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औषध से अच्छा है योग : योग दिवस पर कविताएं

औषध से अच्छा है योग : योग दिवस पर कविताएं

Yog Diwas Par Kavita Yoga Day Poem In Hindi

करें योग, रहें निरोग

(योग काव्य तरंग)


“जय हिंद एवं नमस्कार, योग दिवस मना रहा है संसार,
स्वस्थ जीवन के लिए योग बन गया है जीवन श्रृंगार।”

“आज विश्व योग दिवस पर हमारी ओर से आप सभी मित्रों एवं साथियों तथा प्यारे बच्चों को स्वस्थ एवं निरोग जीवन के लिए ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाइयां।“

करें योग, रहें निरोग, यह तो लाख टके की बात है,
तन मन दोनों स्वस्थ सदा, खुशियों की बरसात है।
योग स्वस्थ रखता तन, प्रसन्न रखता मन हमारा,
दूर रहते सारे रोग जब जीवन में योग का साथ है।
करें योग, रहें निरोग………. 

योग करने वालों का, खिला खिला रहता है चेहरा,
दो प्यारी आंखों को, सपना दिखता सदा सुनेहरा।
जहां योग, वहां से हो जाता हर रोग का सफाया,
योग गुरु की बातें सुनिए भविष्य आपके हाथ है।
करें योग, रहें निरोग……………..

योग से नहीं दूरी बनाएं चाहे कुछ भी बोले लोग,
योग और रोग का जीवन से, जैसे लगता संयोग।
बड़े बड़े फायदे इसके, छाई रहती जीवन में बहार,
अंधेरी रात में लगता है जैसे चांदनी की बारात है।
करें योग, रहें निरोग………….

इससे आत्मा और तन का मिलन होता अलबेला,
दूर भाग जाता है झमेला, योग का बड़ा हाथ है।
योग मानव जीवन का विज्ञान है, मानते हैं सभी,
योग से रोग गायब पहुंचता नहीं कोई आघात है।
करें योग रहें निरोग……….. 

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार


योग जीवन का अटूट हिस्सा

(योग काव्य तरंग)


“आज 21 जून को विश्व योग दिवस है। हमारी ओर से आप सभी मित्रों एवं साथियों तथा प्यारे बच्चों को योग दिवस की ढेर सारी अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाइयां। अपनाएं योग और जीवन जीएं निरोग।”

योग बन चुका अटूट हिस्सा जीवन का,
इस बात को आज सारा जग रहा मान।
योग भगा सकता है, सारे रोग जीवन से,
अगर जीवन में दिल से अपना ले इंसान।
खोई खुशी फिर लौट सकती है जीवन में,
थिरक सकती फिर से चेहरे पर मुस्कान।
योग बन चुका अटूट………..

दिया भारत ने जग को, योग का उपहार,
नहीं माननेवाले हो सकते रोग के शिकार।
अगर हम जीवन में रहना चाहते निरोग,
नियमित रूप से हमें, करना चाहिए योग।
योग स्वास्थ्य को बेहतर बनता रहता है,
स्वास्थ्य ही धन है सच्चा, समझे इंसान।
योग बन चुका अटूट…………….

हर वर्ष योग दिवस नया संदेश लाता है,
इसके पास है, समस्याओं का समाधान। 
तन की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ जाती, 
कोरोना भी, नहीं कर सकता है परेशान।
योगा वक्त की पुकार है हर इंसान हेतु,
योग प्रेमी भूल जाता है दवा की दुकान।
योग बन चुका अटूट…………

योग तनाव कम करके, लगाव बढाता है,
सभी योग करें, चाहे बूढ़ा हो या जवान।
पहलवान योग से बुद्धिमान बन जाता,
बुद्धिमान करे तो बन सकता पहलवान।
बड़ा अटूट है, योग से जीवन का बंधन, सारा संसार कर रहा योग का गुणगान।
योग बन चुका अटूट…………

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार


तुम्हें योग करते देखा तो

तुम्हें योग करते देखा तो,
मेरा मन मचल गया।
दिल पर ऐसा हुआ असर,
खुशी से मैं उछल गया।
तुम्हें योग…

बाग में इंतजार कर रहा हूँ,
तेरी अदाओं से डर रहा हूँ।
घर से चला था मैं कहीं और,
तुझे देखा, इरादा बदल गया।
तुम्हें योग…

निहारता रहा था मैं गौर से,
तेरा नाम पूछा किसी और से।
तेरे लिए धक्के भी खाए मैंने,
गिरते गिरते बचा, संभल गया।
तुम्हें योग…

मिलने तुम यहां जरूर आना,
ढूंढना नहीं कोई नया बहाना।
शाम सुहानी पधारने लगी है,
न जाने सूरज कब ढल गया?
तुम्हें योग…

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार


योग


हर लेता यह तन के रोग।
औषध से अच्छा है योग।

कोई धनी हो या निर्धन।
सबको देता सुन्दर तन।
लाभ उठाएँ इससे लोग।
औषध से अच्छा है योग।
 
तन को करता फुर्तीला।
मन को रखता जोशीला।
जल्दी पचता इससे भोग।
औषध से अच्छा है योग।

यूँ भी जग को यह भाया।
रोग रहित रखता काया।
यह है सेहत का आरोग।
औषध से अच्छा है योग।

हर लेता यह तन के रोग।
औषध से अच्छा है योग।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़,
प्रा.वि.आदोनगली,ब्लॉक- 
भगतपुर टांडा,जनपद-
मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)


विषय : योग

दिनांक : 20 जून, 2025
दिवा : शुक्रवार 
एक एक लोग,
नित्य करें योग।
स्वयं स्वस्थ रहकर,
तन से भगाऍं रोग।।
पहले योग आजमाऍं,
फिर योग ये अपनाऍं।
दवा से हम दूर रहकर,
योग को करें कराऍं।।
नित्य सुबह योग करेंगे,
जीवन ये व्यस्त होगा।
आजीवन ही चंगे रहेंगे,
तन से रोग पस्त होगा।।
योग करो उपभोग करो,
दुर्लभ यह संयोग करो।
सेहत न हो रोगग्रसित,
नित्य योग प्रयोग करो।।
योगगुरु रामदेव बाबा,
कोटि कोटि नमन उन्हें।
राष्ट्र किया विश्व में ऊॅंचा,
मिलता है ये श्रेय जिन्हें।।
सदा रहा है गुरु भारत,
सदा ऊॅंचा स्थान रहा है।
सदा दिया विश्व को शिक्षा,
विश्व का अरमान रहा है।।

पूर्णतः मौलिक एवं 
अप्रकाशित रचना 
अरुण दिव्यांश 
डुमरी अड्डा 
छपरा ( सारण )
बिहार।



11 वें अंतराष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं
                 

योग करो सुखी रहो : कविता

~~~
माँ से बढ़कर भारत माता,
मनभावन शान निराली है।
योग करो सुखी रहो का यह
हम सब कों पाठ पढ़ाती है।।

राष्ट्र धर्म से बड़ा न कोई, 
यही मंत्र हमें सिखलाया है।
घर आँगन में खुशियाँ फैले,
मानस को यह बतलाया है।।

योग दिवस की महिमा देखों,
घर-घर में परचम लहराती ।
योग करें,सुखी रहे मानव,
यह अनुपम संदेश सुनाती।।

योग दिवस का अभिनंदन 
हम सबकों मन से करना है।
विश्व धरा पर योग महिमा को,
घर-घर जरूर पहुंचाना है।।

सदियों से सुनते आये हम,
योग ऋषि मुनियों की दिव्य दवा ।
अनमोल कला कौशल है यह,
मिलकर लेवो भाई शुद्ध हवा।।

वेद पुराणों का भी लेखा,
समय रहते समझना होगा।
पावन पवित्र वसुधा पर हमें,
पौधारोपण करना होगा।।
          ©®
रामबाबू शर्मा, राजस्थानी, दौसा (राजस्थान)


योग दिवस

करते रहें योग सदा,पुष्ट रहे शरीर,
मन में उमंग हो सदा, करते रहें अभ्यास।

छत हो या घर अंगना, शुद्ध वायु पाए,
योगासन अभ्यास करो, रोगों से बच जाए।

भारत सम्मान पा रहा, बढ़ा योग जुनून,
अनुशासन में रहते, शांत जगत सोहित।

योग ऐसा विज्ञान है, वेदों से वरदान,
ऋषि गण दाता इसके, भारत की पहचान।

योग गुरु रामदेव, करते हम प्रणाम,
पतंजलि योगपीठ में, लगी सभा अनमोल।
(स्वरचित)
_____डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार


21 जून विश्व योग दिवस 


स्वस्थ निरोगी काया को पाये।
करें योग अभ्यास जो नित धाये।

योग गुरु रामदेव देव बाबा की सीख निराली।
ध्यान, ज्ञान,योग करके सिखा रहे जीवन प्रणाली।

घर, आंगन,या हो या कोई बाग मनभाता।
जोड़ लें अब हर पल योग से हो नाता।

योग मानव जीवन का ही प्राचीनतम विज्ञान।
योग रोग दूर करें, जिंदगी को मिलता जीवन दान।

योग जो जन नित करें उनके रोग हों दूर।
रक्त संचार शक्ति को क्रिया मिलती है भरपूर।

प्राणायाम, ध्यान मन आत्मा को स्वस्थ करें।
प्राणों में आध्यात्मिक ऊर्जा भरे।

योग कला भारतीय संस्कृति की है पहचान।
योग कला बढ़ा रही विदेशों में अपनी शान।

योगासन ही औषधि है काया को करें अरोग्य।
जो जान जाते इसके गुण वे ही होते इसके योग्य।

बुद्धिमान सूर्योदय से ही पूर्व उठ जाते हैं।
योगासन में बैठ सुख शांति पाते हैं‌ ।

योग सेहत के लिए है बहुत बड़ा वरदान।
सब रोगों का हो रहा आज इसी से निदान।

सब बातों की एक बात है योग सबका मूल।
रहना है आरोग्य अगर योग न जाएं भूल।

स्वरचित 
डॉ सुमन मेहरोत्रा 
 मुजफ्फरपुर,बिहार


योग

****
नित्य योग, स्वस्थ
जीवन का आधार।
योग से होता,
स्वास्थ्य का सृजन,
निरोगी काया,स्वस्थ मन।
ध्यान से हो मन एकाग्रचित,
दूर हो जाए अशांति,
हालात हो जैसे भी,
मन होता नही व्यथित।
चित्त रहे सर्वदा हर्षित।
परे रहे वृद्धत्व,
योग से कायम रहे
प्यारा यौवन,
ब्रम्मुहुर्त से प्रारंभ दिनचर्या,
योग से करें दिन की शुरुआत,
रहे संपूर्ण दिवस ताजगी,
कर के देखिए योगा,
तत्पश्चात ज्ञात होगा कि,
ये बातें नहीं महज कागजी,
योग है यथार्थ में संजीवनी।
(स्वरचित)
सविता राज
**********
(मुजफ्फरपुर,बिहार )


योग दिवस 2025 पर कविता

योग दिवस

सुबह-सुबह बस योग
करें साथ-साथ भैया।
भागे जल्दी रोग
स्फूर्ति उमंग ता थैया।
काया कंचन होत
विलोम श्वास हो लम्बा।
जल्द थुल-थुल शरीर
दिखो जितना तुम खम्बा।
इससे ही है कायाकल्प बस
नितदिन सभी योग करें।
तनकर हुए ताकतवर जब
शरीर प्रकृति भोग करे।
भारत माता की जय हो।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार


आजकल के लड़के योग नहीं करते

आजकल के लड़के
आजकल के लड़के...
दूर रहते योग से
नहीं मिलते लोग से।
हरपल टिक-टिक करते
ओवर लुक ही रहते।
आजकल के लड़के...
आनलाइन तेज़ है
जगत ही कवरेज है।
प्रतिस्पर्धा चहुँ ओर है
कदम मंज़िल की ओर है।
आजकल के लड़के...
करे रूढ़ि पर उपहास है
प्रतिभा तू विश्वास है।
कम मिलते रोजगार हैं
हाँ फिर भी होशियार है।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार


21 जून योग दिवस पर विशेष कविता

योगा
समय शरण जब योग
बंधु वह अतिशय प्यारा।
योग हरे सब रोग
भूल से नहीं किनारा।
दूर जटिल है रोग
निरंतर सब कर योगा।
किया नहीं अभ्यास
कष्ट को उसने भोगा।
योगा कर स्वस्थ रहें सभी
सब कोई प्रचार करें।
यही हो जीवन आधार अब
मिलजुलकर विचार करें।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार


योग क्यों करें मात्रिक दोहावली

जीवन जीने की हमें, योग सिखाता राह।
बिना रुकावट रोग के, जीयें सुगम प्रवाह।।

अत्युत्तम पद्धति यही, मोदी देते ज्ञान।
योगी, भोगी विश्व के, देते हैं सम्मान।।

पूर्ण विश्व को भेदता, कोरोना का बाण।
बिस्तर में दस बज गये, कैसे हो कल्याण।।

प्रतिदिन के विष धो अभी,जीवन को तू भोग।
उठ प्रातः, कर योग तू, दूर भगेंगे रोग।।

रामदेव से सीख लें, काया करें निरोग।
चाय नौ बजे पी रहे, शर्मा जैसे लोग।।
डा.सत्येन्द्र शर्मा, हिमाचल।
जीवन जीने की कला दोहे
गौरव का यह है दिवस, बड़े गर्व की बात।
दूर हो गयीं योग से, घनी,विष भरी रात।।

योग विधा प्राचीन है, भूले मानुष आज।
धीरे -धीरे त्यागते, उत्तम सभी रिवाज।।

तन-मन निर्मल हो सदा, रहे व्याधि से दूर।
योग करें, मस्ती करें, जीयें हम भरपूर।।

भोगें सुख- सुविधा सभी, योग बने आधार।
काया अति सुन्दर बने, सुखमय हो संसार।।

शाला है आरोग्य की, योग और व्यायाम।
यहां आम के आम हैं, गुठली के भी दाम।।
मंजू शर्मा, पालमपुर।


कविता - योग की महिमा

रहना हो निरोग नित्य करो योग।
रहें मन मगन न हो ईश से बियोग।
कफ पित वायु रोग सब समन करे।
प्राण अपान नियंत्रित हो सुख भोग।
जरा न जरा भी फटके तन में।
सलामत रहे जवानी है आनंद संयोग।
ज्ञान विचार बढ़े चीत हो प्रसन्न।
बढ़े इक्षाशक्ती ऐसा यह हठयोग।
पैसा लगे न रुपया योग करो भैया।
रहे स्मरण शक्ति ताजा सुनो लोग।
अद्दभूत अनुपम उपहार यह साधना।
योग की महिमा लगे न कभी रोग।
सतावे न कोरोना दुर ही भागे।
रहना हो निरोग नित्य करो योग।
श्याम कुंवर भारती


यम-नियम साधना-ध्यान से होता मानव देवसम: योग पर कविता

वृत्तियों से मुक्ति
मानव के अंदर पनपता पाप,
अमन चैन मानव समाज से जाता है।

जीवन बालक का हीं अच्छा,
छल, कपट, द्वेष भावना से मुक्त रहता है।

बाल सुलभ मन- दिल का सच्चा,
तृष्णा, दंभ और लालच से दूर रहता है।

तरुणाई संग जुटता चिट्ठा कच्चा,
घृणा, दुश्मनी एवं प्रतिशोध सर चढ़ता है।

मानव विकारयुक्त हो पशुवत् होता,
यम-नियम से वृत्तियों पर संयम करता है।

साधना-ध्यान से होता मानव देवसम,
मन बालक बना रहे- हितकारी होता है।।

डॉ. कवि कुमार निर्मल
बेतिया, बिहार


करो सब योग रहो निरोग: योग दिवस पर कविता - योग दिवस पर संदेश लेखन

योग दिवस
करो सब योग रहो निरोग।
आओ हम योग अपनाये।

हम योग कर शरीर को निरोग करें
सभी को नित योगा करना सिखायें।
ध्यान-धारणा-प्राणायाम कर शरीर को स्वस्थ बनाए
छत पर जाकर सुबह ताजा ताजा हवा खायें।

सात्विक भोजन बनायें सभी को स्वस्थ बनाये।
रखें नहीं होगी कोई बिमारी मुंह पर मास्क लगा,
दो गज की दूरी बना कोरोना से पीछा छूड़ायें।

योग ध्यान प्रणायाम से मानव समाज हम बनायें
साधना सिद्धि विज्ञान एवं
पर्यावरण दूषित को हम स्वस्थ बनायें।

नहीं आयेगा बुढ़ापा अगर योग अपनायें शरीर रहेगा स्वास्थ्य सभी नियम अपनायें।
पुष्पा निर्मल
बेतिया, बिहार


योग ध्यान प्रणायाम कर शरीर को निरोग बनायेंगे: योग दिवस पर स्लोगन, संदेश

इंसान के पास समय नहीं है समय के लिए
समय के पास समय नहीं है समय देने के लिए

योग ध्यान प्रणायाम कर,
शरीर को निरोग बनायेंगे।
धर्म कर्म करते हुए,
आगे बढ़ते जायेंगे।।

कभी किसी के मन को,
चोट नहीं पहुंचायेंगे।
जितना होगा उतने में,
संतुष्ट हो हम जाएंगे।।

मस्ती में रह खुशियाँ,
हम सब मिल मनायेंगे।
आई भयंकर आफत जो,
उससे निजात भी पायेंगे।।

सात्विक आहार-विचार से,
हम निरोग हो जायेंगे।
अब तो आई वैक्सीन भी,
संकट सारे छट जायेंगे।।

मास्क लगा, दो गज दूरी,
को सदा अपनाएँगे।।

रोज सबेरे उठकर
ताजी हवा खाएगें।
सूर्य नमस्कार कर
हम हरि गुण गायेंगेनाम।।

हिम्मत से बढ़-चढ़ कर फिर
आगे बढ़ते जायेंगे।
योग जीवन में अपनाकर,
चहुँदिशि खुशियाँ फैलाएगें।।
धन्यवाद
पुष्पा निर्मल
बेतिया बिहार से


योग करने के फायदे दोहा

कर लें सुमिरन ईश का , खुशी-खुशी कर योग।
खिले- खिले हम रहेंगे, भागेंगे सब रोग।।

बढ़ती स्मरण शक्ति भी, अपना लें हम योग।
बढ़ती जाए विद्या धन, मिलत सदा सुख भोग।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार
स्वरचित एवं अप्रकाशित


योग के फायदे और महत्व पर प्रकाश डालता सुंदर और प्यारा सा गीत

योग को अपनाएंगे,
तो निरोग हम रह पाएंगे।
हर एक बीमारी से फिर,
हम हार ना पाएंगे।

योग को अपनाएंगे,
तो निरोग हम रह पाएंगे।।

लोगों को भी बताएंगे,
प्रकृति को हम बचाएंगे।
प्रदूषण ना फैलाएंगे,
तो स्वस्थ हवा हम पाएंगे।

योग को अपनाएंगे,
तो निरोग हम रह पाएंगे।।

योग करो अरे योग करो,
हम लोगों को समझाएंगे।
योग के हर एक फायदे को,
लोगों को बताएंगे।

योग को अपनाएंगे,
तो निरोग हम रह पाएंगे।।

शराब,तम्बाकू,गुटका, सिगरेट लोगों से छुड़वाएंगे,
इनसे होने वाली हानि को लोगों को बताएंगे।

योग को अपनाएंगे,
तो निरोग हम रह पाएंगे।।

आज योग दिवस के अवसर पर,
एक वादा भी हम करते हैं।
एक दिन ही योग नहीं अब,
हर दिन योग को अपनाएंगे।

योग को अपनाएंगे,
तो निरोग हम रह पाएंगे।।
हर एक बीमारी से फिर,
हम हार ना पाएंगे।

दीपांशु पांडे
अल्मोड़ा
(उत्तराखंड)


योग क्या कहना चाहता है? योग के महत्व पर कविता

सुबह हो या शाम, रोज करो योग।
निकट नहीं आएगा, कभी कोई रोग।
जीवन परिवर्तन कर देगा, यदि तुम रोज करते हो, यह योग।

तनाव से रहोगे मुक्त, होगा नहीं कोई सोग।
सांस लेना होगा आसान, फेफड़ा संबंधी होगा नहीं रोग।
कभी भी नजरअंदाज मत करो मुझे,
दवा दारू से रहोगे मुक्त, बस नित्य करो योग।

कर लो कपालभाति। दुरस्त रहेगा अंग अंग।
शाकाहार लेकर करो,योग का सहयोग।
शक्ति से भंडार भर देगा, ऊर्जावान बढ़ेगा,
आत्मबल मिलेगा भरपूर, दूर होगा सारा जोग।।
वन्दना कूमारी
@vandanakumari38
स्वरचित गीत

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