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स्वस्थ तन स्वस्थ मन पर नारा | विश्व स्वास्थ्य दिवस पर कविता

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर शायरी | स्वस्थ तन स्वस्थ मन पर स्लोगन

स्वस्थ तन स्वस्थ मन पर स्लोगन World Health Day

स्वास्थ्य लाभ की कामना शायरी | विश्व स्वास्थ्य दिवस पर कविता

विश्व स्वास्थ्य दिवस कब मनाया जाता है?

Wednesday, 7 April
World Health Day 2022

स्वस्थ भारत समृद्ध भारत

(विश्व स्वास्थ्य दिवस विशेष)
स्वस्थ भारत, समृद्ध भारत, इस पर हर भारतवासी दे ध्यान,
तभी हो सकती है दुनिया में, भारत की सबसे अलग पहचान।
विश्व स्वास्थ्य दिवस का संदेश है, सारे जग के लिए अनोखा,
अच्छे स्वास्थ्य से ही आती, किसी इंसान के चेहरे पर मुस्कान।
स्वस्थ भारत समृद्ध भारत………..
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा का बास होता है इस सृष्टि में,
बीमार व्यक्ति के लिए, बहारों का मौसम भी हो जाता बेईमान।
इसके लिए अपनानी होगी, एक साफ सुंदर जीवन शैली हमको,
यही तो कहता है विश्व स्वास्थ्य संगठन और चिकित्सा विज्ञान।
स्वस्थ भारत समृद्ध भारत…………
स्वस्थ भारत समृद्ध भारत, भारतवासियों की आंखों का है सपना,
अगर हम स्वस्थ रहेंगे तो, पूरे होंगे हमारे दिल के सारे अरमान।
इसमें स्वच्छ पर्यावरण की भी, बहुत ही अहम भूमिका होगी,
यह कार्य न बहुत कठिन है, और न होगा इतना भी आसान।
स्वस्थ भारत समृद्ध भारत………..
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार

स्वास्थ्य ही धन है

विश्व स्वास्थ्य दिवस विशेष

स्वास्थ्य ही धन है, स्वस्थ व्यक्ति बड़ा धनवान,
हर किसी को करना चाहिए, इस सोच का सम्मान।
स्वास्थ्य खराब होने पर, जीवन नरक सा लगता है,
इंसान रहता है बीमारियों से, चौबीस घंटे परेशान।
स्वास्थ्य ही धन है……
स्वास्थ्य से समझौता, अपने जीवन से समझौता,
तन मन से मिट जाते हैं, खुशियों के सारे ही निशान।
अस्वस्थ इंसान को, जीवन बड़ा अभिशाप लगता है,
बसंत बहार का गुलाबी मौसम भी, लगता बेईमान।
स्वास्थ्य ही धन है……
कोरोना महामारी ने चिंता और बढ़ा दी है इंसान की,
आज सारी दुनिया दे रही है, स्वास्थ्य के ऊपर ध्यान।
इसमें सबसे आगे दिख रहा है, अपना ही हिंदुस्तान,
गांव गांव, शहर शहर चल रहा टीकाकरण अभियान।
स्वास्थ्य ही धन है……
विश्व स्वास्थ्य दिवस पर, शुभकामनाएं हैं मेरी ओर से,
सभी स्वस्थ रहें, मस्त रहें, ऊपरवाला रहे मेहरबान।
कोरोना को कोई हल्के में न लें, फिर से फैल रहा है,
सुबह शाम, दिन रात, चौबीस घंटे रहें आप सावधान।
स्वास्थ्य ही धन है…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस

स्वस्थ मन
स्वस्थ मन, स्वस्थ तन, स्वस्थ जीवन,
स्वास्थ्य है इंसान हेतु, सबसे बड़ा धन।
सबसे बड़ा धनी, स्वस्थ मानव होता है,
बीमार राजा भी होता है, जग में निर्धन।
स्वस्थ मन, स्वस्थ तन…
अस्वस्थ मन में जैसे, कांटे उगा करते,
स्वस्थ मन में, खिला करते हैं सुमन।
बीमार मन को नहीं भाती ईश भक्ति,
अनियमित हो जाती दिल की धड़कन।

स्वस्थ शरीर स्वस्थ विचार | सेहत पर कविता

स्वस्थ मन, स्वस्थ तन…
स्वास्थ्य की कीमत क्या होती जग में,
हर काबिल लोग करे, इस पर चिंतन।
स्वस्थ मन, हर चीज़ से लड़ सकता है,
उसके मन में होती नहीं कोई उलझन।
स्वस्थ मन, स्वस्थ तन…
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर कविता | World Health Day Poetry

मजबूत मन
मजबूत मन, विचलित नहीं होता है कभी,
तन का साथ निभाता है, कदम कदम पर।
कुछ भी निर्णय ले सकता है मुसीबतों में,
मौसम बदल देता है, अकेले अपने दम पर।
मजबूत मन…
डरता नहीं, लड़ता है आखिरी सांस तक,
मजबूत मन से हारकर भाग जाता गम।
इंसान को कभी पीछे नहीं हटने देता है जब मजबूत मन खा लेता कोई कसम।
मजबूत मन…
हम सब अपने मन को मजबूत बनाएं,
प्रगति पथ अपनाएं, नए गुल खिलाएं।
उमंग, तरंग और रंग भरें जीवन में,
मजबूत मन, जोश बढ़ाता है हरदम।
मजबूत मन…
मन की मजबूती पर भविष्य टिका है,
घबराकर कभी हम, आंखें न करें नम।
जितना मजबूत होगा यह मन हमारा,
आगे उतने कामयाब हो सकते हैं हम।
मजबूत मन…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार

चंचल मन पर शायरी | मन पर कविता | चंचल मन गीत

चंचल मन (गीत)
मन रे, तू बड़ा है चंचल,
क्यों बदलता है पल पल?
मन रे, तू बड़ा है चंचल,
क्यों मचलता है हर पल?
मन रे ……
जब तू हो जाते हो गर्म,
तब भूल जाते हम कर्म,
जो भी होता है, होने दे,
सदा रहा कर तू शीतल।
मन रे……
जब तू हो जाता है अशांत,
इंसान खोजता तब एकांत।
मन, तेरे ही उछल कूद से,
मच जाता है देख हलचल।
मन रे ……
तुझे तो चाहिए ही बहाना,
तेरा यह लक्षण है पुराना।
कभी तो तू मैला हो जाता,
कभी दिखते बहुत निर्मल।
मन रे……
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर मधुबनी बिहार

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