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आजादी पर शायरी | स्वतंत्रता दिवस 2022 पर कविता Independence Day Shayari

आज़ादी पर शायरी Azadi Poetry In Hindi | Jashn E Azadi Shayari In Hindi

लोग कहते हैं कि आज आजादी का दिन है लेकिन
मेरा दिल तो आज भी तेरी मोहब्बत की गिरफ्त में है
— प्रेमनाथ बिस्मिल

Log Kahate Hain Ki Aaj Azadi Ka Din Hai Lekin
Mera Dil To Aaj Bhi Teri Mohabbat ki Girft Mein Hai
— Premnath Bismil

देशभक्ति कविता

आजादी के दीवाने
माँ से बढकर भारत माता,
सब दुनिया इसे है मानती।
आजादी के दीवानों की,
आओ सब मिल करें आरती।।

स्वतंत्रता दिवस पर देशभक्ति कविता

देश की खातिर मर मिट गये,
उन हिम्मतवालों का अभिनंदन।
आजादी के दीवानों की,
पूजा कर,मन से करें वंदन।।
दुश्मन भी घबरा गया देखों,
शेरों ने आवाज लगाई।
आजादी के दीवानों की,
किसी ने पार नहीं पाई।।
एकरूपता उस मिशाल की,
घर-घर में खुशबू फैल गई।
मनमौजी उन परवानों से,
अंग्रेजी हुकूमत हार गई।।
फांसी का फंदा और गोली,
थोड़ा सा भी डरा न पाई।
आजादी के दीवानों को,
शत-शत बार नमन है भाई।।
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राजस्थान)

जश्न आज़ादी दास्तां-ए-आजादी Jashn E Azadi Shayari In Hindi आजादी पर शायरी

जश्न आज़ादी
दास्तां-ए-आजादी
( मुक्तछंद काव्य रचना )
वही पुराने लाल किले से,
आज मैं भारत बोल रहा हूँ।
बदले रंग इस आज़ादी के,
आज मैं यहां देख रहा हूँ।
इस लहराते तिरंगे की,
बड़ी ही अजब सी कहानी है।
लहुलुहान धरती मां की,
देखो कोख भी हुई विरान है।
लाल उनके सब हुए शहिद,
तिरंगा लहराकर वो चलें गएं।
गुलामी की बेड़ियां तोड़कर वो,
जान अपनी न्यौछावर कर गए।
देशभक्ति का जुनून उनका,
आज भी मुझे याद आता है।
गले में लगाकर फाशी का फंदा,
हंसते हंसते वो मुझसे विदा हो गए।
गुलामी का हाल होता है क्या?
इस जमाने ने कहां,कब देखा है।
इतिहास का पन्ना पन्ना लहु से भरा,
उसी आजादी का आज भी गवाह है।
बदलते वक्त को मैंने देखा है,
लेकिन बदले इन्सान आज देख रहा हूँ।
वही पुराने लाल किले से,
दास्तां-ए-आजादी मैं सुना रहा हूँ।
प्रा.गायकवाड विलास.
मिलिंद क.महा.लातूर.
9730661640
महाराष्ट्र

जश्न-ए-आज़ादी शायरी | Jashn E Aazadi Shayari In Hindi

जश्न-ए-आज़ादी
लहू से सींचा, जिसने ये धरती,
आज़ाद देश के वो वीर है।
लहराता है जो तिरंगा,
खींची गई वो शमसीर है।

आजादी के मतवालों ने,
रंगा बसन्ती चोला।
शहीद हुए भगत सिंह,
कितनो ने दम तोड़ा।

राखी टूटे, सिंदूर छूटा,
आँगन हुआ सूना।
आज़ादी के मतवालों तुम,
यूँही न इसे खोना।

खुशी मनाओ, मौज उड़ाओ
जितना चाहे जश्न मनाओ
लहू से लाल हुई है धरती
वीर गाथा सब को सुनाओ।
जश्न-ए-आज़ादी सब मिलकर मनाओ।
वीर गाथा सब को सुनाओ।
Nilofar Farooqui Tauseef
Fb, IG-writernilofar

जश्ने आज़ादी: आज़ादी की 76 वीं अमृत महोत्सव के शुभ अवसर पर प्रस्तुत कविता

आज़ादी की 75 वीं अमृत महोत्सव के शुभ अवसर पर प्रस्तुत हैं स्वरचित रचना:-
जश्ने आज़ादी
गुलामी की जंजीरे जब,
अपनी जकड़ जमाई थी।
कहर रही थी मानवता जब,
काली बदरी छाई थी।।
लोगों के अधिकार छिन,
गोरों ने अकड़ दिखाई थी।
रक्त की नदी बहा था जी,
फिर जश्ने आज़ादी पाई थी।।
बैरकपुर में अंग्रेजों ने,
सोया सिंह जगाया था।
कारतूस की चरबी से,
सैनिक को गुस्सा आया था।।
सौगंध लिए इस मिट्टी की,
मंगल ने लासे बिछाई थी।
रक्त की नदी बहा था जी,
फिर जश्ने आज़ादी पाई थी।।
सैनिक विद्रोह का अब कमान,
वीरकुंवर सिंह ने थामा था।
अमर सिंह के साथ मिल,
अंग्रेजों को ललकारा था।।
नाना साहेब तात्या ने जब,
युद्धों में कहर बरपाई थी।
रक्त की नदी बहा था जी,
फिर जश्ने आज़ादी पाई थी।।
झाँसी वाली रानी की शौर्य,
गाथा दुश्मन भी गाते थे।
दोनों हाथों का देख पराक्रम,
रण में दंग हो जाते थे।।
अँगेजो का अधिपत्य नहीं,
रानी तलवार उठाई थी।
उस विरांगना के बलिवेदी से,
जश्ने आज़ादी पाई थी।।
शौर्य-पराक्रम से जिसने,
कई घटनाक्रम अंजाम दिया।
लाजपत रॉय के बदले में,
सॉण्डर्स का कत्लेआम किया।।
काकोरी कांड और असेम्बली में,
जिसने बम गिरवाई थी।
चंद्रशेखर आजाद की क्रांति से,
ये जश्ने आज़ादी पाई थी।।
भगतसिंह सुखदेव राजगुरु,
इंकलाब को चुने थे।
हँसते गाते ये परवाने
फाँसी का फंदा चूमे थे।।
बटुकेश्वर इकबाल ने जब,
नस-नस में आग लगाई थी।
वीरों का लहू बहा था जी,
फिर जश्ने आज़ादी पाई थी।।
सुभाषचंद्र बोष के नारों ने,
जब रौन्द्र रूप अपनाया था।
स्वतंत्रता की क्रांति को हर,
जन-जन तक पहुँचाया था।।
बापू का जन आंदोलन जब,
अपने स्वरूप में आई थी,
शास्त्री पटेल के त्याग से ही,
ये जश्ने आज़ादी पाई थी।।
न जाने कितने अमर हुए,
आजाद वतन को करने में।
कुछ याद रहे तो पता रहा,
कुछ गए सितम ही सहने में।।
जब सावरकर का देश प्रेम,
अपनी रंगत में आयी थी।
रक्त की नदी बहा था जी,
फिर जश्ने आज़ादी पाई थी।।
माँ-बहनों ने तिलक लगा,
बेटों को रण में भेजा था।
अपने सुहाग को खोने पर,
बहुओं ने चूड़ी फोड़ा था।।
निज प्राणों की परवाह न कर,
वीरों ने शौर्य दिखाई थी।
रक्त की नदी बहा था जी,
फिर जश्ने आज़ादी पाई थी।।
स्वरचित मौलिक, अप्रकाशित,
सर्वाधिकार सुरक्षित..
चंद्रगुप्त नाथ तिवारी
आरा (भोजपुर) बिहार

आजादी पर शायरी | स्वतंत्रता दिवस 2022 पर कविता Independence Day Shayari

आजादी पर शायरी | स्वतंत्रता दिवस 2021 पर कविता Independence Day Shayari

नमन आजादी के दीवानों को: आजादी शायरी देशभक्ति कविता

नमन आज़ादी के दीवानों को
“स्वतंत्रता दिवस की कुछ करें तैयारी,
हमारी स्वतंत्रता है हमें सबसे प्यारी”
कविता
आइए, फिर सब मिलकर नमन करें हम,
आज अपनी आजादी के सारे दीवानों को!
रखें सजाकर दिल में अपने हमेशा उनको,
उनके त्याग, पराक्रम और बलिदानों को!
स्वतंत्रता देवी के दिल की पुकार यही है,
हम पूरा करें, उनके अधूरे अरमानों को।
वतन सदा अभिमान करता रहेगा उन पर,
संभालकर रखें हम उनके टूटे सामानों को।
आइए, सब मिलकर……
भारत माता की आजादी की खातिर हंसते,
वीर शहीदों ने मौत को था गले लगाया।
अपनी लाश बिछाकर भारत की गोद में,
तब किसी उजड़े बिखरे चमन को सजाया।
पराधीनता के अंधेरों में, शेर शूर वीरों ने,
स्वाधीनता की आशा का था दिया जलाया।
सात समंदर पार भगाया भारत भूमि से,
सारे गोरे अंग्रेज जालिमों व बेईमानों को।
आइए, सब मिलकर नमन करें हम फिर से,
आज अपनी आजादी के उन दीवानों को!
आइए, सब मिलकर…..
निर्दयता के सीने पर हमारे शहीदों ने तब,
दया करुणा का, था गजब गुल खिलाया।
खाकर गोलियां, अपनी छाती पर उन्होंने,
खून से भारत भूमि को था जैसे नहलाया।
हंसते हुए लटककर फांसी के फंदे पर तब,
भगत सिंह ने शहीद ए आजम कहलाया।
सहर्ष खुद को मिटा दिया था इस जग से,
वतन की माटी का, सम्मान था बचाया।
बिन समा के ही जलना पड़ा था धू धूकर,
आजादी के उन सारे परमवीर परवानों को।
आइए, सब मिलकर……
नाम आजाद, काम आजाद, सपना आजाद,
आजाद ने खुद को मार ली थी तब गोली।
बोली बंद करके गुलामी की, खुले मैदान में,
सजा दी लाल लहू से स्वाधीनता की डोली।
लोग खेला करते होली रंग और गुलाल से,
खेली तब हमारे शहीदों ने खून की होली।
आज शहादत के वर्षों गुजर गए हैं मित्रों,
पर बहरे कानों में भी, गूंज रही है बोली।
अंग्रेजी आग से खेलते रहे वे, जिंदगी भर,
कोई कैसे भूल सकता है उन मस्तानों को?
आइए, सब मिलकर……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

जोश भर देने वाली देशभक्ति शायरी | आजादी शायरी

जोश भर देने वाली देशभक्ति शायरी

आजादी का दीया: देशभक्ति शायरी 2022: Desh Bhakti Shayari आजादी पर शायरी

गीत : आजादी का दीया
बड़ी कुर्बानियों के बाद जला था,
अपनी प्यारी आजादी का दीया।
जलता रहे सदा, आजादी का दीया,
बुझे न कभी, आजादी का दीया।
उन सबकी यह दीया अमानत है,
राष्ट्र प्रेम का जाम जिसने पीया।
बड़ी कुर्बानियों के……

आंधी कहीं से आवे, हम टकराएंगे,
जान पर खेलकर दीए को बचाएंगे।
यह दीया, दीया नहीं, है जान हमारी,
शान हमारी, और पहचान हमारी।
लहू से इस दीए को, हम सजाएंगे,
रोशन करता रहेगा, देश को दीया।
बड़ी कुर्बानियों के……

दीए की लौ से आंधियां भी डरती हैं,
सर झुकाकर इसे सलाम भी करती हैं।
हिम्मत नहीं होती कभी पास आने की,
दीए में ताकत, आंधियों को हराने की।
लहू हमारा, तेल बनकर जलेगा इसमें,
देशभक्ति का प्याला, हमने है पीया।
बड़ी कुर्बानियों के……

इस दीए में जबतक तेल है भरा दोस्तो,
हर भारतीय का चेहरा है, हरा दोस्तों।
बापू ने हमें दिया था यह दीया जलाकर,
संभालेंगे इसको हम, खुद को भुलाकर।
जगमग है धरती हमारी, जगमग है नभ,
बुझे न कभी, अपनी आजादी का दीया।
बड़ी कुर्बानियों के ………

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

आजादी की खुशी मनाएं: जश्न-ए-आज़ादी शायरी | Shayari For Aazadi

आजादी की खुशी मनाएं
(कविता)
स्वतंत्रता दिवस का मौसम, आया सुहाना,
आइए हम सब, आजादी की खुशी मनाएं!
सारे देशवासी, चीनी सामानों को छोड़कर,
हर क्षेत्र में अब, स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं!
बंद करें शीघ्र, अपनी विदेशों पर निर्भरता,
गली गली में, स्वाबलंबन के गुल खिलाएं।
स्वतंत्रता दिवस का………
नहीं जाने दें पैसे देश के चीन जैसे देश में,
क्यों अपने हाथों से शत्रु को सक्षम बनाएं?
स्वदेशी के पुराने नारे में, आ गई जवानी,
घर घर में स्वदेशी का नया अलख जगाएं।
दिमाग में भारत माता, दिल में रहे तिरंगा,
आजादी की खुशबू से जन जीवन महकाएं।
स्वतंत्रता दिवस का……
इस पुरानी आर्थिक गुलामी को खत्म करें,
कोने कोने में, आजादी के चिराग जलाएं।
ज्ञान विज्ञान, व कौशल सब हैं पास हमारे,
संकटों से हम, मातृभूमि की जान बचाएं।
मौसम बदलेगा और रास्ता कोई निकलेगा,
मंजिल की ओर हम, अपने कदम बढ़ाएं।
स्वतंत्रता दिवस का……
आत्मनिर्भरता की डोर, हो नहीं कमजोर,
शान, सम्मान से, अपना तिरंगा फहराएं।
बड़ी खुशी होगी, बड़ा मज़ा आएगा, दोस्तों,
कड़े फैसले लेकर, हम भविष्य चमकाएं।
दृढ़ इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास लाएं,
आनेवाली बाधाओं को, हम मिलकर हराएं।
स्वतंत्रता दिवस का………
सबका साथ सबका विकास हम भूल नहीं,
ग़रीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा को भी मिटाएं।
नई नीतियों से, काम आसान होंगे हमारे,
नए सिद्धांत के साथ, उलझन सुलझाएं।
जो बीत गई सो बात गई, काली रात गई,
आनेवाले कल के लिए, योजनाएं बनाएं।
स्वाधीनता दिवस का……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी( बिहार

गीत : आजादी से बहुत प्यार करते
हम अपनी आजादी से बहुत प्यार करते हैं,
तिरंगा को हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं।
तिरंगा झंडा, हमारी आन बान और शान है,
इससे अपने गुलशन को गुलजार करते हैं।
हम अपनी आजादी से………….

देश के दुश्मनों को सबक सिखाने आता है,
चोरों को बाहर का रास्ता दिखाने आता है।
आजाद गगन है, आजाद पवन है देश में,
आजाद बगिया में, सपने साकार करते हैं।
हम अपनी आजादी से………..

हर स्वतंत्रता दिवस नया पैगाम लाता है,
चमकती सुबह और सुहानी शाम लाता है।
नई शक्ति देती है इस दिवस की कहानी,
बड़े बेचैन होकर, इसका इंतजार करते हैं।
हम अपनी आजादी से……….

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

आजाद शायरी | देशभक्ति की आग उगलती शायरी

आजाद शायरी | देशभक्ति की आग उगलती शायरी

आजादी का सपना देखा था: आजाद कर दिया शायरी | देशभक्ति शायरी कविता

"आजादी"
आजादी का सपना देखा था, बुजुर्गों ने!?
उन ही लोगों ने बोया था इन्क़लाबी तुख्म!?
उन लोगों ने क्यों बोए थे क्रांति के बीज!?!
इस दुनिया में फिर से कोई इन्कलाब आए!!
हम लोगों ने भी बोए हैं कुछ शबाबी तुख्म, इन्कलाबी तुख्म, क्रान्ति के बीज!!
यारो!,इस दुनिया में कीड़े हैं, किताबी भी!!
जो,अकसर खाते और बोते हैं किताबी तुख्म ,किताबी बीज!?
गुलामी, बिदेसी सितमगर की,तुम भी करो हो!?!
जमाने में घुट-घुट के तुम लोग काहे मरो हो!?!
गुलामी, किसी गैर-मुलकी खुदा की!
तु!,हरगिज़ न करना,मेरे प्यारे साथी!
मियां!,किसी गैर-मुलकी खुदा की गुलामी, क्यों!?
उन्हें दिया करते हैं शहर वाले सलामी,क्यों!?
अजी!,लहू,जिस्म-व-जान( جسم و جاں) का बदलता रहा है!?
कयी हलाली बशर बन गये हैं हरामी, क्यों!?
कभी हम ,किसी हुक्मरान ( حکمراں) की गुलामी क्यों करें गे!?!
भला,मुफलिसो (مفلسوں) का,वो/ वे/ वह हरामी क्यों करें गे!?!
आजादी,हर इन्सान को मिलनी चाहिए!!
हर बन्दे के दिल की कली खिलनी चाहिए!!
मेरे भोले साथी!,गुलामी तो मौत है!!
आजादी, हर इक शख्स को मिलनी चाहिए!!
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इस नवीन कविता यानी जदीद इन्क़लाबी नज्म के दीगर शेर-व-सुखन आइंदा फिर कभी पेश किए जायेंगे, इन्शा-अल्लाह!
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डाक्टर इन्सान प्रेमनगरी
द्वारा डॉक्टर रामदास प्रेमी राजकुमार जानी दिलीपकुमार कपूर, डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी मंजिल, डॉक्टर खदीजा नरसिंग होम, रांची हिल साईड,इमामबाड़ा रोड राँची-834001,झारखण्ड, इन्डिया

शहीदों से हिंदुस्तान हमारी आज़ादी | आज़ादी पर शायरी | आजादी कविता

शहीदों से हिंदुस्तान
शहीदों से हिंदुस्तान हमारी आज़ादी।
भारत मां का सम्मान हमारी आज़ादी।।

मुगलों ने पानी मांगा वीर शिवा के सम्मुख
यवन शासन घबराया था राणा के सम्मुख
पदमा दुर्गा लक्ष्मी ने क्रांति की ज्योति जलाई थी
देख के बाजबहादुर भाग कर्णावती को सम्मुख
है भारत मां की शान हमारी आजादी।
शहीदों से हिंदुस्तान हमारी आज़ादी।।

शीश काट उपहार दिया सारंधा ने चंपत को
बनकर काल शत्रु पर टूटा नाम अमर है छत्रसाल को
स्वर्णिम इतिहास रचाया वीरांगना हाड़ा रानी ने
अंग्रेजी शासन थर्राया सुन झलकारी ललकार को
है भारत मां की आन हमारी आज़ादी।
शहीदों से हिंदुस्तान हमारी आज़ादी।।

आजाद सुभाष ने आजादी का बिगुल बजाया था
गांधी पटेल ने आजादी का अभियान चलाया था
राजगुरु सुखदेव भगत ने फांसी का फंदा चूमा
अनगिनत वीर जवानों ने गोरों को भगाया था
धैर्य त्याग की पहचान हमारी आजादी।
शहीदों से हिंदुस्तान हमारी आज़ादी।।
मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक, कोंच

आजाद वतन आजाद रखों : आजादी शायरी Azadi Shayari

ग़ज़ल
वतन की मोहब्बत से उसे आबाद रखों।
सभी आफ़त मुसीबत से उसे आज़ाद रखों।।

खुदगर्जी लालच सब वतन को धोखा देती।
त्याग भावना सभी के हित की फरियाद रखों।।

ग़रीबी में भी वतन यह अमीर रहे अपना।
जो शहीद हुये वतन पे उनकी शहादत याद रखों।।

दिखावा करने वाले कहे देश भक्त हैं।
इन की कारगुजारी पे नज़र दिलशाद रखों।।

मिले हर वतनी को हक कुछ पाने का सही।
एक दुसरे की हो तरक़्की को निजाद रखों।।

अमन शांती खिदमत चमन में रहें कायम।
हरेक लबो पे दुआओं की कुछ मियाद रखों।।

'शहज़ाद' तिरंगे को लहराओं बड़ी शान से।
वतन के शहीद की याद गुलआबाद रखों।।

मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद'
हिगणघाट, जि, वर्धा, महाराष्ट्र
8329309229

वतन से मोहब्बत शायरी
भारत देश पर शायरी
जोश भर देने वाली देशभक्ति शायरी
इश्क और वतन शायरी
देशभक्ति शायरी कविता
राष्ट्रीय शायरी
आजादी स्टेटस
आजादी पर शायरी | स्वतंत्रता दिवस 2021 पर कविता Independence Day Shayari

मैं भी आज़ाद हूँ न? आजादी शायरी Aazadi Shayari

मैं भी आज़ाद हूँ न?
सुनो न,
सुना है,
हम आज़ाद हैं, हमारा देश आज़ाद है,
फिर, मैं क्यों नहीं.....
पश्चिमी सभ्यता के तरीके तो लड़के भी अपनाते हैं,
टीशर्ट और जिंस में सारा शहर घूम आते हैं।
मुझे घूँघट की ओर इशारा किया जाता है,
पायल के नाम पे, पाँव को बेड़ी दिया जाता है,
सुना है,
हम आज़ाद हैं, हमारा देश आज़ाद है,
फिर, मैं क्यों नहीं.....
न पढ़ने में रोक, न समाज का कोई टोक,
सिक्का खोटा ही सही, पर होती न कोई नोंक-झोंक।
मुझपर तो समाज की हर पल नज़र रहती है,
निशाना कब साधना है, उँगली अड़ी रहती है।
सुना है,
हम आज़ाद हैं, हमारा देश आज़ाद है,
फिर, मैं क्यों नहीं.....
लड़का बुरा भी करे तो क्या ग़लत करता है,
घी का लड्डू टेढ़ा भला, सब चलता है,
तुम जितना भी पढ़ लो, फूंक ही मारोगी,
चरणों में रहोगी पति के तो स्वर्ग सिधारोगी।
सुना है,
हम आज़ाद हैं, हमारा देश आज़ाद है,
फिर, मैं क्यों नहीं.....
फिर, मैं क्यों नहीं.....
नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़
Nilofar Farooqui Tauseef
FB, ig-writernilofar

सदियों बाद मिली ये आज़ादी: देशभक्ति आज़ादी शायरी Hindi Poems For Aazadi

सदियों बाद मिली ये आज़ादी
( मुक्तछंद काव्य रचना )

अर्जी है मेरी इस सभी प्यारे देशवासियों को,
सदियों बाद मिली ये आज़ादी अंधेरे में निकला सुरज है।
उसी सुरज की जगमगाती रोशनी से,
इस गुलशन में आयी सभी ओर फूलों की बहार है।

संभालो अपने इस खिलते हुए चमन को,
चमन ये ऐॆसा ही भिन्न-भिन्न फूलों से हरा-भरा रहें।
आंधियां उठ रही है यहां चहू दिशाओं से,
अब हिमालय बनकर तुम्हें ही उसे रोकना है।

बड़े ही मुश्किल से हमें मिली ये आज़ादी,
इसी आजादी ने कई मां ओ की गोद उजाड़ दी है।
कई बहनों की राखी और कई सुहागिनों का सिंदूर भी छीनकर,
इस मां धरती के कण-कण को लहू से रंग दिया है।

पतझड़ आएं ना कभी इस खिलखिलाती चमन में,
ऐॆसा तिरंगा लहराओ तुम उन शहिदों के यादों में।
ये आज़ादी हमारे आनेवाली पीढ़ियों का उज्ज्वल भविष्य है,
उसी भविष्य के लिए,हम सबको यहां मिल जुलके रहना है।

इतिहास का वो खून से रंगा पन्ना पन्ना हमें,
अपने दिलों दिमाग में रखकर यहां चलना है।
संविधान के बिना नहीं चलता कोई भी लोकतंत्र,
उसी लोकतंत्र के लिए हमें ही इस आजादी को यहां आबाद रखना है।

संभालकर अपने वतन की बागडोर,करो तुम तिरंगे की रक्षा,
उसी तिरंगे की छांव में,वतन में हमारा खिल रहा है।
अर्जी है मेरी इस सभी प्यारे देशवासियों को,
सदियों बाद हमें मिली ये आज़ादी अंधेरे में निकला सुरज है।

प्रा.गायकवाड विलास.
मिलिंद क.महा.लातूर.
9730661640.
महाराष्ट्र

नई आजादी आज, चलो हम सब मनाएं— आज़ादी पर शायरी Jashn E Aazadi Shayari

जश्न आज़ादी
भूल ना पायेंगे हम
( मुक्तछंद काव्य रचना )
नई आजादी आज,
चलो हम सब मनाएं।
लहराकर वो तिरंगा,
मिलके गीत गाएं।
मिली इस आज़ादी को,
भूल ना पायेंगे हम।
शहिदों का वो बलिदान,
याद रखेंगे हरदम।
इतिहास का वो पन्ना पन्ना,
फिर से आज हम पढ़ेंगे।
क्रांति की वो मशाल,
हम यहां जलाते रहेंगे।
श्वेत, हरा, केसरी रंग,
जीवन में हम भरेंगे।
अमन और शांति के,
दूत हम बन जायेंगे।
सर्व धर्म समभाव यही,
हम सबका है नारा।
भिन्नता में हमारी एकता,
गूंजे ये वतन सारा।
नई आजादी आज,
चलो हम सब मनाएं।
जियो और जीने दो,
यही संदेश विश्व में फैलाएं।
प्रा.गायकवाड विलास
मिलिंद क.महा.लातूर
9730661640

जश्र आजादी सायली छंद कविता– लौट आओ

लौट आओ
(सायली छंद)
कैसी
जश्र आजादी
हम है मनाते
जहां नहीं
देशभक्ति।

शहिदों
की यादें
एक ही दिन
याद रखकर
भूलाते।

देखो
ये जहां
बदला है कितना
मतलब का
जीना।

कहां
गये वो
मातृभूमि के लाल
देखें तिरंगा
उन्हें।

अब
देखो कैसे
जलते हैं रास्तें
स्वार्थ के
वास्ते।

ऐॆसी
आज की
जश्र-ए-आजादी
मनाते है
हम।

पुकार
मेरी सुनो
तिरंगे के लिए
लौट आओ
तुम।
प्रा.गायकवाड विलास.
मिलिंद क.महा.लातूर.
9730661640

जश्न आज़ादी तांकाजापानी विधा Tanka Poem

तांका(जापानी विधा)
भारतवासी तुम
मैं ये आज़ादी,
आज देख रहा हूँ
धरती मां की,
वो चीखती पुकार
यहां सुन रहा हूँ।

लाल उसके,
थे अनमोल मोती
हुएं शहिद,
स्वतंत्रता के लिए
सब हंसते हुए।

रखना ध्यान,
भारतवासी तुम
जश्र आजादी,
मिलकर मनाओ
क्रांति ज्योति जलाओ।

गीत नहीं है,
राष्ट्रगान हमारा
शौर्य गाथा है,
शहिदों के लहू की
हमारे आजादी की।

चलो मनाएं,
जश्र आजादी हम
सुर हमारा,
हृदय से निकले
जैसे वो सरगम।

प्रा.गायकवाड विलास
मिलिंद क.महा.लातूर
9730661640
महाराष्ट्र

मेरे देश की माटी - देशभक्ति कविता Desh Bhakti Kavita In Hindi

मेरे देश की माटी
जिसमें लाखों वीर सहीद हुए।
लहराता है तिरंगा
धरती से लेकर अंबर तक।
जहाँ भाव भक्ति से प्रेरित हो कर जोशीले स्वर में गाते।
जय हिंन्द का नारा
देकरदुश्मन को दूर भगाते
आजाद देश की खातिर
अपना सब कुछ हैं लुटाते।है भारत प्यारा अपना।
नई दुनियाँ यहां बसाते।उस धरती माँ को हम
नित नित हैं शीश झुकाते।।
आशा श्री वास्तव भोपाल।।

आजादी के बाद आजाद हैं— भारत की आज़ादी पर कविता | आज़ादी के बाद शायरी

आजादी के बाद
आजादी के बाद आजाद हैं
पर खतरा बरकरार है।।

महिलाओं पे हो रहा अत्याचार है।।
बेटियां निकले जो घर हे बाहर
गिद्धों का पहरा देखो हर बार है।।

चूक हुई जरा सी किसी बेटी से
अगले दिन मिले नग्न लाश
कहे पुलिस केस ये बलात्कार है।।

आजादी के बाद आजाद हैं
पर खतरा बरकरार है।।

आजादी से पहले सहे अंग्रेजों
के ज़ुल्म बेटियों ने भी हर बार।।
पर आजादी के बाद भी भारत
के ही मर्द कर रहे अत्याचार है।।

बताओं आज क्या मिली आजादी
आजादी के बाद भी बेटियों को
आज कलम उठाऐ ये सवाल है।।

आजादी के बाद आजाद हैं
पर खतरा बरकरार है।।

धधक रही ज्वाला सवाल की दिल मे
क्या हमारा बेटियां होना ही हमारा
गुनाह हर बार है।।

आजादी के बाद आजाद हैं
पर खतरा बरकरार है।।

वीना आडवानी "तन्वी"
नागपुर, महाराष्ट्र

विरासत में आजादी मिली है, अच्छा है आजादी पर शायरी

विरासत,
हिस्से की आबादी मिली है,अच्छा है।
विरासत में आजादी मिली है,,अच्छा है।।

मेरे दिल को है खुशी यूँ,आज तक,
लगन तो किताबी मिली है,अच्छा है।।

तपिश सूर्य की चाँद सी जो,लगती है,
हमें हमेशा गुलाबी मिली है,,अच्छा है।।

सदाएँ बहीं लूट लूँ लेकिन,रुक गया,
दुआ-ओं में खराबी मिली है,अच्छा है।।

मेरा शान्त मन है अभी तक " केवल,"
विरासत यही नबाबी मिली है,अच्छा है।।

आनंद पाण्डेय "केवल"
मुम्बई अँधेरी

मतलब तो केवल आजादी है: आजादी शायरी

मुझे नहीं है धन से मतलब,
मुझे नहीं है स्वर्ण से मतलब,
मतलब तो केवल आजादी है।

देश के खातिर जिएं मरे,
देश के खातिर काम करें,
मेरी इच्छा नहीं देश की बरबादी है।

देश की अपने शान बढ़ाएं,
देश की खातिर जान लुटाएं,
नहीं तो मेरी मातृभूमि ही अकुलाती है।।
अर्पणा दुबे, अनूपपुर

क्या खोया क्या पाया हमने, आज़ादी के बाद - देशभक्ति कविता आज़ादी के बाद

गीत
विषय- आज़ादी के बाद
क्या खोया क्या पाया हमने, आज़ादी के बाद
आओ मिलकर बैठें सारे, करलें हम संवाद

तन-मन अपना अर्पित कर के, दे दी अपनी जान
तिलक लगा कर इस माटी का, हो गए बलिदान
तिरंगा फहरा लाल किले पर, अलग अपनी पहचान
पिंजरे से आज़ाद हो गए, जय जय हिंदुस्तान

गुलामी की जंज़ीरें टूटी, देश हुवा आज़ाद
क्या खोया क्या पाया हमने, आज़ादी के बाद

कुछ आँखों में आँसू थे, चेहरे पर कुछ मुस्कान
हृदयविदारक बँटवारा था, लाशों की थी खान
सब कुछ अपना छूटा पीछे, राहें थी अंजान
नई आशा में चल पड़े थे, बनकर के मेहमान

खुली हवा में साँसें लेकर, देश हुवा आबाद
क्या खोया क्या पाया हमने, आज़ादी के बाद

गाँव-शहर तक सड़कें पहुँची, हुवा वहाँ उजियारा
हर घर तक शिक्षा पहुँची, सबको मिला सहारा
बड़े-बड़े उद्योग लग गए, सब कुछ हमने बनाया
आत्मनिर्भर भारत बनकर, जग हो है बतलाया

अन्न के भण्डार भरे अब, किया नहीं बर्बाद
क्या खोया क्या पाया हमने, आज़ादी के बाद

बड़े-बड़े हैं बाँध बनाये, नहरों का जाल बिछाया
सबकी प्यास बुझाई हमने,अपना सपना सजाया
सीमाओं पर वीर सिपाही, दुश्मन को सबक सिखाते
प्राणों की आहुति देकर, देश का मान बढ़ाते

अपनी पर हम जब आ जाते, करते हैं सिंहनाद
क्या खोया क्या पाया हमने, आज़ादी के बाद

जाती-धर्म के झगड़ों ने, हाँ जी हमको तोड़ा है
दंगे आतंक लूटमार ने, देश को कितना तोड़ा है
भ्रष्टाचार है चरम पर अपने, कौड़ी में बिक जाते हैं
धन-बल का जोर बहुत है,संसद में वो आते हैं

निर्बल दुर्बल गरीब बहुत हैं, बोलें कैसे जिंदाबाद
क्या खोया क्या पाया हमने, आज़ादी के बाद
श्याम मठपाल, उदयपुर

आजादी के जश्न मे डूबा मेरा भारत देश— आज़ादी पर शायरी | आजादी पर कविता

भूल गये विदेशी होली
आजादी के जश्न मे डूबा
फिर मेरा भारत देश
याद किया फिर बलिदानीयों को
पर सच ना अपनाया स्वदेश।।

विदेश की वस्तुओं की ओर
आकर्षित होते चले जा रहे
देश के हमारे लघु उद्योग
दबे जा रहे।।

जिन लोगों ने दी थी बलिदानी
उन्होंने ने ही जलाई विदेशी होली
क्यों भूल गये हम वीरों ने ही हमारे
विदेशी बहिष्कार की खाई थी कसम बनाके टोली।।

आया पुनः आजादी का जब जश्न
छोड़ रहे बस हर कोई बस शब्दों
के तीखे बाणों की गोली।।२।।
वीना आडवानी"तन्वी"
नागपुर, महाराष्ट्र

नई आजादी, आजादी की मांग बढ़ी है— आज़ादी पर शायरी Aazadi Shayari

आजादी की मांग बढ़ी है।
हमको दे दो पापा जी।।
धन दौलत तुम पास रखो बस।
आजादी दो पापा जी।।
जीवन में उड़ना है हमको।
आजादी तो पापा जी।।
प्रेम हमारा खींच रहा है।
आजादी दो पापा जी।।
मुक्त करो तुम मोह पाश से।
आजादी दो पापा जी।।
एक बार जीवन पाया हूं।
आजादी दो पापा जी।।
हम को जाने दो अब बाहर।
आजादी दोपापा जी।।
हमको दुनिया से क्या लेना।
आजादी दो पापा जी।।
सुख के क्षण में जीने की
बस आजादी दो पापा जी।।
माल मसाला सब ले लो तुम।
पिंड छोड़ दो पापा जी।
प्यार अगर दे पाओ हमको।
थोड़ा दे दो पापा जी।।
वरना वह भी पास रखो बस।
आजादी दो पापा जी।।
स्वर्ग लूटने जाने दो तुम।
दुखी न होना पापा जी।।
जो भी पाया तुमसे पाया।
आजादी दो पापा जी।।
मिन्नत करता हाथ जोड़ता।
आजादी दो पापा जी।।
छोटे से इस जीवन में बस।
आजादी दो पापा जी।।
देशभक्त की बात न करना।
हम लोगों से पापाजी।।
संस्कार की बात चलाकर।
मत भरमाना पापा जी।।
आजादी पाया तो समझो।
सब कुछ पाया पापा जी।।
मरने से पहले मिल लेना।
आजादी से पापा जी।।
मर्यादा की बात न करना।
मेरे प्यारे पापा जी।।
प्यार हमारा बोल रहा है।
सब कुछ जागो पापा जी।।
जाने की छुट्टी दो हमको।
अब मत रोको पापा जी।।
आजादी की चाह बहुत है।
आजादी दो पापा जी।।
आजादी की मांग बढ़ी है।
हमको दे दो पापा जी।।
बेकरार को अब मत रोको।
जाने दो अब पापा जी।।
अन्वेषी 28 8 21
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