पर्यावरण के प्रति जागरूकता | पर्यावरण दिवस पर कविता
दिनांक : 21 जुलाई, 2023
दिवा : शुक्रवार
जो पहनाता वायु को,
स्वच्छता का आवरण।
वही तो है कहलाता,
स्वस्थता का पर्यावरण।।
जब से समाहित वायु में,
खड़ा हुआ है खरदूषण।
कटते नित्य सहस्र वृक्ष,
जिससे फैला है प्रदूषण।।
फैला स्वार्थपरता का रोग,
कर्मों में होती भारी चूक।
जहां बने हैं भट्ठे चिमनी,
वहां के वृक्ष रहे हैं सूख।।
वृक्ष लगाना ही नहीं हल,
पर्वत काटना ये बंद करो।
करे प्रकृति अपना काम,
प्रकृति को स्वछंद करो।।
मत छेंडो नदियों को भी,
मत छेड़ तू आसमान को।
मत छेड़ ज्योर्तिमय जग,
मत छेड़ देदीप्यमान को।।
अधिक छेड़ना प्रकृति को,
जहां से चले वहीं पहुंचना।
बमुश्किल ज्योति में आए,
लगता फिर वहीं पहुंचना।।
तम से ही ज्योति में आए,
ज्योति से तम में जाएंगे।
प्रकृति हो अधिक क्रोधित,
फिर हम क्या कर पाएंगे।।
वृक्षारोपण नित्य हो सहस्र,
वृक्ष कर्तन हो नित्य लाख।
वृक्ष कर्तन जब बंद करो,
पर्यावरण जमाए पुनः साख।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
जल जीवन हरियाली कविता - Jal Jivan Hariyali Kavita
जल जीवन हरियाली
जीवन हो स्वस्थ सुरक्षित,
जन जन का है इससे वास्ता।
जीवन हेतु चुनें यही हम,
जल जीवन हरियाली का रास्ता।।
जीवों को जीवन जीने हेतु,
तीनों हैं बहुत ही उपयुक्त।
जिस दिन होगा पूरा सपना,
पर्यावरण होगा रोगों से मुक्त।।
हँस रहा प्रदूषण लगाकर ताली,
वृक्ष जल से धरा हो रही खाली।
जा रहा जल जा रही हरियाली,
जीवों में तंगी होगी बदहाली।।
समय का है अब यही पुकार,
जल जीवन हरियाली हो स्वीकार।
जीवन हेतु एक यही रास्ता,
जीवन हेतु एक यही है आधार।।
जल बचाओ और वृक्ष लगाओ,
प्रदूषण को अब दूर भगाओ।
परोपकार के सहभागी बन जाओ,
जल जीवन हरियाली अपनाओ।।
दोनों का जीवन हमारा जीवन,
वृक्षों को सींच उसे आगे बढ़ाओ।
जल जीवन हरियाली अपनाकर,
हर जीवों की आयु बचाओ।।
यह रचना स्वरचित
एवं मौलिक रचना है।
अरुण दिव्यांश
छपरा, सारण
बिहार।
पर्यावरण पर स्लोगन इन हिंदी | Paryavaran Par Kavita
पर्यावरण पर कविता हिंदी में-Hindi Poem On Prakriti Nature
हम हैं पर्यावरण प्रेमी (गीत)
हम हैं पर्यावरण प्रेमी, भाती है हरियाली,
प्रकृति प्रसन्न हो तो, आती है खुशाली।
जंगल को न काटें, और नए पेड़ जलाएं,
हर दिन होली होगी, रात होगी दिवाली।
हम हैं पर्यावरण प्रेमी…
प्रकृति प्रसन्न हो तो, आती है खुशाली।
जंगल को न काटें, और नए पेड़ जलाएं,
हर दिन होली होगी, रात होगी दिवाली।
हम हैं पर्यावरण प्रेमी…
Poem On Trees In Hindi | Prakriti Par Kavita
पर्यावरण दिवस पर कविता
कूड़ा कचरा का, सही निपटान करें रोज,साफ सफाई करेगी, सेहत की रखवाली।
कर प्रकृति का नुकसान, दुःखी हैं इंसान,
फूल गायब, कांटों से लदी है डाली डाली।
हम हैं पर्यावरण प्रेमी…
वनों की कटाई से, जानवर होते हैं बेघर,
बाग उजड़ जाते हैं, आंसू बहाते हैं माली।
पंच तत्वों का संतुलन, बिगड़ जाए अगर,
हमारे चेहरे पे कैसे आ सकती है लाली?
हम हैं पर्यावरण प्रेमी…
हर सामान हेतु स्थान, स्थान पर समान,
गृह सज्जा की प्रणाली, है बड़ी निराली।
पर्यावरण प्रिय मित्र है, संरक्षण है जरूरी,
प्रकृति का दोहन तो, दुनिया होगी खाली।
हम हैं पर्यावरण प्रेमी…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र) जयनगर, मधुबनी (बिहार)
आओ पेड़ लगाएं हम पर्यावरण संरक्षण वृक्षारोपण पर कविता
(वृक्षारोपण गीत)आओ पेड़ लगाएं हम, घूंट रहा है दम,
मौसम भी अब तो लगता नहीं गरम।
रिमझिम रिमझिम, हो रही है बारिश,
पत्थर सी मिट्टी हो गई बहुत नरम।
आओ पेड़ लगाएं हम…
हरियाली हंसेगी और प्राणवायु मिलेगी,
इंसानों के भाग जाएंगे जीवन से गम।
पर्यावरण हमारा, सबसे प्यारा मित्र है,
सब मिलकर हम निभाएं अपना धरम।
आओ पेड़ लगाएं हम…
शीतल योग्य मौसम है बागबानी हेतु,
हमलोग सारे करें अपने अपने करम।
इस समय जल की भी कमी नहीं है,
ऊपर से बारिश हो रही है झमाझम।
आओ पेड़ लगाएं हम…
अपना देश है, और अपनी धरती है,
देश सेवा में हमें कोई नहीं है शर्म।
पेड़ों के ऊपर जब फल फूल लगेंगे,
धरती माता तब चमकेगी चमाचम।
आओ पेड़ लगाएं हम…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार
पर्यावरण प्रदूषण पर शायरी | प्रदूषण पर कविता
प्रदूषण से अपनी धरती को बचाएं।
हम सब एक एक पेड़ रोज लगाएं।।
पेड़ लगे तो यह धरा खुश हो जाएं।
अम्बर से वर्षा जल ले कर आएं।।
सूखी धरती को हरा - भरा हम बनाएं।
प्रदुषण से धराधाम को मुक्ति दिलाएं।।
रो रही है आज धरती चुप इसे कराएं।
हरियाली से सबका मन हम हर्षाएं।।
दुषित पदार्थों से प्रकृति को अब और नहीं तपाएं।
वायु, जल, मृदा आदि घटकों पर ध्यान टिकाएं।।
जागरुकता फैला पेड़ पौधों को बचाएं।
चिपको आंदोलन एक बार फिर चलाएं।।
हरित-क्रांति ला कर आओ हरितिमा फैलाएं।।।
पुष्पा निर्मल, बेतिया (बिहार)
हम सब एक एक पेड़ रोज लगाएं।।
पेड़ लगे तो यह धरा खुश हो जाएं।
अम्बर से वर्षा जल ले कर आएं।।
सूखी धरती को हरा - भरा हम बनाएं।
प्रदुषण से धराधाम को मुक्ति दिलाएं।।
रो रही है आज धरती चुप इसे कराएं।
हरियाली से सबका मन हम हर्षाएं।।
दुषित पदार्थों से प्रकृति को अब और नहीं तपाएं।
वायु, जल, मृदा आदि घटकों पर ध्यान टिकाएं।।
जागरुकता फैला पेड़ पौधों को बचाएं।
चिपको आंदोलन एक बार फिर चलाएं।।
हरित-क्रांति ला कर आओ हरितिमा फैलाएं।।।
पुष्पा निर्मल, बेतिया (बिहार)
विश्व पर्यावरण दिवस कविता Poem On Environment Day
कविता
शीर्षक: बरबाद धोसला
कहां है जगह कि कोई घर बनाए।
कोरोना ने है पंख फिर से फैलाए।।
महामारी आई यह- भारी है।
घबड़ाई यह दुनिया सारी है।।
नहीं और कहीं अब आना जाना है।
उजड़ा गाँव शहर- राही अनजाना है।।
त्राहि त्राहि चहुंओर मची है।
कई लाशें इकट्ठी कर जली हैं।।
नहीं छोड़ी पहले तो बड़े-बुढ़ों को,
युवा वर्ग की बारी इस बार आई है।
जाने कौन सा पल मौत की आगोश में सुलाता है।।
हर घड़ी डर सा मन में बना रहता है।
बिन बोले दानव कोरोना आ जाता है।।
लगी रहती थी चिंता बच्चों की
जो पढ़ कर घर सुरक्षित लौट आते हैं।
अब लगा कर्फ्यू लौक डाउन- साथ कटती रातें हैं।।
घोंसला तो उजड़ रहा है,
देखना दुनिया ना उजड़ जाये।
भूखमरी की नौबत आई, राशन-पानी कैसे? मिल पाते।।
लाचारी और बिमारी ने
हम सब को मारा है यारों।
ऊपर से इलेक्शन ले आये,
वोट मांगने वालों को तो मारो।।
घोंसले हमारे उजड़े तो
बता हम आखिर कहां? जाएं।
चिड़ियां भली- उसके घोंसले पर न नजर गढ़ाएं।।
पुष्पा निर्मल
बेतिया, पश्चिम चंपारण, बिहार
पर्यावरण पर स्लोगन इन हिंदी - पर्यावरण प्रदूषण पर स्लोगन
विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।इस अवसर पर मेरी एक स्वरचित कविता आप सभी को समर्पित
सब मिल चलो पेड़ लगाये
सब मिल चलो पेड़ लगायें
भारत भूमि को स्वर्ग बनायें
वसुधा पर हरियाली फैलाकर
वायु को हम स्वच्छ बनायें।
वसंती हवा के शीतल झोंके
चारों दिशाओं में कोयल कूँके
खग कलरव सुन मंद-मंद मुस्काये
सब मिल चलो पेड़ लगायें।
आम, लीची, अमरूद, केला
पेड़ों का अब लगेगा मेला
जामुन, पीपल, बरगद, नीम
सभी स्वस्थ्य रहेंगे बिन वैद्य-हकीम।
नभ में छाई घटा घनघोर
वन में छम-छम नाचे मोर
अम्बर धरती की प्यास बुझाये
सब मिल चलो पेड़ लगायें।
पेड़ों से है जीवन हमारी
घर-आंगन में खुशियाँ सारी
वृक्षों के साथ त्यौहार मनाये
सब मिल चलो पेड़ लगायें।
पेड़ न कोई कट पाये
जंगल अब न घट पाये
धरती का हम कर्ज चुकाये
सब मिल चलो पेड़ लगायें।
वसुंधरा पर जब पेड़ लगेगी
रिमझिम-रिमझिम बारिश होगी
हरियाली से प्रदूषण दूर भगाये
सब मिल चलो पेड़ लगायें।
रचनाकार-
नरेश कुमार निराला
शिक्षक सह कवि
छातापुर, सुपौल, बिहार
सब मिल चलो पेड़ लगाये
सब मिल चलो पेड़ लगायें
भारत भूमि को स्वर्ग बनायें
वसुधा पर हरियाली फैलाकर
वायु को हम स्वच्छ बनायें।
वसंती हवा के शीतल झोंके
चारों दिशाओं में कोयल कूँके
खग कलरव सुन मंद-मंद मुस्काये
सब मिल चलो पेड़ लगायें।
आम, लीची, अमरूद, केला
पेड़ों का अब लगेगा मेला
जामुन, पीपल, बरगद, नीम
सभी स्वस्थ्य रहेंगे बिन वैद्य-हकीम।
नभ में छाई घटा घनघोर
वन में छम-छम नाचे मोर
अम्बर धरती की प्यास बुझाये
सब मिल चलो पेड़ लगायें।
पेड़ों से है जीवन हमारी
घर-आंगन में खुशियाँ सारी
वृक्षों के साथ त्यौहार मनाये
सब मिल चलो पेड़ लगायें।
पेड़ न कोई कट पाये
जंगल अब न घट पाये
धरती का हम कर्ज चुकाये
सब मिल चलो पेड़ लगायें।
वसुंधरा पर जब पेड़ लगेगी
रिमझिम-रिमझिम बारिश होगी
हरियाली से प्रदूषण दूर भगाये
सब मिल चलो पेड़ लगायें।
रचनाकार-
नरेश कुमार निराला
शिक्षक सह कवि
छातापुर, सुपौल, बिहार
घर आँगन में हो हरियाली - पर्यावरण संरक्षण पर कविता
घर आँगन में हो हरियाली
सड़क तीर भी हो हरियाली,
हरियाली हर छोर बसै जब,
दुनिया में होगी खुशहाली।।
एक सुखे तो तीन उगाएँ,
पेड़ पौधे खुब लगाए,
पक्षियों का कलरव गूँजे,
दुनिया में होगी खुशहाली।।
फल-फूलों से लदी धरा हो,
लगती हरी भरी अप्सरा हो,
शीतलता जब हर घर में हो,
दुनिया में होगी खुशहाली।।
दिवस मनाकर है भूल जाते,
हरे भरे सब पेड सुख जाते,
काटकर जंगल शहर बसाते,
तब कैसे होगी खुशहाली।।
घर घिरा हो गर पेड़ो से,
आँगन भी हो हरा-भरा,
छत उपवन सी खिली-खिली हो
तब दुनिया में होगी खुशहाली।।
विनोद कुमार जैन वाग्वर
पौध लगाओ, वृक्ष बनाओ पर्यावरण दिवस पर चौपाई
चौपाई
शीर्षक:-पौध लगाओ
पौध लगाओ, वृक्ष बनाओ
हरियाली की, कसम निभाओ।।
वसुंधरा तन रहे सलोना।
बिगाड़े नहीं समझ खिलौना।।
वृक्ष हमें सदैव ही देते।
बदले में कभी कुछ न लेते।।
प्यारे सखा को है बचाना।
बेशुमार प्रेम है लुटाना।।
इससे ही जीवन बदलेगी।
तकदीर अनुपम भी बनेगी।।
हरी चादरें रहें बिछाते।
सुमन खुशी के रहें खिलाते।।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार
स्वरचित एवं अप्रकाशित
पर्यावरण बचाओ भाई- बहना - पर्यावरण पर नारे Slogan On Environment
शीर्षक -पर्यावरण बचाओ
पर्यावरण बचाओ भाई- बहना
नहीं तो मुश्किल होगा जीना
आज कोरोना की लहर से
कल ऑक्सीजन की कमी में
और मुश्किल होगा जीना।।
बचा लो आज प्रकृति को
कल भविष्य पड़ेगा भारी
बिछुड़ रहे धरती मां के बेटे
सुना पड़ रहा धरोहर हमारी
और भी मुश्किल होगा जीना।
जल ही जीवन है अगर तो
हवा हमारी दिल की धड़कन
चलो फिर एक पेड़ लगाएं
धरती धरा को स्वर्ग बनाए
नहीं तो मुश्किल होगा जीना।
कवयित्री-अनुपम सिंह
मेहंदीपुर, खगड़िया,( बिहार)
संगीतकार, गीतकार,कलाकार
सोंचो अगर न होते पेड़ - पेड़ बचाओ अभियान पर नारे, पर्यावरण पर स्लोगन
सोंचो अगर न होते पेड़!
हवा न मिलती, जल ना होता,
सुंदर ये स्थल ना होता।
त्राहिमाम सा मच जाता फिर,
हो जाता अंधेर।
सोंचो अगर न होते पेड़-2
धरती का श्रृंगार पेड़ है,
हरियाली और प्यार पेड़ है।
बिन इसके सब सूना-सूना,
ये हैं असल कुबेर।
सोंचो अगर न होते पेड़-2
अगणित एहसां हम पर इनके,
ईश्वर का वरदान हों जैसे।
साथ न मिलता इनके तो फिर,
बाधा लेती घेर।
सोंचो अगर न होते पेड़-2
सुख के सारे खान हैं इनसे,
हर जीवों की जान हैं इनसे।
अब भी संभलो,पेड़ लगाओ,
वरना होगी देर।
सोंचो अगर न होते पेड़-2
पर्यावरण बचायेंगे हम,
अब ये वचन निभायेंगे हम।
यह संकल्प सभी का होगा,
वरना होंगे ढ़ेर।
सोंचो अगर न होते पेड़-2
प्रीतम कुमार झा
महुआ, वैशाली, बिहार।
जय विश्व पर्यावरण दिवस
पर्यावरण प्रदूषण और प्रकृति पर दोहे और कविताएं
कुछ दोहे।
1
झुलसी सारी ये धरा, सूखे सारे फूल।
माली देखो रो रहा, हृदय चूभें हैं शूल।।
2
मार प्रदूषण की सहे, धरती हो बेहाल।
खग,मानव,सब मर रहें, सूखीं नदियाँ ताल।।
3
क्रंदन कर धरती कहे,सुन लो मेरी पीर।
वशीभूत हो स्वार्थ के, करो ना मैला चीर।।
4
हरियाली खोती गई,बंजर सारे खेत।
ऐसा दिन भी आएगा, फाँकोगे सब रेत।।
5
रो-रो कर धरती कहे, चेतो अब इंसान।
आँचल मेरा काटकर, क्यों बनते हैवान।।
6
धानी -धानी यह धरा, जीवन का आधार।
आँचल में सब जीव पले, करती सबसे प्यार।।
Jal Jivan Hariyali Poem On Environment
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