कालरात्रि की महिमा | कालरात्रि आरती | कालरात्रि स्तुति Kalratri Ki Mahima
मैया कालरात्रि आराधना
“नवरात्रि एवं दशहरा महोत्सव के पावन अवसर पर सभी भक्त जनों को मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं एवं बधाईयां।”
पंक्तियां
भक्त जो पूजे मन से, कालरात्रि महाकाली,
मां भवानी करती है, सदा उसकी रखवाली।
काली मैया का क्या कहना, हे भक्त जनों?
काली माता की, महिमा होती बड़ी निराली।
भक्ति गीत
नवरात्रि सप्तमी का दिन है, मैया काली आई है,
कालरात्रि रूप बड़ा भयानक है, भद्रकाली आई है।
भैरवी, रुद्रानी, चामुंडा भी हम कहते हैं माता को,
गले में मुंडमाला पहने, मैया महाकाली आई है।
नवरात्रि सप्तमी का……………
घना अंधेरा सा रंग तन का, बिखरे सिर के बाल,
धर्म को कोई डर नहीं, आज अधर्म का बुरा हाल।
माता की चार भुजाएं, सबके अलग अलग काम,
थर थर कांपते पाप, मां काली मतवाली आई है।
नवरात्रि सप्तमी का ……………
मां के एक हाथ में कांटा, शोभे दूजे हाथ कटार,
तीसरे में नरमुंड, चौथे हाथ प्याला में रक्तधार।
दानव, भूत प्रेत, पिसाच, सारे भाग जाते दूर दूर,
रणचंडी बनकर, रणभूमि में, मां निराली आई है।
नवरात्रि सप्तमी का……………
मैया पाप अधर्म, विघ्न बाधाओं का करती नाश,
पुण्य धर्म का मान बढ़ाती, मन में करती वास।
शुभंकारी भी एक नाम है, मां कालरात्रि देवी का,
भक्तों के लिए लेकर कलियों की डाली आई है।
नवरात्रि सप्तमी का………………
माता अभय, निर्भय, अक्षय, अजय का वर देती,
जो दिल से पुकारता, उसका कल्याण कर देती।
सांसों में मां की नासिका से, निकलती ज्वाला,
रूप बड़ा विकराल है, मां खप्पर वाली आई है।
नवरात्रि सप्तमी का…………….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
माँ कालरात्रि की आरती नवरात्रि षष्ठम् दिवस तिथि सप्तमी
माँ को नमन
सप्तम् रूप आज कालरात्रि,
दृश्य बहुत ही होता भयंकरी।
किंतु शुभ फल हैं वे देनेवाली,
नाम हुआ जिनकी शुभंकरी।।
पुण्य का भागी बनता है वह,
माँ के पवित्र साक्षात्कार से।
दुष्टों का वह करती हैं नाश,
भूत प्रेत बाधा भागे हुंकार से।।
जिसने माँ की महिमा को जब,
मन में अपने वह साधा है।
पूर्ण हुई तब उनकी हर इच्छा,
दूर हुए ग्रह नक्षत्र हर बाधा है।।
हृदय तल से शुभंकरी माता को,
नित्य कोटिशः हार्दिक प्रणाम है।
रक्षा करें माता हर भक्तों की,
बहाता भक्ति जो सुबह शाम है।।
अरुण दिव्यांश 9504503560
माता कालरात्रि
दिनांक : 21 अक्तूबर, 2023
दिवा : शनिवार
जय जय माता कालरात्रि,
जय जय माता तू काली।
भक्तों हेतु तू अमृतप्याला,
दुष्टों हेतु विष की प्याली।।
तू ही कहलाती है चामुंडा,
तू ही है दानव विनाशक।
भक्तों हेतु तुम वरदायिनी,
उपासना करते उपासक।।
गर्दभवाहिनी बिखरे बाल।
दया करो जय माता देवी,
पूजन करते तेरे ये लाल।।
बाएं कर ले अस्त्र व शस्त्र,
आतताइयाॅं करें सर्वनाश।
दाएं भुजा आशीष हैं देतीं,
पूरण करें भक्तों की आस।।
तन में माॅं बाघंबरी पहने,
रूप लिए बहुत विकराल।
दुष्टों की माॅं लहू ही पीती,
गले पहनतीं माॅं मुंडमाल।।
जय जय माता कालरात्रि,
जय जय दुष्टों हेतु काल।
अहंकार सबसे तू छिनकर,
भक्तों का माॅं कर प्रतिपाल।।
तूझे सदा नमन है माता,
मेरी भक्ति ये करो स्वीकार।
क्षमा करो बेटे की नादानी,
हमें भी माॅं करो अंगीकार।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
आज नवरात्रि के सप्तम पावन दिवस कालरात्रि की आप समस्त माताओं, बहनों, बंधुओं, बच्चों एवं वृद्धजनों को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बहुत सारी बधाईयाँ।
नवरात्रि के सप्तम पावन दिवस,
सप्तम स्वरूप कालरात्रि आज।
स्वयं भक्तजनों की ही रक्षा हेतु,
असुरी शक्ति संहार करतीं काज।।
नमन तुझे माता कालरात्रि।
भक्तजनों की तुम शुभदातृ।।
तुम्हीं माता कहलाती काली।
भक्तों के मुख की रखें लाली।।
तुम कहलातीं शुभंकरी माता।
तेरे नाम से भय भाग जाता।।
तुम कालरात्रि तुम शुभंकरी।
भुत प्रेत दानव हेतु भयंकरी।।
तेरी ही साधना तेरी आराधना।
तन मन से भक्त करे उपासना।।
जय जय माते जय हो काली।
दे दो जीवन अमृत भर प्याली।।
एक माँ दुर्गा के अनेक स्वरूपा।
शुभता की बाधाएँ डालती कूपा।।
हर स्वरूप शुभता की तुम्हारी।
मनोकामना पूरण करो हमारी।।
जय जय जय जय माते भवानी।
बेगि हरो अवगुन माते महारानी।।
भटक रहे भक्त माँ द्वार तुम्हारे।
भय बाधा संकटों के होते मारे।।
कितनी दुखड़ा तुम्हें माँ सुनाऊँ।
अरियों गद्दारों से भाग कहाँ जाऊँ।।
शीघ्र प्रसन्न होओ माता भवानी।
करो कल्याण हे माता कल्याणी।।
जय जय जय जय माता काली।
बेगि मिटाओ माँ मेरी बदहाली।।
नित्य नमन है हर स्वरूप तुम्हारे।
बेगि मिटाओ माँ क्लेश हमारे।।
अरुण दिव्यांश चिंता मिटाओ।
शरण में अपनी माँ तुम लाओ।।
नत मस्तक कर जोड़ तुम्हारे,
खड़ा रहता हूँ मैं तेरे ही द्वार।
सहृदय नमन तुम्हें मेरी माते,
बल बुद्धि विद्या शक्ति दे अपार।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
माँ कालरात्रि की आरती | Maa Kalratri Ki Aarti
जय माँ कालरात्रि
सप्तम रुप कालरात्रि माता
शुभ करती शुभंकरी माता
दुष्टों का विनाश करती मांँ
खाली झोली भी भरती मांँ
तम तिमिर सा रूप है काला
विद्युत सम दमके है माला
बिखरे बाल गर्दभ सवारी
तीन नेत्र शोभे तलवारी
सहस्रार में साधे साधक
भूत प्रेत दैत्य नहीं बाधक
भक्तों को करती निर्भय मांँ
'मीनू' पकड़े चरण अभय मांँ
मीनू मीनल
शुभ करती शुभंकरी माता
दुष्टों का विनाश करती मांँ
खाली झोली भी भरती मांँ
तम तिमिर सा रूप है काला
विद्युत सम दमके है माला
बिखरे बाल गर्दभ सवारी
तीन नेत्र शोभे तलवारी
सहस्रार में साधे साधक
भूत प्रेत दैत्य नहीं बाधक
भक्तों को करती निर्भय मांँ
'मीनू' पकड़े चरण अभय मांँ
मीनू मीनल
हिंदी | उर्दू | साहित्य | संसार
माँ कालरात्रि दोहावली Maa Kalratri Dohavali
( 13-11, अर्ध सममात्रिक )
काली रूप दहाड़ती, दानव का संहार।
क्या मानव क्या देव पर, करती है उपकार।।
माँ महिषासुर मर्दिनी,रक्तबीज संहार।
चंडमुंड संहारिणी, मैया सबकी खास।।
गुड़ गुड़हल को भेंट कर, काली पूजें आज।
इच्छा हों पूरी सभी, अमन चैन का राज।।
अति भयंकरी रूप है, खप्पर खड्ग त्रिशूल।
अब तो माँ जाकर हिला, पाकिस्तानी चूल।।
मातंगी कर दो कृपा,भारत का कल्याण।
आतंकी जड़ नष्ट हों, ऐसा छोड़ो बाण।।
चंडी माता भगवती, तू हिन्दू की जान।
जग में प्रतिदिन दे बढ़ा, भारत का सम्मान।।
डा.सत्येन्द्र शर्मा, पालमपुर, हिमाचल
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