Ticker

6/recent/ticker-posts

चीफ की दावत कहानी का सारांश समीक्षा चरित्र चित्रण प्रश्न उत्तर

चीफ की दावत कहानी का सारांश समीक्षा चरित्र चित्रण प्रश्न उत्तर


चीफ की दावत कहानी का सारांश - चीफ की दावत कहानी के लेखक भीष्म साहनी हैं। ‘ चीफ की दावत ’ एक मर्मस्पर्शी सामाजिक एवं पारिवारिक कहानी है। चीफ़ की दावत कहानी का प्रकाशन 1956 ई. में हुआ था। इस कहानी में वर्णित तथ्यों के आधार पर, मिस्टर शामनाथ अपनी मां और पत्नी के साथ रहते हैं, जिनके यहाँ एक बार उनके चीफ एवं कुछ मित्र दावत पर बुलाए गए हैं। शामनाथ और उनकी पत्नी दावत की तैयारी में ज़ोर शोर से लग जाते हैं और घर की व्यवस्था ठीक-ठाक कर शाम को पाँच बजे तक दावत की पूरी तैयारी कर लेते हैं। तभी अचानक शामनाथ जी को याद आता है कि बूढ़ी और अनपढ़ मां को मेहमानों के सामने किस तरह लाया जा सकता है। जिस मां को बड़ी मुश्किलों से उन्होंने घर में बंद करके रखा है।

शामनाथ की पत्नी यह सुझाव देती है कि मां को सहेली के घर भेज दिया जाए। परंतु शामनाथ को यह सुझाव ज़रा भी पसंद नहीं आता। वे दोनों यह फ़ैसला करते हैं कि मां को जल्दी से भोजन करवा कर कमरे में सुला दिया जाएगा और कमरे में बाहर से ताला लगा दिया जाएगा। मां की समस्या को लेकर दोनो में विवाद अभी ख़त्म भी नहीं हुआ था कि तभी शामनाथ मां की कोठरी देख वहाँ जाते हैं। कोठरी का दरवाजा बरामदे में खुलता था वह मां के पास जाकर उन्हें आदेश देता है कि वे आज जल्दी खाना खा ले क्योंकि कुछ मेहमान रात को साढ़े सात बजे तक आ जाएँगे। इसलिए उनके आने से पहले वे अपना सारा काम निपटा लें। शामनाथ मां से कहता है जब तक हम लोग बैठक में होंगे तब तक तुम बरामदे में बैठना और उसके बाद गुसलखाने के रास्ते अपने कमरे मे चली जाना। मां भौंचक रहकर सब कुछ सुनती रहती है। साथ ही मां को यह भी आदेश दिया गया कि वे ज़ोर से खर्राटे न मारे। खर्राटे वाली बात सुन मां लज्जित हो जाती है।

चीफ़ की दावत का पूरा इंतजाम हो गया है फिर भी शामनाथ को यह चिंता सताती रहती है कि चीफ़ के आने के बाद कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए। आख़िरकार वह तय कर के एक कुर्सी को बरामदे से कोठरी के बाहर रखते हुए मां को उसी पर बिठा देता है और उनसे कहता है कि आप अपना पाँव न घुमाना और न ही खड़ाऊँ पहनना। घर की सारी व्यवस्था तो उनके ही हाथ में हैं इसलिए मां के संबंध में भी पूरी व्यवस्था कर वह मां को सफेद कमीज़ और सफेद सलवार पहनाता है। और जब चुड़ियाँ पहनने की बात कहता है, तो मां कहती है कि सारे जेवर तुम्हारी पढ़ाई में बिक गए थे। यह सुन शामनाथ तुनककर मां को उल्टा जवाब देता है और खर्चे से दुगुना देने की बात कहता है। इससे उसकी मां बहुत दुखी हो जाती है। इसी तरह समय बीतता है और सब नहा-धोकर मेहमानों के स्वागत के लिए तैयार होते हैं। शामनाथ अपनी मां से कहता है कि अगर मेरे चीफ़ तुमसे कुछ सवाल पूछे तो ठीक से उसका जवाब देना आज की पार्टी से ही मेरी नौकरी आगे बढ़ सकेगी। मां अपनी असमर्थता एवं अज्ञानता प्रकट करती है। मां का मन चुपचाप अपनी विधवा सहेली के यहाँ जाने का था लेकिन बेटे की बात वह टाल नहीं सकती थी, इसी कारण वह मजबूर होकर दुखी दील से चुपचाप बैठी रहती है।

चीफ़ की दावत अपने नियत समय पर शुरू हो जाती है। पार्टी अच्छी चल रही थी और सभी को घर की सुंदर सजावट और पार्टी का माहौल बहुत पसंद आ रहा था। चीफ का रौब दफ़्तर के समान ही यहाँ पर भी दिखाई दे रहा था। इसी तरह दस बज गए। सभी बैठक से उठकर खाना खाने के लिए बरामदे में जा पहुंचे, तभी बरामदे में जाकर सभी ने शामनाथ की मां को कुर्सी पर खर्राटे मारती हुई देखते हैं। यह देख शामनाथ मन ही मन बहुत क्रोधित होता है और दूसरी ओर चीफ के मुँह से धीरे से 'पुअर डियर' निकल जाता है। तभी मां हड़बड़ा कर बैठ जाती है और झट से सिर पर पल्ला रखते हुए खड़ी हो जाती है। मां को शामनाथ कमरे में जाकर सोने के लिए कहता है। चीफ मुस्कराते हुए खड़े होकर मां को 'नमस्ते' कहते हैं। मां के हाथ में माला होने के कारण वह ठीक से नमस्ते नहीं कर पाती। चीफ़ अपना सीधा हाथ मां के सामने बढ़ाते हैं जिससे अफ़सरों की स्त्रियाँ खिलखिलाकर हँस पड़ती हैं। मां हड़बड़ा जाती है। कुछ देर बाद वातावरण हल्का होने लगता है क्योंकि साहब ने स्थिति संभाल ली थी, वे अंग्रेजी में बोलते हैं कि मेरी मां गांव की रहने वाली हैं। उम्र भर गांव में रही है इसलिए आपसे लजाती हैं। साहब मां की हाथ पकड़े हुए ही कहते हैं कि मुझे भी गांव के लोग बहुत पसंद हैं और तुम्हारी मां नाचना और गाना तो जानती ही होगी।

चीफ़ की बात सुनते ही शामनाथ मां पर दबाव डालता हुआ उसे गाना गाने के लिए कहता है। पहले तो मां ने असहज महसूस करते हुए असमर्थता जताई, लेकिन बेटे का ज्यादा दबाव देखकर वह पुराने विवाह गीत की तीन पंक्तियाँ गाती हैं। यह गीत सुन बरामदा तालियों से गूँज उठता है। साहब तालियाँ पीटते रह जाते हैं, यह देख शामनाथ के चेहरे का क्रोध गर्व में बदल जाता है। तालियाँ थमने पर साहब पंजाब के गांवों की दस्तकारी के बारे में पूछते हैं। शामनाथ उन्हें गुड़ियों, फुलकारियों के संबंध में बताता है। फुलकारी के संबंध में उत्सुकता प्रकट करते ही शामनाथ अपनी मां से कोई पुरानी फुलकारी मंगवाता है। चीफ साहब को फुलकारी बहुत पसंद आती है। यह देख शामनाथ कहता है कि यह फटी पुरानी फुलकारी है हम आपको नई फुलकारी बना देंगे। मां अपनी कमज़ोर नज़र का हवाला देकर बनाने की असमर्थता प्रकट करती हैं। परंतु तभी शामनाथ मां की बात काटकर मां द्वारा नई फुलकारी बनाने का वचन चीफ को दे देता है। कुछ देर बाद मां चुपचाप अपनी नज़र हटाकर वहाँ से अपने कमरे में चली जाती हैं।

मां अपनी कोठरी में आकर रोने लगती है। वह बहुत कोशिश करने के बाद भी आँसुओं की धारा को रोक नहीं पाती है। इसी तरह आधी रात हो जाती है, दावत के बाद सभी मेहमान चले गये थे। घर का माहौल का तनाव ढीला पड़ चुका था। तभी शामनाथ मां के पास जाता है। मां डर के मारे चुपचाप बैठ जाती है। उसे अपने बेटे से डर लगने लगता है। वह कांपते हाथों से दरवाज़ा खोलती है। दरवाज़ा खोलते ही शामनाथ झूमते हुए आता है और मां को गले लगाकर कहता है कि तुमने ऐसा रंग जमाया कि साहब बहुत ख़ुश हो गए हैं। 

साहब के खुश होने से मेरी नौकरी में तरक्की पक्की हो गई है। यह सुनकर मां शामनाथ से कहती है कि वह उसे हरिद्वार छोड़ आए ताकि तुम पति-पत्नी आराम से रह सको और वह भी अपने ढंग से जीवन जी सके। परंतु शामनाथ अपनी नौकरी की क़सम देकर कहता है कि तुमने अगर फुलकारी न बनायी तो उसकी नौकरी को ख़तरा हो जाएगा। यह सुन उसकी मां तुरंत बोली कि अगर ऐसा है तो वह फुलकारी ज़रुर तैयार करेगी। मां बेटे के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती रह जाती है, जबकि स्वार्थी बेटा शामनाथ अपने कमरे की ओर चला जाता है।

चीफ की दावत कहानी के प्रमुख पात्रों का चरित्र चित्रण


शामनाथ का चरित्र चित्रण

शामनाथ ‘ चीफ की दावत ’ शीर्षक कहानी का मुख्य पात्र है। वह आधुनिक विचारधारा वाला एक ऐसा विवाहित युवक है जिसे स्वार्थ की साक्षात मूर्ति कहा जा सकता है। वह अपने घर की पूरी व्यवस्था अपने हाथ में लेकर, हर वस्तु को उत्कृष्टता के रूप में रखना चाहता है उसके लिए चाहे उसे तरह तरह का बाहरी दिखावा ही क्यों न करना पड़े। उसके दिल में मां के लिए न तो आदर का भाव है और न ही वह मां के महत्व को समझता है। बल्कि समय समय पर मां का अपमान करता रहता है। वह अपने कृतघ्न रूप को प्रकट करता है। शामनाथ में क्रोध का भाव कूट-कूट कर भरा हुआ है लेकिन बाहर से शांत होने का ढोंग करते हुए वह हमेशा स्वयं को दयावान ही दिखाता है। शामनाथ के चरित्र का सबसे कमज़ोर पक्ष उसकी चापलूसी करने की आदत में निहित है। वह अपने चीफ को प्रसन्न करने के लिए भरपूर चापलूसी करता है और इस चापलूसी के बल बूते पर नौकरी में तरक्की करवाना चाहता है। इस प्रकार लेखक भीष्म साहनी ने शामनाथ के चरित्र के द्वारा एक कृतघ्न, चापलूस, निर्दयी और क्रोधी स्वभाव वाले आधुनिक युवा का चित्र उतारा है।

चीफ की दावत कहानी में शामनाथ की मां का चरित्र

चीफ की दावत कहानी का दूसरा मुख्य पात्र शामनाथ की मां है। वह एक साधारण, घरेलु और अनपढ़ भारतीय महिला है। वो साधारण वेशभूषा में रहती हैं और हर समय इश्वर के ध्यान में मग्न रहती हैं। ग्रामीणों जैसा सादा जीवन उसके चत्रि की प्रमुख विशेषता है। जिसके कारण उसका पुत्र उसे अपनी पार्टी में शामिल करने से कतराता है। शामनाथ की मां के चरित्र का सबसे मजबूत पक्ष उसके पुत्र प्रेम में निहित था लेकिन यही पक्ष उसका सबसे बड़ा दुर्भाग्य बन गया। क्योंकि पुत्र के प्रेम में अंधी होकर न केवल वह बार बार पुत्र द्वारा प्रताड़ित होती रहती है बल्कि कई मुसीबतों का सामना भी करती है। तरह तरह की मुसीबतें झेलने के बाद भी वह अपने पुत्र का भला ही चाहती है, उसकी लंबी उम्र की दुआ करती है और पुत्र को हमेशा खुश देखना चाहती है।

चीफ की दावत कहानी में चीफ का चरित्र

चीफ की दावत कहानी में चीफ का वर्णन एक आला अधिकारी के रूप में हुआ है। चीफ एक रौबदार व्यक्तित्व का स्वामी है। वह अपना वर्चस्व कार्यालय में ही नहीं बल्कि शामनाथ के घर पर भी दिखाता है। चीफ सादगी पर विश्वास करने वाला दयालु अधिकारी है। इसी दयालुपन के कारण ही वह शामनाथ की बुढ़िया मां से प्रभावित ही नहीं होता बल्कि उनसे व्याह में गाया जाने वाला लोकगीत भी सुनता है और उनके हाथ से बनी हुई फुलकारी को भी अपने साथ ले जाना चाहता है। इस तरह लेखक भीष्म साहनी ने चीफ़ के रूप में एक साधारण विचारों वाले सीधे सादे अधिकारी का चित्रण इस कहानी में किया है।

चीफ की दावत कहानी का उद्देश्य

चीफ की दावत कहानी के द्वारा लेखक भीष्म साहनी ने समाज की सच्चाई प्रस्तुत की है। लेखक ने इस कहानी द्वारा चीफ जैसे सहृदयों, शामनाथ जैसे धूर्त, स्वार्थी, चापलूस, शामनाथ की मां जैसी असहाय मां का चरित्र प्रकट कर यह बताया कि जो मां अपने पुत्र के लिए सर्वस्व समर्पित कर देती है उसी का बेटा उसके सर्वस्व समर्पण रूप का लाभ उठा अपने स्वार्थ पूर्ती मे लगा रहता है। ऐसा कृतघ्नी बेटा मां के कर्त्तव्य को लाभ उठा केवल अपने बारे में सोचता है, उसे मां के भावनाओं, इच्छाओं से कोई लेना देना नहीं। 

चीफ की दावत कहानी शीर्षक की सार्थकता 

कहानी का शीर्षक 'चीफ की दावत' अपने आप में स्पष्ट एवं घटना प्रधान है। इसी दावत के कारण प्रत्येक पात्र उभर कर पाठक के सामने आता है। यही दावत शामनाथ के स्वार्थी रूप, मां की सरल हृदया, चीफ़ की सादगी एवं रौबदार व्यक्तित्व को उद्घारित करता है। लेखक का मूल उद्देश्य आज के समाज की सच्चाई प्रस्तुत करना है जो कि इस शीर्षक से चित्रित हो रही है। इसलिए प्रस्तुत शीर्षक सटीक एवं उपयुक्त बन पड़ा है।

चीफ की दावत कहानी के प्रश्न उत्तर


प्रश्न १.

शामनाथ माँ को चीफ़ के सामने क्यों नहीं लाना चाहता है?

उत्तर : शामनाथ अपनी मां के बारे में सोचता है कि मां अनपढ़ और पुराने ख्यालात वाली हैं जो साधारण कपड़ों में ही रहती हैं। अतः इनके बारे में विचार करते हुए शामनाथ सोचता है कि यदि मां यहाँ रहेगी तो उनकी इज्जत को धब्बा लग सकता है। शामनाथ घर की व्यवस्था तो ठीक रख सकता है तथा उन्हें मनमाने ढंग से सजा सकता है लेकिन मां कोई वस्तु नहीं। यही सब सोच कर वह परेशान हो जाता है।

प्रश्न २.

कहानी चीफ़ की दावत में माँ के प्रसंग का मुख्य कारण क्या है? 

उत्तर : माँ के प्रसंग का मुख्य कारण यही है कि शामनाथ अपने चीफ़ को हर हाल में खुश करना और तरक्की पाना चाहता है। लेकिन उसे इस बात का डर सता रहा है कि कहीं ऐसा न हो कि बीच दावत में ही मां के कारण उसके चीफ़ नाराज हो जाएँ और शामनाथ की तरक्की रूक जाए। इसलिए मां को किसी तरह से चीफ की नज़रों से ओझल करने को लेकर प्रसंग छिड़ता है और दोनों पति-पत्नी मां की ठीक व्यवस्था के संबंध में विचार करते हैं।

प्रश्न ३.

शामनाथ द्वारा चीफ को दावत पर बुलाने का उद्देश्य क्या है?

उत्तर : शामनाथ द्वारा चीफ को दावत पर बुलाने का उद्देश्य नौकरी में प्रमोशन पाना है। शामनाथ को चापलूसी करने की आदत है। वह चीफ़ को दावत देकर खुश करना चाहता है ताकि चीफ उसको नौकरी में तरक्की कर दे। इस तरह शामनाथ तरक्की पाने के उद्देश्य से अपने अतिथि चीफ़ को घर बुलाता है और उनका खूब आदर-सत्कार करता है।

प्रश्न ४.

शामनाथ की बात सुनकर मां क्या उत्तर देती है? 

उत्तर : शामनाथ की बात सुनकर मां को बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है। वह शर्मिंदा हो कर अपना सर झुका लेती है और कहती है कि बेटा मैं क्या करूँ मेरे बस की कोई बात नहीं जब से बीमारी से उठी हूँ नाक से सांस ही नहीं लिया जाता।

प्रश्न ५.

किसको, किससे हाथ मिलाने का ढंग सिखाया जा रहा है और क्यों? 

उत्तर : चीफ जब शामनाथ के घर दावत पर आता है तो वह शामनाथ की मां को देखकर आदर से पहले तो नमस्ते करता है फिर उनसे हाथ मिलाने के लिए अपना दांया हाथ आगे बढ़ाता है। शामनाथ की मां के दांये हाथ में माला थी जिसे उसने साड़ी के पल्लू से ढका हुआ था। जिसके कारण वह सीधे हाथ की जगह उल्टा हाथ चीफ के हाथ पर रख देती है। इस बात पर सब लोग हंसने लगते हैं। अपने घर का इस प्रकार मजाक उड़ता देख शामनाथ अपनी मां को चीफ़ से ठीक से हाथ मिलाना सिखाता है।

प्रश्न ६.

शामनाथ के घर आगंतुक के आगमन का उद्देश्य क्या है? 

उत्तर : शामनाथ के घर पर आगंतुक, शामनाथ के आमंत्रण पर उसके घर दावत पर आया है। वास्तव में शामनाथ ने अपनी तरक्की के लिए और चीफ़ को दावत दे कर खुश करने के लिए उसे घर पर दावत पर बुलाया है।

प्रश्न ७.

शामनाथ और उसकी मां के बीच चूड़ियों को लेकर क्या बातचीत होती है? 

उत्तर : शामनाथ अपनी मां से हाथों में चूड़ियाँ डालने को कहता है। यह सुनकर उसकी मां कहती है कि चूड़ियाँ तो पहले ही तेरी पढ़ाई के अत्यधिक ख़र्च के कारण बिक चुकी है। इस पर शामनाथ गुस्से में कहता है कि मां तुम सीधा कहो न कि तुम्हारे पास चूड़ियाँ नहीं हैं, इसका पढ़ाई से क्या तअल्लुक। जेवर अगर बिका है तो कुछ बनकर भी आया हूँ। जितना खर्च किया है उससे दुगना ले लेना। यह सुन मां व्याकुल हो कहती है कि मेरी जीभ जल जाए जो तुम्हारे जेवर लूँ। यूँ ही मुँह से निकल गया था।

प्रश्न ८.

शामनाथ अपनी बूढ़ी मां को क्या-क्या निर्देश देता है और क्यों? 

उत्तर : शामनाथ के घर उसके चीफ़ दावत पर आने वाले हैं। वह घर की व्यवस्था ठीक करने के बाद मां के बारे में सोचता है क्योंकि उसे डर है कि उसकी अनपढ़ और सीधी-सादी मां चीफ के सामने आई तो उसकी इज्जत खराब हो जाएगी और वह तरक्की भी नहीं पा सकेगा। इसलिए वह मां को पहले निर्देश देता है कि वह अपना सारा काम निपटा ले और जब हमारे चीफ़ बैठक से आंगन की ओर आए तो वह बाथरूम के रास्ते अपने कमरे में जाकर सो जाए और जोर से खर्राटे न मारे। कुछ देर बाद वह विचार कर बरामदे पर एक कुर्सी रखता है और मां को आदेश देता है कि पैर नीचे कर वे चुपचाप यहीं बैठी रहें और जो कुछ भी चीफ पूछे उसका ठीक-ठीक उत्तर दें।

प्रश्न ९.

मां ने चीफ़ की दावत में किस तरह से रंग भर दिया?

उत्तर : शामनाथ की मां अनपढ़ एवं ग्रामीण इलाकों में रहने वाली सीधी-सादी महिला है जिनमें अपने परिवार के प्रति संपूर्ण समर्पण का भाव है। चीफ़ से पहली मुलाकात तो फीकी रहती है लेकिन चीफ उनकी सादगी से बहुत प्रभावित होता है। शामनाथ चीफ को बताता है कि उसकी मां गांव की रहने वाली अनपढ़ महिला है। यह सुन चीफ़ मां से गीत सुनने की इच्छा रखता है। शामनाथ के दबाव डालने पर उसकी माँ विवाह गीत की तीन पंक्तियाँ गाती है जिससे दावत में एक नया रंग भर जाता है। बाद मे मां के हाथ के बनी फुलकारी चीफ को और अधिक प्रसन्न कर देती है।

प्रश्न १०.

चीफ़ के आने से पहले शामनाथ अपनी मां को क्या आदेश देता है? 

उत्तर : चीफ़ के आने से पहले शामनाथ अपनी मां को बरामदे की एक कुर्सी में बैठा देता है और उससे कहता है कि तुम इसी पर बैठे-बैठे सबसे मिलना और जो तुमसे पूछे उसका ठीक से जवाब देना। वह अपनी मां को अपने मनपसंद कपड़े पहनाता है और साथ ही आदेश देता है कि वह कुर्सी पर ढंग से पैर नीचे करके बैठे और सबके साथ सलीके से पेश आए।

प्रश्न ११.

शामनाथ के गुस्से होने का क्या कारण था ? 

उत्तर : शामनाथ की पार्टी ठीक-ठाक से सफलता की ओर बढ़ रही थी। चीफ़ बैठक में थे और शामनाथ की व्यवस्था एवं दावत से माहौल शामनाथ के पक्ष में था। तभी अचानक सभी बैठक से बरामदे की ओर खाना खाने पहुंच जाते हैं जहां एक दृश्य देख सब ठिठक जाते हैं। उस बरामदे में कोठरी के बाहर शामनाथ की मां कुर्सी पर दोनों पांव रखे बैठी सोयी खर्राटे मार रही थी। वह दाये से बाये होती झूल रही थी। उसका पल्ला खिसक गया था। तथा मां के झड़े हुए बाल आधे गंजे सिर पर अस्त व्यस्त बिखर रहे थे।। यह दृश्य देखते ही शामनाथ को गुस्सा आ जाता है।

प्रश्न १२.

शामनाथ की मां पार्टी में आए लोगों को देख कैसा महसूस करती है? 

उत्तर : जब पार्टी में आए लोग अचानक बरामदे में शामनाथ की मां को कुर्सी पर सोया हुआ देखते हैं तो यह देख चीफ के मुँह से निकलता है— “ पूअर डियर ” कुछ देर के बाद शामनाथ की मां की नींद खुल जाती है और वह अपने सामने खड़े लोगों को देख घबरा जाती है। उसे बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है और इस शर्मिंदगी के कारण उसका पांव लड़खड़ाने लगता है और हाथों की अंगुलियां थर-थर काँपने लगती हैं।

प्रश्न १३.

शामनाथ की मां और चीफ के बीच पहली मुलाकात में क्या क्या हुआ? 

उत्तर : जब शामनाथ की मां अचानक अपने आप को इतने लोगों के बीच पाती है तो वह घबरा जाती है। लेकिन वहीं दूसरी ओर चीफ शामनाथ की मां को बड़े आश्चर्य के साथ देखते हैं। वे मुस्कुराते हुए शामनाथ की मां को नमस्ते करता है। शामनाथ की मां झिझकते हुए ठीक से उन्हे नमस्ते भी नहीं कर पाती क्योंकि उसके हाथ में माला थी जो कि सीधे हाथ मे थी और उसे साड़ी के पल्लू में छिपा रखा था। चीफ शामनाथ की मां के आगे हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाते हैं। यह देख शामनाथ की मां अपना उल्टा हाथ उनके हाथ पर रख देती है जिससे सभी लोग हँसने लगते हैं। शामनाथ के कहने पर उसकी मां चीफ़ से हाथ मिलाती है। इस प्रकार दोनों की पहली मुलाकात बहुत हास्यास्पद रहती है।

प्रश्न १४.

पार्टी मे आयी समस्या को कौन दूर करता है और कैसे ? 

उत्तर : पार्टी शामनाथ की देखरेख मे बहुत बढ़िया चल रही थी। लेकिन अचानक शामनाथ की मां और चीफ़ की पहली मुलाकात से पार्टी के रंग में भंग पड़ जाता है। शामनाथ की मां भी यह सोच घबरा जाती है। तभी शामनाथ बात को संभालते हुए चीफ को बताता है कि उसकी मां गांव की रहने वाली है। इस पर चीफ कहता कि गांव लोग तो भोले होते हैं और बहुत सुंदर गीत गाते हैं। चीफ के आग्रह करने पर और शामनाथ के निर्देश देने पर शामनाथ की मां विवाह-गीत की कुछ पंक्तियाँ गाती है और कुछ देर बाद उसके हाथ की बनी फुलकारी चीफ़ को अधिक पसंद आती है। इस प्रकार शामनाथ की मां के कारण पार्टी का रंग दुबारा जम जाता है और चीफ़ बहुत प्रसन्न होकर वहाँ से जाते हैं।

प्रश्न १५.

शामनाथ की मां के चेहरे का रंग फीका क्यों पड़ा हुआ था? 

उत्तर : शामनाथ की मां को दावत में अपन अपमान दिखाई देता है। वह उस दावत में स्वयं को बड़ा लज्जित महसूस करती है। साथ ही बेटे के समझाने के बाद भी वह कुर्सी पर पैर रख कर बैठती है और उसे चीफ़ के सामने हास्य का पात्र भी बनना पड़ा। इन सब बातों पर विचार करते हुए उसके आँखों से आँसू निकलने लगते हैं और उसके चेहरे का रंग भी फीका पड़ जाता है।

प्रश्न १६.

मां के चेहरे का रंग बाद में क्यों बदलने लगता है? 

उत्तर : दावत ख़त्म होने के बाद शामनाथ बहुत खुश होकर मां के पास आया और उसने बताया कि “उसका चीफ आपसे बहुत प्रसन्न है। वह आपकी बहुत तारीफ कर रहा था और इस तारीफ का मतलब है कि अब उसकी भी तरक्की हो ही जाएगी।” अपने पुत्र को इस तरह प्रसन्न देख मां का सहृदय मन प्रसन्न हो गया जिससे उसके चेहरे का भी रंग बदलने लगा।

प्रश्न १७.

चीफ की दावत कहानी के आधार पर शामनाथ का चरित्र कैसा है? 

उत्तर : प्रस्तुत अंश के आधार पर कहा जा सकता है कि शामनाथ की मां सीधी- सादी सहृदय मां है जिसे अपना पुत्र प्राणों से अधिक प्यारा है। वह मां पुत्र को दुखी देख दुखी हो जाती है जबकि पुत्र के द्वारा सताये जाने के बाद भी पुत्र के मुख पर थोड़ी खुशी देख प्रसन्नता से खिल उठती है। उसके आँखों में उस समय एक ऐसी चमक आने लगती है कि मानो वह संसार की सबसे सुखी स्त्री हो।
***

चीफ की दावत कहानी का सारांश समीक्षा चरित्र चित्रण प्रश्न उत्तर


चीफ की दावत वस्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तर Chief Ki Dawat Objective Question Answer


१. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
प्रश्न १.

चीफ की दावत किसके घर पर थी?

उत्तर: चीफ़ की दावत मिस्टर शामनाथ के घर पर थी।

प्रश्न २.

शामनाथ की पत्नी ने माँ को कहाँ भेजने के लिए कहा?

उत्तर: शामनाथ की पत्नी ने माँ को पिछवाड़े वाली सहेली के घर भेजने के लिए कहा।

प्रश्न ३.

शामनाथ माँ को कौन से रंग के शलवार-कमीज़ पहनने के लिए कहते हैं?

उत्तर: शामनाथ माँ को सफेद कमीज और सफेद शलवार- कमीज़ पहनने के लिए कहते हैं।

प्रश्न ४.

माँ के सब ज़ेवर क्यों बिक गए थे?

उत्तर: माँ के सब जेवर शामनाथ की पढ़ाई के लिए बिक गए थे।

प्रश्न ५.

माँ क्या नहीं टाल सकती थी?

उत्तर: माँ बेटे के हुकुम को नहीं टाल सकती थी।

प्रश्न ६.

मेम साहब को क्या पसंद आये थे?

उत्तर: मेम साहब को पर्दे, सोफा कवर का डिजाइन तथा कमरे की सजावट आदि पसंद आये थे।

प्रश्न ७.

सभी देसी स्त्रियों की आराधना का केन्द्र कौन बनी हुई थी?


उत्तर: सभी देसी स्त्रियों की आराधना का केन्द्र चीफ़ कि पत्नी बनी हुई थी।

प्रश्न ८.

माँ क्या गाने लगी?

उत्तर: माँ एक पुराना विवाह का गीत गाने लगीं हरिया नी - मायँ, हरिया नी भैणे हरिया तें भागी भरिया हो

प्रश्न ९.

किसने पार्टी में नया रंग भर दिया?

उत्तर: माँ ने पार्टी में नया रंग भर दिया।

प्रश्न १०.

चीफ़ साहब बड़ी रुचि से किसे देखने लगे?

उत्तर: चीफ साहब बड़ी रुचि से फुलकारी को देखने लगे।

प्रश्न ११.

चीफ साहब की चापलूसी करने से शामनाथ को क्या लाभ हो सकता था?

उत्तर: चीफ साहब की चापलूसी करने से शामनाथ की तरक्की हो सकती थी।

प्रश्न १२.

माँ मन-ही-मन किसके उज्ज्वल भविष्य की कामनाएं करने लगीं?


उत्तर: माँ मन-ही-मन अपने बेटे शामनाथ के उज्जवल भविष्य की कामनाएँ करने लगी।

और पढ़ें 👇

और पढ़ें 👇

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ