दमा रोगी आयुर्वेदिक नुस्खे Asthma Ka Ghrelu Upchar Hindi
दमा के लक्षण Symptoms Of Asthma
व्यंजना के आयुर्वेदिक नुस्खे
दमा
कफाश्रित वायु के प्रभाव से,
श्वास क्रिया में कष्ट होना।
अर्धरात्रि को होए आक्रामक,
मुश्किल हो जाता फिर सोना।।
अनाहत चक्र की कमजोर ग्रंथी,
दुर्बल कफपूर्ण हो जाती है।
वायु गमना-गमन व्याहत होता,
दूषित वायु रोग को लाती है।।
इसमें मणिपुर व विशुद्ध चक्र भी,
गौण रूप से प्रभावित रहते ।
जठराग्नि की दुर्बलता ही,
अम्लविष को वह फिर गहते ।।
दुर्बल हो फिर जाती है।
इसके परिणाम स्वरूप ही,
श्वास रोग तन में आती है।।
उत्क्षेप,योग व वायवी मुद्रा,
इसमें हितकारी होते है।
उड्डयन भस्त्रिकासन करने से,
रोघी रोग को खोते है।।
खट्टे -मीठे फल हितकारी,
भिंगोया मेवा सुफल देता।
नींबू रस की अल्प मात्रा ही,
तन की अम्लता को है लेता।।
रात आठ बजे से पहले ही तुम,
भूख से कम भोजन को करना।
उठे वेग आधी रात को ही,
सोना मुश्किल होएगा वरना ।।
सम भाग में पुराने गुड को,
सरसों तेल मे मिलाकर लेना।
एक तोला इक्कीस दिन तक,
हमें उस रोगी को है देना।।
दालचीनी संग गुड मिलाकर,
सम भाग में यह औषधि बनाना।
यह श होता क्षार से भरपूर,
अतः रोगी को दो बार चटाना।।
नारियल इसमें हितकारी है,
ज्यादा से ज्यादा नारियल खिलाना।
कच्चा ,हरा ,सूखा सब अच्छा,
इसका पानी रोगी को पिलाना।।
इन युक्ति को जो अपनाएँ।
वो सदा ही सु फल पाएँ ।।
रोग फिर तन से चला जाएगा।
रोगी फिर खुशियाँ पाएगा।।
व्यंजना आनंद (मिथ्या)
श्वास क्रिया में कष्ट होना।
अर्धरात्रि को होए आक्रामक,
मुश्किल हो जाता फिर सोना।।
अनाहत चक्र की कमजोर ग्रंथी,
दुर्बल कफपूर्ण हो जाती है।
वायु गमना-गमन व्याहत होता,
दूषित वायु रोग को लाती है।।
इसमें मणिपुर व विशुद्ध चक्र भी,
गौण रूप से प्रभावित रहते ।
जठराग्नि की दुर्बलता ही,
अम्लविष को वह फिर गहते ।।
दमा खांसी की दवा Asthma ayurvedic upay
फेफड़ा नियन्त्रक स्नायु समूह,दुर्बल हो फिर जाती है।
इसके परिणाम स्वरूप ही,
श्वास रोग तन में आती है।।
उत्क्षेप,योग व वायवी मुद्रा,
इसमें हितकारी होते है।
उड्डयन भस्त्रिकासन करने से,
रोघी रोग को खोते है।।
खट्टे -मीठे फल हितकारी,
भिंगोया मेवा सुफल देता।
नींबू रस की अल्प मात्रा ही,
तन की अम्लता को है लेता।।
रात आठ बजे से पहले ही तुम,
भूख से कम भोजन को करना।
उठे वेग आधी रात को ही,
सोना मुश्किल होएगा वरना ।।
सम भाग में पुराने गुड को,
सरसों तेल मे मिलाकर लेना।
एक तोला इक्कीस दिन तक,
हमें उस रोगी को है देना।।
दालचीनी संग गुड मिलाकर,
सम भाग में यह औषधि बनाना।
यह श होता क्षार से भरपूर,
अतः रोगी को दो बार चटाना।।
नारियल इसमें हितकारी है,
ज्यादा से ज्यादा नारियल खिलाना।
कच्चा ,हरा ,सूखा सब अच्छा,
इसका पानी रोगी को पिलाना।।
इन युक्ति को जो अपनाएँ।
वो सदा ही सु फल पाएँ ।।
रोग फिर तन से चला जाएगा।
रोगी फिर खुशियाँ पाएगा।।
व्यंजना आनंद (मिथ्या)
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