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प्रेमचंद की कहानी कला की विशेषताएं Premchand Ki Kahani Kala Ki Visheshtaen

प्रेमचंद की कहानी कला की विशेषताएं Premchand Ki Kahani Kala Ki Visheshtaen


हिंदी और उर्दू के महान कथाकार और उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद को भाव और कला दोनों ही दृष्टियों से बहुत महान माना जाता है। हिन्दी कहानी कला के सच्चे तत्व पहली बार उनके कथा साहित्य में दिखाई देते हैं। प्रेमचंद सचमुच हमारे लिए पहले मौलिक कलाकार हैं। उनकी कहानी कला की विशेषताएं निम्नानुसार हैं—

कथानक 

कथानक की दृष्टि से देखा जाए तो प्रेमचंद का कथा साहित्य अपने आप में बड़ी व्यापकता लिए हुए है। ऐतिहासिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक और मानवीय सरोकार से संबंधित सभी क्षेत्रों से उन्होंने अपनी कहानियों के कथानक लिए हैं। सामाजिक कहानियों में उन्होंने समाज सुधार, ग्रामीण नागरिक और नारी जीवन की अनेक समस्याओं का सजीव चित्रण किया है।


प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में जिन घटनाओं को स्थान दिया है उन्हें बड़े कलात्मक ढंग से हमारे सामने रखा है। तिलस्मी कहानी की तरह वे केवल वैचित्र्य और कुतूहल प्रधान नही हैं बल्कि उनका कार्य केवल मनोरंजन करना ही नहीं हैं, अपितु वे एक निश्चित उद्देश्य और सिद्धांत को लेकर चलते हैं।


पात्र-योजना एवं चरित्र चित्रण

प्रेमचंद की कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता वस्तुतः मानव चरित्र की वास्तविक व्याख्या है। प्रेमचंद के पहले की हिन्दी कहानियां और साहित्य, कहानी के इस मूल तत्व से सर्वथा ख़ाली दिखाई देता था। प्रेमचंद ने पहली बार चरित्र प्रधान कहानियों हम सबको परिचित कराया।

संवाद एवं कथोपकथन

मुंशी प्रेमचंद की कहानियों के कथोपकथन भी बड़े स्वाभाविक और सजीव होते हैं। वे सर्वत्र पात्र, देश काल, परिस्थिति, स्वभाव, रूचि के अनुकूल हैं। वह शिक्षित, राजा-रंक, सेठ मजदूर सबके मुँह से मर्यादानुकूल उसी की भाषा में संवाद कराते हैं। इसके साथ ही वह कथोपकथन की सुसम्बद्धता, उसकी श्रृंखला और नियंत्रित स्वरूप का भी बखूबी ध्यान रखते हैं।

देशकाल एवं वातावरण योजना

प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में परिस्थितियों तथा वातावरण का चित्रण बड़ी कुशलता से किया है। उनके सभी वर्णन सजीव और कथानक के विषय में सहायक हुए हैं। घटनाओं के वर्णन में घटनाओं की पृष्ठ भूमि के चित्रण में, पात्रों के चरित्र को प्रस्तुत करने में वास्तव में प्रेमचंद को विशेष कुशलता प्राप्त थी।

भाषा-शैली

प्रेमचंद की कहानी कला की उत्कृष्टता का अधिकतर श्रेय उनकी भाषा कुशलता को जाता है। प्रेमचंद भाषा के सम्राट हैं। उच्च साहित्यिक हिन्दी, बोलचाल की हिन्दी, उर्दू-हिन्दी के संयोग से बनी भारतीय सभी प्रकार की भाषा सीबू अच्छी तरह परिचित थे। शब्दों का तो उनके पास अटूट खजाना था। भाषा की भाँति शैली के भी अनेक रूप हमें देखने को मिलते हैं। वह वर्णनात्मक, संकेतात्मक, चित्रात्मक, नाटकीय और हास्य व्यंग्य प्रधान सभी कुछ हैं। शिल्प विधान की दृष्टि से प्रेमचंद जी ने ऐतिहासिक, नाटकीय, आत्मचरित्रात्मक, पत्रात्मक, डायरी, शैली आदि सभी शैलियों में अपनी कहानियाँ लिखी हैं। ऐतिहासिक शैली को अवश्य उन्होंने अधिक प्रधानता दी है। इस प्रकार की शैली में लिखी गई कहानियों में उन्हें सफलता भी खूब मिली हैं। 

उद्देश्य

मुंशी प्रेमचंद का सभी कथा साहित्य सोद्देश्य है वह मनोरंजन के लिए नहीं लिखा गया है बल्कि वह किसी न किसी निश्चित उद्देश्य का प्रतिपादन करता हुआ चला है। इन सभी कहानियों में प्रेमचंद का अपना जीवन दर्शन है, अपनी विचारधारा है। इसी ने उनके कथा साहित्य के घटना चक्र को जन्म दिया है और पात्रों की सृष्टि की है।

हिन्दी कथा साहित्य में प्रेमचंद का स्थान

हिन्दी कथा साहित्य के इतिहास खंगाला जाए तो यह बात सर्वथा स्पष्ट है कि प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी तथा साहित्य के जन्म दाता हैं। वे अपने में स्वयं एक कहानी युग थे, जिसमें हिन्दी कहानियों के सच्चे तत्व अंकुरित हुए, विकसित हुए और उनसे भारतीय साहित्य में सुगन्ध और सुंदरता आई। बंगला कहानी साहित्य में टैगोर की तरह प्रेमचंद ने कहानी को प्रेरणा दी और उसके भाव क्षेत्र को अधिक से अधिक समृद्ध बनाया और सम्मान दिलाया।

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