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नवरात्रि का महत्व | नवरात्रि क्यों मनाई जाती है Importance of Navratri

नवरात्रि का क्या रहस्य है? नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई?

"महत्त्व नवरात्रि का"
नौ दिन तक मनाई जाने वाली, यह नवरात्रि का पर्व सभी हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। देवी दुर्गा की मूर्ति स्थापित करते हैं और अखंड ज्योति जलाते हैं। विधि विधान से देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दौरान मनोरंजक, कलात्मक एवं भक्तिमय विभिन्न आयोजन भी करते हैं। जैसे- रंगोली, चित्रकला, माला सज्जा, थाल सज्जा, दीप सज्जा, नृत्य, संगीत, जगराता आदि। नवरात्रि का नाम सुनते ही बच्चे हो या बुढ़े सभी के चेहरे पर खुशी छा जाती है और नवरात्रि आने के पहले ही लोग अपने घर की साफ-सफाई में लग जाते हैं और घर को सजाकर सुंदर व आकर्षक बनाते हैं। रोज सुबह उठकर अपने द्वार को साफ कर रंगोली बनाते हैं और नहा धोकर मां दुर्गे की भक्ति भाव से पूजा-अर्चना करते हैं। मां दुर्गा पर आस्था और विश्वास रखते हैं इसलिए अपने घर परिवार की सुख समृद्धि के लिए व्रत भी रखते हैं।

नवरात्रि की कहानी नवरात्रि की पौराणिक कथा

 पौराणिक कथा अनुसार नवरात्रि इसलिए मनाते हैं क्योंकि आश्विन मास शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से नवमी तिथि तक नौ दिन तक देवी दुर्गा और महिषासुर का युद्ध हुआ था। नौ दिन तक युद्ध करने के पश्चात देवी दुर्गा ने दसवें दिन महिषासुर का वध करके विजय प्राप्त की, जिसके कारण इस दिन को विजयादशमी के रूप में मनाते हैं। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का दिन है। इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था इसलिए इस दिन दशहरा का पर्व भी मनाते हैं।
 कथा अनुसार महिषासुर सृष्टिकर्ता ब्रह्मा का महान भक्त था। ब्रह्मा जी ने महिषासुर पर प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि कोई भी देवता या दानव उस पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता। इसलिए महिषासुर स्वर्ग लोक के देवताओं को परेशान करने लगा और पृथ्वी पर भी उत्पात मचा रखा था उसके इस आतंक को देखकर देवताओं ने मिलकर उसे परास्त करने के लिए देवी दुर्गा का सृजन किया। देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण करके उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उस पर विजय प्राप्त की। यह सिर्फ एक कथा नहीं बल्कि एक सीख है जिससे हम अपने संस्कार को न भूलें। नवरात्रि मनाने का अर्थ है हम अपने अवगुणों से युद्ध करें और उस पर विजय प्राप्त करें। हमारे अंदर जितनी भी बुराइयां हैं - क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष, झूठ-प्रपंच, दुर्व्यसन, आलस्य, जलन, अहंकार आदि इन सभी को त्यागें। नवरात्रि में नौ दिन तक व्रत भी इसीलिए रखते हैं ताकि हमारे मन में किसी तरह से गलत भावना न आए और इन सभी बुराइयों से हम दूर रहें। मन को एकाग्र करने और इन बुराइयों से दूर रखने के लिए ही व्रत किया जाता है।
navratri-ka-mahatva-importance-of-navratri-in-hindi
 जब हम अपने अंदर विद्यमान बुराइयों से युद्ध कर जीत हासिल करते हैं, तब हमारा नवरात्रि मनाना सफल है।
-द्रौपदी साहू
छुरी कला, कोरबा, छत्तीसगढ़
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