Majdoor Diwas Par Shayari : Hum Mehnatkash Insaan Hai
हम मेहनतकश इंसान हैं : मजदूर दिवस पर शायरी
मज़दूर
हम मेहनतकश इंसान हैं।
दुनियां की पहचान हैं।
खून-पसीना एक करते।
किसी काम से हम न डरते।
लोग कहते हमें मज़दूर।
फिर भी हम गरीबी में पलते।
हम मेहनतकश इंसान हैं।
दुनियां की पहचान हैं।
बड़े-बड़े पहाड़ तोड़े।
पुल से हमने किनारे जोड़े।
सड़कों का जाल बिछाया,
नदियों के धारे मोड़े।
हम मेहनतकश इंसान हैं।
दुनियां की पहचान हैं।
गगन-चुम्भी भवन बनाये।
लू के थपेड़े खाये।
शीत लहार को झेला तन पर,
ऊँचे-ऊँचे बाँध बनाये।
हम मेहनतकश इंसान हैं।
दुनियां की पहचान हैं।
नमक बनाया, पाँव गलाए।
तम्बुओं के मिलते साए।
मन सदा ही खुश रहता,
भट्टियों में तन झुलसाए।
हम मेहनतकश इंसान हैं।
दुनियां की पहचान हैं।
पीठ पर बोझा लादे।
अच्छी जिंदगी के इरादे।
काम नहीं मिलता बराबर,
झूठे नहीं इसके वादे।
हम मेहनतकश इंसान हैं।
दुनियां की पहचान हैं।
बागानों में पत्ते तोड़े।
बड़े-बड़े पत्थर फोड़े।
बांधों का किया निर्माण,
सपने इसके थोड़े-थोड़े।
हम मेहनतकश इंसान हैं।
दुनियां की पहचान हैं।
खानों के खनिज निकालते।
कारखानों में माल बनाते।
काम करना बड़ा ही दुष्कर,
आये दिन जान गंवाते।
हम मेहनतकश इंसान हैं।
दुनियां की पहचान हैं।
समंदर की लहरों पर चलते।
मेहनत से मोती निकलते।
साहस इनका बड़ा गज़ब है,
सर पर ये कफ़न पहनते।
श्याम मठपाल, उदयपुर
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