने का है। उनके लिए आज शुभ दिन है।

आरती लिए तुम किसे ढ़ुढ़ता है मुरख
मंदिरों, राजप्रसादों में, तहखानों में
देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे
देवता मिलेंगें खेतों में, खलिहानों में।


भावार्थ:

प्रस्तुत पंक्तियां राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है। इन पंक्तियों के द्वारा कवि का कहना है कि हम आरती लेकर मुर्ख बनकर किसे ढूँढ रहे हैं? मंदिरों, राजमहलों तहखानों में देवता नहीं मिलेंगे। वास्तविक देवता तो सड़क पर गिट्टी तोड़नेवाला मजदूर और खेत-खलिहानों में काम करनेवाला किसना है। अर्थात कवि ने जनता को वास्तिविक देवता कहा है।

फावड़े और हल राजदंड बनने को है
धूसरता सोने में सिंगार सजाती है।
दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो
सिंहासन खाली करो की जनता आती है।

भावार्थ— जनतंत्र का जन्म

प्रस्तुत पंक्तियां राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है। इन पंक्तियों के द्वारा कवि दिनकर ने कहा है लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है। लोकतंत्र का राजदंड कोई राजपत्र, कोई हथियार या कोई औजार नहीं होता है। लोकतंत्र का मूल राजदंड जनता का हल और कुदाल है। इसी से वह धरती से सोना उगाता है। धरती की धुसरता का सिंगार आज सोना से सजा हुआ है। अर्थात धूल ही स्वर्ण है। रास्ता शीघ्र दो, सिंहासन शीघ्रता से खाली करो, देखो जनता स्वयं आ रही है।

जनतंत्र का जन्म कविता का प्रश्न उत्तर


प्रश्न १

कवि की दृष्टि में आज के देवता कौन हैं और वे कहाँ मिलेंगे?

उत्तर : कवि ने भारत की प्रजा, जो खून-पसीना बहाकर देशहित का कार्य करती है, जिसके बल पर देश में सुख संपदा स्थापित होता है, किसान, मजदूर जो स्वयं आहूत होकर देश को सुखी बनाते हैं, को आज का देवता कहा है।

प्रश्न २.

कवि की दृष्टि में समय के रथ का घर्घनाद क्या है? स्पष्ट करें।

अथवा,

दिनकर की दृष्टि में समय के रथ का घर्घर-नाद क्या है ? स्पष्ट करें।

उत्तर : कवि ने सदियों से राजतंत्र से शासित जनता की जागृति को उजागर करते हुए समय के चक्र की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया है। राज सिंहासन पर प्रजा आरूढ़ होने जा रही है। समय की पुकार ही क्रांति की शंखनाद के रूप में रथ का घर्घर-नाद है।

प्रश्न ३.

कवि ने जनता को दूधमुंही क्यों कहा है?

उत्तर : सिंहासन पर आरूढ़ रहने वाले राजनेताओं की दृष्टि में जनता फूल या दूधमुंही बच्ची की तरह है। रोती हुई दूधमुंही बच्ची को शान्त रखने के लिए उसके सामने खिलौने दे दिये जाते हैं। उसी प्रकार रोती हुई जनता को खुश करने के लिए कुछ प्रलोभन दिए जाते हैं।

प्रश्न ४.

कवि जनता के स्वप्न का किस तरह चित्र खींचता है?

उत्तर : भारत की जनता सदियों से, युगों-युगों से राजा के अधीनस्थ रही है, लेकिन कवि ने कहा है कि चिरकाल से अंधकार में रह रही जनता राजतंत्र को उखाड़ फेंकने के स्वप्न देख रही है। राजतंत्र समाप्त होगा और जनतंत्र कायम होगा। राजा। नहीं बल्कि प्रजा राज करेगी।

प्रश्न ५.

देवता मिलेंगे खेतों में खलिहानों में पंक्ति के माध्यम से कवि किस देवता की बात करते हैं और क्यों?

उत्तर : पंक्ति के माध्यम से कवि जनता रूपी देवता की बात करते हैं, क्योंकि कवि की दृष्टि में कर्म करता हुआ परिश्रमी व्यक्ति ही देवता स्वरूप है। मंदिरों-मठों में तो केवल मूर्तियाँ रहती हैं, वास्तविक देवता वे ही हैं जो अपने कर्म तथा परिश्रम से समाज को सुख-समृद्धि उपलब्ध कराते हैं।

प्रश्न ६.

कवि के अनुसार किन लोगों की दृष्टि में जनता फूल या दुध मुंही बच्ची की तरह है और क्यों ? कवि क्या कहकर उनका प्रतिवाद करता है?

उत्तर : अंग्रेजी सरकार भी भारत की जनता को अबोध समझकर कुछ प्रलोभन देकर राजसुख में लिप्त है। वह समझती है कि जनता फूल या दुधमुंही बच्ची की तरह है लेकिन इसके प्रतिकार में कवि ने कहा है कि जब भोली लगनेवाली जनता जाग जाती है, जब उसे अपने में निहित शक्ति का आभास हो जाता है तब राजतंत्र हिल उठता है।

जनतंत्र का जन्म वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरी Objective Question Answer


प्रश्‍न १.

‘उर्वशी’ किसकी कृति है?

(a)  सुमित्रानंदन पंत
 (b) दिनकर
(c)  वर्मा
(d) महादेवी

उत्तर-(b) दिनकर

प्रश्‍न २.

दिनकर को साहित्य अकादमी पुरस्कार किस कृति पर मिला ?

(a) उर्वशी
(b) द्वंद्वगीत
(c) सामधेनी
(d) संस्कृति के चार अध्याय

उत्तर- (d) संस्कृति के चार अध्याय

प्रश्‍न ३.

दिनकर को ज्ञानपीठ पुरस्कार किस रचना पर प्राप्त हुआ?

(a) तोलकुसुम
(b) वंशी
(c) उर्वशी
(d) रश्मिरथी

उत्तर-(b) वंशी

प्रश्‍न ४.

दिनकर ने कविता में ‘जनतंत्र का जन्म’ शीर्षक कविता में ‘दुधमुही’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया है?

(a) समाज के किसी बालिका के लिए
(b) पड़ोस की बच्ची के लिए
(c) अपनी बेटी के लिए
(d) जनता के लिए

उत्तर-(d) जनता के लिए

प्रश्‍न ५.

दिनकर किस विश्वविद्यालय के उपकुलपति (कुलपति ) बनाएगए थे?

(a) बिहार विश्वविद्यालय 
(b) मगध विश्वविद्यालय
(c) भागलपुर विश्वविद्यालय
(d) पटना विश्वविद्यालय

उत्तर- (c) भागलपुर विश्वविद्यालय

प्रश्‍न ६.

जनतंत्र में, कवि के अनुसार राजदण्ड क्या होंगे? 

(a) वाघ और भालू
(b) फूल और भौर
(c) फाँबड़े और हल 
(d) ढाल और तलवार

उत्तर-(c) फाँबड़े और हल

प्रश्‍न ७.

कवि के अनुसार जनतंत्र के देवता कौन है?

(a) मंत्री
(b) शिक्षक
(c) किसान-मजदूर
(d) नेता

उत्तर-(c) किसान-मजदूर

प्रश्‍न ८.

भारत सरकार ने दिनकर को कौन-सा अलंकरण प्रदान किया?

(a) अशोक चक्र
(b) भारतरत्न
(c) पद्म श्री
(d) पद्म विभूषण

उत्तर-(d) पद्म विभूषण

प्रश्‍न ९.

‘दिनकर’ की प्रमुख काव्य-कृति है:

(a) रेणुका
(b) रसवंती
(c) कुरुक्षेत्र
(d) इनमें सभी

उत्तर-(d) इनमें सभी

प्रश्‍न १०.

‘दिनकर’ की गद्य-कृति है:

(a) अर्धनारीश्वर
(b) दिनकर की डायरी
(c) बट पीपल 
(d) इनमें सभी

उत्तर-(d) इनमें सभी

प्रश्‍न ११.

दिनकर जी के पिता का नाम क्या था?

(a) रवि सिंह 
(b) कैलाश सिंह
(c) मोहित सिंह 
(d) राजा सिंह

उत्तर-(a) रवि सिंह

प्रश्‍न १२.

‘दिनकर’ ने अपनी पढ़ाई कहाँ तक की?

(a) एम. ए. ऑनर्स
(b) बी. ए. ऑनर्स
(c) इंटरमीडियट
(d) पी-एच. डी.

उत्तर-(b) बी. ए. ऑनर्स

प्रश्‍न १३.

‘दिनकर’ किल कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष के रूप में रहे?

(a) पटना कॉलेज, पटना
(b) लंगट सिंह कॉलेज, भागलपुर
(c) कॉमर्स कॉलेज, पटना
(d) इनमें कोई नहीं

उत्तर-(b) लंगट सिंह कॉलेज, भागलपुर

प्रश्‍न १४.

किसे सिंहासन खाली करने की बात कही गई है? Jantantra Ka Janm Class 10 Hindi

(a) राजतंत्र को 
(b) सामंतवाद को
(c) ‘a’ और ‘b’ दोनों
(d) इनमें कोई नहीं

उत्तर-(c) ‘a’ और ‘b’ दोनों

प्रश्‍न १५.

‘दिनकरजी’ का निधन कब हुआ?

(a) 23 मार्च, 1973
(b) 22 फरवरी, 1972
(c) 21 जनवरी, 1971
(d) 24 अप्रैल, 1974

उत्तर-(d) 24 अप्रैल, 1974

प्रश्‍न १६.

‘जनतंत्र का जन्म के कवि कौन हैं?

(a) रामधारी सिंह ‘दिनकर
(b) अज्ञेय
(c) घनानंद 
(d) प्रेमधन

उत्तर-(a) रामधारी सिंह ‘दिनकर’

प्रश्‍न १७.

‘दिनकर’ का जन्म कब हुआ?

(a) 25 अक्टूबर, 1910
(b) 23 सितम्बर, 1908
(c) 21 अगस्त, 1906
(d) 27 नवम्बर, 1912

उत्तर- (b) 23 सितम्बर, 1908

प्रश्‍न १८.

‘दिनकर’ का जन्म कहाँ हुआ?

(a) अल्मोड़ा, जहानाबाद
(b) सोनपुर, वैशाली
(c) दानापुर, पटना 
(d) सिमरिया, बेगूसराय

उत्तर-(d) सिमरिया, बेगूसराय

प्रश्‍न १९.

इनकी प्रारंभिक शिक्षा कहाँ से हुई थी?

(a) बंबई से
(b) पटना से
(c) गाँव से
(d) जिला स्कूल से

उत्तर-(c) गाँव से

प्रश्‍न २०.

‘दिनकर’ की किस रचना में कर्ण को नायक बनाया गया है ?

(a) उर्वशी
(b) रश्मिरथी
(c) हुंकार
(d) हारे को हरिनाम

उत्तर-(b) रश्मिरथी

प्रश्‍न २१.

‘मिट्टी की ओर’ कृति है—

(a) पद्ध
(b) गद्य
(c) काव्य
(d) इनमें सभी

उत्तर-(b) गद्य

प्रश्‍न २२.

मिट्टी की अवोध मूरतें कौन है?

(a) नेता
(b) जनता
(c) मंत्री
(d) अधिकारी

उत्तर-(b) जनता

प्रश्‍न २३.

दिनकर जी के माता का नाम क्या था?

(a) यशोधरा देखो
(b) अहिल्या देवी
(c) मनरूप देवी 
(d) पूलली बाई

उत्तर-(c) मनरूप देवी

प्रश्‍न २४.

कवि के अनुसार देवता कहाँ मिलेंगे—

(a) मदिरों में
(b) घरों में
(c) खेतों में
(d) शहरों में

उत्तर-(c) खेतों में

प्रश्‍न २५.

जो भगवान को मंदिरों में खोजते है उन्हें कवि ने किससे सम्बोधित किया है:

(a) मूरस्थ से
(b) विहान से
(c) श्रेष्ठ से
(d) दयावान से

उत्तर-(a) मूरस्थ से

प्रश्‍न २६.

तैंतीस कोटि …..के सिर पर मुकुट धरो

(a) जनता
(b) राजा
(c) साभ
(d) भगवान

उत्तर-(a) जनता

प्रश्‍न २७.

राजप्रसाद कौन समास है?

(a) कर्मधारय
(b) अव्ययीभाव
(c) द्विगु
(d) तत्पुरुष

उत्तर-(d) तत्पुरुष

प्रश्‍न २८.

‘नाद’ शब्द का अर्थ है:

(a) स्वर
(b) खिड़की 
(c) मुकुट
 (d) अनुभूति

उत्तर-(a) स्वर

प्रश्‍न २९.

निम्न में से कौन राज्यसभा के सदस्य बने—

(a) जीवनानंद दास 
(b) कुंवर नारायण
(c) रामधारी सिंह दिनकर
(d) यतीन्द्र मिश्र

उत्तर-(c) रामधारी सिंह दिनकर

प्रश्‍न ३०.

रामधारी सिंह दिनकर रचित पाठ है: Jantantra Ka Janm Class 10 Hindi

(a) हिरोशिमा 
(b) जनतंत्र का जन्म
(c) भारत माता 
(d) मछली

उत्तर-(b) जनतंत्र का जन्म

प्रश्‍न ३१.

‘सदियों की ठंडी बुझी राख सगबगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है। यह पंक्ति है:

(a) दिनकर की 
(b) निराला की
(c) महादेवी की
(d) अज्ञेय को

उत्तर-(a) दिनकर की

प्रश्‍न ३२.

दिनकर किस काल के प्रमुख कवि हैं?

(a) भारतेन्दु युग
(b) द्विवेदी युग
(c) कायावाद 
(d) उत्तर छायावाद

उत्तर-(d) उत्तर छायावाद

प्रश्‍न ३३.

किसके हुंकारों से महलों की नींव उखड़ जाती है?

(a) शासक
(b) राजा
(c) विदेशी
(d) जनता

उत्तर-(d) जनता

प्रश्‍न ३४.

दिनकर जी कवि के साथ-साथ:

(a) आलोचक भी थे. 
(b) गद्यकार भी थे
(c) उपन्यासकार भी थे
(d) संगीतकार भी थे

उत्तर-(b) गद्यकार भी थे

प्रश्‍न ३५.

रामधारी सिंह दिनकर कहाँ के रहने वाले थे?

(a) उत्तर प्रदेश के
(b) मध्य प्रदेश के
(c) राजस्थान के
(d) बिहार के

उत्तर-(d) बिहार के

प्रश्‍न ३६.

सदियों की लंबी-बुझी राख सुगवुगा उठी, मिट्टी सोने का ताजपहन इठलाती है-किस कविता की पंक्ति है?

(a) भारतमाता
(b) स्वदेशी
(c) हिरोशिमा
(d) जनतंत्र का जन्म

उत्तर-(d) जनतंत्र का जन्म

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