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आओ सुन्दर गाँव बनाएँ साफ सफाई पर शायरी Swachh Bharat Abhiyan

साफ सफाई पर शायरी, विश्व सफाई दिवस कविता, स्वच्छता पर शायरी

विश्व सफाई दिवस विशेष
इंसान रखे जहां पर साफ सफाई,
डायन गंदगी, वहां से हवा हवाई।
कचरों का निपटान हो समय पर,
यही इलाज एक, और यही दवाई।
अगर जमा होने का, अवसर मिले,
तो सड़कर लेती है वहीं अंगड़ाई।
इंसान रखे जहां……
पहले स्वच्छता पीछे थी, गंदगी आगे,
गली गली में, गंदगी ने थी धूम मचाई।
आज तो गन्दगी बहुत पीछे छूट गई है,
जहां देखो, हो रही है वहां साफ सफाई।
दोनों के बीच की शत्रुता बहुत पुरानी है,
जारी है इन दोनों के बीच आज लड़ाई।
इंसान रखे जहां……
स्वच्छता की झोली में भरी हैं खुशियां,
नाचती गाती है अंदर केवल अच्छाई ।
गन्दगी बीमारियों की जननी होती है,
सोचती रहती हमेशा इंसान की बुराई।
स्वच्छता अभियान को हम चलाएं ऐसे,
रहे जीवन से अलग गन्दगी की परछाई।
इंसान रखे जहां……
हम स्वच्छता को बिठाएं सर आंखों पर,
खोदें कचरों के लिए, कोई गहरी खाई।
गंदगी निकलने न पाए बाहर कभी भी,
हो सदा खाई की इतनी ज्यादा गहराई।
पनपने न दें कभी कहीं कचरों को हम,
है छुपी हुई इसी में हम सबकी भलाई।
इंसान रखे जहां……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

स्वच्छता अभियान पर शायरी Shayari On Cleanliness

स्वच्छता पखवाड़ा पर चित्र Image On Cleanliness

स्वच्छता पर सुविचार Thoughts On Cleanliness

साफ सफाई और स्वच्छता पर शायरी, आओ सुन्दर गाँव बनाएँ

गुल मुहब्बत के इसमें खिलायेंगे हम।
गाँव को अपने जन्नत बनायेंगे हम।

हर तरफ़ हों इदारे वो तालीम के।
फूल खिलते हों जिनमें के ताज़ीम के।
इ़ल्म की शम्अ़ ऐसी जलायेंगे हम।
गाँव को अपने जन्नत बनायेंगे हम।

साफ सफाई पर शायरी

हो न आलूदा हरगिज़ भी इसकी फ़िज़ा।
साफ़ सुथरी हो हर वक़्त आव ओ हवा।
खुशनुमा बाग़ इस में उगायेंगे हम।
गाँव को अपने जन्नत बनायेंगे हम।

शग़्ल ऐसे हों कुछ ज़िन्दगी के लिए।
जो मुनासिब हों हर आदमी के लिए।
रोज़गार ऐसे धरती पे लायेंगे हम।
गाँव को अपने जन्नत बनायेंगे हम।

Clean India Green India

हों मतब दोस्तो इतने अफ़ज़ल यहाँ।
ज़िन्दगी के हों सारे ही सामाँ जहाँ।
वो निज़ामे मतब ले के आयेंगे हम।
गाँव को अपने जन्नत बनायेंगे हम।

सहलो आसान हों इसके रस्ते सभी।
बन्दिशें जिनमें लगने न पाएँ कभी।
ऐसी तामीर सड़कें करायेंगे हम।
गाँव को अपने जन्नत बनायेंगे हम।

हो न ग़मगीन कोई भी इन्साँ यहाँ।
हर ख़ुशी का मयस्सर हो सामाँ यहाँ।
वो मुहिम देखना अब चलायेंगे हम।
गाँव को अपने जन्नत बनायेंगे हम।

कूड़ा करकट न रह पाए हर गिज़ कहीं।
वादिए गुल सी मेहके यह सब सरज़मीं।
अब फ़राज़ ऐसा कर के दिखायेंगे हम।
गाँव को अपने जन्नत बनायेंगे हम।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसाना मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
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