राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर कविता | तिरंगे झंडे पर कविताएँ और शायरी 15 अगस्त देशभक्ति गीत
कविता
आन बान और शान तिरंगा
आन-बान और शान तिरंगा,
भारत माँ का यह सम्मान है।
आओ मिलकर करें आरती,
हमें तिरंगे पर अभिमान है।।
आन-बान और शान तिरंगा,
अपनापन यह सिखलाता है।
देश की खातिर शहीद हुए,
वीरों की याद दिलाता है।।
आन-बान और शान तिरंगा,
तीन रंगों का यह प्यारा सा।
हर रंग की पहचान निराली,
संस्कार संस्कृतियों की भाषा।।
आन-बान और शान तिरंगा,
केसरिया में त्याग भावना।
सफेद शांति, हरा हरियाली,
यह,उत्तम संदेश सब मानना।।
आन-बान और शान तिरंगा,
नील चक्र में चौबीस कडियाँ।
परिश्रम कर जिम्मेदारी से,
अपनेपन की फैले खुशियाँ।।
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)
आन बान और शान तिरंगा
आन-बान और शान तिरंगा,
भारत माँ का यह सम्मान है।
आओ मिलकर करें आरती,
हमें तिरंगे पर अभिमान है।।
आन-बान और शान तिरंगा,
अपनापन यह सिखलाता है।
देश की खातिर शहीद हुए,
वीरों की याद दिलाता है।।
आन-बान और शान तिरंगा,
तीन रंगों का यह प्यारा सा।
हर रंग की पहचान निराली,
संस्कार संस्कृतियों की भाषा।।
आन-बान और शान तिरंगा,
केसरिया में त्याग भावना।
सफेद शांति, हरा हरियाली,
यह,उत्तम संदेश सब मानना।।
आन-बान और शान तिरंगा,
नील चक्र में चौबीस कडियाँ।
परिश्रम कर जिम्मेदारी से,
अपनेपन की फैले खुशियाँ।।
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)
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तिरंगा कविता | तिरंगा शायरी Indian Tiranga Shayari
शांति का नंदनवन( मुक्तछंद देशभक्ति काव्य रचना )
झंडा तिरंगा प्यारा लहराकर यहां पर,
चलो आज हम उसी तिरंगे की कसम लेते हैं।
आज इस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर,
नयी विचारधाराओं को हम मन में जगाते हैं।
इकिसवी सदी का ये नया भारत,
आज भी झुलस रहा है नफ़रत की आग में।
वही नफ़रत को निकालकर मन मन से,
समता की नई ज्योति हम जलाते है।
ज्ञान का कण-कण सच्चे मन से लेकर,
मानवता का धर्म हम सब निभातें है।
दिल से मिल जुलकर हम सब यहां,
नये गुलिस्तां का निर्माण करतें हैं।
अलगता ही है हम सबकी पहचान,
उसी अलगता का नया इंद्रधनू हम बनाते हैं।
एकता से ही मिलती है सफलता जीवन में,
उसी एकता से अखंड नया भारत हम बनाते हैं।
भले ही अलग-अलग हैं हमारे त्योहार,
भले ही भिन्न-भिन्न है हमारी भाषाएं।
लेकिन एक ही मिट्टी का तिलक लगाकर,
मानवता का धर्म निभाकर इन्सान हम सब बन जाते है।
नये युग के नये इन्सान हम सब,
चलो आज यहां पर एक नई कसम लेते हैं।
हिंदू,मुसलीम,शीख,ईसाई हम सब है भाई-भाई,
सब मिलकर आज से भारतीय हम बन जाते हैं।
ये लहराता तिरंगा ही है हमारी आन बान शान,
इन्सानों से नहीं है कोई भी धर्म यहां महान ।
यही सोच को फैलाकर सारे विश्व में,
इसी गुलिस्तां को शांति का नंदनवन हम बनाते हैं।
प्रा.गायकवाड विलास.
मिलिंद क.महा.लातूर
9730661640
महाराष्ट्र
तिरंगा ही हमारी आन बान शान है: तिरंगे पर शायरी | देशभक्ति तिरंगा कविता
जश्र-ए-आजादी
हम भारतवासी
( मुक्तछंद काव्य रचना )
हम भारतवासी, आजाद देश के परिंदे,
तिरंगा ही हमारी आन बान शान है।
शहिदों के लहू से आजाद हुईं ये धरती,
आज भी उनके लिए अश्क बहाती है।
खून से लथपथ हुए वो इतिहास के पन्ने,
उसी लहराते तिरंगे की याद दिलाते है।
बलिदान उनका याद रखकर सदियों तक,
इस आज़ादी को हमें ही बरकरार रखना है।
हिंदू, मुसलीम, शीख, ईसाई मिलकर सब भाई-भाई,
आजादी की ज्योति हम सभी ने यहां लगाई।
रंगकर अपने खून से इस धरती का आंचल,
जंजीरें गुलामी की हम सभी ने है कटवाई।
वीरों की ये भूमि है हमारी अपनी पहचान,
लहराता ये तिरंगा है, विश्व में सबसे महान।
कुर्बानी उन सभी शहिदों की हम,
भूल न पायेंगे जिंदगी में यहां हरदम।
राष्ट्रगीत में लिखी है जो शौर्यगाथा,
इस मां धरती का वो गुंजता अभिमान है।
सुजलाम सुफलाम, जय जवान जय किसान,
यही हम सब भारतियों का एक ही नारा है।
भिन्न-भिन्न रंगों से बना ये तिरंगा हमारा,
समता, बंधूता और एकता की श्रेष्ठ मिसाल है।
जब तक रहे ये धरती और अंबर सारा,
तब तक विश्व में, सबसे ऊंचा रहेगा ये तिरंगा हमारा।
हम भारतवासी, आजाद देश के परिंदे,
तिरंगा ही हमारी आन बान शान है।
आसमां में शान से लहराता ये तिरंगा हमारा,
इस मां भारती के अखंडता का सरताज है।
प्रा.गायकवाड विलास.
मिलिंद क.महा.लातूर.
9730661640.
महाराष्ट्र
तिरंगे पर कविता | तिरंगा पर शायरी | Tiranga Shayari
तिरंगे के रंग सा उजला उजला मौसम आया,
खेत खलियानों में लहराती फसलों का मौसम आया।
विरह की धूप अब ढ़लने लगी है, हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई,
आओ मिलने का मौसम आया।
जाति-पाती धर्म से हमको नही मतलब,
सबको गले लगाने का मौसम आया।
मजहब नही सिखाता हमको बैर रखना,
वीरों की इस धरती पे तिरंगा,
शान से लहराने का मौसम आया।
वाहिद हुसैन क़ाज़ी
श्रीगंगानगर(राजस्थान)
खुद में हीं एक हिंदुस्तान है तिरंगा: तिरंगे पर शायरी | देशभक्ति तिरंगा कविता
तिरंगा
उपसंहार नहीं है ये उनवान है तिरंगा
खुद में ही एक हिंदुस्तान है तिरंगा
जुनून जानती है दुनिया तिरंगे की
दुश्मनों हेतु सच में कृपान है तिरंगा
खुद को लुटाकर जो तिरंगे में लिपट जाते
उनकी शहादत का पहचान है तिरंगा
श्वेत शांति, हरा रंग सम्पन्नता प्रतीक
संदेश केशरिया का बलिदान है तिरंगा
नीला चक्र मध्य हैं चौबीस तीलियां
अनवरत काम का एलान है तिरंगा
झुकता है सर हमारा जिसके सम्मान में
हम भारतीयों की वो पहचान है तिरंगा
बाहर के शत्रुओं का मुंह तोड़ देती पर
घर की दहशतगर्दी से हैरान है तिरंगा
अनिल शर्मा
घर घर में तिरंगा हो !
मन झूमे नाचे गाये, चहुँ दिशि परचम फहराये, हर कली-कली मुसकाये, सुंदर सा सपन सजाये, ए अमृत महोत्सव आजादी का, भाव भरा बहु रंगा हो,
घर-घर में तिरंगा हो, हर हाथ तिरंगा हो।।
हो गर्व सभी को इस पर
गरिमा इसकी है बढ़कर
लहराता देखे जो भी
छाती फूले खुश होकर
शान आन सम्मान न खोवे, ईमान कहीं ना नंगा हो।।
घर-घर में तिरंगा हो ----
परवाह नहीं की मीरों की
बेड़ियाँ कटीं जंजीरों की
हम याद करें गौरव-गाथा
गिनती कम नहीं शहीदों की
दुश्मन पर दृष्टि गड़ी रहे, नहीं किसी से पंगा हो।।
घर-घर में तिरंगा हो-----
जय-हिंद का नारा गूंजे
हिंसा कोई ना पूजे
पनपें न कहीं भी जिहादी
मर जायें ये उनके चूजे
प्रेम-भाव बढ़ता जाये, नहीं कहीं भी दंगा हो।।
घर-घर में तिरंगा हो-----
ना कोई भूखा हो
जनवादी सत्ता हो
भ्रष्टाचारी-अवसरवादी
इनकी ना चर्चा हो
मानव-मानव को पहचाने, बोलो फिर कहाँ दुरंगा हो।।
घर-घर में तिरंगा------
सरदार भगत की जवानी हो
पन्ना जैसी कुर्बानी हो
आजादी हो चंद्रशेखर सी
नस-नस में उमड़ती रवानी हो
लक्ष्मी सबके घर रहतीं हों, नहीं कोई भिखमंगा हो।।
घर-घर में तिरंगा हो------
गिरजाघर मस्जिद गुरुद्वारा
मंदिर-मंदिर भाईचारा
भावना भरे ना ऊंच-नीच
सबहीं प्यारा, सबहीं न्यारा
कोई न किसी से भेद करे, जमजम हो या जलगंगा हो।।
घर-घर में तिरंगा हो -----
हंसते-हंसते सीस कटा दे
अपना सब सर्वस्व लुटा दे
साँस-साँस हर धड़कन-धड़कन
भारत माता बसीं बता दे
सबकी अपनी हस्ती-मस्ती, ना काम कोई बेढ॔गा हो।।
घर-घर में तिरंगा हो-----
मन झूमे नाचे गाये, चहुँ दिशि परचम फहराये, हर कली-कली मुसकाये, सुंदर सा सपन सजाये, ए अमृत महोत्सव आजादी का, भाव भरा बहु रंगा हो,
घर-घर में तिरंगा हो, हर हाथ तिरंगा हो।।
ज्ञानेन्द्र पाण्डेय "अवधी-मधुरस" अमेठी
8707689016
देशभक्ति कविता शायरी: भारत का झंडा तिरंगा नील गगन लहराता है | तिरंगा कविता
जय भारत। जय भारतीय।।
भारत का दर्द भारत का झंडा तिरंगा,
नील गगन लहराता है।
आओ बच्चों मेरे सपूतों, भारत तुझे बुलाता है।।
भारत के तुम लाल हो, भारत देश तुम्हारा है।
भारत का गर्व तुझपर, तू भारत का सहारा है।।
तू भारत का पालनहारा, तूने ही तो सँवारा है।
देशप्रेम के पथ चलना, हमें यही गँवारा है।।
तिरंगा है शान देश का, जान से भी प्यारा है।
जो देश गंगा सा निर्मल, प्रिय देश हमारा है।।
सदियों से कुचलाता आया, सदियों से गुलाम रहा।
सदियों जुर्म झेलता आया,ढेरों अत्याचार सहा।।
आजादी छिड़ी लड़ाई, अंग्रेजों बहुजुल्म ढाए।
गूँजी चीत्कार माँ बहनों की, क्रांतिकारी तब बौखलाए।।
आग लगी उर में उनके, दौड पड़े वे बौराए।
छिड़ी लड़ाई अंग्रेजों से, जीत का वे डंका बजाए।।
मिटा गुलामी मिली आजादी, अंग्रेजों को वे भगाए।
लहरा लाल किले पे झंडा, भारतीयों को हर्षित कराए।।
संतोष नहीं अंग्रेजों को, हिंदु मुस्लिम आग लगाई।
लपट जगी आग की तो, विभाजन की ही बारी आई।।
दुर्भाग्य हुआ भारत का, भारत का हुआ बँटवारा।
लगी कलंक महात्मा गाँधी को,
गोली मारा नाथूराम हत्यारा।।
खबर फैली जब विश्व में तो, शोक में डूबा भारत।
खोया भारत ने महामानव, महापुरुष दुनियाँ से नदारत।।
धन्य थे महात्मा गाँधी, धन्य उनकी कृति।
धन्य उनके माता पिता, धन्य उनकी वृत्ति।।
धन्य उनका रहन सहन, धन्य उनसे देश।
धन्य उनकी सेवा भक्ति, धन्य उनके वेश।।
जय भारत, जय भारतीय।
जय जवान,जय किसान।।
अरुण दिव्यांश, 9503503560
आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता
तिरंगा से प्यार
जबतक धरती पर यह संसार रहे,
धरती का होता सदा शृंगार रहे।
नेकनियति बसे सदा ही दिल में,
प्राणों से बढ़ तिरंगा से प्यार रहे।।
हम भारतवासी भारत के रक्षक,
कुंडली मारे अरियों हेतु तक्षक।
हम ही जनता हम ही सरकार,
हम ही भारत देश के हैं संरक्षक।।
अरियों हेतु ढलती सदा शाम रहे,
भारत हेतु सुनहरा ही प्रभात रहे।
भारत पे तीखी नजर डालनेवाले,
भारत तुझे सदा देता मात रहे।।
जबतक पावन बहती गंगा रहेगी,
तबतक लहराता तिरंगा रहेगा।
जल जलकर मरेंगे जलनेवाले,
तिरंगे पर न कोई अड़ंगा रहेगा।।
राष्ट्र प्यारा राष्ट्रीय तिरंगा प्यारा,
प्राणों बढ़कर आँखों का तारा।
तन समाहित मन भी समाहित,
इसीमें समाहित पंचतत्व हमारा।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा, सारण
बिहार।
आजादी का अमृत महोत्सव - हर घर तिरंगा
जाति धर्म सब त्यागकर,
भारतीयता हमें दिखाना है।
ईर्ष्या बैर भाव सब भूलकर,
अनेकता में एकता लाना है।।
मत देखो अनेकता हमारी,
हम भारतवासी सारे एक हैं।
भले जाति धर्म अनेक किन्तु,
इरादे हमारे सदा ही नेक हैं।।
एक मुहिम राष्ट्र में चलाकर,
विश्व को हमें दिखला देना है।
हम हैं भगत सुभाष के वंशज,
बच्चा बच्चा भारतीय सेना है।।
घर घर में ध्वज तिरंगा फहरा,
भारत माँ का गौरव बढ़ाना है।
कर कर में राष्ट्र तिरंगा लहरा,
भारतीय एकता हमें दिखाना है।।
जिस घर पर तिरंगा न होगा,
राष्ट्रद्रोही वह तो कहलाएगा।
चलेगी मुकद्दमा राष्ट्रद्रोह का,
सीधे वह कैदखाने ही जाएगा।।
हम हैं वतन के वतन है हमारा,
वतन हेतु जीना मरना है गवारा।
जयहिन्द जयभारत हमारा नारा,
वंदेमातरम् जयघोष है स्वीकारा।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा, सारण
बिहार
आजादी का अमृत महोत्सव - हमारा हिन्दुस्तान
हम हिन्द के वासी भारतवासी,
हमारा प्यारा हिन्दुस्तान है।
बहु जाति धर्म में बँटे हुए हम,
हमारी एकता ही पहचान है।।
अन्य न समझे हम बँटे हुए हैं,
निज आँख उठाकर देख ले।
मित्रता हेतु सदा हाथ बढ़े हैं,
चाहे सामने आकर परेख ले।।
स्वागत हृदय से रहता सदा है,
दोस्ती का और मेहमानी का।
नहीं मिलेगी यहाँ कटु निबौरी,
स्वागत केवल मृदुल वाणी का।।
हम हैं राष्ट्रवादी नहीं विवादी,
संकल्पित प्यार में जीने मरने का।
प्यार में धोखा ही देनेवाले,
हिम्मत भी रखते हम लड़ने का।।
नहीं कभी हम कट्टर बनते,
अरि हेतु कट्टर हम बन जाते हैं।
प्राण हथेली पर लेकर हम,
निज करतब फिर दिखलाते हैं।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश 9504503560
फहराए तिरंगा आसमान में: तिरंगा की शान में शायरी Tiranga Shayari Hindi
75वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
फहराए तिरंगा आसमान में,
देशवा के शान में ना।।
बदली काश्मीर मे धारा
खुशनुमा देखें ऐ नजारा
जन खुशियाँ मनावे स्वाभिमान मे
देशवा के शान में ना।
तीन सौ सत्तर का हुआ अंत
देशवासीयो में खुशियाँ अंनत
दादुर मोर नांचे रागिनी के तान में,
देशवा के शान में ना।
छप्पन इंच तान के सीना
आतंकियों का दुभर जीना
श्रीकृष्ण सारथी बने हैं हिंन्दुस्तान में,
देशवा के शान में ना।
पैंतीस Aअब गइले हेराई
काश्मीर मे शुभदिन आई
श्यामाप्रसाद खुशियाँ मनावे आन में,
देशवा के शान में ना।
पस्त भइले आंतकवादी
देखई आपन ऐ बरबादी
घुसपैठी शरण खोजिहें पाकिस्तान में,
देशवा के शान में ना।
सच्चे देश प्रेमी की जुबानी
कभी भी भूलेंगे ना कुर्बानी,
श्रीकांत गाते कुछ गद्दार बैठे है हिंन्दुस्तान में,
देशवा के शान में ना।
श्रीकांत दुबे बरजी गोपीगंज
भदोही9830177533
तिरंगा हमारी आन बान शान है— तिरंगा पर कविता | तिरंगा पर शायरी
तिरंगा हमारी आन बान शान है
जिस तिरंगे की रक्षा के लिये हमारे सेनानियों ने
वीर जवान अपने देश की रक्षा के लिये
खून का कतरा कतरा कुर्बान कर देते है
ये परवाह किये बिना कि हमारे घरवालों
पर क्या बीतेगी देश व तिरंगे की रक्षा को
सर्वोपरि समझते है
तो हम नागरिकों का भी फर्ज बनता है
कि उन वीर शहीदों के घरवालों की
खोज खबर रखें बच्चों की सहू करें
याउन्है सरकारी मदद दिलवाये
कानून तो बने होते है पर सब तक पहुंच
नहीं पाते
अनगिनत जवानों ने कुर्बानियां दी है और देते रहेंगे
जब तक सूरज चांद रहेगा हमेशा जवानों
तुम्हारा नाम रहेगा
कविता मोटवानी बिलासपुर छत्तीसगढ़
शान से लहराता तिरंगा मेरे देश में— तिरंगा पर कविता Poem On Tiranga
शान से लहराता तिरंगा मेरे देश में
बहती है गंगा प्यार की मेरे देश में
सर्व धर्मों कॊ सम्मान है मिलता
एकता बेमिसाल है दिखता
प्यार, प्यार, बस प्यार बरसता
पत्थर भी भगवान है मेरे देश में
हर दिन ईद हर रात दिवाली
चारों ओर भरी खुशियाली
जिधर देखों छाई हरियाली
राम की अयोध्या भोले की काशी मेरे देश में
कृष्ण का मथुरा, वृंदावन है
धरती पर हीं चारों धाम है
प्रेम का प्रतीक वो ताजमहल है
बुजुर्गों का सदा सम्मान मेरे देश में
सत्य अहिंसा परम धरम है
गौमाता का सम्मान है मेरे देश में
शान से लहराता " लक्ष्य"तिरंगा मेरे देश में
स्वरचित ....निर्दोष लक्ष्य जैन
6201698096
प्राणों से प्यारा तिरंगा हमारा : तिरंगा पर कविता
तिरंगा
प्राणों से प्यारा तिरंगा हमारा,
सुख –समृद्धि, शांति का प्रतीक,
हमारी एकता को दर्शाता है तिरंगा।
प्रेम व सौहार्द की भावना,
पूरब से पश्चिम उत्तर से दक्षिण,
शहीदों की आहुति को भूलने न देंगें,
सदा ऊंचा रहेगा हमारा तिरंगा।
हमारा राष्ट्र के प्रति कर्तव्य क्या है?
देश की निरंतर प्रगति हो,
हम सबको बोध कराता तिरंगा।
मन से,वचन से, कर्म से,
भारतवासी समर्पित हैं तेरे प्रति,
चारों ओर चेतनाप्रकश हो,
विश्व में लहराता रहे हमारा प्यारा तिरंगा।
(मौलिक रचना)
चेतना चितेरी, प्रयागराज
24/1/22,8:44p.m.
Tiranga Shayari
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