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नात शरीफ ब हुज़ूर सरवर ए कायनात – गुल बख़्शालवी : हिंदी में

नात शरीफ ब हुज़ूर सरवर ए कायनात – गुल बख़्शालवी : हिंदी में

नात शरीफ ब हुज़ूर सरवर ए कायनात – गुल बख़्शालवी : हिंदी में

Naat Sharif in Hindi Text

नात शरीफ़
फ़लक से खुशबू बिखर रही है, ज़मीं का चेहरा चमक रहा है
शहर नमूदार हो रही है, नकाब रुख़ से सरक रहा है

गुले-विलादत से रेगे-सहरा का ज़र्रा ज़र्रा दमक रहा है
क़लम क़सीदा सुना रहा है, सुख़न का ताईर चहक रहा है

बसारतों को मिली बसीरत, नबी की सूरत तमाम रहमत
अहद के सफ़्फाफ आईने में, वो नूरे-अहमद दमक रहा है

कली कली मुस्कुरा रही है, अरब का सहरा चमन चमन है
वफ़ूरे- उल्फ़त में नूरे-एज़दां ज़मीं की जानिब लपक रहा है

नफ़स नफ़स में है उसका नग़मा, नज़र नज़र में है उसका जलवा
हमारी आंखों की पुतलियों में, वो नूर बनकर दमक रहा है

वही है दुनिया ए आब ओ गुल में, हमारे दिल में तुम्हारे दिल में
जो गुल बा-दामां महक रहा है, वो कुल जहां में महक रहा है

गुल बख़्शालवी ( खारिया पाकिस्तान )

नात शरीफ हिंदी में लिखी हुई

कोई तो लाए नबी एक हमारे की मिसाल
वो कि नबियों में नबी कुतुब सितारे की मिसाल

इक नज़र देखा तो मेहताब को दो लख़्त किया
कोई आलम में नहीं उनके इशारे की मिसाल

इश्क़ एक अहमद ने किया मुझको आता वो तोहफ़ा
ज़िन्दगी साथ है मेरे किसी प्यारे की मिसाल

हम तो बस ज़िक्र ए मोहम्मद में महकना चाहें
नात गोई तो है बस अपनी गुज़ारे की मिसाल

शुक्र अल्लाह कि रहमत की नज़र है ‘गुल’ पर
रात शबनम की तरह, सुबह सितारे की मिसाल

गुल बख़्शालवी ( खारिया पाकिस्तान)

नबी पाक की नात शरीफ़

मुझे इनायत जो ज़िंदगी है, उसी का महवर मेरा नबी है
जो है सलीक़ा सजूद ए रब को, मेरे नबी की ही रोशनी है

जमाल ए फ़ितरत, निज़ाम ए क़ुदरत, ब-फ़ैज़ ए अहमद मिला जहां को
अमल से उसने बताया हमको, कहा एक हस्ती खुदा की भी है

नबी के हुस्न ए अमल से दुनिया ने जिंदगी की ज़िया को सोचा
हयात ए अक़दस से इस जहां की शबे क़यामत में लौ लगी है

अबद की रौनक जो रूह चाहे करे इबादत, बस इक ख़ुदा की
कहा नबी ने, नहीं है कोई ये ज़िन्दगी जो जहान की है

मैं सर झुकाए बड़े अदब से ये कह रहा हूं अजीज लोगों
मैं गुल महकता नबी के घर का, मेरा क़बीला मोहम्मदी है

गुल बख़्शालवी
खारिया पाकिस्तान

12 रवि अव्वल ईद मिलादुन नबी की नात शरीफ हिंदी में

जमाल ए दो जहां महबूब रब्बुल आलमीन आएं
आता ए किब्रिया होकर वो ख़त्म उल मउर्सलईन आएं

महक उठी फिज़ा ग़ारे हुरा भी जगमगा उठा
मअतर दर्स ए इकरआ ले के जिबरील अमीं आएं

हुरा की  रोशनी फैली अंधेरे हो गए रुखसत
सरापा नूर बनकर रहबर ए दुनिया ओ दीं आएं

जहूर उनका हुआ जिस दम, पुकारे अर्श वाले भी
मुबारक हो ज़मीं वालों शहे दुनिया ओ दीं आएं

दमक उठी ज़मीं, तारीक़ शब रुखसत हुई यकसर
जहां की बज़्म में, गुल! अर्श के मसनद नशीं आएं

गुल बख़्शालवी

12 रवि अव्वल मीलाद ए मुस्तफा नात शरीफ़ हिंदी में

जिस दिल के आईने में मोहम्मद का नाम है
दोजख़ की आग उस पर यकीनन हराम है

गुल शाह ए बहर ओ बर का एक अदना गुलाम है
इससे बड़े कर्म का तसव्वुर हराम है

मेरी हयात ऐसे नबी की गुलाम है
जो अंबिया का अर्श बरीं पर मकाम है

है नूर के वजूद में बहदानित का राज़ 
गुफ़्तार ए मुस्तफा भी खुदा का कलाम है

गूंजे जहां में नारा ए तकबीर मोमिनों
मीलाद ए मुस्तफा का यही अहतमाम है

रख दो जबीं पे हाथ कहो शाने अंबिया
हम आज़िज़ो के प्यार का तुझ पर सलाम है

तू फ़हम ओ फ़िक्र ओ अमल की हद से है मावरा
झ शाहे अंबिया तुझे मेरा सलाम है

आओ पढ़ें दरूद कि गुल जानते हैं हम
मीलाद ए मुस्तफा भी वफ़ा का कलाम है

गुल बख़्शालवी
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