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मैं सच्चा मजदूर हूँ : मजदूर दिवस पर कविता Labour Day Poem in Hindi

Main Saccha Majdur Hun Labour Day Poem in Hindi


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मजदूर दिवस पर कविता : मैं दिल का सच्चा मजदूर हूँ

पटल के समस्त माताओं, बहनों और बंधुओं को हार्दिक नमन करते हुए मजदूर दिवस पर एक रचना का प्रयासः

मजदूर

नित्य करनेवाला मैं दिहाड़ी,
मैं दिल का सच्चा मजदूर हूँ।
सबके समक्ष नत मस्तक होता,
किंतु नहीं किसी से मजबूर हूँ।।

सब कोई मेरा अपना ही होता,
सबका करता हूँ मैं सम्मान।
सबकी सेवा भरपूर मैं करता,
फिर भी पीता क्यूँ घूँट अपमान ?

एक तो करता हूँ कठिन परिश्रम,
दूसरे होता मेरा बहुत ही शोषण।
इसके बावजूद होता संतोष नहीं,
मढ़ता मेरे ऊपर उल्टे दोषण।।

मैं मजदूर तो सबका ही होता,
किंतु कोई नहीं हो पाते हमारे।
जीवन नैया मेरी यह चलती है,
एक ऊपर वाले के ही सहारे।।

सरकार बढ़ा पाँच रुपये दिहाड़ी,
पचास रुपये बढ़ा देती महंगाई।
भूखों मरेंगे तो अपराध बढ़ेंगी,
या भीक्षाटन कर होगी भरपाई।।

काम करानेवाले ये बहुत मिलेंगे,
काम करनेवाले बहुत होते कम।
मजदूरों की कठिन परिश्रम देख,
आँखें भी हो जाती हैं बहुत नम।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश 9504503560

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