शेरावाली माता के भजन लिरिक्स इन हिंदी Sherawali Mata Bhajan
मां भवानी वंदना भक्ति गीत
मां भवानी वंदना
(भक्ति गीत)
देखो देखो भक्तों, रुत अलबेली सुहानी आई है,
सुंदर शेर पर सवार, आज मैया भवानी आई है।
चुन चुनकर बागों से कलियां लाओ गुड़हल की,
लाल चुनरिया ओढ़कर, दुर्गा महारानी आई है।
देखो देखो भक्तों…………..
माता के दर्शन कराने, स्वयं शाम सुहानी आई है,
मां का रूप नया, लेकर तलवार पुरानी आई है।
माता आई है, संकट जरूर भागेगा दुनिया से,
भक्ति की पहचान, शक्ति की निशानी आई है।
देखो देखो भक्तों……………
यही रणचंडी है, आदिशक्ति मां जग जननी है,
मन करुणा सागर, जगत कल्याणी आई है।
राक्षसों की, मां को देखते ही जान चली जाती,
माता के रूप में, भक्तों की जिंदगानी आई है।
देखो देखो भक्तों…………….
फूल बरसाओ, शरण में जाओ, प्रसाद भी पाओ,
भवानी के साथ शक्ति सारी, आसमानी आई।
आज के रूप में, महादेवी माता का रूप है,
असुरों हेतु आज, सबसे बड़ी परेशानी आई है।
देखो देखो भक्तों…………….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
मैया शेरावाली सबकी सुननेवाली | Sherawali Mata Ke Bhajan Lyrics
मैया शेरावाली सबकी सुननेवाली
(माता चन्द्रघंटा आराधना गीत)
पंक्तियां
महापर्व नवरात्रि में, आज मग्न है सुंदर संसार,
कण कण में शक्ति भक्ति की, छाई है बहार।
माता चंद्रघंटा, अर्ध चन्द्र मस्तक पर है शोभित,
जिसका आकार लगता, बड़ा सुंदर सलोना घंटाकार।
आज सारी दुनिया में हो रही है, मैया दुर्गा भवानी के,
इसी तीसरे सोने जैसे रूप की, जोर से जय जयकार।
गीत
हे मैया आदिशक्ति शेरावाली, तुम सबकी सुननेवाली,
दर से कोई लौटा न खाली, मेरा भाग्य जगा दो!
शुरू से अंधेरे में मैं भटक रहा हूं, हे जगत की जननी,
मेरे भी जीवन से महादेवी, आज अंधेरा दूर भगा दो!
हे मैया आदिशक्ति ……
नौ रूप में दर्शन देती हो, कोई रूप हमें दिखा दो,
भंवर में मेरी डोल रही नैया, इसको पार लगा दो!
कर लो स्वीकार पूजा मेरी, अपने चरण बिठा लो,
चरण रज अपना दे दो मां, रास्ता नया दिखा दो!
हे मैया आदिशक्ति……
सारी शक्ति समाई तुम में, नई ज्योति जला दो,
कांटे समेट लो सारे, राहों में नव फूल खिला दो!
धर्म पुण्य का कल्याण कर दो, मैया देवी महारानी
दुनिया से पाप अधर्म के, सारे निशान मिटा दो!
हे मैया आदिशक्ति…..
नवरात्रि का तीसरा दिन है, चन्द्रघंटा रूप तुम्हारा,
अपने चमत्कार की मैया, झलक एक बार दिखा दो।
कोरोना भगा दो दुनिया से, और उसे कड़ी सजा दो,
कृष्णदेव की विनती, अब दर्द की कोई तो दवा दो!
हे मैया आदिशक्ति……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
लाल चुनरिया वाली वैष्णो माता | Vaishno Mata Ke Bhajan Lyrics
भक्ति गीत : लाल चुनरिया वाली माता
“सभी भक्त जनों को नवरात्रि एवं दशहरा महोत्सव के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां।"
लाल चुनरिया वाली वैष्णो माता,
दे दो हमको भी, कोई निशानी।
हे पहाड़ा वाली, शेरावाली माता,
सुन लो मेरी भी, थोड़ी कहानी।
लाल चुनरिया वाली……..
बड़ी दूर से तेरे दरबार आए हैं,
बड़ी आशा से इस बार आए हैं।
स्वीकार कर लो मैया पूजा मेरी,
शरण देना, तेरी रीत है पुरानी।
लाल चुनरिया वाली………
तेरे चरण रज में बड़ी शक्ति है,
मेरे मन में भरी तेरी भक्ति है।
हे माता रानी, मत लौटना खाली,
करना दूर, मां मेरी भी परेशानी।
लाल चुनरिया वाली………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
तांका : जय भवानी मैया
जय भवानी,
हे दुर्गा महारानी,
सुनो पुकार,
मन मंदिर आना,
नाता बड़ा पुराना।
जग की मैया,
तू नैया तू खेवैया,
करो उद्धार,
दो एक वरदान,
बचा लो मैया जान।
मैं तेरा दास,
रहता तेरे पास,
देना अपना प्यार,
तू जगत जननी,
तू संकट हरनी।
तेरा सहारा,
है जग उजियारा,
तेरी महिमा,
मां तू है नारायणी,
तू मंगल करनी।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
भक्ति गीत : नव वर्ष में मां भवानी
“आप सभी मित्रों एवं साथियों को नव वर्ष 2022 की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं एवं ढेर सारी बधाइयां।“
नव वर्ष में भक्तों की लिखना नई कहानी,
हे मां भवानी, आदि शक्ति दुर्गा महारानी।
बीमारी महामारी को भगाना अपनों से दूर,
देना जग को, अपनी शक्ति की निशानी।
नव वर्ष में भक्तों……….
कोरोना गया नहीं, ओमीक्रोन आ गया है,
देश दुनिया पर यह अचानक छह गया है।
सारे भक्त आपके चिंता में पड़ गए जैसे,
माता रानी दूर करना, जग की परेशानी।
नव वर्ष में भक्तों………….
तुम महादेवी हो और तुम महाशक्ति हो,
सबसे प्रबल जग जननी तेरी भक्ति हो।
नव वर्ष में दुःख, दर्द और आंसू हर लेना,
बरसा देना, कृपा और महिमा का पानी।
नव वर्ष में भक्तों……..
अधर्म और पाप की, कर देना बिदाई,
इसी से होगी सारी दुनिया की भलाई।
पुराने साल से क्या शिकायत करें हम?
तुमने तो देखी है, लोगों की जिंदगानी।
नव वर्ष में भक्तों…………..
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार
नासिक (महाराष्ट्र)
भक्ति गीत : जय जय हे जगदम्बा माता
जय जय हे जगदम्बा माता,
जय जय हे जगदम्बा माता।
चरण तुम्हारे जो कोई आता,
सभी का भाग्य बदल जाता।
जय जय हे………..
कर लो स्वीकार, मेरी पूजा,
तेरे सिवा अपना नहीं दूजा।
बनाए रखना महिमा अपनी,
दर से कोई खाली न जाता।
जय जय हे………..
मां मेरी भी, पुकार सुनना,
सेवक में मुझे भी चुनना।
जन्म जन्म की हो जननी,
बड़ा पुराना है तुमसे नाता।
जय जय हे……….
करना चाहता मैं, तेरी सेवा,
मन में नहीं पलता है मेवा।
चाहिए सिर्फ आशीष तुम्हारा,
मन को और कुछ न भाता।
जय जय हे…………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
शेर पर सवार होके आजा जोतावाली : Sherawali Mata Ke Bhajan Lyrics
शेर पर सवार होके आजा जोतावाली
मैं सजाए बैठी पूजा की थाली।।
कपूर, बाती, अगरबत्ती, धूप जला
करूं जगराता मैं सुन मां भारती।।
शेर पर सवार....
फल, फूल, मिसरी, कदली, मेवा
खिलाना चाहूं करती वंदना मैं प्रार्थी।।
नौ श्रृंगार चढ़ा बस वर ये मांगू
सुहाग सलामत रहे सदा, तेरी जय-जयकार की।।
शेर पर सवार....
भूत, वर्तमान और भविष्य की सुन
खुशीयों से भरी रहे झोली ये पुकार की।।
माला, चुनर, पैजनियां, काजल टीकि
चढ़ा तुझे मांगू बच्चों की सलामती।।
शेर पर सवार ..
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
माँ दुर्गा का भजन हिंदी में लिखी हुई Maa Durga Bhajan Lyrics in Hindi
माँ दुर्गा का एक भजन
दसों दिशाओं में गुंजित है, माता का जयकार
आओ भक्तों बाँट रही है मैया अपना प्यार
दुष्टों का संहार है करती, पर भक्तों से प्यार
याचक को देने में पल भर करती नहीं इनकार
उनके ही आदेश से चलता है सारा संसार
आओ भक्तों बाँट रही है मैया अपना प्यार
राजा सुराथ ओर वैश्य समाधी को यश राज दिलाया
शुंभ, निशुंभ और महिषा सुर को यम के द्वार पहुँचाया
यहाँ मिलेगा सारा कुछ ही, तुमको है दरकार
आओ भक्तों बाँट रही है मैया अपना प्यार
“शबनम”भी तो नवरात्रि में करती माँ का पूजन
जिसमें माँ का चेहरा उभरे खोज रही वो दर्पण
हर कष्टों का माँ के हाथों होता है उपचार
आओ भक्तों बाँट रही है मैया अपना प्यार
शबनम मेहरोत्रा
नौ देवी की आरती | Nau Deviyon Ki Aarti Lyrics दुर्गा माता की आरती
नवदुर्गा का भोग Nau Deviyon Ki Aarti
मैं गरीब अवगुणों से भरी,
कैसे तुझे रिझाऊं।
रुखा -सुखा भोग में मैया,
आके तुझे चढ़ाऊं।
पहले शैलपुत्री जी ध्याऊं,
माखन मिश्री भोग लगाऊं,
सदा निरोगी मैं हो जाऊं,
आके तुझे चढ़ाऊं
ओ मैया आके तुझे चढ़ाऊं।
द्वितीय ब्रह्मचारिणी मनाऊं,
फल मेवा मे ला चढ़ाऊं,
सदा प्रसन्न चित्त मैं हो जाऊं,
आके तुझे रिझाऊं,
ओ मैया आके तुझे रिझाऊं।
तृतीय चंद्रघंटा मां बुलाऊं,
पान सुपारी लौंग, खिलाऊं,
हर दुखों से मुक्ति पाऊं,
आके तुझे रिझाऊं,
ओ मैया के तुझे रिझाऊं।
चतुर्थ दिवस कुष्मांडा ध्याऊं,
हलवा पूरी में मात खिलाऊं,
सदा वैरियों से बचती जाऊं,
आके तुझे मनाऊं,
ओ मैया आके तुझे मनाऊं।
पंचम दिवस स्कंदमाता मनाऊं,
दूध- केले का भोग लगाऊं,
विषय विकारों से छुट जाऊं,
आके तुझे रिझाऊं,
माता आके तुझे रिझाऊं।
छठे दिवस मां कात्यायनी पधारो,
शहद का आके भोग लगाओ,
आकर के आकर्षण बढ़ाओ,
अपनी कृपा बरसाओ,
ओ मैया अपनी कृपा बरसाओ।
सप्तम को कालरात्रि बुलाऊं,
गुड़ और घी का भोग लगाऊं,
धोखे संकट से मुक्ति पाऊं,
तुझ पे बलि- बलि जाऊं,
ओ मैया तुझ पे बलि- बलि जाऊं।
अष्टमी मां महागौरी मनाऊं,
हलवा पूरी नारियल चढ़ाऊं,
सदा सुहागन का वर पाऊं,
जीवन सफल बनाऊं,
ओ मैया जीवन सफल बनाऊं।
नवमी मां सिद्धिदात्री ध्याऊं,
तिल रेवड़ी का भोग लगाऊं,
बुद्धि -विद्या का वर पाऊं,
जग में नाम कमाऊं,
ओ मैया जग में नाम कमाऊं।
ललिता कश्यप
गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश
नवदुर्गा
एक नारी के पूरे जीवनचक्र का,
प्रतिबिम्ब है, नवदुर्गा के नौ स्वरूप।
प्राण वायु नारी की है चेनतता,
पँचभूतों की आभा से अद्भुत रूप।।
जन्म ग्रहण करती हुई कन्या,
''शैलपुत्री'' बन लक्ष्मी घर में है आई।
कौमार्य अवस्था तक "ब्रह्मचारिणी" बन, ऋचाओं को समझ पाई।।
विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान,
निर्मल रहने पर "चंद्रघंटा" है कहलाती।
विधि विधान सम्मत विवाह कर,
नूतन घर संसार बसा तृप्त हो जाती।।
नए जीव को जन्म देने के लिए,
गर्भ धारण करने पर कूष्मांडा कहलाती।
माँ की ममता प्रणम्य, संतान प्राप्ति का
परम सुख जगत् में पा धन्य हो जाती।।
संतान को जन्म देने के बाद वही,
नारी "स्कन्दमाता" बन पूजी जाती।
रुधिर से रिसता अमृत पिला,
शिशु को सतायु भव् कह कर हीं जाती।।
संयम व साधना को धारण करने वाली,
नारी श्रेष्ठ है माता "कात्यायनी"।
बड़भागी माँभक्त जो माँ की अराधना से,
जीवन की सही दिशा जानी।।
संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी,
जीत लेने से वह कहलाई "कालरात्रि"।
वसुधैव कुटुंभकम् चरितार्थ करने वाली,
हमारी "महागौरी" माता है कल्याणी।।
वैकुण्ठ गमन पूर्व संतान को सिद्धि का, आशीर्वाद देने वाली "सिद्धिदात्री"।
समस्त त्रिभुवन झूम झूम विह्वल,
भजन करे जय मातादी-जय मातादी।।
जय मातादी
डॉ. कवि कुमार निर्मल
DrKavi Kumar Nirmal
Bettiah Bihar
Bettiah West Champaran
नवदुर्गा - एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का बिम्ब है नवदुर्गा के नौ स्वरूप
1. जन्म ग्रहण करती हुई कन्या #शैलपुत्री" स्वरूप है!
2. कौमार्य अवस्था तक #ब्रह्मचारिणी " का रूप है!
3. विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह #चंद्रघंटा " समान है!
4. नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह #कूष्मांडा" स्वरूप है!
5. संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री
#स्कन्दमाता" हो जाती है!
6. संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री
#कात्यायनी " रूप है!
7. अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह #कालरात्रि जैसी है!
8. संसार (कुटुंब ही उसके लिए संसार है) का उपकार करने से #महागौरी " हो जाती है!
9 धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार मे अपनी संतान को सिद्धि (समस्त सुख-संपदा) का आशीर्वाद देने वाली #सिद्धिदात्री " हो जाती है!
हर स्त्री अपने आप मे कहीं न कही माँ जगदम्बे का प्रतिबिंब है।
नारीशक्ति में विराजमान माँ जगदम्बे को मेरा प्रणाम है।
शबनम मेहरोत्रा
शेर पे सवार हो के आ जा शेरावाली Maa Sherawali Bhajan Lyrics
शेर पे सवार होके आजा शेरा वालिए
मनहरणघनाक्षरी
शेर पर सवार आई,
मैया जोता वाली आई,
यह जगमग लाल चुन्नी,
करती कमाल है।
मूरत लुभानी देखो,
सूरत सलोनी देखो,
मधुर मंद मुस्काती,
मधु रस धार है।
दर तेरे जो भी आते,
मन की मुरादें पाते,
खाली हाथ नहीं जाते,
लुटाती सौगात है।
बहनों को भाई देवे,
माताओं को लाल देवे,
मांग का सिंदूर सजे,
देती वरदान है।
ललिता कश्यप
गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश
भजन
देवो से देवी सदा रही महान है।
इसिलिये उसे मानता जहान है।
जय दुर्गा जय अंबे तेरी जयकार।।
असुरों का विनाश पल में कर देती।
भक्तों खाली झोली क्षन मे भर देती।
एक बार करों मन से जरा पुकार।।1।।
दुख हारी संकट निवारी तारी सब।
भक्त पुकारते मय्या आ रही है कब।।
हर कोई जताता अंबे पर अधिकार।।2
डुबती नाव बचाई रोतो को हंसाई।
इसिलिये देते सभी सब को बधाई।।
सभी करते दुखों मे मय्या की पुकार।3
"शहजाद"भक्त कोई भी सब को चाहे।
सभी उस दर से मन की मुरादे पाये ।।
विश्व में सिर्फ चलती अंबे सरकार।4
कवि:-मजीदबेग मुगल "शहजाद"
हिगनघाट, जि,वर्धा,महाराष्ट्र
8329309229
दुर्गा जी की आरती और भजन हिंदी में लिखी हुई
मां दरबार सजादिया तेरी थाल सजा दी है
मां कर श्रृंगार तेरा लाल चुनरी ओढा दी है
पुष्प रखदिया जोथा,फलाहार रखदिया है
धूप दीपजला हमतेरा दरबार महकादिया है।
शुभ दिन आया ऐ वृहस्पतिवार आ गया है
हम करेंगे तेरी सेवा, मां नवरात्र आ गया है
सब तैयार हो गया, ढोल मृदंग सज गया है
अब तुम देर न करो,मां तेराशंख बजगया है।
शेर पर सवार तुम मां मुखपर अमिट तेज है
बिछाकर सुंदर फूल मां, लगाई तेरी सेज है
सर पर सजा मुकुट मां माँग सजी सिंदूर है
आने से तेरे घर में हमारे हुवे सब दुख दूर हैं।
गले सजी गुलबन्द मां हाथ रख त्रिशूल माँ
करदे सुंदर काया मेरी मिटा दे सब शूल मां
जनजन के जीवन में करदे तूं प्रतिकूल मां
श्रीकांत लालतेरा करदे माफ चूक भूल मां।।
शुभ नवरात्रि की सपरिवार को हार्दिक शुभकामनाएं
श्रीकांत दुबे बरजी गोपीगंज भदोही, 9830177533
मैया मेरे भी घर आओ नवरात्र विशेष मां दुर्गा भजन 2021 Devi Durga Bhajan Lyrics Hindi
नवरात्र विशेष 2021
मैया मेरे भी घर आओ
सज गई पूजा वेदी, सज गए घर और बार,
द्वार द्वार तोरणहार, मैया मेरे घर भी आओ।
मैया की चूड़ी बिंदीयां,सजती है लाल चुनरिया,
मैया का मोहे हार श्रंगार, मैया मेरे घर भी आओ।
गर्भ में ना तुम मारो, बच्ची का जन्म संवारो,
ये बेटी देवी का उपहार, मैया मेरे घर भी आओ।
बहु बेटी एक सी समझो,हर नारी में समझो देवी,
तब होगा जीवन का उद्धार, मैया मेरे घर भी आओ।
देवी जैसा सम्मान, हर नारी का है अधिकार,
कर दो नारी का उद्धार,मैया मेरे घर भी आओ।
मेरी बीच भंवर कश्ती, करती हिचकोले खाती हैं
अब तो कर दो बेड़ा पार,मैया मेरे घर भी आओ।
एक तेरे भरोसे ही, ये मेरा जीवन सारा है,
पराया लगता ये संसार,मैया मेरे घर भी आओ।
मौलिक एवं स्वरचित रचना
सोनिया, शिक्षिका गाज़ियाबाद उत्तर प्रदेश
दुर्गा पूजा भजन | मां दुर्गा आरती
जब प्राण हो संकट में,
माँ ही लाड लडाती है,
वक्त की जब मार पडती,
माँ ही आँचल फैलाती है,
सब संकट हरने को वह,
खूद जग से लड जाती है,
सन्तान के सुख की खातिर,
जब वह दुर्गा बन जाती है,
अपने सपनों की आहुति देकर,
माँ ही सब सपने पुरे कर जाती है।।
विनोद कुमार जैन वाग्वर
आ रहीं सबकी माता रानी : माता के भजन लिरिक्स इन हिंदी
आ रहीं सबकी माता रानी
आ रहीं सबकी माता रानी,
अपने शेर पर सवार,
लायेंगी चहुँओर खुशियाँ,
हर्षित होगा सारा संसार।
आ रहीं सबकी...।
आयेंगी जब अबकी माता,
होगा धरा पर श्रृंगार,
चमकेगी बिन्दिया माथे पर,
बढ़ायेंगी शोभा गले का हार।
आ रहीं सबकी...।
माँ के चरण जहां भी पड़ते,
बहती भक्ति की बयार,
वह स्थान रमणीक हो जाता,
लगता वहाँ माँ का दरबार।
आ रहीं सबकी...।
जब-जब बढ़ता आतंक धरा पर,
माँ लेती हैं अवतार,
करती वह दुष्टों का दलन,
बांटती हैं जन-जन को प्यार।
आ रहीं सबकी...।
अरविन्द अकेला
दुर्गा मां भवानी भजन : शेर सवारी करके आई | तूने मुझे बुलाया मां शेरावाली
भजन
शेर सवारी करके आई लाल चूनर लहराती आई।
दीप्त है उनका आभामंडल तेज पुंज बिखराती आई
पॉश, खड़ग, मुगद्दर ले आऊध
महिषा से आई करने वे युद्ध
ओर भक्त को बांटने श्री भी
हाथ पदम ले आई है वे खुद
ले लोहित चमकाते आई, लाल चूनर लहराती आई, , ,
स्नेहिल, कोमल ममता वाली
करने को सुख चैन बहाली
दुष्ट दमन करने के लिए वे
बन जाती है चंडी, काली
गुस्से से गुर्राती आई, लाल चूनर लहराती आई, , , ,
“शबनम”है ये जग की माता
होती नहीं ये कभी विमाता
जिनके सर पर हाथ हो इनका
उस पर दुख तो कभी न आता
रोद्र, दया बरसाती आई, लाल चुनरी लहराती आई
दीप्त है आभामंडल उनका तेज पुंज बिखराती आई
शबनम मेहरोत्रा
जय जय अम्बे जय जगदम्बे, तू अमृत बरसाती है
चतुष्पदी मुक्तक जय जगदम्बे
जय जय अम्बे जय जगदम्बे, तू अमृत बरसाती है।
दीन दुखी की पीड़ा हरती, वैभव पुष्प बिछाती है।।
तेरे बिन क्या पत्ता हिलता, सूरज चंदा चमक रहे।
जो भी तेरे शरण आ गया,मोक्ष राह दिखलाती है।।
डा.सत्येन्द्र शर्मा, पालमपुर,हिमाचल
जय माता दी कुण्डलिया
माता मंदिर में सजीं, देने को आशीष।
करें शक्ति की भक्ति हम, चलो झुका लें शीश।।
चलो झुका लें शीश, कई थे दुख के मारे।
झूम रहे हैं लोग, रो रहे थे बेचारे।।
चुनरी मां की लाल, तेज लावण्य लुभाता।
मन्नत मांगें आज, कर रहीं पूरी माता।।
डा.सत्येन्द्र शर्मा, पालमपुर, हिमाचल
सजधज कर मैया आती हो, मुक्तक जय माता दी
( 16 सममात्रिक छंद के रूप में)
सजधज कर मैया आती हो,
खाली झोली भर जाती हो।
हर लेतीं भक्तों की पीड़ा,
सुखमय जीवन दे जाती हो।।
डा.सत्येन्द्र शर्मा,
पालमपुर, हिमाचल
हिन्दी देवी गीत – मेरी माता की चूनरीया | माता रानी गीत लिरिक्स
शेर – मेरी माँ को चढ़ाये हम चम्पा चमेली।
पूरा करेगी मंसा हर दुख हर लेगी।
मुखड़ा-लड़का – मेरी माता की चुनरिया लाल लहराये।
सहारा देती है लूटाया करती है प्यार कम ना।
मेरी माँ का भोला मन।
मेरी माता की चुनरिया लाल लहराये।
अंतरा -लड़की -मनाना है माँ को अबकी बारी।
चढ़ाना है माँ को लाल साड़ी।
मौका कही ना हम चूक जाये।
लड़का- मेरी माता की चुनरिया लाल लहराये।
सहारा देती है लूटाया करती है प्यार कम ना।
मेरी माँ का भोला मन।
मेरी माता की चुनरिया लाल लहराये।
लड़का - मन हा माँ का दयालु बड़ा।
दिल है माँ का कृपालु बड़ा।
माँ को अब हम बुलाएँगे।
मेरी माता की चुनरिया लाल लहराये।
सहारा देती है लूटाया करती है प्यार कम ना।
मेरी माँ का भोला मन।
मेरी माता की चुनरिया लाल लहराये।
लड़की - तू श्याम माँ का पुजारी बड़ा।
लड़का - चलो सफल करे हम जनम।
बिना माँ भारती मन घबराए।
मेरी माँ का भोला मन।
मेरी माता की चुनरिया लाल लहराये।
सहारा देती है लूटाया करती है प्यार कम ना।
मेरी माँ का भोला मन।
मेरी माता की चुनरिया लाल लहराये।
श्याम कुँवर भारती [राजभर]
कवि ,लेखक, गीतकार, समाजसेवी,
मोब /वाहत्सप्प्स 995550928
जय दुर्गे भवानी माता विनती माता से दुर्गा मां की आरती
जय दुर्गे भवानी माता
तुझसे करूं अरदास माँ।
जग में है छाया कोरोना का खौफ़ माँ,
तूं हीं हम सबकी है बस आस माँ।
जय दुर्गे भवानी माता
तुझसे करूं अरदास माँ।
दूर करदे तूं संकट हमारे।
दुनिया की तुं हीं मिटाएगी त्रास माँ।
जय दुर्गे भवानी माता
तुझसे करूं अरदास माँ।
तेरे बच्चे तुझे हैं पुकारते
तूं हीं सुनेगी हमें विश्वास माँ।
जय दुर्गे भवानी माता
तुझसे करूं अरदास माँ।
पुष्पा करें अरदास माँ
पहले मचाया कोरोना कोहराम माँ
तुझे छोड़ कर नही कोई और माँ।
जय दुर्गे भवानी माता
तुझसे करूं अरदास माँ।
पुष्पा निर्मल बेतिया बिहार
देवी का असली रूप | चैत्र नवरात्रि क्यों मनाई जाती है
देवी का असली रूप
देवी दुर्गा वा काली देहधारी- कोई नारी नहीं
दूर्गा शक्ति है असिमित- प्रकृति स्वरुपा
दुर्गा मंदिर-मण्डप में नही
अणुचेतन में शक्ति संपात हेतु अनंत उर्जा है
जो "तमोगुणी" साघना करता है नित्य सही-सही
अर्जित संस्कारों से सतोगुणी बन तर जाता वही
साधु और सवाधु में अंतर- सहज नहीं
देख परख पाता विरला सिद्ध हीं कोई
'अध्यात्मिक परिवेश' वह सृष्ट करती है
मन को सत् पथ पर अग्रसारित करती,
सुकृत्यों में रम जाने का साहस देती है
मानव श्रेष्ठ विश्वकल्याण कर-
अजर अमर हो मसिहा बन जाता है
सुकर्मों से साघक 'सद् विप्र' बन
शंखनाद कर धर्मयुद्ध कर विजय पाता है
मन के आसन पर आसिन होती हैं
दुर्गा उर्जाश्रोतस्वरूपा-
शिव से युक्त हो ब्रह्म कहलाती है
अनेक भुजाओं का बल,
रौद्र रूप प्रतिमा तो मूर्तिकार की कल्पना है
दिव्यास्त्रों से सँवार देवी को
मन की शक्ति व सामर्थ्य का वर्धन करते हैं
दुर्गा नर में और नारी में भी एकहीं रहती हैं
धर्माचरण- धर्म रक्षार्थ अदम्य बल दुर्गा देती है
श्रद्धालुओं के अनुष्ठान
त्रुटिपुर्ण पर सनातन हैं
इसे गौढ़ समझ साघना,
सेवा और त्याग गह हीं
पूर्णत्व महापद संभव है
डॉ. कवि कुमार निर्मल
देवी दुर्गा वा काली देहधारी- कोई नारी नहीं
दूर्गा शक्ति है असिमित- प्रकृति स्वरुपा
दुर्गा मंदिर-मण्डप में नही
अणुचेतन में शक्ति संपात हेतु अनंत उर्जा है
जो "तमोगुणी" साघना करता है नित्य सही-सही
अर्जित संस्कारों से सतोगुणी बन तर जाता वही
साधु और सवाधु में अंतर- सहज नहीं
देख परख पाता विरला सिद्ध हीं कोई
'अध्यात्मिक परिवेश' वह सृष्ट करती है
मन को सत् पथ पर अग्रसारित करती,
सुकृत्यों में रम जाने का साहस देती है
मानव श्रेष्ठ विश्वकल्याण कर-
अजर अमर हो मसिहा बन जाता है
सुकर्मों से साघक 'सद् विप्र' बन
शंखनाद कर धर्मयुद्ध कर विजय पाता है
मन के आसन पर आसिन होती हैं
दुर्गा उर्जाश्रोतस्वरूपा-
शिव से युक्त हो ब्रह्म कहलाती है
अनेक भुजाओं का बल,
रौद्र रूप प्रतिमा तो मूर्तिकार की कल्पना है
दिव्यास्त्रों से सँवार देवी को
मन की शक्ति व सामर्थ्य का वर्धन करते हैं
दुर्गा नर में और नारी में भी एकहीं रहती हैं
धर्माचरण- धर्म रक्षार्थ अदम्य बल दुर्गा देती है
श्रद्धालुओं के अनुष्ठान
त्रुटिपुर्ण पर सनातन हैं
इसे गौढ़ समझ साघना,
सेवा और त्याग गह हीं
पूर्णत्व महापद संभव है
डॉ. कवि कुमार निर्मल
दुर्गा मां की विदाई के गीत | दुर्गा मां विसर्जन विदाई
मां की विदाई
मन बड़ा व्यथित है आज
विदाई है तुम्हारी आज
कैसे विदा करूं मैं मां
पर यह तो विधान है
द्वारा ही बनाई विधि का।
वादा करो मां
जल्दी ही आना तुम
हम नादान बच्चे
कैसे रहेंगे तेरे बिन।
9 दिन
उत्सव था मा घर पर
सब सुना करके आप चली
आशीर्वाद देती जाना मां
सब मिलजुल कर
प्यार से रहे।
घर में बिटिया भी है तुम्हारा रूप
उसको भी खुश रखना मां
माता-पिता सास-ससुर हैं बुजुर्ग
उनका साथ बनाए रखना।
अपनी बेटियों की लाज बचाने
दुष्टों का संहार करो।
कोरोना से निजात दिलाओ।
इस बार बहुत सुनी नवरात्रि थी,
अगली बार धूमधाम से आओ मां।
धन्यवाद
अंशु तिवारी पटना
माँ दुर्गा का विदाई गीत | Maa Durga Vidai Geet
आने को फिर हर साल, विदाई आज ले लो माँ।
खुशियों को करने बहाल, विदाई आज ले लो माँ।
अश्रु पुरित नैन हमारे,
कैसे विदाई दे दूँ।
परम्परा है मगर मैं तुमसे,
कैसे जुदाई ले लूँ।
होता न ऐसा सवाल, विदाई आज ले को माँ।
आने को फिर हर साल विदाई आज ले लो माँ।
नौ दिवस तक धरा पे रह कर,
इतनी दया बरसाई।
ऐसा लगा था सदा सदा,
के लिए तू रहेने आई।
आता है जग का ख्याल, विदाई आज लेलो माँ।
आने को फिर हर साल, विदाई आज के लो माँ।
जाती हो तो जाओ माता,
लेकिन फिर तुम आना।
एक वर्ष तक नैन बिछाए,
फिर है दर्शन पाना।
शबनम को तू ही सम्हाल, विदाई आज ले को माँ,
आने को फिर हर साल विदाई आज ले लो माँ।
खुशियां तू करने बहाल, विदाई आज लेलो माँ।
शबनम मेहरोत्रा
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1 टिप्पणियाँ
वाह,बहुत सुंदर।
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