पेट्रोल डीजल महंगाई पर शायरी - बढ़ती महंगाई पर कविता - महंगाई पर व्यंग्य
सब बोलो हे राम
चोट मँहगाई लम्बी।
सरसों दो सौ पार
बढ़े कद तीसी अम्मी।
बात करे पेट्रोल
नाच तू डीजल भैया।
कदम-कदम हो साथ
गैस गाये ता-थैया।
बेरोजगारी सतत बढ़े
स्थाई रे पूछो नहीं।
जैसे-तैसे जीवन कटे
खुद खामोश रहो अभी।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार
चोट मँहगाई लम्बी।
सरसों दो सौ पार
बढ़े कद तीसी अम्मी।
बात करे पेट्रोल
नाच तू डीजल भैया।
कदम-कदम हो साथ
गैस गाये ता-थैया।
बेरोजगारी सतत बढ़े
स्थाई रे पूछो नहीं।
जैसे-तैसे जीवन कटे
खुद खामोश रहो अभी।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार
जीएसटी ( GST ) का ताव : महंगाई पर शायरी
जी एस टी का ताव
🙈🙈🙈🙈🙈
आटा लो या दाल लो
सबके ऊंचे भाव।
हां! सु सु मल को छोड़कर
पर जी एस टी ताव।
पर जी एस टी ताव
विदेशी मुद्रा चंपत।
सोना का भंडार
नहीं बोलो तुम संपत।
क्योंकर मंद विकास
और कुर्सी को घाटा।
रोटी गायब थाल
मंहगा इतना आटा।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
Naugachiya
भागलपुर, बिहार
महंगाई पर शायरी - पुलिस, प्रशासन और नेताओं के भ्रष्टाचार पर कविता
मेरे देश को बचा लो
हम आज भी हैं वहीं पर खड़े,
जहाँ वर्षों पहले था हिन्दुस्तान,
सुरसा की तरह बढ़ रही मंहगाई,
नहीं नसीब करोड़ों को मकान।
कपड़ा नहीं गरीबों के तन पर,
फिर भी अपना देश महान,
पुलिस, प्रशासन भ्रष्टाचार में डुबा,
नेताओं की नित्य बढ़ रही शान।
यहाँ जात,पात,धर्म का बोलबाला,
सच के मुँह पर लगा है ताला,
सिस्टम यहाँ पर हो गया पंगु,
ध्वस्त हो रहे शहीदों के अरमान।
ईमानदार यहाँ घुट-घुट कर जी रहें,
छलिया,कपटी को मिल रहा सम्मान,
न्यायालय भी यहाँ बेदाग नहीं है,
जज का भी गिर रहा मान।
इंसान यहाँ मंगल पर जा रहा,
पर पतित हो गया अब इंसान,
स्वार्थ यहाँ अपने चरम पर,
खत्म हो रहा प्रेम,ईमान।
स्वास्थ्य व्यवस्था भी स्वस्थ नहीं है,
नित्य जा रही हजारों की जान,
हे भगवान, मेरे देश को बचा लो,
कर दो तुम मेरे देश का कल्याण।
अरविन्द अकेला
बढ़ती महंगाई पर शायरी फोटो - Mehangai Par Shayari Image
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