Ticker

6/recent/ticker-posts

शैलपुत्री माता की आरती Shailputri Mata Ki Aarti माता शैलपुत्री के भजन

माता शैलपुत्री की आरती Maa Shailputri Ke Bhajan मां शैलपुत्री के भजन

शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन को मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलीपुत्री को हिमालय की पुत्री माना जाता है। इसी कारण से देवी दुर्गा के इस रूप को मां शैलपुत्री कहा गया है। इनकी पूजा अर्चना से मनोवांछित फल प्राप्त किया जा सकता है। मां शैलपुत्री कै प्रसन्न करने हेतु मां शैलपुत्री की आरती और भजन प्रस्तुत किए जा रहे हैं। इसके प्रभाव से माता शैलपुत्री शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों की सभी कामनाएं पूर्ण कर देती हैं।

भक्ति गीत : माता शैलपुत्री

“या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”

“आप सभी मित्रों, साथियों तथा प्यारे बच्चों को मां भवानी के प्रथम रूप देवी शैलपुत्री की असीम कृपा से दशहरा महोत्सव के परम पावन अवसर पर हमारी ओर से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाईयां।”

“जय जय हे नारायणी, देवी शैलपुत्री माता,
तुमसे है भक्तों का जन्म जन्म का नाता”

माता शैलपुत्री तेरे दरबार का, है रूप बड़ा सुहाना, 
आज तेरे दरबार में, एक भक्त आया है अंजाना।
मैया कर रहा है वह, बारंबार एक विनती तुमसे,
दे दो मैया अपने चरणों में, इसको कोई ठिकाना!
माता शैलपुत्री तेरे दरबार…………….

सारे संसार का तू भाग्य संवारती, माता शैलपुत्री,
इस सेवक को भी भवानी, रास्ता कोई दिखाना!
पहली पूजा तेरे नाम से है, करना इसे स्वीकार,
तेरे चरणों से मैया है, हमारा नाता बड़ा पुराना।
माता शैलपुत्री तेरे दरबार……. …..

जो सबका ठुकराया होता, पास तेरे वह आता,
माता बड़ी आशा है, दुखिया की लाज बचाना!
खाली हाथ तेरे दर से माता, कोई नहीं जाता,
इसके भी पथ से मैया, तू अंधेरा दूर भगाना।
माता शैलपुत्री तेरे दरबार…………….

माता तुम आदिशक्ति हो, और करुणा का सागर,
कृष्णदेव के मन में, नव ज्योति का पुंज जगाना।
हाथ जोड़ते सब तेरे, जग से हर दुःख को भागना, 
असुरी शक्ति छुप जात, जब होता है तेरा आना।
माता शैलपुत्री तेरे दरबार…………..
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

जय जय हे शैल पुत्री माता भक्ति गीत : शैलपुत्री माता की आरती

जय जय हे शैल पुत्री माता
(भक्ति गीत)
जय जय हे, प्यारी शैल पुत्री माता,
आज जग कर रहा है जय जयकार।
मां तुम हो पालनहार, इस जग का,
तुम ही हो हर मानव का तारणहार।
जय जय हे…………….

घट स्थापन हो रहा है, मंदिर मंदिर,
मैया सज रहा तेरा, शान से दरबार।
पंडित पुजारी सब मंत्रोचारण कर रहे,
लगी है लंबी लंबी, भक्तों की कतार।
जय जय हे……………….

मैया तुम हो, इस जग की स्वामिनी,
तेरे चरणों में, नतमस्तक है संसार।
कोरोना महामारी से बचा लो दुनिया,
सुनो हे मैया, अपने सेवकों की पुकार।
जय जय हे……………

बहुत प्यारा लगता, नवरात्रि त्योहार,
कोरोना को भगाकर, देना ये उपहार।
धर्म और पुण्य को बसाओ हे भवानी,
दिखाओ कोरोना को, अपनी तलवार।
जय जय हे………………

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार

शैलपुत्री माता की आरती एवं भजन

आज शुभ नवरात्रि के शुभ प्रथम दिवस में माॅं आदिशक्ति के प्रथम रूप माॅं शैलपुत्री को सादर सहृदय नतमस्तक करजोड़ कर चरणों में प्रणाम और समस्त माताओं बहनों एवं बंधुओं को सपरिवार प्रथम दिवस की हार्दिक बधाई एवं बहुत बहुत शुभकामनाएं।

माॅं शैलपुत्री को सादर ले आएं

होत प्रभात आज शनि दिवाकर,
माॅं शैलपुत्री को सादर ले आए।

स्वकिरणें बिखेरने से भी पहले,
माॅं शैलपुत्री को घर घर बैठाए।।

प्रथम नमन मेरा शनि रवि को है,
जिनने किया यह बड़ा उपकार।

भक्तों की पुकार सुनी है तुमने,
हर्ष विभोर है हर मंदिर घर द्वार।।

द्वितीय नमन है माॅं शैलपुत्री को,
घर घर को आज बनाई हैं पावन।

बरस रहे आज ये खुशी के आंसू,
जैसे उर बसा हो पावन सावन।।

शैल छोड़कर आईं शैल की पुत्री,
सुनने को निज भक्तों की पुकार।

दुःख दरिद्रता क्लेश ये दूर करेंगी,
दूर करेंगी माॅं भक्तों की चीत्कार।।

जय जय माता शैलपुत्री भवानी,
तुम्हें नमन है कैसे करूॅं सत्कार।

अरुण दिव्यांश को करो क्षमा,
उर में बरसाओ सब हेतु प्यार।।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

प्रथम दिवस शैलपुत्री

दिनांक : 15 अक्तूबर, 2023
दिवा : रविवार

शुभ नवरात्रि के नवदिन में,
माॅं आदिशक्ति के नौ रूप।

हर दिवस का अलग महत्व,
माॅं का हर रूप परम अनूप।।

माता का होता प्रथम रूप,
शैल की पुत्री शैलपुत्री माता।

वृषभ वाहन होता है जिनकी,
त्रिशुल हस्त अति है शोभा।।

शैलपुत्री माता बहुत दयामयी,
भक्तों हेतु बहुत हैं कल्याणी।

ज्ञान बुद्धि बल विद्या संस्कृति,
अरु अस्त्र लिए होती हैं पाणि।।

भक्तों के होती हैं रक्षक माता,
संकट से भक्तों का करें उद्धार।

भक्त होते उनके बहुत ही प्रिय,
भक्तों हेतु दुष्टों का करें संहार।।

जय जय जय माता शैलपुत्री,
हमारा नमन माता तू स्वीकार।

सुख शांति वैभव झोली भर दो,
तन मन से निकालो तू विकार।।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

नवरात्रि प्रथम् दिवस शैलपुत्री के महत्व और शक्तियाँ हैं असीम अनंत

नवरात्रि
प्रथम् दिवस
शैलपुत्री
नवरात्रि आज से हुआ आरंभ,
नव देवियों की यह शुभ नवरात्रि।

वीरता विश्वास तमोगुण धन,
रजोगुण ज्ञान सत्व की अधिष्ठात्री।।

आश्विन के इस शुभ नवरात्री में,
नौ दिन नौ देवियों की होती वास।

तन मन विधिवत होते पूजा पाठ,
पवित्रता ले सब करते उपवास।।

नवरात्री के प्रथम दिवस को,
महादुर्गा के होते हैं तीन रूप।

प्रथम दिवस हिमालय पुत्री,
शैलपुत्री का होता है स्वरूप।।

पूर्व जन्म में जन्मी थीं माता,
इनके पिता हुए थे प्रजापति।

नाम हुआ था सती इनकी,
भगवान शंकर थे इनके पति।।

पार्वती और हेमवती,
दोनों ही थे इनके नाम।

हेमवती के रूप में जिसने,
देवगर्व भंजन का की थीं काम।।

शैलपुत्री के महत्व और,
शक्तियाँ हैं असीम अनंत।

बैल सोता सवारी जिनकी,
इनकी नहीं है कोई भी अंत।।

अरुण दिव्यांश 9504503560

माता जगज्जननी के नवरात का भजन

माता जगज्जननी के नवरात का,
शुभ प्रथम दिवस है यह आज।

नमन तुम्हें बारंबार जगज्जननी,
पूरण करो माँ सकल मम काज।

जय जय माँ आदिशक्ति भवानी।
जय माते जगज्जननी गुणखानी।।

महिमा गाएँ साधु संत गुणी सारे।
सुर असुर सब समक्ष तेरे हारे।।

तेरा नाम है त्रैलोक्य में भी प्यारा।
दैत्यों का वध संभव तेरे ही द्वारा।।

तुम्हीं से हैं देव तुम्हीं से हैं दानव।
तुम्हीं से संभव हर प्राणी मानव।।

तेरे कारण प्राणी जीवन हैं पाए।
करके अनीति जीवन हैं गँवाए।।

तुम्हारी बखान कितना मैं गाऊँ।
शक्ति भक्ति दया तेरी मैँ पाऊँ।।

जय माँ जगदम्बे जय माँ भवानी।
जय माँ अम्बे जय माँ महारानी।।

प्रथम दिवस प्रथम पार्वती माता।
पति हैं जिनके त्रैलोक्य विधाता।।

तुम्हीं है माते हेमावती कहलाती।
भक्तों के सारे क्लेश है भगाती।।

तुम्हरे नाम कहलाता यह सती।
दुर्मति हरो हमें देहु तुम सुमति।।

तुम्हीं हो शैलपुत्री हिमालय सुता।
देहु अन्न धन सुबुद्धि ज्ञान बूता।।

तुमको प्रणमऊँ जगमाते भवानी।
पावन अंतर्मन व दे मृदुल बानी।।

जय जय जय माता आदिशक्ति।
मिटाओ धरा से पाप अंधभक्ति।।

संकट मेरो माते तुम वेगि टारो।
संकट से माते मुझे तुम उबारो।।

जय जय जय जय मातु भवानी।
करहु क्षमा मैं तो मूरख अज्ञानी।।

ईर्ष्या द्वेष अब तुम मेरो हर लो।
शिष्टता सभ्यता मुझमें भर दो।।

अरुण दिव्यांश नमन है तोही।
जीवन सफल अब करहु मोहि।।

कर जोड़ी समक्ष माथ मैं नवाऊँ।
यश सुयश मातु फल मैं पाऊँ।।

दे दे माते मेरे तन मन में शक्ति।
करता रहूँ माते तेरी ही मैं भक्ति।।

माता सती पार्वती हेमावती शैलपुत्री,
हर रूप को माता करता रहूँ प्रणाम।

तू है कल्याणी कल्याण करो माँ भक्तों का,
दुष्टों की दुष्टता का शीघ्र दे माँ तू इनाम।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश


shailputri-mata-aarti-image- Shailputri Maa Ke Bhajan Photo

पहला दिन नवरात्र का, भजन करूँ सिर नाय : जै माता दी!

जै माता दी
पहला दिन नवरात्र का, भजन करूँ सिर नाय।
शैल पुत्री माँ आइ के, कारज देहु बनाय।।

पूजा जप समझूँ नहीं, नाहीं समझूँ ध्यान।
अपने शरण लगाय के, दो माँ इक वरदान।।

काम क्रोध के फाँस में, जकड़ा है मन मोर।
लोभी, अधम, अधीर हैं, घेरे चारो ओर।।

मैं मूरख नादान हूँ, नहीं बुद्धि नहीं ज्ञान।
अपना प्रेम जगाय के, कर दो कृपा महान।।
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू

प्रथम शक्ति शैल पुत्री जगजननी हे मात भवानी, जय मां शैलपुत्री भजन

जय मां शैलपुत्री
जगजननी हे मात भवानी
मैं हूं बालक तेरा अज्ञानी
मां शैल पुत्री दो वरदान
कलम लिखे लेख महान
हे शैलपुत्री वरदानी
तुमसा दूजा कोई न दानी
हम सब बने सुजान
मां शैल पुत्री दो वरदान
तुम हो अंतर्यामी
तुम शिव की अनुगामी
शत्रु का करती हो रक्त पान
मां शैल पुत्रीदो वरदान
तुम हो मां मंगलकारी
तुम जैसा कोई न उपकारी
दे हमको शब्द ज्ञान
मां शैल पुत्रीदो वरदान
तुमसे ही जग श्रृंगार
तुम हो जीवन की आधार
देती हो मां प्राण दान
मां शैल पुत्री दो वरदान
करती सबकी नैया पार
हम पर भी कर दे उपकार
बन जाए मेरी पहचान
मां शैल पुत्री दो वरदान
मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक,कोंच

जय माँ शैलपुत्री आरती शारदीय-नवरात्र शुभ मंगलमय हो

जय माँ शैलपुत्री


शैलपुत्री माता की आरती चित्र के साथ Shailputri Aarti with image

स्वरचित चौपाई ,चित्र के साथ

 क्षमा करो माँ
प्रथम शैलपुत्री है माता।
दक्ष प्रजापति से है नाता।।
पुत्री इनकी सती भवानी।
जय मांँ हे दुर्गे कल्याणी।।
जप तप से शंकर को पाया।
पत्नी रुप में काया छाया।।
पितृगृह जानी उत्सव भारी।
हर्षित मगन विकल बेचारी।।
शिव ने सभी नीति समुझाई।
विह्वल, बेकल अति अकुलाई।।
कहना पति का एक न माना।
बिना बुलाए ठाना जाना।।
विक्षुब्धा पार्वती अपमानित।
हैमवती अग्नि में समर्पित।।
पर्वतराज हिमालय से नाता।
सुता शैलपुत्री है माता।।
मूलाधार मन मग्न योगी।
तपःधारी हो जाए भोगी।।
आओ,सब मिल माँ के द्वारे।
मनवाँ करता जय जयकारे।।
मीनू मीना सिन्हा मीनल
राँची ,झारखंड

शैलपुत्री धरा की पहली अध्यात्मिक नारी थी
शैलपुत्री धरा की पहली,
अध्यात्मिक नारी थी।
पर्वतराज पुत्रि बन अर्धांगिनी,
दयावान, महादानी थी।
तंत्र साधना ज्ञान
तारक ब्रह्म से वह ले कर,
मूलाधार चक्र पर कुल
कुण्लिनी, जानी थी।
गण किंकर माता अजेय,
दुनिया पहचानी थी।।
कर्म यज्ञ, धर्म धारण करना।
नवरात्रा सात्विक रह करना।
निर्मल
Read More और पढ़ें:

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ