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मां चंद्रघंटा की आरती Maa Chandraghanta Ki Aarti माता चंद्रघंटा के भजन

मां चंद्रघंटा की आरती भजन Maa Chandraghanta Ki Aarti Bhajan

शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन देवी के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है। मां दुर्गा के इस रूप को देवी पार्वती का विवाहित स्वरूप माना जाता है। भगवान शिव से विवाह के उपरांत देवी महागौरी ने अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण किया था इसी कारण से मां दुर्गा के इस रूप को मां चंद्रघंटा कहा गया है। मां चंद्रघंटा की उपासना शांतिदायक एवं कल्याणकारी होती है। माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को गजकेसरी योग का फल प्राप्त होता है। माता चंद्रघंटा की आरती और भजन से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों के जीवन में उन्नति, स्वर्ण, धन, ज्ञान एवं शिक्षा की प्राप्ति होती है। यहां पढ़िए मां चंद्रघंटा की आरती और भजन हिंदी में लिखी हुए।

मैया चंद्रघंटा देवी समर्पित गीत

(माता रानी के तीसरे रूप की अराधना)
पंक्तियां
महापर्व नवरात्रि में, आज मग्न है सुंदर संसार,
कण कण में शक्ति भक्ति की, छाई है बहार।
माता चंद्रघंटा, अर्ध चन्द्र मस्तक पर है शोभित,
जिसका आकार लगता, बड़ा सुंदर सलोना घंटाकार।
आज सारी दुनिया में हो रही है, मैया दुर्गा भवानी के, इसी तीसरे सोने जैसे रूप की, जोर से जय जयकार।

गीत
हे मैया आदिशक्ति चंद्रघंटा, तुम सबकी सुनने वाली,
दर से कोई लौटा न खाली, मेरा भाग्य जगा दो!
शुरू से अंधेरे में मैं भटक रहा हूं, हे जगत की जननी,
मेरे भी जीवन से महादेवी, आज अंधेरा दूर भगा दो!
हे मैया आदिशक्ति …………….

नौ रूप में दर्शन देती हो, कोई रूप हमें दिखा दो,
भंवर में मेरी डोल रही नैया, इसको पार लगा दो!
कर लो स्वीकार पूजा मेरी, अपने चरण बिठा लो,
चरण रज अपना दे दो मां, रास्ता नया दिखा दो!
हे मैया आदिशक्ति…………….

सारी शक्ति समाई तुम में, नई ज्योति जला दो,
कांटे समेट लो सारे, राहों में नव सुमन खिला दो!
धर्म पुण्य का कल्याण कर दो, मैया देवी महारानी
दुनिया से पाप अधर्म के, सारे निशान मिटा दो!
हे मैया आदिशक्ति…………………
नवरात्रि का तीसरा दिन है, चन्द्रघंटा रूप तुम्हारा,
अपने चमत्कार की मैया, झलक एक बार दिखा दो।
संकटों को भगा दो दुनिया से, और उसे कड़ी सजा दो,
कृष्णदेव की विनती, अब दर्द की कोई तो दवा दो!
हे मैया आदिशक्ति………………

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

भक्ति गीत : शक्ति पूजा


“जय मां चंद्रघंटा देवी”

“आप सभी भक्तों को शारदीय नवरात्रि महोत्सव के शुभ अवसर पर ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाईयां।”

माता रानी दुर्गा भवानी शक्ति की देवी है,
शेर शक्ति पर भवानी की सवारी होती है।
नवरात्रि में सबसे ऊपर शक्ति की पूजा है,
चरणों में नतमस्तक दुनिया सारी होती है।
माता रानी दुर्गा भवानी……….

शक्ति और भक्ति में होता है अटूट नाता,
शक्ति पूजन में सामने दिखती दुर्गा माता।
जहां शक्ति नहीं हो, भक्ति होती है अधूरी,
हर क्षेत्र में शक्ति बहुत ही न्यारी होती है।
माता रानी दुर्गा भवानी………..

रण भूमि में सैनिक को दिखता नहीं दूजा,
हथियार उठाने से पूर्व करता शक्ति पूजा।
शक्तिहीनता विवशता की बड़ी निशानी है,
शक्ति पूजन से पहले हर तैयारी होती है।
माता रानी दुर्गा भवानी………..

जो कोई करता है, शक्ति पूजा में विश्वास,
माता रानी कभी करती नहीं उसको निराश।
विजय का कारण, शक्ति पूजा कहलाती है,
दैवी शक्ति सारी दुनिया पर भारी होती है।
माता रानी दुर्गा भवानी………
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

माॅं चंद्रघंटा के भजन

शीर्षक : माॅं चंद्रघंटा
दिनांक : 17 अक्तूबर, 2023
दिवा : मंगलवार
सिंहवाहिनी दशभुजी हैं माता,
अर्द्धचंद्र विराजता माॅं भाल है।
भक्तों के माॅं कल्याण हैं करती,
दुष्टों हेतु होतीं माता काल हैं।।
पुष्प खड्ग त्रिशुल हस्त शोभे,
गदा वाण चक्र अस्त्र शस्त्र तेरे,
दुष्टों की संहार करती समूल है।
साधु संत गुणीजनों की रक्षा,
माॅं का प्रथम उद्देश्य मूल है।।
यूक्रेन रूस का है यह युद्धारंभ,
और युद्ध हमास इजराइल में।
चारो हुए हैं इस युद्ध में मग्न,
स्व गोला बारूद मिसाइल में।।
दे दो माॅं सबके मन को शांति,
या तो युद्ध को शीघ्र विराम दे।
या दुष्टों का शीघ्र कर दे संहार,
विश्व को पुनः नया आयाम दे।।
मर रहे हैं युद्ध में नाहक ही ये,
निरपराध सज्जन औ लाचार।
मर चुकी मानव की मानवता,
हो रहीं नृशंस हत्याएं लगातार।।
भूल चूक हो गई हो किसी से,
मॉं तुम उसे अब तो क्षमा करो।
कायम हो धरा पे पुनः देवत्व,
माॅं तुम‌ अब भी धरा पे रमा करो।।
सादर नमन तुम्हें माता चंद्रघंटे,
भक्तों पर माॅं अब भी दया करो।
अंतर्मन में जो भरे पड़े हैं गंदगी,
उसे मिटा पावन मन नया करो।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा की आरती Maa Chandraghanta Ki Aarti

नवरात्रि का तीसरा दिन आज,
चलते हैं घूमने उनके धाम।

प्रातःकाल के इस बेला में,
हृदय तल से माता को है प्रणाम।।

तीसरे रूप में माँ हैं विराजित,
चन्द्रघण्टा हुआ शुभ इनके नाम।

घंटे आकार ललाट अर्धचंद्र शोभे,
शान्ति कल्याण इनके हैं काम।

माँ का वाहन है सिंह सदृश,
पराक्रमी निर्भय होता जातक।

माँ की असीम कृपा से ही,
उपासना करते हैं उपासक।।

इनकी घंटे की ध्वनि से ही,
दूर होते हैं भूत बाधा पातक।

इन्हें देख शांति सुख का अनुभूति,
करते जहाँ भी जाते साधक।।

माँ देवी के रूप में ही,
समस्त माँ बहनों को भी प्रणाम।

हर बंधुओं को भी सादर वंदन,
आप हैं देवी देवों के रूप में धाम।

9504503560 अरुण दिवांशु

माँ चन्द्रघण्टा की आरती : नवरात्रि का तीसरा दिवस माँ चन्द्रघण्टा को नमन

आज नवरात्रि के तृतीय दिवस की आप समस्त माताओं, बहनो एवं बंधुओं को हार्दिक शुभकामनाएँ। माँ चन्द्रघंटा की असीम कृपा आप पर हम पर सदा बरसती रहे।

नवरात्रि के तृतीय दिवस को,
तृतीय रूप चन्द्रघंटा हैं पूज्य।

माँ आदिशक्ति दुर्गे व भवानी,
सारे नाम आदिशक्ति में युज्य।।

जय जय माँ आदिशक्ति भवानी।
तुम्हीं जगजननी तू ही महारानी।।

तुम्हीं सरस्वती शारदे वीणापाणि।
तू ही त्रैलोक्य की माँ कल्याणी।।

तुम्हीं से रक्षित ये सारे हैं प्राणी।
तुम्हीं से रक्षित है मृदुल वाणी।।

तुम्हीं हो लक्ष्मी अन्न धन दाता।
तुम ही माता नहीं होती कुमाता।।

जय जय जय जय दुर्गा माता।
दरश नित्य दे दो माँ होते प्राता।।

तृतीय रूप है चन्द्रघंटा तुम्हारी।
पूरण करो मनोकामना हमारी।।

जय जय माते जय हो जग देवी।
अपनी चरण का बना लो सेवी।।

जय माँ चन्द्रघंटा तेरी ही जय हो।
पापी छली की सदा ही क्षय हो।।

बजता रहे विश्व में चन्द्ररूपी घंटा।
दुष्कर्मियों की माँ तू ही है हन्ता।।

जय जय माँ चन्द्रघंटा महारानी।
ज्ञान बुद्धि विद्या दे बना दे ज्ञानी।।

तू ही ज्ञान बुद्धि विद्या की है दातृ।
मुझपर कृपा करो हे मम मातृ।।

जय जय जय हे दशभुजी माता।
करता मैं वंदन जैसे मुझे आता।।

सिंह सवारी पराक्रमी है जातक।
तेरी कृपा उपासना करे उपासक।।

करता रहूँ नित्य मैं तुम्हें प्रणामा।
सुखमय शान्ति रहे डुमरी ग्रामा।।

बुद्धि विचार विद्या वाणी भी देहू।
ईर्ष्या द्वेष दुर्बुद्धि वापस तू लेहू।।

कृपा करो जय चन्द्रघंटा मईया।
डुमरी ग्राम रखो अपने तू छईयाँ।।

अरुण दिव्यांश की सुन लो माते।
नत मस्तक नमन करते अघाते।।

माँ आदिशक्ति हर रूप में,
देती रहें माँ सबको आशीष।

कर जोड़ी सदा नमन करें,
मिलता रहे सदा बख्शीश।।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

मां चंद्रघंटा की आरती भजन : माथे पर अर्धचंद्र शोभित Maa Chandraghanta Aarti

माँ चँद्रघंटा
माथे पर अर्धचंद्र शोभित
स्वर्णकान्ति से आलोकित
शीतलता पहुंचाने वाली
निर्मल कोमल रहने वाली
सिंह के ऊपर करें सवारी
भक्तजनों की हैं रखवाली
दसों भुजाओं में दिव्यास्त्र
करें दानवी शक्ति परास्त
रक्षा करतीं न्याय धर्म की
जग के पुण्य सत्कर्म की
लाल पुष्प हैं इनको प्यारे
भोग में खीर सहर्ष स्वीकारें
कर लो पाठ सप्तशती का
रूप बसा लो भगवती का
डॉ अनिल कुमार बाजपेयी
जबलपुर
maachandraghanta_मां चंद्रघंटा की आरती भजन Maa Chandraghanta Ki Aarti Bhajan

Chandraghanta Sketch

Chandraghanta Sketch

चंद्रघंटा की करें पूजा चौपाई मां चंद्रघंटा आरती, माता चंद्रघंटा के भजन

चंद्रघंटा की करें पूजा चौपाई
चंद्रघंटा की करें पूजा
कल्याणकारी सम न दूजा
तृतीय स्वरूप दुखनिवारणी
जय जय माता विश्वधारणी
युध्दहेतु हैं तत्पर रहती
सदैव शत्रुभय सबका हरती
सिंह पर सवार माता रानी
भक्तों की करती निगरानी
मणिपुर चक्र में करें साधना
फलदायी होती आराधना
सिंह समान निर्भयता भरती
प्रेत बाधादि रक्षा करती
मीनू मीनल
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