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प्रेम-अयनि श्री राधिका : रसखान का भावार्थ एवं प्रश्नों के उत्तर

प्रेम-अयनि श्री राधिका : रसखान का भावार्थ एवं प्रश्नों के उत्तर - Prem Ayani Shri Radhika Questions Answers


आज के पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 गोधूलि हिंदी के पद्य भाग के पाठ दो रसखान के पद्य ‘प्रेम-अयनि श्री राधिका’ – Prem Ayani Shri Radhika Ka Bhavarth के भावार्थ और प्रश्नों के उत्तर प्रस्तुत करेंगे। रसखान का यह पद्य प्रेम अयनि श्री राधिका बिहार बोर्ड कक्षा 10 की हिंदी किताब गोधूलि भाग 2 के पृष्ठ संख्या 114 एवं 115 पर अंकित है।

Prem Ayani Shri Radhika Ka Bhavarth


प्रेम-अयनि श्री राधिका
करील के कुजंन ऊपर वारौं
लेखक परिचय

प्रस्तुत पद्य के लेखक का नाम रसखान है। इनका पूरा नाम सैय्यद इब्राहिम खान है। रसखान का जन्म 1548 ई० में एक पठान परिवार में दिल्ली में हुआ था। यह जहाँगीर के समकालीन थे। इनकी मृत्यु 1628 ई० में हुई थी।

रसखान दिल्ली में पठान राजवंश में पैदा हुए थे। दिल्ली पर जब मुगलों का अधिकार हो गया, तो यह दिल्ली से भाग खड़े हुए और ब्रजभूमि में आकर कृष्णभक्ति में मग्न हो गए। रसखान मूल रूप से मुसलमान थे, फिर भी इन्होंने जीवन भर कृष्णभक्ति का गान किया।

रसखान सूफियों का हृदय लेकर कृष्ण की लीला पर काव्य रचते हैं। इनकी रचनाओं को भारतेन्दु हरिश्चंद्र ने भी प्रशंसा किया है।

गोस्वामी विट्ठलनाथ जी ने कृष्ण के प्रति इनकी भक्ति देखकर अपना शिष्य बना लिया था। बचपन से ही यह प्रेमी स्वभाव के थे। बाद में यहीं प्रेम ईश्वरीय (अलौकिक) प्रेम में बदल गया। कृष्ण भक्ति से उत्प्रेरित हो कर ब्रजभूमि में रहने लगे और मृत्यु तक वहीं रहें।

रसखान ने कृष्ण का लीला पदों में नहीं, बल्कि सवैयों (हिंदी का एक वार्णिक छंद जिसमें चार पंक्तियाँ होती हैं।) में किया है।

रसखान की प्रमुख रचनाएँ- सुजान रसखान तथा प्रेमवाटिका है।

प्रस्तुत पाठ हिंदी के लोकप्रिय कवि रसखान द्वारा रचित है। प्रथम पद दोहा और सोरठा में संकलित हुआ है और द्वितीय छंद सवैयों में संकलित किया गया है। प्रथम पद में रसखान ने राधा-कृष्ण के प्रेममय जोड़ी को दिखलाया है और द्वितीय पद सवैया में कृष्ण और ब्रज पर अपना सबकुछ न्योछावर करने की बात करते हैं। कवि ब्रज में जीना चाहता है। इसमें कवि ब्रज के प्रति अपना समर्पण व्यक्त करता है।

प्रथम पद

प्रेम-अयनि श्री राधिका, प्रेम-बरन नँदनंद।
प्रेम-बाटिका के दोऊ, माली-मालिन-द्वन्द्व।।
मोहन छबि रसखानि लखि अब दृग अपने नाहिं।
अँचे आवत धनुस से छूटे सर से जाहिं।।

रसखान कहते हैं कि राधिका प्रेम का खजाना और श्रीकृष्ण (नंद के बेटा) प्रेम का रूप है। प्रेम रूपी बाग में दोनों माली-मालीन के जैसे हैं। एक बार श्रीकृष्ण का रूप देख लेने के बाद दूसरा रूप देखने का मन नहीं करता है। अर्थात आँखें इन्हीं दोनों को देखती रहती हैं। रसखान ने जब से कृष्ण के छवि को देखा है। उसका नयन अपना नहीं है। क्षण भर के लिए आते हैं और जैसे धनुष से बाण छूटता है, उसी प्रकार आते-जाते रहते हैं।


मो मन मानिक लै गयो चितै चोर नँदनंद।
अब बे मन मैं का करूँ परी फेर के फंद।।
प्रीतम नन्दकिशोर, जा दिन तै नैननि लग्यौ।
मन पावन चितचोर, पलक ओट नहिं करि सकौं।

भावार्थ — मेरे मन को श्रीकृष्ण ने चूरा लिया है। जिसके कारण अब मैं बिना मन के (बेमन) हो गया हूँ। मेरा मन इच्छा रहित हो गया है। मैं श्रीकृषण के प्रेम की जाल में बुरी तरह फंस गया हूँ। लेखक अपनी विवशता प्रकट करते हुए कहते हैं कि जिस दिन सें मैंने प्रेमी श्रीकृष्ण को देखा हूँ, उसने मेरा मन चुरा लिया है। हर पल कृष्ण एवं राधा की सुदंरता को बिना पलक झपकाए देखते रहता हूं।

द्वितीय छंद का भावार्थ

या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर की तजि डारौं।
आठहुँ सिद्धि नवोनिधि को सुख नन्द की गाइ चराई बिसारौं।।

रसखान अपने दिल की अभिलाषा प्रकट करते हुए कहते हैं कि अगर श्रीकृषण की लाठी और कंबल मिल जाए तो मैं तीनों लोक के राज्य का त्याग कर दूँगा। अगर केवल नंद बाबा की गाय चराने को मिल जाए, जिसे कृष्ण चराते थे तो आठों सिध्दियाँ और नौ निधियों के सुख को भी भूला दूँगा।

अंत में इस तरह कहते हैं कि —

रसखानी कबौं इन आँखिन सौं ब्रज के बनबाग तड़ाग निहारौं।
कोटिक रौ कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।।

रसखान का कहना है कि जब से मेरी आँखों ने ब्रज के जंगलों, निकुंजों (वन-वाटिका या फुलवारी या उपवन), तालाबों तथा करील (एक प्रकार की काँटेदार झाड़ी), के सघन कुँजों (झाड़ियों, लताओं आदि से घिरा स्थान, वह जगह जहाँ लताएँ छाई हों) को देखा है, तब से यही इच्छा होती है कि ऐसे मनोहर उपवनों की सुन्दरता के सामने करोड़ों महल बहुत नीच प्रतीत होते हैं। अर्थात ऐसे कीमती महल को छोड़कर कृष्ण जहाँ रासलीला करते थे, वहीं निवास करूँ

लघु-उत्तरीय प्रश्न : प्रेम-अयनि श्री राधिका

प्रश्न १.

कवि ने स्वयं को बेमन का क्यों कहा है?

उत्तर : कवि रसखान का मन मोहन को देखते ही (कृष्ण) उनकी छवि में डूब गया है। उस नंद के चहेते ने रसखान के मन को चूरा लिया है, इसलिए कवि अब बिना मन का अर्थात बेमन हो गया है।

प्रश्न २.

कृष्ण को चोर क्यों कहा गया है?

उत्तर : कवि कृष्ण और राधा के प्रेम में दिवाना हो गये हैं। उनकी मनमोहक छवि को देखकर मन पूरी तरह से उस युगल में रम गया है। इसलिए इन्हें लगता है इस देह से मनरूपी मणि को कृष्ण ने चुरा लिया है।

प्रश्न ३.

कवि ने माली-मालिन किन्हें और क्यों कहा है? 

अथवा,

रसखान ने माली-मलिन किन्हें और क्यों कहा है?

उत्तर : कवि ने माली-मालिन कृष्ण और राधा को कहा है। क्योंकि, कवि राधा-कृष्ण के प्रेममय युगल को प्रेम-भरे नयन से देखा है। यहाँ प्रेम को वाटिका मानते हैं और उस प्रेम-वाटिका के माली-मालिन कृष्ण-राधा को मानते हैं।

प्रश्न ४.

रसखान रचित सवैये का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर : रसखान रचित सवैये में ब्रजभूमि के प्रति उनका हार्दिक प्रेम प्रकट होता है। सवैये में उन्होंने कहा है कि ब्रजभूमि की एक-एक वस्तु, स्थान, सरोवर, कँटीली झाड़ियाँ सुखदायक हैं क्योंकि यहाँ भगवान के अवतार श्रीकृष्ण अवतरित हुए।


प्रश्न ५.

रसखान के द्वितीय दोहे का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें?

उत्तर : प्रस्तुत दोहे में सवैये छन्द में भाव के अनुसार भाषा का प्रयोग अत्यन्त मार्मिक है। सम्पूर्ण छन्द में ब्रजभाषा की सरलता, सहजता और मोहकता देखी जा सकती है। कहीं-कहीं तद्भव और तत्सम के सामासिक रूप भी मिल रहे हैं।

वस्तुनिषठ प्रश्न उत्तर Objective Question Answer

MCQ Quiz

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1. रसखान के रचनाकाल के समय किसका राजयकाल था ?
A. जहाँगीर
B. औरंजेब
C. हूमायूँ
D. अकबर
2. किसने कहा था- मुसलमान हरिजनन पै कोटी हिनदू वारिये ?
A. रामचंद्र शुक्ल
B. रामविलास शर्मा
C. भारतेन्दु हरिशचंद्र
D. निराला
3. रसखन को पुष्टि मार्ग की किसने शिक्षा दी ?
A. वलभाचार्य
B. गोकुलनाथ
C. गोस्वामी विट्ठलनाथ
D. गोरखनाथ
4. रसखान दिल्ली के बाद कहाँ चले गए ?
A. ब्रजभूमि
B. हस्तिनापुर
C. महरौली
D. बनारस
5. डॉ. विजयेन्द्र के अनुसार रसखान की मृत्यु कब हुई?
A. 1616 ई. में
B. 1620 ई० में
C. 1618 ई. में
D. 1622 ई. में
6. ‘रसखान’ का जन्म कब हुआ?
A. 1535 ई० में
B. 1537 ई. में
C. 1533 ई. में
D. 1531 ई. में
7. ‘दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता’ के आधार पर रसखान का जन्म कहाँ हुआ था ?
A. दिल्ली
B. उत्तर प्रदेश
C. पंजाब
D. लाहौर
8. ‘प्रेम अयनि श्री राधिका’ में कितने दोहे संकलित है?
A. दो
B. पाँच
C. चार
D. तीन
9. ‘करील के कुंजन ऊपर वारौं’ के अन्तर्गत कितने सवैया संकलित हैं?
A. दो
B. तीन
C. एक
D. चार


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