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श्रमिक दिवस पर कविता : श्रम की महिमा Shramik Divas Par Kavita

Shramik Divas Par Kavita Labour Day Poetry : Shram Ki Mahima


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श्रमिक दिवस पर कविता : श्रम की महिमा Shramik Divas Par Kavita

आप सभी को राष्ट्र निर्माण के साथ-साथ आधुनिक भारत की सच्ची तस्वीर सजाने वाले नायक मजदूर दिवस एक मई की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं ..
कविता

श्रमिक दिवस - श्रम की महिमा

सूरज की गर्मी जिसे रोक नहीं पाई,
तप्त रेत से कभी नहीं जो घबराया।
रोजी-रोटी की खातिर मेरा श्रमिक,
कड़कड़ाती धूप में काम पर आया।।

एक मई श्रमिक दिवस है उपकारी,
अभिनंदन, महिमा अजब निराली।
क्रर्म तंमयता उन्हें पहचान दिलाती,
फर्ज निभाते, नहीं करते वे मनमानी।।

सर्दी-गर्मी, वर्षा से कभी नहीं डरते,
हमें खुशी दिला, कितने दुख सहते।
आषाढ़ी बादल देख, मन में मुस्काते,
कर मेहनत खेतों में फसलें लहलाते।।

हिम्मत से नहीं घबराती है मानवता,
आधुनिकता में, ध्यान कोई न रखता।
आन-बान-शान से आगे बढ़ता जाता,
उस पर तरस किसी को नहीं आता।।

उसको छुट्टी नहीं, न मेहमान नवाजी,
हम अभिनंदन करतें, वो है विशवासी।
आस लगाता, किस घर में दाना पानी,
उसकी भी सुनना, है वह आसावादी।।

बालश्रम की निंदा से भी बचना होगा,
छोटे बच्चों को हक दिलाना ही होगा।
नहीं समझे तो परिणाम भुगतना होगा,
नई पीढ़ी का हम पर विश्वास नहीं होगा।।
रामबाबू शर्मा, राजस्थानी, दौसा(राज.)
(छंद:कुण्डलिया)

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