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जो ग़लत बात है वो बात नहीं मानते हैं | Baat Aur Jazbat Shayari |जज़्बात

Best Jazbaat Shayari

Dard bhari hindi shayari

जज्बात शायरी हिंदी में

जो ग़लत बात है वो बात नहीं मानते हैं
हम क़बीले की रूसुमात नहीं मानते हैं

मेरी कोशिश है तुझे दिल से भुला दूं लेकिन
शेर कहता हूं तो जज़बात नहीं मानते हैं

वो तो अन्धे हैं अन्धेरों की पड़ी है आदत
इस लिये रात को वो रात नहीं मानते हैं

Emotional Shayari

वो जो शौक़ीन हैं शजरों की ख़रीदारी के
दूसरों को कभी सादात नहीं मानते हैं

अपने मज़हब पे बहुत पुख़्ता यक़ीं है लेकिन
नाम ए मज़हब पे ख़ुराफ़ात नहीं मानते हैं

आज के दौर के उस्मान ये ज़िद्दी आशिक़
सिर्फ़ मिलने को मुलाक़ात नहीं मानते हैं

शायर : उस्मांन मीनाई बाराबंकी

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