पर्यावरण दिवस पर कविता हिंदी में Environment Day Hindi
विषय-पर्यावरण
शीर्षक-"हम पर्यावरण बचा रहें हैं"
काट कर जंगल उपवन को,
कंक्रीटों का जंगल बना रहे हैं।
हमसब पर्यावरण बचा रहें हैं।
हरे भरे बाग बगीचे अब कहाँ,
मिट्टी के घरों की ठंडक अब कहाँ;
गाँव भी अब शहर बन रहें हैं।
हमसब पर्यावरण बचा रहें हैं।
हर तरफ धुआँ उगलती चिमनियाँ,
आम महुए की अब महक कहाँ;
नीम पीपल जामुन सब काट रहें हैं।
हमसब पर्यावरण बचा रहें हैं।
हर चौक चौराहे पर होता था कुँआ,
पास के वृक्षों को मिलता था पानी;
कुँए को पाट खेत बना रहें हैं।
हमसब पर्यावरण बचा रहें हैं।
नदियाँ सभी नाले बन रहीं हैं,
कचरों का गोदाम बन रहीं हैं;
समतल सब पोखर तलाब कर रहें हैं।
हमसब पर्यावरण बचा रहें हैं।
लगाते नहीं दस बीस पेड़ हम,
हर तरफ गंदगी फैला रहें हैं।
"दीनेश" हम पर्यावरण बचा रहे हैं।
दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश" कलकत्ता
रचना मेरी अपनी मौलिक रचना है।
शीर्षक-"हम पर्यावरण बचा रहें हैं"
काट कर जंगल उपवन को,
कंक्रीटों का जंगल बना रहे हैं।
हमसब पर्यावरण बचा रहें हैं।
हरे भरे बाग बगीचे अब कहाँ,
मिट्टी के घरों की ठंडक अब कहाँ;
गाँव भी अब शहर बन रहें हैं।
हमसब पर्यावरण बचा रहें हैं।
हर तरफ धुआँ उगलती चिमनियाँ,
आम महुए की अब महक कहाँ;
नीम पीपल जामुन सब काट रहें हैं।
हमसब पर्यावरण बचा रहें हैं।
हर चौक चौराहे पर होता था कुँआ,
पास के वृक्षों को मिलता था पानी;
कुँए को पाट खेत बना रहें हैं।
हमसब पर्यावरण बचा रहें हैं।
नदियाँ सभी नाले बन रहीं हैं,
कचरों का गोदाम बन रहीं हैं;
समतल सब पोखर तलाब कर रहें हैं।
हमसब पर्यावरण बचा रहें हैं।
लगाते नहीं दस बीस पेड़ हम,
हर तरफ गंदगी फैला रहें हैं।
"दीनेश" हम पर्यावरण बचा रहे हैं।
दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश" कलकत्ता
रचना मेरी अपनी मौलिक रचना है।
पर्यावरण पर शायरी | पर्यावरण संरक्षण पर शायरी
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विश्व पर्यावरण दिवस पर "जवाब चाहिए" - पर्यावरण पर कविता - Poem On Environment Day
दिनाँक-५-६-२०२१
विश्व पर्यावरण दिवस पर
"जवाब चाहिए"
बैशाख का महीना था
मेरे गाँव में कुछ मजदूर
शीशम के बड़े-बड़े पेड़ों
को काट रहे थे
काटते-काटते जब थक जाते
उसी पेड़ या बगल के पेड़ के
छाया में बैठ जाते थे
फिर थोड़ी देर आराम
करने के बाद काटना शुरू
मैं सोचने को बाध्य हो गया कि
मनुष्य कितना स्वार्थी हो गया
जो उनको छाया दे रहा है
उसी को वो काट रहा है
जिस तरह से माँ-बाप
बच्चे को पालते हैं
उसी तरह से पेड़ भी
तो हमें पालते हैं
क्या दोष है उनका
यही न कि वो हमें
छाया देते हैं फल देते हैं
मरने के बाद अपनी
अस्थि तक दे देते हैं
आखिर क्यों हम ऐसा करते हैं
माँ-बाप और उन पेड़ो के साथ
इस पर्यावरण दिवस पर
मेरा सवाल है आप सब के लिए
जवाब अवश्य दीजिएगा
दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश" कलकत्ता
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