Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा गुरु नानक भावार्थ व्याख्या प्रश्न उत्तर Question Answer Objective

Ram Naam Binu Birthe Jagi Janma Guru Nanak Explanation Question Answer


राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा गुरु नानक भावार्थ व्याख्या प्रश्न उत्तर Question Answer Objective

इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी के पद्य भाग के प्रथम पाठ ‘राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा’ Class 10 Hindi Guru Nanak का भावार्थ ( अर्थ भाव ) सारांश लघु उत्तरीय दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर एवं Objective Question Answer प्रस्तुत किए जा रहे हैं।

राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा
जो नर दुख में दुख नहीं माने

लेखक का परिचय – गुरू नानक

गुरू नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 ई. को नानकाना साहिब, तलवंडी, पंजाब में हुआ। यह जगह अब पाकिस्तान में है। गुरू नानक देव जी की मृत्यु- 22 सितंबर 1539 ई. को पाकिस्तान के करतारपुर में हुई।

गुरू नानक देव जी के पिता का नाम कालूचंद खत्री और माता का नाम तृप्ता था। गुरू नानक देव जी को पिता ने अपनी तरह व्यवसाय में लगाने का बहुत प्रयास किया, वे चाहते थे कि गुरु नानक देव जी भी उन्हीं की तरह व्यवसाय में अपना योगदान दे लेकिन इनका मन सांसारिक कार्य में नहीं लगा। इसलिए उन्होंने भक्ति का मार्ग चुना। इन्होंने हिंदू मुस्लिम दोनों को समान रूप से धार्मिक उपासना पर बल दिया तथा वर्णाश्रम व्यवस्था एवं कर्मकाण्ड का कड़ाई से विरोध करके निर्गुण भक्ति, इस भक्ति के मानने वाले लोग मूर्तिपूजा तथा कर्मका‍ण्ड का विरोध करते हैं और ईश्‍वर को निराकार मानते हैं। गुरु नानक देव जी ने भी इसी का प्रचार किया।

गुरू नानक देव जी की रचनाओं का संग्रह सिखों के पाँचवें गुरू अर्जुनदेव जी ने गुरु ग्रंथ साहिब में किया है।

गुरु नानक देव जी की प्रमुख रचनाएँ — जपुजी, आसादीवार, रहिरास और सोहिला।

सिख धर्म के प्रवर्तक गुरुनानक देव जी ने मक्का-मदीना तक की यात्रा की। इन्होंनें 1539 ई. में ‘वाहे गुरु’ कहते हुए अपना भौतिक शरीर का त्याग कर दिया।

पाठ परिचय

प्रस्तुत पाठ में कबीर के दो पद सम्मिलित किए गए हैं। पहले पद में सच्चे हृदय से राम नाम अर्थात् ईश्वर का जप करने का उपदेश दिया गया है और यहां राम नाम का अर्थ परमेश्वर का नाम है।धर्म के काम में बाहरी दिखावा और ढोंग, पूजा-पाठ और कर्म-काण्ड की आलोचना की गई है। दूसरे पद में सुख-दुख में सदा एकसमान रहने की कही गई है।

राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा गुरु नानक भावार्थ व्याख्या

प्रथम पद

राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा।
बिखु खावै बिखु बोलै बिनु नावै निहफलु मटि भ्रमना।।

पुसतक पाठ व्याकरण बखाणै संधिया करम निकाल करै।
बिनु गुरुसबद मुकति कहा प्राणी राम नाम बिनु अरुझि मरै।।

अर्थ — उपरोक्त पद में गुरु नानक देव जी कहते हैं कि जो व्यक्ति राम के नाम का जप नहीं करता है, उसका संसार में आना और मानव का शरीर पाना बेकार चला जाता है। वैसा व्यक्ति बिना कुछ बोले बिष का पान करता है और मोहमाया में भटकता हुआ मर जाता है अर्थात वह राम का गुणगान न करके माया के जाल में फँसा रहता है। वह दिन रात शास्त्र-पुराण की चर्चा करता है, सुबह, शाम एवं दोपहर तीनों समय संध्या बंदना भी करता है। नानक लोगों से कहता है कि गुरु (भगवान) का भजन किए बिना व्यक्ति को संसार से मुक्ति नहीं मिल सकती है तथा सांसारिक मायाजाल में उलझकर रह जाना पड़ता है। अर्थात नानक का कहना कि संसार असत्य है। सत्य एकमात्र ईश्वर ही है।

डंड कमंडल सिखा सूत धोती तीरथ गबनु अति भ्रमनु करै।
राम नाम बिनु सांति न आवै जपि हरि-हरि नाम सु पारि परै।।
जटा मुकुट तन भसम लगाई वसन छोड़ि तन मगन भया।।
जेते जिअ जंत जल थल महिअल जत्र तत्र तू सरब जिआ।
गुरु परसादि राखिले जन कोउ हरिरस नामक झोलि पीया।

अर्थ — नानक अपने अगले पल में कहते हैं कि कमंडल, डंडा, शिखा, जनेऊ तथा गेरूआ वस्‍त्र धारण करके तीर्थयात्रा पर जाता है परन्तु राम नाम का जाप किये बिना जीवन में शांति नहीं मिलती है। भगवान का नाम ले लेकर पैर पुजाते हैं। वे अपने को संत कहलाने के लिए जटा को मुकुट बनाकर, शरीर में राख लगाकर, वस्त्रों को त्यागकर नग्न हो जाते हैं। संसार में जितने जीव-जन्तु हैं, उन जीवों में जन्म लेते रहते हैं। इसलिए लेखक कहते हैं कि भगवान की कृपा को ध्यान में रखकर नानक ने राम का घोल पी लिया, ताकि मायारूपी संसार से मुक्ति मिल जाए।

द्वितीय पद

जो नर दुख में दुख नहीं मानै।
सुख सनेह अरु भय नहिं जाके, कंचन माटी जानै।।
नहिं निंदा नहिं अस्तुति जाके, लोभ मोह अभिमाना।
हरष सोक तें रहै नियारो, नाहि मान अपमाना।।
आसा मनसा सकल त्यागि कै जग तें रहै निरासा।

अर्थ— गुरु नानक कहते हैं कि जो मनुष्य दुख को दुख नहीं मानता है, जिसे सुख-सुविधा के प्रति कोई मोह नहीं है और न ही किसी प्रकार का डर है, जो सोना को मिट्टी जैसा मानता है। जो किसी की निंदा से न तो घबराता है और न ही प्रशंसा सुनकर गौरवान्वित होता है। जो लाचल, प्रेम एवं घमंड से दूर है। जो खुशी और दूख दोनों में एक जैसा रहता है, जिसके लिए मान-अपमान दोनों बराबर हैं। जो जो अपने सभी अभिलाषा को त्‍याग कर सांसारिक चमक-दमक से दूर रहता है।

काम क्रोध जेहि परसे नाहिन तेहि घट ब्रह्म निवासा।।
गुरु कृपा जेहि नर पै कीन्हीं तिन्ह यह जुगति पिछानी।
नानक लीन भयो गोबिन्द सो ज्यों पानी संग पानी।।

जिसने काम-क्रोध को वश में कर लिया है, वैसे मनुष्य के हृदय में ईश्‍वर का निवास होता है। अर्थात् जो मनुष्य प्रेम-जलन, मान-अपमान, सुख-दुख, निंदा-बड़ाई हर स्थिति में एक जैसा रहता है, वैसे मनुष्य के हृदय में ईश्‍वर निवास करते हैं।

गुरु नानक का कहना है कि जिस मनुष्य पर ईश्वर की कृपा होती है, वह सांसारिक चमक-दमक से अपने आप मुक्ति पा जाता है। इसीलिए नानक ईश्वर के चिंतन में लीन होकर उस प्रभु के साथ एकाकार हो गये। यानी आत्मा परमात्मा से मिल गई, जैसे पानी के साथ पानी मिलकर एकाकार हो जाता है।

राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा गुरु नानक प्रश्न उत्तर


प्रश्न १.

कवि किसके बिना जगत में यह जन्म व्यर्थ मानता है?

उत्तर : कवि राम नाम के बिना जगत में यह जन्म व्यर्थ मानता है।

प्रश्न २.

वाणी कब विष के समान हो जाती है? 

उत्तर : जिस वाणी से राम नाम का उच्चारण नहीं होता है, अर्थात भगवत नाम के बिना वाणी विष के समान हो जाती है।

प्रश्न ३.

हरि रस से कवि का अभिप्राय क्या है?

उत्तर : कवि राम नाम की महिमा का बखान करते हुए कहते हैं कि भगवान के नाम से बढ़कर दूसरा कोई धर्मसाधना नहीं है। भगवत कीर्तन से प्राप्त परम आनंद को हरि रस कहा गया है।

प्रश्न ४.

नाम-कीर्तन के आगे कवि किन कर्मों की व्यर्थता सिद्ध करता है?

उत्तर : पुस्तक-पाठ, व्याकरण के ज्ञान का बखान, दंड कमण्डल धारण करना, शिखा बढ़ाना, तीर्थ-भ्रमण, जटा बढ़ाना, तन में भस्म लगाना, वस्त्रहीन होकर नग्न-रूप में घूमना इत्यादि कर्म कवि के अनुसार नाम कीर्तन के आगे व्यर्थ हैं।

प्रश्न ५.

प्रथम पद के आधार पर बताएँ कि कवि ने अपने युग में धर्मसाधना के कैसे-कैसे रूप देखे थे?

उत्तर : प्रथम पद में कवि के अनुसार शिखा बढ़ाना, ग्रंथों का पाठ करना, भस्म लगाकर साधुवेश धारण करना, तीर्थ करना, दंड कमण्डलधारी होना, वस्त्र त्याग करके नग्नरूप में घूमना कवि के युग में धर्म साधना के रूप रहे हैं।

प्रश्न ६.

कवि की दृष्टि में ब्रह्म का निवास कहाँ है? अथवा, गुरुनानक की दृष्टि में ब्रह्म का निवास कहाँ है?

उत्तर : जो प्राणी सांसारिक विषयों की आसक्ति से रहित है, जो मान-अपमान से परे है, हर्ष-शोक दोनों से जो दूर है, उन प्राणियों में ही ब्रह्म का निवास बताया गया है। काम, क्रोध, लोभ, मोह जिसे नहीं छूते वैसे प्राणियों में निश्चित ही ब्रह्म का निवास है।

प्रश्न ७.

गुरु की कृपा से किस युक्ति की पहचान हो पाती है?

उत्तर : कवि कहते हैं कि ब्रह्म से साक्षात्कार करने हेतु लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष, निंदा आदि से दूर होना आवश्यक है। ब्रह्म की सान्निध्य के लिए सांसारिक विषयों से रहित होना अत्यन्त जरूरी है। ब्रह्म-प्राप्ति की इसी युक्ति की पहचान गुरुकृपा से हो पाती है।

प्रश्न ८.

‘राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा’ पद का मुख्य भाव क्या है?

उत्तर : गुरुनानक ने इस पद में पूजा-पाठ, कर्मकांड और बाह्य वेश-भूषा की निरर्थकता सिद्ध करते हुए सच्चे हदय से राम-नाम के स्मरण और कीर्तन का महत्त्व प्रतिपादित किया है क्योंकि नाम कीर्तन से ही व्यक्ति को सच्ची शांति मिलती है और वह इस दुखमय जीवन के पार पहुँच पाता है।

प्रश्न ९.

आधुनिक जीवन में उपासना के प्रचलित रूपों को देखते हुए नानक के इन पदों की क्या प्रासंगिकता है ? अपने शब्दों में विचार करें।

उत्तर : नानक के पद में वर्णित राम-नाम की महिमा आधुनिक जीवन में प्रासंगिक है। हरि-कीर्तन सरल मार्ग है जिसमें न अत्यधिक धन की आवश्यकता है. न ही कोई बाह्याडम्बर की। आज भगवत्कृपा नामरूपी रस का पान किया जाये तो जीवन में उल्लास, शांति, परमानन्द, सुख तथा ईश्वरीय अनुभूति को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है।

राम नाम बिनु बिरथे जगि जन्मा Objective Question Answer

प्रश्न १.

किसके बिना प्राणी को मुक्ति नहीं मिलती ?

उत्तर : गुरू ज्ञान के बिना

प्रश्न २.

राम नाम बिनु बिरथे जगि जन्मा पद में किसकी अलोचना की गई है ?

उत्तर : बाह्याडंबर की

प्रश्न ३.

गुरू नानक किस भक्तिधारा के कवि है ?

उत्तर : सगुण भक्तिधारा

प्रश्न ४.

राम नाम बिनु बिरथे जगि जन्मा यह पंक्ति किसकी है ?

उत्तर : गुरु नानक

प्रश्न ५.

वाणी कब विष के समान हो जाती है ?

उत्तर : 
राम नाम के बिना

प्रश्न ६.

गुरू नानक का जन्म कब हुआ ?

उत्तर : 1469

प्रश्न ७.

गुरू नानक की पत्नी का क्या नाम था ?

उत्तर : सुलक्षणी

प्रश्न ८.

गुरू नानक पंजाबी के इलावे और किस भाषा के कविताएँ लिखें ?

उत्तर : हिन्दी

प्रश्न ९.

आसादीवार किस कवि के रचना है ?

उत्तर : गुरू नानक

प्रश्न १०.

गुरु नानक किस धर्म के प्रवर्तक थे?

उत्तर : सिख धर्म का

और पढ़ें 👇

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ