बेटी का दर्द कविता | Poem On Beti In Hindi
कविता
एक फटे दुपट्टे में, वो सिमटती जा रही है।
फैशन नहीं है साहेब, बेबसी छुपा रही है।
मालूम है उसे,क्या है उसके इज़्ज़त की कीमत,
पैसों की झंकार की ख़ातिर, बेची जा रही है।
Emotional Poem On Beti In Hindi
Beti Par Kavita In Hindi
न जाने किस वहशत के आगे,उतारी जा रही है।
तलाश रही है निगाहें, एक उम्मीद की तरफ,
ये कैसी मौत है, ज़िंदा लाश सजाई जा रही है।
मुक़द्दर की लकीरों ने, खींची है ग़रीबी जब से,
हर दौलतवालों की, रखैल बताई जा रही है।
तमाशा बन जायेगा एक दिन, ज़रा मरने तो दो,
हर दिन अख़बार में, यही सुर्खियाँ आ रही है।
ऐ शीशे के महलवालों, परदे ज़रा ढ़क लिया करो,
आईने में, एक तस्वीर तुम्हारी भी नज़र आ रही है।
सुर्खियाँ - headlines
©Nilofar Farooqui Tauseef
Fb, IG-writernilofar
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