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वन महोत्सव पर कविता, शायरी, स्लोगन Van Mahotsav Par Shayari

वन महोत्सव पर कविता 2021– Van Mahotsav Poem In Hindi – Van Mahotsav Par Kavita

वन महोत्सव का मौसम आया
(वृक्षारोपण समारोह गान)

नील गगन पर उड़ता, पागल बादल छाया,
जग में है वन महोत्सव का मौसम आया।
वन से वायु मिलती, वायु से मिलती आयु,
रिमझिम फुहारों से, है अंग अंग लहराया।
नील गगन पर…

वन महोत्सव दिवस कब मनाया जाता है?

जुलाई का प्रथम सप्ताह, होता इसके नाम,
वृक्षारोपण समारोह मनाना, है हमारा काम।
जीवन महोत्सव कहना बड़ा ही सुंदर होगा,
प्रेम पात्र वह, जिसने एक भी बूटा लगाया।
नील गगन पर……

वन महोत्सव का क्या महत्व है?

वन हमें देते हैं रोटी, कपड़ा और मकान,
तभी हमारे चेहरे पर नाचती है मुस्कान।
शुरू से ही देश में वनों की पूजा होती है,
आदि काल से फूलों ने जीवन महकाया।
नील गगन पर…

वन महोत्सव पर शायरी

हमारे स्वास्थ्य की रक्षा किया करते फल,
तुलसी और नीम खिलाते मन में कमल।
गर्मी में पाते हैं, हम इंसान शीतल छाया,
मन पाता चैन, मजे लेती कोमल काया।
नील गगन पर……

Van Mahotsav Par Shayari

जितने सुंदर होंगे, सारे वन उपवन हमारे,
देखने को मिल सकते उतने अच्छे नजारे।
वन से जीवन का नाता बड़ा पुराना लगता,
वनों ने ही जग को, है ऐसा सुंदर बनाया।
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार
वन महोत्सव पर कविता, शायरी, स्लोगन Van Mahotsav Par Shayari

जहाँ हरियाली वहाँ खुशहाली : वन महोत्सव पर कविता, शायरी, स्लोगन

जहाँ हरियाली वहाँ खुशहाली
(हरियाली काव्य/गीत)

जग में जहाँ हरियाली है वहाँ खुशहाली है,
जहां हरियाली नहीं, आशीष भी गाली है।
क्यों न हम सब भी कुछ पेड़ लगाएं आज,
भींगा भींगा मौसम है, छाई बदरी काली है।
जग में जहां हरियाली……

कभी रिमझिम बारिश, कभी हल्की फुहार,
कभी धूप, कभी छांव, है प्रकृति का प्यार।
मित्र पर्यावरण, प्यार मांग रहा हम सबसे,
सुहाना मौसम लगता है, समा मतवाली है।
जग में जहां हरियाली……

चल रहा है, पर्यावरण संरक्षण अभियान,
सारे जग पर होता है प्रकृति का ध्यान।
मखमली घास इशारे कर रही मैदानों से,
लचक रही बागों में, आज डाली डाली है।
जग में जहां हरियाली……

क्यों न हम भी एक पेड़ लगाएं साथियों,
क्यों न अपना विचार दिखलाएं साथियों?
पेड़ लगाना सकारात्मकता की पहचान है,
वनों की कटाई से धरती खाली खाली है।
जग में जहां हरियाली……
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

वन महोत्सव पर कविता Van Mahotsav Poem In Hindi

पर्यावरण
हरे भरे वृक्षों को
यूं ना काटो ऐ इंसान।
क्या तू जानता नहीं
वृक्ष जीवन रक्षक हैं तेरे
प्राणदायिनी वायु प्रदान
करते हैं यह तुझे।
अभी अभी महामारी में
क्या कुछ सीखा नहीं
प्राण वायु के बगैर इन
लाखों ने जाने गवांई अपनी।
प्रकृति नेयह सब मुफ्त दिया
समझ ना आया तुझे
पर तू अब तो समझ रहे ,मानव।
रक्षा करो इनकी,
ना काटो इन्हें,।
पर्यावरण की रक्षा करें
हाहाकार मचा था चारों ओर
बिना ऑक्सीजन के लिए
जो कि प्रकृति मुफ्त देती है हमें।
अब तो मूल्य पहचाने
रक्षा करें पेड़ लगाएं
ताकि चहुँ ओर खुशहाली छाये
ना कोई बिछड़े अपनों से
बिना प्राणवायु के।
स्वस्थ रहे हम हमेशा
ना रहे कहीं प्रदूषण
धरती मां को नमन कर
रक्षा करें हम इनकी
शुद्ध वायु शुद्ध जल
शुद्ध से स्वास्थ्य
हमारा फले फूले।
धन्यवाद
अंशु तिवारी पटना

विश्व वन महोत्सव दिवस | पेड़ों के महत्व पर कविता | वन महोत्सव पर स्लोगन

कविता
हो रहे धरा से सारी हरियाली खाक है।
ये तो शर्मनाक है, ये तो शर्मनाक है।

अपने सुख खातिर है गला उतारते
काट कर जंगल है घर को संवारते
देखकर ये हरकत कुदरत अवाक है।
ये तो शर्मनाक है, ये तो शर्मनाक है।

आये आधियाँ तो रोक भी न पाते
हरे-भरे पौधे बे-वजह काट गिराते
दोहनकर प्राकृति का जमाते धाक है।
ये तो शर्मनाक है, ये तो शर्मनाक है।

भू बना मरूस्थल शौक के खातिर
कौन होगा भी तुझसे बड़ा शातिर
ये इंसान तेरी जो यह मंशा नापाक है।
ये तो शर्मनाक है, ये तो शर्मनाक है।

होते वन तो जीते कुदरत की छाँव में
न हो महल तो लगती इज्जत दावँ में
डिजिटल भारत में क्या आबाद नाक है।
ये तो शर्मनाक है, ये तो शर्मनाक है।
पूनम यादव वैशाली बिहार से
वृक्ष पर हिंदी कविता | पेड़ो पर कविता Poem On Tree In Hindi
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