पर्यावरण पर स्लोगन | प्रकृति पर स्लोगन | पर्यावरण पर छोटी कविता
जिस धरती ने पाला तुझको,
उससे ही तू खेल रहा,
अपनी खुशी के खातीर,
तू उसमे गंदगी फेंक रहा...
उससे ही तू खेल रहा,
अपनी खुशी के खातीर,
तू उसमे गंदगी फेंक रहा...
पर्यावरण प्रदूषण पर स्लोगन | पर्यावरण पर शायरी
नदियों और झरनों के पानी,
जो पिने को तुझको मिला,
जिनकी पावन लहरों से,
मौसम था ये खिला खिला,
तू आगे बढ़ने के चक्कर मे,
उसमे भी कचरा फेंक रहा,
जिस प्रकृति ने पाला तुझको, उससे ही तू खेल रहा....
जो पिने को तुझको मिला,
जिनकी पावन लहरों से,
मौसम था ये खिला खिला,
तू आगे बढ़ने के चक्कर मे,
उसमे भी कचरा फेंक रहा,
जिस प्रकृति ने पाला तुझको, उससे ही तू खेल रहा....
पर्यावरण संरक्षण पर पोस्टर | पर्यावरण जागरूकता पर पोस्टर
पेड़ों के महत्व पर स्लोगन | पेड़ों के महत्व पर कविता
हरे-भरे इन पेड़-पौधौ पर,
जहाँ चिड़ियाँ कभी चहकती थी,
तू चन्द पैसो की खातीर,
उन पेड़ों को भी बेंच दिया,
जिस प्रकृति ने पाला तुझको, उससे ही तू खेल रहा....
जिन फूलों की खूशबू से,
ये हवाये कभी महकती थी,
आज विरान सा लगता है,
जहाँ तितलियाँ कभी बिखरती थी,
तेरी हर नादानी को,
ना जाने क्यु वो झेल रहा
जिस धरती ने पाला तुझको, उससे ही तू खेल रहा....
वो खुद को बचाने आयी है,
बहाना लेकर बिमारी का,
अभी भी सूधर जा तू
देखकर ये तबाही का,
सारी गलती वो माफ़ करेगा,
जो उपर बैठकर देख रहा
जिस प्रकृति ने पाला तुझको, उससे ही तू खेल रहा...
सुलेखा सुमन
नवगछिया, भगलपुर
बिहार
जहाँ चिड़ियाँ कभी चहकती थी,
तू चन्द पैसो की खातीर,
उन पेड़ों को भी बेंच दिया,
जिस प्रकृति ने पाला तुझको, उससे ही तू खेल रहा....
जिन फूलों की खूशबू से,
ये हवाये कभी महकती थी,
आज विरान सा लगता है,
जहाँ तितलियाँ कभी बिखरती थी,
तेरी हर नादानी को,
ना जाने क्यु वो झेल रहा
जिस धरती ने पाला तुझको, उससे ही तू खेल रहा....
वो खुद को बचाने आयी है,
बहाना लेकर बिमारी का,
अभी भी सूधर जा तू
देखकर ये तबाही का,
सारी गलती वो माफ़ करेगा,
जो उपर बैठकर देख रहा
जिस प्रकृति ने पाला तुझको, उससे ही तू खेल रहा...
सुलेखा सुमन
नवगछिया, भगलपुर
बिहार
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