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ये क्या हुआ-सामाजिक मुद्दों पर कविता-सत्ता पर शायरी-समाज सुधार शायरी

मिलावट और कालाबाजारी पर शायरी - Poem On Corruption

मिलावट
मिलावट करे दूध में
वह पगला हैवान।
यूरिया मिलाते तभी
धन खातिर शैतान।
धन खातिर शैतान
प्राणघात कारनामा।
हुलिया उसके देख
बिना नाड़ा पैजामा।
जीना है आतंक
जिन्दगी बिना सजावट।
अशुभ घृणा यह कार्य
छोड़ तू अभी मिलावट।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार

गंगा नदी पर कविता

गंगा पानी
गंगा पानी जाँच में
बचा संयमित कौन?
श्रद्धा ताड़-ताड़ हुए
काशी भी अब मौन?
काशी भी अब मौन
हरा पानी दिखता क्यों?
रेत पर है राम लिखा
लाश पानी दखता क्यों?
करे विसर्जन दुष्ट
और उससे हो पंगा।
होगा रे उद्धार
साथ मातु हे मातु गंगा।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार

ग़रीबी और बेरोजगारी फ़कीर पर शायरी

फकीर
स्टेशन एक फकीर था
पास सिर्फ तकदीर था।
दिखे वह फटेहाल भी
भूखे भी बदहाल भी।
नहीं किसी के पास वो
नहीं खुदसे उदास वो।
हुलिया तहसे देख ली
झटसे आँखे झेंप ली।
और खुशी खोना नहीं
उसे तनिक रोना नहीं।
साया भूख प्रभाव भी
था अत्यंत अभाव भी।
फैलाये वह हाथ था
मिला धौंस से प्यार था।
पाकर कतिपय चीज जो
किस्मत भी थी खीज जो।
खाकर आई नींद थी
फिर उसको उम्मीद थी।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार

घुसखोर अफसरों पर शायरी

दुनिया है दगावाजों की
धोखे बाजो की यहाँ कमी नहीं।
इंसानों की पहचान नहीं
बेईमानों की यहाँ पहचान बनी।

चोर लुटेरे मस्ती मारे
पुलिस बनी घूसखोर।
पुलिस की पैकेट गरम हुई
मुजरिम की बोली कड़क हुई।

पैसों से पहचान बनी
हर कोई बेईमान बना।
पैसों ने सबको बिगाड़ा है,
लोभ लालच हर जगह जगाया।

पैसों का करें सही उपयोग
उसका जीवन हो जाएगा सुयोग्य।
वीणा नाथनगर भागलपुर बिहार

समाज सुधार शायरी Best सामाजिक Quotes, Status, Shayari, Poetry Poem On Social

ये क्या हुआ?-Samajik Shayri

देख कर दंग हूँ, मजहब के व्यापार को
या खुदाया, मुबारक इस संसार को।

सामाजिक बुराइयों पर कविता

Best सामाजिक Quotes, Status, Shayari, Poetry Samajik Shayri Poetry On Social Issues In Hindi सामाजिक बुराइयों पर कविता Poem on Social

Poetry On Social Issues In Hindi

देख कर दंग हूँ, मजहब के व्यापार को
या खुदाया, मुबारक इस संसार को।
मैं हिंदू,तूँ मुस्लिम, ये सिक्ख, वो ईसाई,
लहू के टुकड़े टुकड़े,सब ने कर दिए रे भाई।
देखा कतरे कतरे में,नफरत और तकरार को,
या खुदाया,मुबारक इस संसार को।
माँ -बाप,बीबी-बच्चे, सबके भाई बहने,
नफरत की बहती दरिया में,सब हैं सहमे-सहमे।
कोई हवा न दो भँवर में, अब पतवार को,
या खुदाया, मुबारक इस संसार को।
वाहे गुरु, गॉड, ईश्वर-अल्ला, खुदा,
किस चश्मे ने मालिक को, किया जुदा- जुदा।
छिन्न-भिन्न कर दो,सियासी बाजार को,
या खुदाया, मुबारक इस संसार को।
प्रीतम कुमार झा

महुआ, वैशाली, बिहार

समाज सुधार शायरी सत्ता पर शायरी मतलब-परस्ती पर शायरी तानाशाही पर शायरी सामाजिक कार्य पर कविता सामाजिक सेवा पर शायरी कटाक्ष शायरी भरम पर शायरी सियासत पर शायरी देश के हालात पर शायरी समाज सेवा शायरी समाज पर शायरी 

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