Footpath Life Shayari सड़क किनारे ज़िन्दगी
सड़क किनारे ज़िन्दगी
हर रोज़ लोग सो जाते हैं।
सड़क किनारे ज़िन्दगी का हाल,
आज तुम्हें सुनाते हैं।
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बच्चे भीख माँग लाते हैं,
कुछ पैसों की ख़ातिर,
औरत को बलि चढ़ाते हैं।
भूख लगे शिद्द्त की,
पानी से भूख मिटाते हैं।
सिग्नल पे दौड़-दौड़ कर,
थोड़ा सामान बेच आते हैं,
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कौड़ियों के भाव लगाते हैं।
मॉल से महँगा ख़रीदकर,
सस्ता सड़क किनारे से ले आते हैं।
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इनकी कुटिया भी उखाड़ जाते हैं।
हाँ, बिल्कुल ऐसे ही साहेब,
सड़क किनारे ज़िन्दगी बिताते हैं।
सड़क किनारे ज़िन्दगी बिताते हैं।
Nilofar Farooqui Tauseef
Fb, IG-writernilofar
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रिश्तों से है गुलजार जिन्दगी ये सच है
सरकारें कर रही कोहराम ये सच है ।।
छल के बढते रहे बाजार ये सच है ,
मुनाफ़ा के फेर में लूट रहे ये सच है ।।
घटिया लोग स्टेटस
जननी तार-तार हो रही ये सच है ।।
वर्गभेद बाँटता रहा राज ये सच है ,
कोई कर रहा नित पैरवी ये सच है ।।
घटिया लोगों पर विचार
झूठा ही ठहरा समझदार ये सच है ।।
सच सिसककर टूट रहा ये सच है ,
गिरता कहर झूठ का सदा ये सच है।।
झूठ की चकाचौंध फैली है ये सच है ,
सच झुलस रहा चहूँ ओर ये सच है ।।
"वाग्वर" दम तोड़ रहा सच ये सच है,
खिलता गुलिस्तां सच का,ये सच है।।
विनोद कुमार जैन वाग्वर
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