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अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर कविता International Labour Day poem Hindi

अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर कविता International Labour Day poem Hindi


International Labour Day poem Hindi


अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर मेरी एक रचना आप सभी की नज़र में......

 " वह उठाती गट्ठर "
था न कोई हमसफ़र
जो बँटाता हाथ आकर
कृशकाय तन सूखा हुआ
उभरी झुर्रियां पिचके गाल 
दतुला भी टूटा हुआ 
रीते पद फ़टे चीर
चक्षु एक फूटा हुआ
छितराये केश उड़ते फर-फर
वह उठाती गट्ठर, 
मैंने उसे लदवाया रेल पर।

वन वन विचरती
ढाक महुआ बरगद के 
पल्लव चुनचुन समेटती 
दींन- हीन अत्यंत मलीन
पत्र-पात्र हित कर्म प्रवीन
भूख से व्याकुल, 
थककर चूर
उठी, खड़ी कुछ झुककर 
वह उठाती गट्ठर, 
मैंने उसे लदवाया रेल पर

ढल रही थी धूप 
ठंढ़ीयों के दिन
सायं का कपकपाता रूप
तन चीरती ठंढी बयार
ठण्ड वसन रहित गँवार
प्रायः हुई संध्या प्रहर
हल्की कुहासा छा गयी
स्वगृह जाने को तत्पर 
वह उठाती गट्ठर, 
मैंने उसे लदवाया रेल पर।

सहयोग हेतु बार-बार
आग्रह दृष्टि, रही निहार
उसकी सकुचाती हुई
सांकेतिक भाषा 
मेरे उर को छुई 
मैं सुन चुका उसकी पुकार
सहर्ष सहायताग्रह स्वीकार
सहयोग देकर
गट्ठर उठाकर 
रेल पर चढ़ाकर 
था आह्लादित अपने ऊपर।

सुनकर मौन गुहार 
तीव्र हुआ विचार संवहन
किया नही उपकार
था मनुष्यता का निर्वहन
अभिवादन करती बार बार 
वह परिश्रमी नार 
थी व्यग्र, आती देख यामिनी
रेल में बैठी वह वनवासिनी
गयी घर, पकड़े हुए गट्ठर
जिसे मैं लदवाया रेल पर।

अनिल शर्मा

बेटी को ब्याह दिया, पीतल की बालियां पहनाकर कानों में !
वो शख्स जो प्रतिदिन मजदूरी करता था सोने की खानों में !!
एडवोकेट - अनिल शर्मा 
9773888000
9867699293

 मजदूर दिवस 1 मई

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