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किसान पर कविता Kisan Par Kavita किसान पर शायरी Kisan Shayari

किसान दिवस पर किसानों को समर्पित कविता और शायरी Kisan Diwas

सजग रहो ये किसानों भारत के
(कविता)
(किसान दिवस पर किसानों को समर्पित)
“सभी किसान भाइयों और आप सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां।”

सजग रहो ये किसानों भारत के, मानो नहीं हार,
देर सबेर तेरी समस्याओं पर, होगा जरूर विचार।
किसी नेता के हाथों का, मत बनो तुम खिलौना,
तेरी परेशानियों की सुधि, लेगी अवश्य सरकार।
स्वार्थी नेता तुमको, स्वार्थ साधकर भूल जाएंगे,
तेरे सपने रौंदकर, कर लेंगे अपने सपने साकार।
सजग रहो ये किसानों भारत के………..

नेता तुम्हें अन्नदाता कहते हैं, चाहिए तेरे वोट,
सत्तर सालों से तुम सह रहे हो, नेताओं की चोट।
ये नेता तेरी समस्याओं को, और उलझा देते हैं,
हमेशा उनके दिल में, पलते रहते हैं बड़े खोट।
जागरूक बनो और जानो अपने सारे सारे अधिकार,
सदा मदद करने को तेरी, कानून रहते हैं तैयार।
सजग रहो ये किसानों भारत के…………..

शुरू से अंत तक तुम, सिर्फ उठाते रहते हो परेशानी,
खुशी ला सकती हर कदम पर, तेरी अपनी सावधानी।
अच्छे खाद बीज मिलेंगे और तेरे खेत को पूरापानी,
अपने सपनों से कभी, मत करने दो मनमानी।

कर्जमाफी से बेहतर है, तेरे लिए अच्छे बाज़ार,
बिचौलियों को बोलो दूर से, जोर से नमस्कार।
सजग रहो ये किसानों भारत के………….

जय जवान जय किसान के नारे से करो प्यार,
नस नस में अपनी, होने दो जोश का संचार।
पढ़ो लिखो आगे बढ़ो, बनो नागरिक समझदार,
हिम्मत से काम लो, कभी डालो मत हथियार।
तेरी ज्यादा समस्याएं खुद ही सुलझ जाएंगी,
बेचो सीधे बाज़ार में, अपनी प्रत्येक पैदावार।
सजग रहो ये किसानों भारत के……………

तुम बार बार फंस जाते हो, नेताओं की चाल में,
अपना उल्लू सीधा करते, तुम्हें फंसाकर जाल में।
जहां राजनीति है, वहां कुछ तो काला है दाल में,
सारी समस्याओं की जड़ यही है, मेरे ख्याल में।
मत होने दो खुद को कभी, राजनीति का शिकार,
पैदावार और बाज़ार से, जिंदगी में आएगी बहार।
सजग रहो ये किसानों भारत के………….
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार


किसान दिवस पर कविता | किसान दिवस पर शायरी : किसान अपना काम करता है

किसान अपना काम करता है
(कविता)
(किसान दिवस पर किसानों को समर्पित)
अपने धुन में, किसान अपना काम करता है,
काम खत्म होने पर, थोड़ा आराम करता है।
जिसको जो बोलना बोले, जो लिखना वो लिखे,
सूरज के साथ निकल पड़ता, शाम करता है।
अपने धुन में…………..
न उधो का लेना, न माधो का देना जीवन में,
छुपाना क्या, जो भी करता, सरेआम करता है।
प्रभु के दरबार में, मथा टेकता है सुबह शाम,
माटी को नमन, बड़ों को राम राम करता है।
अपने धुन में……………..
उसके दिल में सच्चाई होती, मन होता साफ,
खून पसीना एक कर, देश का नाम करता है।
ईमानदारी का ऐसा मिसाल, कोई और कहां?
वह सुबह शाम धरती को, प्रणाम करता है।
अपने धुन में………….
जो बात उसके दिल में होती, वही जुबान पर,
जीना भूखमरी का यारों, सदा हराम करता है।
हर पेट की लाचारी को, वह समझता ठीक से,
भूख से आनेवाली मौत को, नाकाम करता है।
अपने धुन में……………..
मैं भी एक किसान का आत्मज हूं, जानता सब,
किसान जिंदगी भर, वक्त से संग्राम करता है।
बेईमान मौसम कभी उसे चैन से नहीं सीने देता,
सबके लिए, रोटी दाल का इंतजाम करता है।
अपने धुन में…………..
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


23 दिसंबर, 2022 किसान दिवस पर विशेष कविता

किसान
23 दिसंबर, 2022
शुक्रवार
शीर्षक: तेरे बिन नहीं विहान

जय हो कृषि जय किसान,
तुम ही जग में नेक इंसान।
पूरा विश्व है तुम पर निर्भर,
तेरे बिन जग नहीं विहान।।
ठंढी वर्षा गर्मी परवाह नहीं,
धूप में अथक श्रम करते हो।
भोजन का जिसे ध्यान नहीं,
विश्व के लिए ही तो मरते हो।।
स्वयं करे सूखे बासी भोजन,
सबको भोजन पहुँचाते हो।
अपने की तुम चिंता छोड़कर,
विश्व को ही तुम तो अघाते हो।।
विश्व में पड़े हैं भले बुरे मानव,
हैवान बेईमान इंसान मिलेंगे।
दिन में खोजें टॉर्च जलाकर, 
कुछ उनमें भी महान मिलेंगे।।
अनपढ़ होकर ज्ञानी तुम हो,
तुमसे अधिक कहाँ ज्ञान मिलेंगे।
तुम तो स्वयं जग पालनहारा,
तुम सम एक भगवान मिलेंगे।।
रोग चिकित्सा करे चिकित्सक,
अस्वस्थ को स्वस्थ बनाता है।
किसान जग को भोजन देकर,
जीवन सुख सहर्ष खिलाता है।।
एक भगवान तो होते अदृश्य,
दूजे भगवान तुम साक्षात हो।
दुनिया दे जाय तुम्हें ही धोखा,
किन्तु तुम नहीं करते घात हो।।
अथक परिश्रम करके खेत में,
सबका भरते हो खुशी से पेट।
सज्जन दुर्जन का करते भला,
स्वयं आराम से न करते भेंट।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।



किसान पर शायरी Farmer Shayari in Hindi | Farmer Poem in Hindi

किसान Kisan
हाथ में लाठी कान्ह पर गमछा,
सिर पर शोभेला उनका पगड़ी।
माथ पर लेके खाद आ बिया,
खेत बोवावे जाके उहो सगरी।।
गईल दूर हर बैल के जमाना,
ट्रैक्टर बा भईल आज दीवाना।
एक बुलावे त चउदह आ धावे,
ड्राइवर बजावे मस्ती में गाना।।
खाए पिए ना उनका होश रहे,
भोरहीं जालन छोड़के नगरी।
माथ पर लेके खाद आ बिया,
खेत बोवावे जाके उहो सगरी।।
फाटल मईल कुचईल कुर्ता धोती,
दिनभर माटिए में बा लसराएके।
जोताई बोवाई निराई सफाई,
कटाई दउनी करे होला जाएके।।
खेत से लाके घर में अईसे भरस,
जईसे समुद्र से भरीं आपन गगरी।
माथ पर लेके खाद आ बिया,
खेत बोवावे जाके आपन सगरी।।
चाहे बड़ खेतिहर होखस केहू,
चाहे होखस कोई मजदूर किसान।
किसान कहावे जगत के पिता,
किसान जियावे सबके दे पिसान।।
जीवन देवे में जगत में जीव के,
किसान रहेलन हमेशा अगरी।
माथ पर लेके खाद आ बिया,
खेत बोवावे जाके आपन सगरी।।
मत करे कोई किसान के अपमान,
किसान हवे विचार के स्वछंद।
सर्दी गर्मी बरखो में करेला काम,
गरीबियो में उठावे सुख के आनंद।।
अपने दुःख चाहे जतना उ झेलस,
अकालो में ना काटेलन उ कगरी।
माथ पर लेके खाद आ बिया,
खेत बोवावे जाके उहो सगरी।।
दुपहर में सतुआ साँझके भूँजा,
चाहीं उनका दूनो रोज भरपूर।
विचार के होखेलन सीधा सादा,
किसान ना होखस कबहूँ मगरूर।।
किसान के होखे असली पहचान,
दुवार पर गाय भईंस आ छगरी।
माथ पर लेके खाद आ बिया,
खेत बोवावे जाके आपन सगरी।।
किसान त हवें निश्छल भाव के,
प्रेम प्यार के रहेलन उ भूखल।
मेहनत करे जाड़ बरखा घाम में,
भोजन मिले उनका सादा सूखल।।
केहू कहो चाहे कतनो आउर कुछो,
किसान चलेलन खेती के डगरी।
माथ पर लेके खाद आ बिया,
खेत बोवावे जाके आपन सगरी।।
हाथ में लाठी कान्ह पर गमछा,
सिर पर शोभेला उनका पगड़ी।
माथ पर लेके खाद आ बिया,
खेत बोवावे जाके उहो सगरी।।
अरुण दिव्यांश 9504503560
किसान पर कविता Kisan Par Kavita किसान पर शायरी Kisan Shayari

किसान पर कविता | भारत माता का लाल भोले किसान Kisan Par Kavita

भोले किसान
हैं किसान भोले अधिक, राजनीति से दूर। 
बदनामी क्यों कर रहा, यह शासन भरपूर।।

जनता को वो बांटते, बोरी गेहूं धान।
यह निःशुल्क सेवा चली, कृषक देश की शान।।

फल- फूलों पर है सदा, जनता का अधिकार।
कभी न देखा आजतक, सब्जी,फल व्यापार।।

गुड़ गन्ना लो मुफ्त में, बन करके मेहमान।
घर घर वो पहुंचा रहे, ये हैं असल किसान।।

कभी न दाना बेचते, मुफ्त बांटते आम।
नाम अन्नदाता बना, फिर भी हैं बदनाम।।

लालकिले पर आज तक, पहुंचे नहीं किसान।
वो थे डाकू चोर या, गुंडे या शैतान।।

गाय बीज ट्रेक्टर बिना, चल सकता क्या काम।
अड़ियल टट्टू मत बनो, बहुत हुए बदनाम।।
डा.सत्येन्द्र शर्मा
पालमपुर, हिमाचल



किसान दिवस पर कविता | किसान दिवस पर शायरी : एक किसान के हृदय का मर्म

किसान दिवस पर कविता | किसान दिवस पर शायरी : एक किसान के हृदय का मर्म

एक किसान के हृदय का मर्म
दिन— रात वे खेतों पर, कितना काम करते,
उनकी मेहनत को हम क्यों नहीं देखते?

खुद भूखा रहकर दूसरों के लिए अन्न उगाते,
क्या! हम उनको सही मूल्य दे पाते ।

उनसे सस्ते भाव में सौदा करते,
बाजारों में मनमानी भाव बेचते।

लेना है तो लो! नहीं तो जाओ,
समझेगा कौन उनके हृदय का मर्म ?
बच्चे भी ! उनके पढ़ना चाहते,
नामी स्कूलों की फीस है कितनी महंगी,
जितनी चादर हो, उतने ही पैर फैलाओ,
यह सोच दिन—रात खेतों पर काम करते।

खरीफ की फसल अभी कुछ राहत देगी,
लग जाते रबी की बुवाई में,
आंखों में चमक लिए
बारहों महीना करते हैं कितना काम,
हम और आप क्यों उनसे मोलभाव करते?

किसानों का दर्द एक किसान ही जाने,
खेती में कितना लागत लगता है,
उनका मुनाफा कौन सोचे!
ताउम्र जोड़ते —घटाते
बीत जाती जिंदगी!
यह कहकर _‘आराम हराम है ’
लग जाते खेतों पर।
दिन-रात खेतों पर वे कितना काम करते
उनकी मेहनत को हम क्यों नहीं देखते?
आप सभी को किसान दिवस की हार्दिक बधाई।

(मौलिक )

चेतना चितेरी , प्रयागराज
23/12/2021,5:06p.m.

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