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नाखून क्यों बढ़ते है निबंध का सारांश समीक्षा प्रश्न उत्तर | Nakhun Kyu Badhte Hai Summary Questions Answers

नाखून क्यों बढ़ते है निबंध का सारांश – Nakhun Kyu Badhte Hai Summary


आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने अपने साहित्यिक रचनात्मकता के द्वारा भारतीय सांस्कृतिक विरासत की मानवातावादी धरोहर को अखण्ड बनाए रखने का भरपूर प्रयास किया है। हिंदी साहित्य के क्षेत्र में उनका यह प्रयास सराहनीय एवं प्रशंसनीय है। आज के पोस्ट में हम आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित निबंध नाखून क्यों बढ़ते हैं – Nakhun Kyu Badhte Hai का सारांश, समीक्षा और दीर्घ उत्तरीय एवं लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर तथा ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर ( Objective Question Answer ) बताने जा रहे हैं ताकि विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी में लगे हुए छात्र-छात्राओं को पर्याप्त सहायता मिल सके।

नाखून क्यों बढ़ते है निबंध का सारांश

वर्तमान काल में हमारे हाथ पैरों के नाखून का बढ़ते रहना और और हम सबके द्वारा उसे नियमित रूप से काटते जाने की प्रक्रिया निरंतर जारी रहती है। नाखून का इस प्रकार लगातार बढ़ते रहना और मनुष्य द्वारा उसको लगातार काटते रहना इस प्रक्रिया से एक प्रकार से देखा जाए तो नाखून का अपमान होता है और हम सब उसकी उपेक्षा करते हैं लेकिन इसके बावजूद भी उसके लगातार बढ़ने में कोई कमी नहीं आई है बल्कि हम रोज नाखून काटते हैं तब भी वह रोज बढ़ने लगते हैं।

प्राचीन काल में जब मनुष्यों में ज्ञान का अभाव था और अस्त्रों-शस्त्रों से उसका कोई परिचय नहीं था, तब इन्हीं नाखूनों की सहायता से उसने अपनी रक्षा करने का उपाय निकाला था।

उस समय मनुष्य ने नाखून को ताकतवर हथियार समझा, लेकिन समय के साथ उसकी बुद्धि का विकास होता गया और उसने अपनी रक्षा के लिए तरह-तरह के विस्फोटक और विध्वंसकारी अस्त्रों एवं शस्त्रों का आविष्कार कर लिया और अब तो नाखूनों की उसे कोई आवश्यकता ही नहीं रही। लेकिन कुदरत का दिया हुआ यह हथियार आज भी अपने कर्तव्य को भूल नहीं सका है इसलिए यह लगातार बढ़ते रहता है।

मनुष्यों की नाखून के प्रति इस उपेक्षा से ऐसा लगता है कि वह अब पाशविकता का त्याग और मानवता का अनुसरण करने की ओर उन्मुख हो रहा है, परंतु आधुनिक मानव के क्रूर कर्मों, जैसे हिरोशिमा शहर पर बमबारी से मनुष्यों के मानवतावादी होने पर संदेह उत्पन्न होता है, क्योंकि यह पाशविकता तो मानवता को चुनौती देने वाली है । वात्सायन के कामसूत्र से ऐसा ज्ञात होता है कि नाखून को विभिन्न ढंग से काटने एवं सँवारने का भी एक युग रहा होगा।

प्राणी विज्ञानियों के मतानुसार नाखून के बढ़ने में सहज वृत्तियों का प्रभाव है। नाखून का बढ़ना इस बात की निशानी है कि शरीर में अब भी पाशविक गुण उपस्थित है। अस्त्र -शस्त्र में वृद्धि भी उसी भावना की परिचायिका है।

मानव आज सभ्यता के शिखर पर अधिष्ठित होने के लिए कृत-संकल्प है। विकासोन्मुख है किन्तु मानवता की ओर नहीं, बल्कि पशुता की ओर। इसका भविष्य उज्ज्वल है किन्तु अतीत का मोहपाश सशक्त है। ‘स्व’ का बंधन तोड़ देना आसान दिखाई नहीं देता है। कालिदास के विचाराधारा में मानव को अव्वाचीन अथवा प्राचीन से अच्छाइयों को ग्रहण करना चाहिए तथा बुराइयों का बहिष्कार करना चाहिए। मूर्ख इस कार्य में अपने को असमर्थ पाकर दूसरों के निर्देशन पर आश्रित होकर भटकते रहते हैं।

भारत का प्राचीन इतिहास इस बात की गवाही देता है कि यहां अलग-अलग जातियों के आने से संघर्ष होता रहा, लेकिन उनकी धार्मिक प्रवृति में अत्याचार, बर्बरता और क्रूरता को कहीं आश्रय नहीं मिला। उनमें तप, त्याग, संयम और संवेदना की भावना का ही बाहुल्य था। इसलिए की मनुष्य विवेकशील प्राणी हैं। अत: पशुता पर विजय प्राप्त करना ही मानव का विशिष्ट धर्म है। वाह्य उपकरणों की वृद्धि पशुता की वद्धि है। महात्मा गांधी की हत्या इसका ज्वलंत प्रमाण है। इससे सुख की प्राप्ति कदापि नहीं हो सकती।

जिस प्रकार नाखून का बढ़ना पशुता का तथा उनका काटना मनुष्यत्व का प्रतीक है, उसी प्रकार अस्त्र-शस्त्र की वृद्धि एवं उनकी रोक में पारस्परिक संबंध है। इससे सफलता का वरण किया जा सकता है, किंतु चरितार्थता की छाया भी स्पर्श नहीं की जा सकती। अत: आज मानव का पुनीत कर्तव्य है कि वह हृदय-परिवर्तन कर मानवीय गुणों को प्रचार एवं प्रसार के साथ जीवन में धारण करे क्योंकि मानवता का कल्याण इसी से सत्य एवं अहिंसा का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।

नाखून क्यों बढ़ते है निबंध का प्रश्न एवं उत्तर


प्रश्न १.

नाखून क्यों बढ़ते हैं ? यह प्रश्न लेखक के आगे कैसे उपस्थित हुआ ?

उत्तर : नाखून क्यों बढ़ते हैं ? जब लेखक की छोटी लड़की ने एक दिन उनसे यह प्रश्न किया उसी दिन से यह प्रश्न लेखक के दिमाग बार बार घूमता रहा और सोचने का विषय बन गया।

प्रश्न २.

‘स्वाधीनता’ शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है?

उत्तर : ‘स्वाधीनता’ शब्द की सार्थकता के बारे में लेखक कहते हैं कि स्वाधीनता शब्द का अर्थ है अपने ही अधीन रहना। क्योंकि यहाँ के लोगों ने अपनी स्वतंत्रता के जितने भी नामकरण किये उनमें हैं। स्वतंत्रता, स्वराज, स्वाधीनता । उनमें स्व का बंधन अवश्य है।

प्रश्न ३.

लेखक के अनुसार सफलता और चरितार्थता क्या है?

उत्तर- लेखक के अनुसार सफलता और चरितार्थता में लेखक ने बहुत अंतर होने की बात बतायी है। किसी भी प्रकार से बल, छल या बुद्धि से सफल हो जाना सफलता है लेकिन प्रेम, मैत्री, त्याग एवं जनकल्याण का भाव रखते हुए जीवन में आगे बढ़ना चरितार्थता है।

प्रश्न ४.

लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता क्या है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि आप पर अपने आपके द्वारा लगाया हुआ बंधन, भारतीय चित्त जो आज की अधीनता के रूप में न सोचकर स्वाधीनता के रूप में सोचता है। यह भारतीय संस्कृति की विशेषता का ही फल है। यह विशेषता हमारे दीर्घकालीन संस्कारों से आयी है, इसलिए स्व के बंधन को आसानी से नहीं छोड़ा जा सकता है।

प्रश्न ५.

मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखून भी एक दिन झड़ जाएंगे। प्राणी शास्त्रियों के इस अनुमान से लेखक के मन में कैसी आशा जगती है?

उत्तर : वर्तमान समय में प्राणी शास्त्रियों का ऐसा अनुमान है कि एक दिन मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखुन भी झड़ जायेंगे। इस तथ्य के आधार पर ही लेखक के मन में यह आशा जगती है कि भविष्य में मनुष्य के नाखूनों का बढ़ना बंद हो जायेगा और मनुष्य का अनावश्यक अंग उसी प्रकार झड़ जायेंगे जिस प्रकार उसकी पूँछ झड़ गयी है अर्थात् मनुष्य पशुता को पूर्णतः त्याग कर पूर्ण रूप से मानवता को प्राप्त कर लेगा।

प्रश्न ६.

लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना कहां तक संगत है?

उत्तर : मनुष्य जब जंगली था, कुछ लाख वर्षों पहले उसे अपने नाखून की आवश्यकता थी। वनमानुष के समान मनुष्य के लिए नाखून अस्त्र था। क्योंकि आत्मरक्षा एवं भोजन के लिए नाखून की सहायता ली जाती थी। उन दिनों अपने दुश्मनों को या फिर शिकार को पछाड़ने के लिए नाखून आवश्यक था । वास्तव में तब नाखून ही उसके अस्त्र थे। उस समय उसके पास लोहे या कारतूस वाले अस्त्र नहीं हुआ करते थे, इसलिए नाखून को अस्त्र कहा जाना बिल्कुल उपयुक्त और तर्कसंगत है।

प्रश्न ७.

लेखक ने किस प्रसंग में कहा है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट करें।


उत्तर : लेखक ने रूढ़वादी विचारधारा और प्राचीन संवेदनाओं से हटकर जीवन-यापन करने के प्रसंग में कहा है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती। लेखक के कहने का अभिप्राय है कि मरे हुए बच्चे को गोद में दबाये रहने वाली बंदरियां मनुष्य का आदर्श कभी नहीं बन सकती। अर्थात केवल प्राचीन विचारधारा या रूढ़िवादी विचारधारा विकासवाद के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती। मनुष्य को एक बुद्धिजीवी होने के नाते परिस्थिति के अनुसार उपलब्ध साधन का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न ८.

मनुष्य बार-बार नाखूनों को क्यों काटता है?

उत्तर : मनुष्य हमेशा सभ्य होने के लिए प्रयास करता रहा है। प्राचीन काल में मानव एवं पशु एक-समान थे। नाखून मनुष्य के अस्त्र थे। लेकिन जैसे-जैसे मानव विकास की ओर अग्रसर होता गया मनुष्य पशु से भिन्न होता गया। उसके अस्त्र-शस्त्र, आहार-विहार, सभ्यता-संस्कृति में लगातार नवीनता आती गई। वह पुरानी जीवन-शैली को बदलता गया। जो नाखून अस्त्र थे उसे अब सौंदर्य का रूप दिया जाने लगा। इसमें नयापन लाने, इसे सँवारने एवं पशु से भिन्न दिखने के लिए नाखूनों को मनुष्य काट देता है।

प्रश्न ९.

निबंध में लेखक ने किस बूढ़े का जिक्र किया है ? लेखक की दृष्टि में बूढ़े के कथनों की सार्थकता क्या है?

उत्तर : नाखून क्यों बढ़ते हैं निबंध में महात्मा गाँधी को लेखक ने बूढ़े के प्रतीक रूप में वर्णन किया है। लेखक की दृष्टि से महात्मा गाँधी के कथनों की सार्थकता उभरकर इस प्रकार आती है— आज मनुष्य में जो पाशविक प्रवृत्ति है उसमें सत्यता, सौंदर्यबोध एवं विश्वसनीयता का कोई भी स्थान नहीं है। महात्मा गाँधी ने समस्त जनसमुदाय को हिंसा, क्रोध, मोह और लोभ से दूर रहने की सलाह दी। गंभीरता को धारण करने की सलाह दी, परंतु इनके सारे उपदेश बुद्धिजीवी वर्ग के लिए उपेक्षित रहा।

प्रश्न १०.

बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है?

उत्तर : प्राचीन काल में मनुष्य जंगलों में रहता था। वह वनमानुष की तरह दिखाई देता था। उस समय वह अपने नाखून की सहायता से जीवन की रक्षा करता था। आज नखधर मनुष्य अत्याधुनिक हथियार का विकास करके आगे की ओर चल पड़ा है। पर उसके नाखून अब भी बढ़ रहे हैं। बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को याद दिलाती है कि तुम भीतर वाले अस्त्र से अब भी वंचित नहीं हो। तुम्हारे नाखून को भुलाया नहीं जा सकता। तुम वही प्राचीनतम नाखून एवं दांत पर आश्रित रहने वाला जीव हो। पशु की समानता तुममें अब भी विद्यमान है।

प्रश्न ११.

सुकुमार विनोदों के लिए नाखून को उपयोग में लाना मनुष्य ने कैसे शुरू किया? लेखक ने इस संबंध में क्या बताया है?

उत्तर : लेखक ने कहा है कि पशू रूप में मानव जब धीरे-धीरे विकसित हुआ, सभ्य बना तब पशुता की पहचान को बनाए रखनेवाले नाखून को काटने की प्रवृत्ति पनपी। यही प्रवृत्ति कलात्मक रूप लेने लगी। वात्स्यायन के कामसूत्र से पता चलता है कि भारतवासियों में नाखूनों को सँवारने का प्रचलन आज से दो हजार वर्ष पहले विकसित हुई थी। उसे काटने की कला बहुत मनोरंजक बताई गई है। त्रिकोण, वर्तुलाकार, चंद्राकार, दंतुल आदि विविध आकृतियों के नाखुन उन दिनों विलासी नागरिकों के मनोविनोद का साधन बना।

प्रश्न १२.

नाखून बढ़ाना और उन्हें काटना कैसे मनुष्य की सहजात वृत्तियां हैं? इनका क्या अभिप्राय है?

उत्तर : मानव शरीर में बहुत सी आदतें जन्म से ही चली आ रही है। दीर्घकालीन आवश्यकता बनकर मानव शरीर में विद्यमान रही सहज वृत्तियां ऐसे गुण हैं जो अनायास ही अनजाने में अपने आप काम करती हैं। नाखून का बढ़ाना उनमें से एक है। वास्तव में सहजात वृत्तियां अनजान स्मृतियों को कहा जाता है। नाखून बढ़ाने की सहजात वृत्ति मनुष्य में निहित पशुत्व का प्रमाण है। उन्हें काटने की जो प्रवृति है वह मनुष्यता की निशानी है। मनुष्य के भीतर पशुता है लेकिन वह उसे बढ़ाना नहीं चाहता है । मानव पशुता को छोड़ चुका है क्योंकि पशु बनकर वह आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए पशुता की पहचान नाखून को मनुष्य काट देता है।

Nakhun Kyu Badhte Hai Objective Question Answer


प्रश्न १

सब पूराने अच्छे नहीं होते और सब नये खराब नहीं होते ऐसा किसने कहा? 

उत्तर : कालीदास ने

प्रश्न २.

द्विवेदी जी ने निर्लज्ज अपराधी किसे कहा है?

उत्तर : नाखून को

प्रश्न ३.

हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित पाठ है?

उत्तर : नाखून क्यों बढ़ते हैं

प्रश्न ४.

नाखून क्यों बढ़ते हैं क्या है?

उत्तर: ललित निबंध है

प्रश्न ५.

पुराने का मोह सब समय वांछनीय ही नही होता किस लेखक की पंक्ति है?

उत्तर : हजारी प्रसाद द्विवेदी

प्रश्न ६.

दधीचि की हड्डी से क्या बना था?

उत्तर : इंद्र का वज्र

प्रश्न ७.

हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म कब हुआ?

उत्तर : 1907

प्रश्न ८.

नख (नाखून) किसका प्रतिक है?

उत्तर : पशुता का

प्रश्न ९.

लेखक के अनुसार मनुष्य के नाखून किसके जीवंत प्रतिक है?

उत्तर : पाशविक वृति के

प्रश्न १०.

सहजात वृतियां किसे कहते हैं?

उत्तर : अनजान स्मृतियों को

प्रश्न ११.

द्विवेदी से किसने पूछा था नाखून क्यों बढ़ते हैं?

उत्तर : लड़की ने

प्रश्न १२.

नाखून क्यों बढ़ते हैं पाठ में बुढ़े ने सबसे बड़ी चीज किसे माना है?

उत्तर : प्रेम

प्रश्न १३.

किस देश के लोग बड़े-बड़े नख पसंद करते हैं?

उत्तर : गौर देश के

प्रश्न १४.

अनामदास का पोथा उपन्यास किस लेखक की कृति है?

उत्तर : हजारी प्रसाद द्विवेदी

प्रश्न १५.

‘नाखून क्यों बढ़ते हैं से गद्य की कौन-सी विधा है?

उत्तर : ललित निबंध

प्रश्न १६.

द्विवेदीजी को ‘आलोकपर्व’ पर कौन-सा पुरस्कार मिला?

उत्तर : साहित्य अकादमी पुरस्कार

प्रश्न १७.

‘कालिदास की लालित्य योजना’ किनकी रचना है-

उत्तर : हजारी प्रसाद द्विवेदी की

प्रश्न १८.

मनुष्य को नाखून की जरूरत कब थी?

उत्तर : जंगली जीवन में

प्रश्न १९.

देवेन्द्र को मानवेन्द्र से क्यों सहयोग लेना पड़ा ?

उत्तर : लोहे के अस्त्र-शस्त्र के कारण

प्रश्न २०.

‘नखधर’ मनुष्य किसपर भरोसा करके आगे की ओर चल पड़ा है ?

उत्तर : एटम बम पर

प्रश्न २१.

मनुष्य को सुखी बनने हेतु भौतिक संसाधनों की वृद्धि करने की सलाह कौन लोग देते हैं ?

उत्तर : नेता

प्रश्न २२.

कौन नाखून को जिलाए जा रहा है?

उत्तर : प्रकृति

प्रश्न २३.

‘नाखुन क्यों बढ़ते हैं। निबंध में लेखक ने किस बूढ़े का जिक्र किया है?

उत्तर : महात्मा गाँधी

प्रश्न २४.

‘दंतावलंबी’ का क्अया र्थ है –

उत्तर : दाँत का सहारा लेकर जीनेवाला

प्रश्न २५.

समवेदना का उपयुक्त अर्थ क्या है-

उत्तर : दूसरे के दुख को महसूस करना

प्रश्न २६.

‘नाखून क्यों बढ़ते हैं निबंध में निबंधकार का कौन-सा दृष्टिकोण प्रकट होता है?

उत्तर : मानववादी

प्रश्न २७.

‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ निबंध नई पीढ़ी में कैसा भाव जगाता है ?

उत्तर : सांस्कृतिक आत्मगौरव

प्रश्न २८.

‘हिन्दी साहित्य का आदिकाल’ के रचनाकार हैं-

उत्तर : आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

प्रश्न २९.

‘उत्स’ का अर्थ है-

उत्तर : स्रोत उत्तर

प्रश्न ३०

‘कामसूत्र’ किसकी रचना है ?

उत्तर : वात्स्यायन की

प्रश्न ३१.

‘सिक्थक’ का अर्थ होता है

उत्तर : मोम

प्रश्न ३२.

‘महाभारत’ क्या है ?

उत्तर : पुराण

प्रश्न ३३.

हिरोशिमा कहाँ अवस्थित है?

उत्तर : जापान

प्रश्न ३४.

कौन मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती?

उत्तर : बंदरियाँ

प्रश्न ३५.

‘देवताओं का राजा’ से किन्हें सम्बोधित किया जाता है?

उत्तर : इन्द्र को

प्रश्न ३६.

‘नख’ किसका प्रतीक है?

उत्तर : पशुता का

प्रश्न ३७.

‘पृथ्वीराज रासो’ किनका सम्पादन है?

उत्तर : हजारी प्रसाद द्विवेदी का

प्रश्न ३८.

‘अशोक के फूल’ किनकी रचना है?

उत्तर : सुमित्रानन्दन पंत की

प्रश्न ३९.

हजारी प्रसाद द्विवेदी की मृत्यु कब और कहाँ हुई?

उत्तर : 1979, दिल्ली में

प्रश्न ४०.

प्राचीन मानव का प्रमुख अस्त्र-शस्त्र क्या था ?


उत्तर : नाखून

प्रश्न ४१.
अलक्तक का अर्थ क्या है ?

उत्तर : आलता

प्रश्न ४२.

कहानी में चंद्रकार, त्रिकोण , दंतुल , वर्तुलाकार आकृतियों का संबंध मानव के किस अंग से हैं ?

उत्तर : नख से

प्रश्न ४३.

नाखून का इतिहास किस पुस्तक में मिलता है ?

उत्तर : कामसूत्र में

प्रश्न ४४.

हजारी प्रसाद द्विवेदी ने डी· लिट· की उपाधि किस विश्वविद्यालय से प्राप्त की ?

उत्तर : लखनऊ विश्वविद्यालय से

प्रश्न ४५.

प्राचीनकाल में दक्षिण भारत के लोग कैसा नाख़ून रखते थे ?

उत्तर : छोटे-छोटे

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