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श्रमिक प्रभु की अनुपम रचना : श्रमिक दिवस पर कविता

Shramik Divas Par Kavita Hindi | World Labour Day Poem in Hindi


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श्रमिक महान
श्रमिक प्रभु की अनुपम रचना
श्रमिक प्रभु के अद्भुत वरदान
दो हाथों दो पैरों से सज्जित
ये कृशतन जग में करें कमाल
खेती करते हैं खेतिहर
छाया देते हैं श्रमिक वर्ग
वाहन ढो रहे हैं दिनभर
बिना विश्राम स्वेद बहाते
ऊॅंची अट्टालिका निर्मित करते
खुद गह्वर में करते विश्राम
पालन पोषण जग का करते
खुद खाली पेट रह जातें हैं
जग के बोझों को स्वयं उठाये
अपने बोझ से दब जाते हैं।

टूटे हैं जो ये जग पालक
इनका मान बढ़ाना है
एक मई नहीं हर दिन दिवस
श्रमिकों का गौरवशाली बर्ष
बिन श्रमिक हमारा निर्माण न होगा
जीवन की हर राह सरल बनाने को
इनका मान इनकी शान बढ़ानी है।
( स्वरचित)
_____डॉ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार

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