Ticker

6/recent/ticker-posts

सूर्य भगवान की आरती | सूर्य भगवान के भजन Surya Bhagwan Ki Aarti | Surya Dev Ke Bhajan

सूर्य भगवान की आरती | सूर्य भगवान के भजन Surya Bhagwan Ki Aarti | Surya Dev Ke Bhajan


भक्ति गीत : सूर्य नारायण तुम्हें प्रणाम
“ॐ श्री भास्कराय नमः”
हे सृष्टि के सूर्य नारायण, तुमको प्रणाम,
तुमको नमन करना, है मेरा पहला काम।
कंचन रथ पर आते हो, सबको जगाते हो,
तेरा आना जाना चलता नित सुबह शाम।
हे सृष्टि के सूर्य नारायण……….

सबको हंसी खुशी मिलती है तेरे आने से,
अंधेरा छा जाता, तेरे अस्ताचल जाने से।
तेरा प्रकाश प्राणियों में जान डाल देता है,
सोते जागते सारी दुनिया लेती तेरा नाम।
हे सृष्टि के सूर्य नारायण……….

सारे संसार को लुभाती तेरी उषा की लाली,
पूरे ब्रह्माण्ड पर तेरी महिमा बड़ी निराली।
तुम कर्म करने का संदेश देते हो जग को,
तेरी किरणों में है विटामिन डी विराजमान।
हे सृष्टि के सूर्य नारायण………….

जबतक है हम लोगों पर, तेरी कृपा दृष्टि,
तबतक होती रहेगी हर्ष, आनंद की वृष्टि।
हे आदित्य नारायण तुझे हम कैसे रिझाएं?
वरदान में भक्तों को देवा, दो इतना ज्ञान।
हे सृष्टि के सूर्य नारायण…………

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


भक्ति गीत : सूर्य नारायण के दर्शन
ॐ श्री भास्कराय नमः
हे सूर्य नारायण, क्यों नहीं देते दर्शन?
क्या बादलों पर ही डोल गया है मन?
दिन रात उनके बीच, क्यों छुपे रहते?
पवन ने बेहाल कर दिया जन जीवन।
हे सूर्य नारायण……….

कहीं बादल छाते, लेकिन झट उड़ जाते,
कहीं बारिश से, जीना दुभर कर जाते।
आपसे जुड़ी हुई है, बारिश की कहानी,
हे दिनकर दानी, सुलझाओ ये उलझन।
हे सूर्य नारायण………..

सूखा का सामना कर रहा आज बिहार,
बारिश के आगे, महाराष्ट्र हुआ लाचार।
दोनों जगह पर परेशानी ही परेशानी है,
धरती रानी को, सता रही कौन सौतन?
हे सूर्य नारायण…………

आधा भारत हो गया आज पानी पानी,
आधे देश से जुड़ गई सूखे की कहानी।
इंद्रदेव कुछ भी नहीं सुन रहे किसी की,
आपसे गुहार लगा रहे हम भक्त जन।
हे सूर्य नारायण…………

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


भक्ति गीत : गर्मी से बचाओ सूर्य देव

“ॐ श्री भास्कराय नमः” 
इस भीषण गर्मी से बचाओ सूर्य देव,
धरती पर लोगों की जान जा रही है।
इंद्रदेव भी नाराज नाराज से लगते हैं,
हंसते चेहरे से दूर मुस्कान जा रही है।
इस भीषण गर्मी से………..

एक बार भी नहीं नभ में बादल छाता,
हरी घास के लिए तड़प रही गौ माता।
धरती जल रही, मानवता कराह रही है,
दया व करुणा की, पहचान जा रही है।
इस भीषण गर्मी से………..

फसलों की बर्बादी से किसान रोते हैं,
अपने नयन जल से दो हाथ धोते हैं।
ताल तलैया का हाल बहुत ही बुरा है,
तपिस से जीवन की शान जा रही है।
इस भीषण गर्मी से……. 

तुमसे विनती है, बादल को छाने दो,
छुप जाओ मेघों में, ठंडी को आने दो।
ऐसे तुम जलाओगे तो, मुश्किल होगी,
धरती पर लोगों की जान जा रही है।
इस भीषण गर्मी से………..

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना, स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


भक्ति गीत : सूर्य की लाली

ॐ सूर्य देवाय नमः

हे सूर्यदेव, फूटती नभ में जब तेरी लाली,
धरती से दूर चली जाती है रात हर काली।
धीरे धीरे उजाला फैल जाता है दुनिया में,
जन जन के चेहरे पर नाचती है खुशहाली।
हे सूर्यदेव………..

जब अस्ताचल से हो जाता है तेरा आना,
तेरे आगे किसी का चलता नहीं है बहाना।
धर्म कर्म के रक्षक और पाप के भक्षक हो,
नित दिन इंतजार करते हैं दर पे सवाली।
हे सूर्यदेव………..

जब शाम को तुम चले जाते हो अस्ताचल,
तब अपने लक्ष्य में, अधर्म होते हैं सफल।
तेरी किरणों को देखकर हंसती हैं कलियां,
खुशी से झूम उठती बागों में डाली डाली।
हे सूर्यदेव………

तेरी आग के गर्म गोले से फूटते हैं शोले,
पर स्वर्ण रथ पर सवार, लगते हो भोले।
तेरी लाली में, अपार शक्ति छुपी हुई है,
करती अकेली सारी दुनिया की रखवाली।
हे सूर्यदेव……….

तेरे प्रकाश बिन जीव जंतु पीले पड़ जाते,
कमजोर होकर मर जाते और सड़ जाते।
तुम्हें देखकर लोग शुभ प्रभात बोलते हैं,
वन उपवन में नाचते गाते हैं वनमाली।
हे सूर्यदेव…………
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


भक्ति गीत : फागुन में सूर्य नारायण

ॐ श्री भास्कराय नमः
छा चुका है अब फागुन, सुंदर धरती पर,
चमका दो, चमका दो जग सूर्य भगवान। 
स्वर्ण प्रकाश देने में कोई कमी न करना,
तेरी धूप में दमकता रहे नीला आसमान।
छा चुका है अब फागुन…………

दौड़ाते रहो अंबर में अपना ये स्वर्ण रथ,
रथ जहां जहां जाएगा, होगा जीवन पथ।
हर वर्ष आता यह फागुन खुशियां लेकर,
फूलों को तुम हमेशा देते रहना मुस्कान।
छा चुका है अब फागुन………..

तेरे कारण ही जगमग करता यह आकाश,
बसंती फागुन को देते रहना अपना प्रकाश।
तेरे आशीष बिन फागुन आधा अधूरा होगा,
सबकी है अभिलाषा, चाहिए तुमसे वरदान।
छा चुका है अब फागुन………..

दिनकर दानी, सुनो फागुन के मधुर गीत,
चांद सितारों को भी लाओ, बनाओ मीत।
रस पीयो अनार और महुआ का घर घर,
खाओ मालपुआ के समान मधुर पकवान।
छा चुका है अब फागुन………….

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

सूर्य भगवान की आरती | सूर्य भगवान के भजन Surya Bhagwan Ki Aarti | Surya Dev Ke Bhajan


भक्ति गीत : सूर्य भगवान हमारे
सुनियो, एक पुकार हम भक्तों की,
हे प्रिय पूज्य, सूर्य भगवान हमारे।
तेरे नाम के साथ हम जागते देवा,
तुम लगते, सारी दुनिया को प्यारे।
हे प्रिय पूज्य………
तेरी ही शक्ति दौड़ रही रग रग में।
तुम ही हो पालनहार हम सेवकों के,
सारा जग हंसता खेलता, तेरे सहारे।
हे प्रिय पूज्य………
तेरे बिन कोई कुछ नहीं है जग में,
तब रात में जगमग, करता आकाश।
तुम खेवनहार हो सबकी नैया के प्रभु,
तेरे कारण चमकते हैं ये चांद सितारे।
हे प्रिय पूज्य………
चांद सितारे जब, पाते हैं तेरा प्रकाश,
होती है जिस पर प्रभुजी तेरी महिमा,
बढ़ जाती इस जग में उसकी गरिमा।
इंद्रधनुष के भी, तुम जनक हो प्रभुजी,
प्रेम से हर कोई, तेरा ही नाम पुकारे।
हे प्रिय पूज्य……
तेरा भव्य मंदिर, कोणार्क में लहराए,
तेरे दर्शन जन जन को सुख पहुंचाए।
छठ महापर्व में पूरा बिहार तुझे पूजे,
सारी दुनिया का मेला नदिया किनारे।
हे प्रिय पूज्य……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
हे प्रभु दिनकर दानी, सूर्य भगवान हमारे,
तुमको हम सुबह सुबह नमस्कार करते हैं।
तुम ही जगाते हो नींद से सारी दुनिया को,
तेरी सुनहरी किरणों से हम श्रृंगार करते हैं।
हे प्रभु दिनकर दानी…


सूर्य भगवान के भजन भक्ति गीत : सर्दी से जान बचाओ सूर्यदेव

(रविवार विशेष रचना)
सर्दी से हम सबको बचाओ सूर्यदेव,
अब आफत में फंसी जान लगती है।
क्यों छुपे रहते हो तुम आसमान में?
चेहरे से लापता मुस्कान लगती है।
सर्दी से हम सबको………..
हम सबसे पहले करते हैं तेरी पूजा,
उसके बाद करते हैं काम कोई दूजा।
ठंडी हवा जब जब चलती जोरों से,
जग की जिंदगी परेशान लगती है।
सर्दी से हम सबको……….
मुश्किलों में शुरू हुआ है नव वर्ष,
कम दिखा लोगों के मन में हर्ष।
धुंध और कुहासे का ही राज रहा,
थर थर कांपती हुई दिखी जवानी।
सर्दी से हम सबको……….
नव वर्ष का पहला दिन था ठंडा,
बुलंद रहा है शीत लहर का झंडा।
कब तक बैठें हम आग धुनी संग?
कब करोगे भक्तों पर मेहरबानी?
सर्दी से हम सबको……….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


भक्ति गीत : क्यों नाराज हो सूर्य नारायण

ॐ भास्कराय नमः
भक्तों से क्यों नाराज हो, हे सूर्य नारायण,
किसी की आजकल तुम सुनते नहीं पुकार।
कड़कती सर्दी से लोग थर थर कांप रहे हैं,
एक टांग पर खड़े होकर कर रहे नमस्कार।
भक्तों से क्यों नाराज……….

गर्म वस्त्र इस ठंड में आज पड़ रहे हैं कम,
शीत लहर जैसे लोगों के निकाल देगी दम।
जैसे तैसे सर्द रात कटती है आग जलाकर,
थक जाते लोग, करते करते तेरा इंतजार।
भक्तों से क्यों नाराज…………

तेरे बिन सूना सूना लगता रहता आकाश,
धरती माता भी खोजती रहती तेरा प्रकाश।
तेरे सात घोड़े कहां चले गए साथ छोड़कर,
क्यों नहीं होते अपने स्वर्ण रथ पर सवार?
भक्तों से क्यों नाराज…………

कोहरे से ढका चुप रहता है तेरा आसमान,
पता नहीं हो गए हो तुम किसके मेहमान।
कुछ तो सोचो हम प्राणियों का धरती पर,
एक बार दर्शन का अर्ज, कर लो स्वीकार।
भक्तों से क्यों नाराज……….

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

सूर्य भजन गीत : भक्ति गीत : सर्दियों में दर्शन सूर्यदेव

भक्ति गीत : सर्दियों में दर्शन सूर्यदेव
(रविवार विशेष रचना)
सर्दियों में तेरी कृपा पूज्य सूर्यदेव,
सारी दुनिया की जान बचाती है।
तेरी अराधना करते हैं लोग सभी,
इसलिए दुनिया तेरे गुण गाती है।
सर्दियों में तेरी कृपा……..

निकलने का सभी इंतजार करते,
अस्त होने पर लोग आहे भरते।
जग बहुत प्यार करता है तुमसे,
तेरी धूप सारा संसार सजाती है।
सर्दियों में तेरी कृपा………

प्रातः पूरब में जब दिखती लाली,
खुशी से झूमती कलियां मतवाली।
घोसलों से निकलते हैं पंख पखेरू,
हर प्राणी को तेरी याद आती है।
सर्दियों में तेरी कृपा………

ऋषि मुनि जपा करते तेरी माला,
सबको सुख देता है तेरा उजाला।
तेरे सबेरे से ही भागता है अंधेरा,
तेरी हर किरण जग चमकाती है।
सर्दियों में तेरी कृपा……….

सर्दियों में जल्दी से तुम देना दर्शन,
तेरे दर्शन पाकर, खिल उठता मन।
लोग घरों से बाहर निकलते प्रभुजी,
तेरी कृपा मन में आशा जगाती है।
सर्दियों में तेरी कृपा………..
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

सूर्य भगवान के भजन : भक्ति गीत : सर्दी सता रही सूर्य भगवान

भक्ति गीत : सर्दी सता रही सूर्य भगवान
सर्दी सता रही है, हे अराध्य सूर्य भगवान,
सुबह सुबह उगकर, बचाओ जग की जान।
कभी पछिया हवा, तो कभी पवन पुरवाई,
करती रहती है आपके भक्तों को परेशान।
सर्दी सता रही है………….
बड़े कष्ट में बीत रहा है पौष का महीना,
गरीबों का बहुत मुश्किल हो गया जीना।
कंबल और रजाई को माननी पड़ती हार,
दया करो सारे भक्तों पर, कृपा निधान!
सर्दी सता रही है………….
आग के पास बैठकर हो जाते हैं हम तंग,
आपके रोज छुप जाने से, दुनिया है दंग।
कब तक चलेगा कोहरा का ऐसा तमाशा?
तेरी किरणें क्यों खो रही आज पहचान?
सर्दी सता रही है…………..
हर प्राणी को चाहिए, आज तेरा सहारा,
स्वर्ण रथ पर तेरा आना है बड़ा प्यारा।
भक्तों की भक्ति में, अपनी शक्ति दो,
हिला नहीं पावे बड़ा से बड़ा भी तूफान!
सर्दी सता रही है…………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

सूर्य भगवान भजन : भक्ति गीत : तेरे बिन सूरज

भक्ति गीत : तेरे बिन सूरज
तेरे बिन सूरज आसमान लग रहा खाली,
जीवन हंसता है, सिर्फ देखकर तेरी लाली।
बगिया में ठंड के मारे कलियां रो रही हैं,
वरदान सी ये जिंदगी लग रही है गाली।
तेरे बिन सूरज………..
कहर बरपा रही है ठंडी हवा ये पछिया,
दर्द दे रहा दिन, कष्ट में सारी रतिया।
इंसान दुबके बैठे रहते हैं घरों में अपने,
कौन कर रहा, तेरी किरणों की दलाली?
तेरे बिन सूरज………….
साधु संत भी जी रहे हैं धुनी के सहारे,
जिंदगी लग रही जैसे आग के हवाले।
तेरे दरबार में सभी गुहार लगा रहे हैं,
कहां खो गई है, तेरी कृपा वो निराली?
तेरे बिन सूरज……….
दो दर्शन सबको और बचा लो जग को,
छुपकर जो सता रहा, भगाओ ठग को।
तेरे ऊपर आस है, तुम में विश्वास है,
गर्मी दो, ठिठुरी पड़ी है तन की डाली।
तेरे बिन सूरज…………
तेरे दरबार में भक्तों की, भीड़ लगी है,
ठिठुरन के आगे असहाय ये जिंदगी है।
हर भक्त को चाहिए आशीर्वाद तुम्हारा,
तुमको छोड़कर कहां जाए कोई सवाली?
तेरे बिन सूरज…………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

भक्ति गीत : भास्कर भगवान

“ॐ श्री भास्कराय नमः”
जय जय हे भास्कर जी भगवान हमारे,
यह दुनिया आलोकित रहती तेरे सहारे।
तुम्हें कोटि कोटि प्रणाम प्रभुजी हमारा,
तेरे चरणों में अर्पित हैं हम भक्त सारे।
जय जय हे भास्कर जी……..

जब स्वर्ण रथ होकर सवार निकलते हो,
जब नील गगन में चमचम चमकते हो।
जब सारी दुनिया को तुम चमकाते हो,
हर किसी को लगते हो बहुत ही प्यारे।
जय जय हे भास्कर जी……….

जब अस्ताचल जाने की होती है तैयारी,
बहुत दुःखी होती है यह दुनिया तुम्हारी।
तुम नित दिन हमें नई मुस्कान देते हो,
सृष्टि में जीवन असंभव है बिन तुम्हारे।
जय जय हे भास्कर जी…………

तुम देते हो इस जग को सांझ और सवेरा,
तेरे जाते ही घेर लेता हमें रात का अंधेरा।
सात्विक आहार देती है देव तुम्हारी लाली,
सब चाहते हैं प्रतिदिन प्रातः तुम्हें निहारे।
जय जय हे भास्कर जी……….


प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

भक्ति गीत : हे भास्कर भगवान

“ॐ श्री भास्कर देवाय नमः” 

“हर किसी को इस बात का एहसास है,
सूर्यदेव के कारण ही रविवार खास है।”

हे भास्कर भगवान, नित चमको आसमान,
तेरा आना ही हमारा सबसे बड़ा वरदान है।
हरियाली और खुशहाली तेरी महिमा से है, 
हर किसी की जग में तुमसे ही पहचान है।
हे भास्कर भगवान………

सुबह सुबह नित दिन अंधेरा को भगाते हो,
नींद से प्रभु, सारी दुनिया को जगाते हो।
और नहलाते हो अपने स्वर्णिम प्रकाश में,
तीनों लोक को तुम पर पूरा अभिमान है।
हे भास्कर भगवान………..

जिस रास्ते से गुजरता है जग में तेरा रथ,
वहां उसी क्षण बन जाता है एक नया पथ।
साधु संत जपते, सुबह शाम तेरी ही माला,
सबके हृदय में तेरे लिए बहुत सम्मान है।
हे भास्कर भगवान………..

हे नारारायण, तेरी तो महिमा अपरंपार है,
जो भी तेरे चरणों में, बेड़ा उसका पार है।
दुनिया में हर कोई तेरा गुण गाता रहता,
तेरे कारण ही हमारे होठों पर मुस्कान है।
हे भास्कर भगवान………..
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


सूर्य भगवान के भक्ति गीत : दया करो हे सूर्य नारायण

“एक सुंदर संदेशा लेकर आया है रविवार,
सूर्य देव हैं सात घोड़ों के रथ पर सवार।“
दया करो हे परम पूज्य सूर्य नारायण,
सर्दी जीना सभी का हराम कर रही है।
कब तक बैठे रहे इंसान आग के पास?
दूर होते ही वो अपना काम कर रही है।
दया करो हे परम पूज्य………..
सुबह से शाम तक कहां चले जाते हो,
दिन भर बिलकुल नजर नहीं आते हो।
जानवर और इंसान दोनों ही परेशान हैं,
ठंडी हवा नाम तेरा बदनाम कर रही है।
दया करो हे परम पूज्य………
बिगड़ गया है हर किसी का रंग रूप,
क्यों तुम हो दिनकर अबतक यूं चुप?
दिखला दो दुनिया को गर्म गर्म धूप,
ठंडी वही काम सुबह शाम कर रही है।
दया करो हे परम पूज्य………..
गर्मियों में क्यों तुम आग से जलाते हो,
और सर्दियों में अपने से दूर भगाते हो।
हम सब मिलकर तेरे शरण में आए हैं,
देखो देखो सर्दी कैसे परेशान कर रही है?
दया करो हे परम पूज्य………..
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

भक्ति गीत : जय जय हे सूर्य नारायण

“रविवार का दिन है, रवि लगते प्रसन्न,
स्वर्ण रथ से करते हैं सृष्टि का भ्रमण।,,
जय जय हे सौर मंडल के सूर्य नारायण,
हम नित दिन आपको नमस्कार करते हैं।
सुबह सुबह की यही तो दिनचर्या है हमारी,
आप उदित होते, दर्शन बार बार करते हैं।
जय जय हे सौर मंडल………..

सौर ऊर्जा से हमें नित शक्ति मिलती है,
स्वर्णिम प्रकाश से कोई कली खिलती है।
आपकी आराधना पूर्ण करती मनोकामना,
प्रातः बिस्तर से उठते ही इंतजार करते हैं।
जय जय हे सौर मंडल……….

आप निकलते स्वर्ण रथ पर सवार होकर,
सारी दुनिया जागती है सारी रात सोकर।
लेते आपका नाम, बन जाते हमारे काम।
आपकी स्वर्णिम किरणों से श्रृंगार करते हैं।
जय जय हे सौर मंडल………..

रंग बिरंगे फूल खिलते हैं वन उपवन में,
शिथिलता जाती, चंचलता आती मन में।
ग्रीष्म ऋतु में अपनी कृपा दृष्टि रखना,
आप सारी दुनिया का उपकार करते हैं।
जय जय हे सौर मंडल………..
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

सूर्य देव के भजन भक्ति गीत : सूर्यदेव ऐसे ही आना

(रविवार विशेष रचना)
नित्य दिन सूर्यदेव ऐसे ही आना,
सोए अलसाए को नींद से जगाना।
एक विनती सुन लो तुम मेरी भी,
आते जाते मेरे आंगन में मुस्काना।
नित्य दिन सूर्यदेव…………
तेरे आने से जग हो जाता उजियारा,
अंधेरा को भागकर खिलता है सबेरा।
स्वर्ण समान चमकती हैं किरणें तेरी,
ऐसे ही तुम कण कण को चमकाना।
नित्य दिन सूर्यदेव………..
तुमसे ही चंदा को, मिलता है प्रकाश,
प्रकाश से हमेशा दमकता है आकाश।
बादलों में जब छुप जाते कभी जाकर,
खाली खाली लगता खुशी का खजाना।
नित्य दिन सूर्यदेव………….
तेरा प्रकाश है जग जीवन का आधार,
तेरा नाम जपता है शुरू से ही संसार।
तेरी महिमा अपरंपार है हम सब पर,
तेरा काम है, भटके को राह दिखाना।
नित्य दिन सूर्यदेव………….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार,
नासिक (महाराष्ट्र)


भक्ति गीत : सूर्यदेव बसंती मौसम में Surya Dev Ke Bhajan

“रविवार का दिन है, चमक उठा आकाश,
स्वर्ण रथ पर सवार सूर्यदेव का प्रकाश।“
बसंती मौसम में गुलाबी धूप दे दो,
हे परम पूज्य, सूर्य भगवान हमारे।
तेरे नाम के साथ हम जागते देवा,
तुम लगते, सारी दुनिया को प्यारे।
बसंती मौसम में………..
तेरे बिन कोई कुछ नहीं है जग में,
तेरी ही शक्ति दौड़ रही रग रग में।
तुम ही हो पालनहार हम सेवकों के,
सारा जग हंसता खेलता, तेरे सहारे।
बसंती मौसम में…………….
चांद सितारे जब, पाते हैं तेरा प्रकाश,
तब रात में जगमग, करता आकाश।
तुम खेवनहार हो सबकी नैया के प्रभु,
तेरे कारण चमकते हैं ये चांद सितारे।
बसंती मौसम में……………..
होती है जिस पर प्रभुजी तेरी महिमा,
बढ़ जाती इस जग में उसकी गरिमा।
इंद्रधनुष के भी, तुम जनक हो प्रभुजी,
प्रेम से हर कोई, तेरा ही नाम पुकारे।
बसंती मौसम में…………
तेरा भव्य मंदिर कोणार्क में लहराए,
तेरे दर्शन जन जन को सुख पहुंचाए।
छठ महापर्व में पूरा बिहार तुझे पूजे,
सारी दुनिया का मेला नदिया किनारे।
बसंती मौसम में………….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


भक्ति गीत : होली में स्वागत सूर्यदेव

“ॐ श्री भास्कराय नमः”
“आप सभी मित्रों एवं साथियों को रंगों के महापर्व होली की ढेर सारी अग्रिम शुभकामनाएं एवं बधाईयां।"
होली में आपका हार्दिक स्वागत है सूर्यदेव,
स्वर्ण रथ पर सवार होली मनाने आ जाना!
हम भक्तों की एक विनती है आपसे दादा,
गुलाबी रंग पर, गुलाबी धूप बिखरा जाना!
होली में आपका हार्दिक………..
दो सालों से कोरोना ने डाली इसमें बाधा,
इस बार दादा होली मनाने का है इरादा।
दोपहर में थोड़ा सा आप नरम हो जाना,
गालों पर लगे गुलाल को चमका जाना!
होली पर आपका हार्दिक………….
भक्तों का आपने सदा ही दिया है साथ,
इस बार भी सुन लेना विनती संग बात।
अपनी रेशमी मुलायम सुंदर किरणों से,
तन पर लगे रंगों को खूब महका जाना!
होली पर आपका हार्दिक………..
जबतक आप चमकते रहते हैं गगन में,
होली में एक अजीब खुशी होती मन में।
आप बिन होली कैसी होली, याद रखना,
भक्तन हाथों से रंग, गुलाल लगा जाना!
होली पर आपका हार्दिक…………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

सूरज बाबा के भजन | भजन : सुबह सुबह सूरज बाबा

सूर्य भजन : सुबह सुबह सूरज बाबा
“ॐ श्री भास्कराय नमः”
सुबह सुबह तुम सूरज बाबा हमारे,
लगते हो बड़ा सलोना और भोला।
क्यों दोपहर में, रूप बदल लेते हो?
मत जलाओ, बनकर अग्नि गोला।
सुबह सुबह तुम…………
नित जग को ऊर्जा देने को आते हो,
कली कली हंसाकर फूल खिलाते हो।
अपनी कृपा और महिमा से दिनकर,
भर जाते हो अपने भक्तों का झोला।
सुबह सुबह तुम………..
स्वर्ण रथ है, अपनी गति से चलते हो,
शाम लाने के लिए, खुद तुम ढलते हो।
बहुत प्यार किया करते हो, दुनिया से,
किसी ने पुकारा तो, मन तेरा है डोला।
सुबह सुबह तुम…………..
गर्मियों में मत सूखा देना ताल तलैया,
कृपा करना, पार लगा देना सबकी नैया।
तेरे हाथ में जग की सर्दी और गर्मी है,
शांत रहना, मत भड़काना अपना शोला।
सुबह सुबह तुम……….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

स्वर्ण रथ पर सवार सूर्य देव : सूर्य भगवान के भजन Surya Dev Bhagwan Ki Aarti

“ॐ श्री भास्कराय नमः”
“देखकर आपको भाग जाता है अंधकार,
पूजा करने आपकी भक्त रहते बेकरार”
स्वर्ण रथ पर सवार सूर्य देव

भजन

स्वर्ण रथ पर सवार सूर्य देव,
सारी दुनिया की सैर करते हैं।
अंधकार मिटाते कोने कोने से,
सारी दुनिया का कष्ट हरते हैं।
स्वर्ण रथ पर……

देखकर, सूरज की किरणों को,
शक्ति मिलती मन हिरणों को।
पाप अधर्म को जला डालते हैं,
पुण्य धर्म साथ साथ चलते हैं।
स्वर्ण रथ पर……

सात घोड़े खींचते हैं उनका रथ,
सूरज से सारे पाप अधर्म पस्त।
जो भी सूर्य नमस्कार करता है,
सूर्य देवता उन सबकी सुनते हैं।
स्वर्ण रथ पर……

नित दिन सूर्य देव, लाते प्रभात,
सारे जग में उजालों की बरसात।
घूमते रहते हैं दुनिया में दिनकर,
याद रखते हैं, जो लोग कहते हैं।
स्वर्ण रथ पर…

फागुन आया है, मौसम गुलजार है,
चमकती किरणें, बागों में बहार है।
आपसे ही निखरते रंग और गुलाल,
बागों में फूल डालियों पर हंसते हैं।
स्वर्ण रथ पर………..

भादव का महीना, मौसम गुलजार है,
चमकती किरणें, बागों में बहार है।
आपसे ही निखरते रंग और गुलाल,
बागों में फूल डालियों पर हंसते हैं।
स्वर्ण रथ पर……

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार


हे प्रभु दिनकर दानी, सूर्य भगवान हमारे,
तुमको हम सुबह सुबह नमस्कार करते हैं।
तुम ही जगाते हो नींद से सारी दुनिया को,
तेरी सुनहरी किरणों से हम श्रृंगार करते हैं।
हे प्रभु दिनकर दानी…

सूर्य नमस्कार भक्ति गीत - सूर्य पर कविता Surya Namaskar Ke Fayde In Hindi

भक्ति गीत : सूर्य नमस्कार
हे प्रभु दिनकर दानी, सूर्य भगवान हमारे,
तुमको हम सुबह सुबह नमस्कार करते हैं।
तुम ही जगाते हो नींद से सारी दुनिया को,
तेरी सुनहरी किरणों से हम श्रृंगार करते हैं।
हे प्रभु दिनकर दानी…
तुम अस्ताचल को जाते, हम भी सो जाते,
हम भक्त तेरे तुमको बहुत प्यार करते हैं।
तुमसे रहा हमारा, प्रभु आदिकाल से नाता,
तेरे सहारे सभी जीवन नैया पार करते हैं।
हे प्रभु दिनकर दानी…
तुम जब क्षितिज पर आते अंधेरा भगाते,
तेरी कृपा को हम सभी स्वीकार करते हैं।
तेरी किरणों में ही जीवन ज्योति दिखती,
तेरे आशीर्वाद से जग में विहार करते हैं।
हे प्रभु दिनकर दानी…
अपने ताप से जला डालो इस कोरोना को,
हृदय पूर्वक तेरी विनती, बारंबार करते हैं।
स्वर्णरथ तेरा बड़ा प्यारा लगता है हमको,
मिटा दो, जो उजाले को अंधकार करते हैं।
हे प्रभु दिनकर दानी…
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

भक्ति गीत : सूर्य नमस्कार में शक्ति | सूर्य देव आरती भजन

सूर्य नमस्कार में शक्ति
सूर्य नमस्कार में बड़ी शक्ति छुपी हुई है,
हर भक्त सूर्य देव से खूब प्यार करता है।
बाकी काम बाद में होता रहता जीवन में,
सुबह, हर भक्त सूर्य नमस्कार करता है।
हर भक्त सूर्य देव से…
जो काम कोई और दिन नहीं कर सकता,
वह काम बड़े प्यार से, रविवार करता है।
छः दिनों से भक्तों को प्रतीक्षा रहा करती,
रविवार आकर हर सपना साकार करता है।
हर भक्त सूर्य देव से…
बड़ी प्यारी लगती सुबह सूरज की लाली,
सूर्य प्रकाश ही ऊर्जा का संचार करता है।
किरणों से विटामिन डी मिलता है हमको,
तपता सूरज सदा कुछ चमत्कार करता है।
हर भक्त सूर्य देव से…
सूर्य देव, सारी दुनिया पर नजर रखते हैं,
सूर्य प्रकाश हर चुनौती स्वीकार करता है।
सबको अच्छी लगती है सूर्योदय की वेला,
पलों में सूर्य, सात समुंदर पार करता है।
हर भक्त सूर्य देव से…
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

सूर्य देव भगवान की आरती : भक्ति गीत : सूर्य नमस्कार में शक्ति

भक्ति गीत : सूर्य नमस्कार में शक्ति
“सूर्यदेव नाम से चल रही छठ पूजा की तैयारी,
बड़े अच्छे लगते जब करते सात घोड़ों की सवारी।“
सूर्य नमस्कार में बड़ी शक्ति छुपी हुई है,
हर भक्त सूर्य देव से खूब प्यार करता है।
बाकी काम बाद में होता रहता जीवन में,
सुबह, हर भक्त सूर्य नमस्कार करता है।
हर भक्त सूर्य देव से………..
जो काम कोई और दिन नहीं कर सकता,
वह काम बड़े प्यार से, रविवार करता है।
छः दिनों से भक्तों को प्रतीक्षा रहा करती,
रविवार आकर हर सपना साकार करता है।
हर भक्त सूर्य देव से………….
बड़ी प्यारी लगती सुबह सूरज की लाली,
सूर्य प्रकाश ही ऊर्जा का संचार करता है।
किरणों से विटामिन डी मिलता है हमको,
तपता सूरज सदा कुछ चमत्कार करता है।
हर भक्त सूर्य देव से…………
सूर्य देव, सारी दुनिया पर नजर रखते हैं,
सूर्य प्रकाश हर चुनौती स्वीकार करता है।
सबको अच्छी लगती है सूर्योदय की वेला,
पलों में सूर्य, सात समुंदर पार करता है।
हर भक्त सूर्य देव से……………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

जय हो सूर्य भगवान : सूर्य भगवान की आरती Jay Ho Surya Bhagwan Ki Bhajan - Surya Dev Aarti

भक्ति गीत : जय हो सूर्य भगवान
जय जय हो सूर्य भगवान हमारे,
रोज तुमको, पहला नमस्कार है।
विशेष रुप से जग पूजता तुमको,
जब दिवस तेरा, आता रविवार है।
जय जय हो सूर्य…
तुम कीटाणुओं का नाश करते हो,
विटामिन डी का विकास करते हो।
तेरे विज्ञान को सारा जग मानता,
तेरे दर्शन से, सबका बेड़ा पार है।
जय जय हो सूर्य…
तेरे ही कारण धरती पर खुशहाली है,
तुम हो तो कलियों फूलों में लाली है।
नदी सागर पर नियंत्रण रहता है तेरा,
तेरी सुबह से हर किसी को प्यार है।
जय जय हो सूर्य…
तुमको देखकर सारा जग जागता है,
अपने काम पर, हर कोई भागता है।
तेरे झांकते ही दूर हो जाता अंधेरा,
तेरा स्वर्ण रथ, हमेशा ही तैयार है।
जय जय हो सूर्य…
जब तुम रथ पर बैठते हो सूर्यदेव,
बड़ा अच्छा लगता तेरा दरबार है।
जब तुम अस्ताचल को चले जाते,
चांद पर रहता प्रकाश का भार है।
जय जय हो सूर्य…
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

भक्ति गीत : सूर्य भगवान हमारे, रविवार सूर्य भगवान की आरती

भक्ति गीत : सूर्य भगवान हमारे
सुनियो, एक पुकार हम भक्तों की,
हे प्रिय पूज्य, सूर्य भगवान हमारे।
तेरे नाम के साथ हम जागते देवा,
तुम लगते, सारी दुनिया को प्यारे।
हे प्रिय पूज्य……
तेरे बिन कोई कुछ नहीं है जग में,
तेरी ही शक्ति दौड़ रही रग रग में।
तुम ही हो पालनहार हम सेवकों के,
सारा जग हंसता खेलता, तेरे सहारे।
हे प्रिय पूज्य……
चांद सितारे जब, पाते हैं तेरा प्रकाश,
तब रात में जगमग, करता आकाश।
तुम खेवनहार हो सबकी नैया के प्रभु,
तेरे कारण चमकते हैं ये चांद सितारे।
हे प्रिय पूज्य……
होती है जिस पर प्रभुजी तेरी महिमा,
बढ़ जाती इस जग में उसकी गरिमा।
इंद्रधनुष के भी, तुम जनक हो प्रभजी,
प्रेम से हर कोई, तेरा ही नाम पुकारे।
हे प्रिय पूज्य……
तेरा भव्य मंदिर कोणार्क में लहराए,
तेरे दर्शन जन जन को सुख पहुंचाए।
छठ महापर्व में पूरा बिहार तुझे पूजे,
सारी दुनिया का मेला नदिया किनारे।
हे प्रिय पूज्य……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

सूर्य नारायण की आरती हिंदी में | सूर्य नारायण के भजन

भक्ति गीत : दयावान सूर्य भगवान
हे दयावान, सूर्य भगवान जगत के,
अपने सब भक्तों के ऊपर दया करो।
थोड़ी गर्मी संग, थोड़ी नरमी भी रखो,
कभी कभी शीतलता थोड़ी दिया करो!
हे दयावान सूर्य भगवान……

प्रभु आग का बड़ा सा गोला लगते हो,
नभ में दहकता हुआ शोला लगते हो।
अपने प्रकाश से पाप अधर्म को रोको,
हृदय करुणा के साथ, तुम उगा करो!
हे दयावान सूर्य भगवान……

जब ऊपर से जग को, बारिश सताती,
जब नीचे से हम सबको, बाढ़ डराती।
अपने ताप से, सोख लिया करो पानी,
अपने डूबते हुए भक्तों पर, कृपा करो।
हे दयावान सूर्य भगवान……

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

भजन : कृपा करो सूर्य भगवान Kripa Karo Surya Bhagwan Bhajan Lyrics Hindi

भजन : कृपा करो सूर्य भगवान
भगवान, भगवान, कृपा करो सूर्य भगवान,
तू मालिक है, तू ही दाता, हम इंसान।
सूर्य भगवान……….
हम सब मानव तो हैं, भक्त सेवक तेरे,
क्षमा करना गलती सारी, कृपा निधान।
सूर्य भगवान……
तेरी दुनिया, तेरी नगरी, सब कुछ तेरा,
तुमने दिया है हमें, जीवन यह वरदान।
सूर्य भगवान…
तेरी भक्ति से हमको, मिलती है शक्ति,
होती है हमको, अच्छे बुरे की पहचान।
सूर्य भगवान…
साकार कर दो प्रभु, हमारे सपने सारे,
कर दो पूरे, इस जीवन के अरमान।
सूर्य भगवान…
कई रूप में तुम अपने, दर्शन देते हो,
प्रभु तुम, कण कण में हो विराजमान।
सूर्य भगवान……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार
सूर्य भगवान की आरती | सूर्य भगवान के भजन Surya Bhagwan Ki Aarti | Surya Dev Ke Bhajan


सूर्य चालीसा एवं आरती: तेरी आग में अनुराग सूर्य देव Surya Dev Bhajan Lyrics

भजन : तेरी आग में अनुराग सूर्य देव
(रविवार विशेष रचना)
तेरी आग में भी, अनुराग है सूर्य देव,
हमेशा धर्म पुण्य का साथ निभाते हो।
जब तुमको क्रोध आता है दिवाकर जी,
पाप अधर्म को तुम जड़ से मिटाते हो।
तेरी आग में भी अनुराग……..
बादलों में छुप जाना, है अनुराग तुम्हारा,
सारे संसार में गूंजता प्रभु, राग तुम्हारा।
गर्मी से जब, बेहाल होने लगता है जग,
घटाओं के पीछे से हमें प्रेम दिखाते हो।
तेरी आग में भी अनुराग……..
तेरी किरणों बिन पीला पड़ने लगता तन,
तेरे दर्शन बिन बेचैन लगने लगता मन।
तेरे दर्शन से सारे पाप, कष्ट मिट जाते,
अपनी चमक से सारा जग चमकाते हो।
तेरी आग में भी अनुराग………
जग में गर्मी का मौसम आ गया है देवा,
छाया दो, करेंगे हमलोग सदा तेरी सेवा।
दिन में क्यों नहीं खेलते आंख मिचौनी?
कहीं नहीं जाते, जब से नभ में आते हो!
तेरी आग में भी अनुराग.………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

भजन : तेरी आग में अनुराग सूर्य देव

(रविवार और सर्दी विशेष)
तेरी आग में भी, अनुराग है सूर्य देव,
हमेशा धर्म पुण्य का साथ निभाते हो।
जब तुमको क्रोध आता है दिवाकर जी,
पाप अधर्म को तुम जड़ से मिटाते हो।
तेरी आग में भी अनुराग……..
बादलों में छुप जाना, है अनुराग तुम्हारा,
सारे संसार में गूंजता प्रभु, राग तुम्हारा।
गर्मी से जब, बेहाल होने लगता है जग,
घटाओं के पीछे से हमें प्रेम दिखाते हो।
तेरी आग में भी अनुराग……..
तेरी किरणों बिन पीला पड़ने लगता तन,
तेरे दर्शन बिन बेचैन लगने लगता मन।
तेरे दर्शन से सारे पाप, कष्ट मिट जाते,
अपनी चमक से सारा जग चमकाते हो।
तेरी आग में भी अनुराग………
इस समय कड़ाके की सर्दी पड़ रही देवा,
गर्मी दो, करेंगे हमलोग सदा तेरी सेवा।
दिन में क्यों खेलते तुम आंख मिचौनी?
इधर से आते, और उधर चले जाते हो!
तेरी आग में भी अनुराग.……….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

सूर्य नमस्कार फोटो, इमेज़ - Surya Namaskar Postures

सूर्य नमस्कार फोटो, इमेज़ - Surya Namaskar Postures

Importance And Benifits Of Surya Namaskar Poem In Hindi

रविवार सूर्य वंदन Surya Dev Ji Ki Aarti : सूर्यदेव की आरती

लालिमा लिए आया सूर्य।
दिवा प्रकाश बजाता तूर्य।।
अपना जिसका है प्रकाश।
नवजीवन की नयी आश।।
ऐसे सूर्य को नित्य ही मैं
निज शीश सादर झुकाऊँ।
अपने इस अमूल्य जीवन में
यश कीर्ति का सहभागी हो जाऊँ।
अरुण दिव्यांश, 9504503560

रविवार विशेष भजन आरती : रवि तुम रब हमारे

साहित्य पटल मंच पर मंचासीन तथा साहित्य से जुड़े समस्त माताओं बहनों तथा बंधुओं को हृदयतल से नमन है।
रवि तुम रब हमारे
रवि तुम ही रब हो हमारे,
होता दिवस जब तुम पधारे।
खो जाता दिवस उजियारा,
जब तू अस्तांचल को सिधारे।।
कर आभास बाँग देता मुर्गा,
होते ही भोर हमें यह जगाता।
पक्षी भी कलरव करते हैं सारे,
शशि ज्योति धूमिल हो जाता।।
छिप जाते ये टिमटिमाते तारे,
मिल जाते जब तेरे नेक इशारे।
सुनहली किरणें ही तेरी पाकर,
जाग उठते सब प्राणी हैं सारे।।
तुम्हीं धरा का भाग्य चमकाते,
वसुंधरा का तुम शोभा बढ़ाते।
बिखेरते जब स्वर्णिम किरणें,
शीतों को मोती सा चमकाते।।
तुम्हीं से हमारा भाग्य चमकता,
पेड़ पौधे झूम खुशी में हैं गाते।
फसलें हमारी मंद मंद मुस्कातीं,
मारे खुशी के हर जीव अघाते।।
तुम्हीं को पाकर अन्न धन होता,
फल फूल देते पेड़ पौधे हमारे।
लाते घर फल फूल सब्जी अन्न,
चमक उठते तब भाग्य सितारे।।
तुम्हीं से भाग्य चमकता हमारा,
तुम बिन तो भाग्य भी है सोता।
तेरा महत्व समझा नहीं जिसने,
वही मानव सुंदर जीवन खोता।।
तुमसे ही यह सुरभित है जीवन,
तुम से ही यह सुरभित जहाँ है।
तुम्हारा अस्त संदेश यही देता,
तुम बिन धरा पर जीवन कहाँ है।।
हे दिनकर भास्कर दिवसपति,
तुम्हीं से सुबह दोपहर शाम है।
हे नित्य नयी किरणें बिखेरनेवाले,
हृदयतल से कोटिशः प्रणाम है।।
अरुण दिव्यांश 9504503560
पूर्णतः मौलिक
अप्रकाशित रचना।

सूरज दादा सूरज दादा, सूरज दादा जी के भजन

रविवार सूर्य वंदन
सूरज दादा सूरज दादा,
दिनभर आग में जलते हो।
पहले चढ़ते व्योम में तुम तो,
फिर धीरे धीरे तुम ढलते हो।।
जगते तो तुम लाल होकर,
चहूँ ओर लालिमा फैलाते हो।
गजब की छटा तुम्हारी निराली,
प्रकृति को सुंदर सजाते हो।।
सुबह निकलते लाल बनकर,
आग की गोला बन जाते हो।
स्वयं तो जलते आग में अपनी,
ताप ले सीना तान तन जाते हो।।
उगते पूरब दिशा में तुम तो,
पश्चिम जाकर तुम ढल जाते हो।
लगता जैसे अंबर से उतरकर,
धरती में ही तुम मिल जाते हो।।
तुझ अभिनंदन तेरा है वंदन,
विनती मेरी तुम स्वीकार करो।
यश कीर्ति मेरा भी फैले जग में,
मेरी नईया भी तुम पार करो।।
अरुण दिव्यांश 9504503560
मौलिक एवं अप्रकाशित।
डुमरी अड्डा, छपरा सारण, बिहार

हे प्रभाकर तुम्हें है प्रणाम! सूर्य भगवान भजन

उषा दिवा संध्या निशा,
परिश्रम अथक अरु अनिशा।
तुम बिन है जगत अंधेर,
तुम से प्रकाशित दसो दिशा।।
तुम्हीं से सुबह तुम्हीं से शाम,
उदय अस्त है तेरा परिणाम।
जगत ज्योतिर्मय करनेवाले,
हे प्रभाकर तुम्हें है प्रणाम।।
प्रभाकर से विनम्र हार्दिक प्रार्थना है कि सबके घर में हर व्यक्ति को ज्ञान रूपी प्रकाश से प्रकाशित करें।
अरुण दिव्यांश, 9504503560

रविवार सूर्य नारायण की आरती हिंदी में

रवि वंदन
उषाकाल।जो उदित होता,
जन जन को जो जगाता है।
दिवाकाल प्रकाशमय कर,
हमें उर्जावान जो बनाता है।।
दिनभर करता कठिन परिश्रम,
अस्त होता जब वह शाम है।
हे मानव को प्रेरित करनेवाले,
नित्य प्रातः तुम्हें प्रणाम है।।

रविवार रवि वंदन सूर्य नारायण के भजन

उषाकाल करे धरा सुशोभित,
धरा से तम के दूर भगावेला।
तारे तारेश हो जालन ओझल,
निशा विदा दिवा के बुलावेला।।
महिमामंडित तम करे खंडित,
स्वर्णिम बनल सुबह शाम बा।
हे धरा के उर्जादाता प्रभाकर,
रउआ नित्य हमार प्रणाम बा।।
अरुण दिव्यांश 9504503560

रविवार सूर्य वंदन Sunday Surya Vandana

प्रातःकाल उषाका बेला,
सुंदर छटा दिखलाता है।
निज दिव्य फैला रौशनी,
धरा स्वर्णिम बनाता है।।
धीरे धीरे वह रंग बदलता,
और उज्ज्वल हो जाता है।
तब वह होता असहनीय,
प्रकाश प्रखर दिखाता है।।
हे दिवापति दिवाकर प्रभाकर,
रोगाणु विषाणु करते हो दमन।
हे जगत ज्योतिर्मय करनेवाले,
तुम्हें मेरा नित्य कोटि है नमन।।
अरुण दिव्यांश

Sunday Surya Vandana रविवार सूर्यदेव वंदन

दसो दिशा करते ज्योतिर्मय,
ज्योतिर्मय चक्षु भी तू कर दे।
अंतर्मन को दिव्य ज्योति से,
अंतर्ज्योति मम् तू भर दे।।
हे अदिति के प्यारे लाल,
लाल ही दिखते सुबह शाम।
नित्य तुझे सादर अभिनंदन,
नित्य मेरा तुम्हें है प्रणाम।।
अरुण दिव्यांश

रविवार सूर्य भगवान के भजन Surya Bhajan Lyrics

रविवार सूर्य वंदन
हे अदिति के लाल लाडले,
दर्शन देते तुम नित्य लाल हो।
नाशकों के तुम करते हो नाश,
जीवों की रक्षा करते हर हाल हो।।
मेरी भी प्रभु तुम रक्षा करना,
नित्य सुबह तुम्हें मेरा प्रणाम।
दे दो कुछ दिव्य अंश अपना,
विश्व में हो प्रभु मेरा ऊँचा नाम।।
तुम माँ अदिति के प्यारे लाल,
हम भी हैं इस सृष्टि के लाल।
दे दो प्रभु तुम ऐसा वर मुझको,
विश्व में हो मेरा भी ऊँचा भाल।।
अरुण दिव्यांश 9504503560

कृपा करो हे सूर्य भगवान रविवार रवि वंदन

उषा की छटा गजब निराली,
लालिमा लिए आता प्रभाकर।
प्रभात से जब वह दिवा बनाता,
स्वयं बन जाता वह दिवाकर।।
ऊषा से तुम निशा को भगाते,
प्रभात में तुम सबको जगाते।
दिवा को तुम प्रखर हो बनाते,
प्रभाकर दिवाकर भास्कर कहलाते।।
अंदर बाहर तुम प्रकाश फैलाते,
ताजगी दे तुम उर्जावान बनाते।
मन में सबकी खुशियाँ दौड़ाते,
जन जन हैं तब तुमको ध्याते।।
हे प्रभापति और हे दिवापति,
ऊषा से दिवा तक तुमको नमन।
अंतर्मन को तू उज्जवल कर दे,
साहित्य बहाऊँ धरा से शीर्ष गगन।।
अरुण दिव्यांश 9504503560
Read More और पढ़ें:

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ