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आजादी का अमृत महोत्सव निबंध Azadi Ka Amrit Mahotsav Nibandh

आज़ादी का अमृत महोत्सव पर निबंध लेखन Essay Writing On Azadi Ka Amrit Mahotsav

आजादी का अमृत महोत्सव क्यों मनाया जाता है?

Azadi Ka Amrit Mahotsav – ७५वां स्वतंत्रता दिवस समारोह 75th Independence Day 2022 यह एक पावन अवसर है। आज से 74 साल पहले इसी दिन हमारा प्यारा देश भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी। सन् 1857 की आज़ादी की लड़ाई तथा महात्मा गांधी का विदेश से लौटकर भारत आना, अपने देश भारत को ‘सत्याग्रह’ की शक्ति का पुनः स्मरण कराना, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक का “पूर्ण स्वराज्य” की मांग और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज का “दिल्ली मार्च”, “दिल्ली चलो” का नारा को कोई कैसे भुला सकता है? इसी कारण इस दिन को हम अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं।

आजादी का अमृत महोत्सव का महत्व Importance Of Azadi Ka Amrit Mahotsav

आज के दिन एक राष्ट्र के रूप में भारत के समस्त नागरिकों के लिए यह 75वां स्वतंत्रता दिवस 75th Independence Day 2022 एक पावन अवसर है। इसी दिन 75 वर्ष पूर्व हमलोग अंग्रेजी राज की परतंत्रता के अत्याचार तथा बंधनों से मुक्त हुए और हम सब को स्वाधीन मिली इसी विशेष अवसर को हम आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मनाते हैं। इस महोत्सव का विशेष महत्त्व यह है कि आजादी के इतने दिन बीत जाने के उपरांत परिस्थितियां भी बदल चुकी हैं। की पीढ़ियां आई और आकर चली भी गई। इन्हीं में से एक पीढ़ी वह थी जिसने आजादी पाने के संघर्षशील समय को देखा भी और इसमें जीवन पर कई प्रकार की यातनाओं को भुगता भी था। दूसरी ओर वह पीढ़ी है जिसने उसे अपने बड़ों बुजुर्गों से सुना और अपनी कल्पनाओं में महसूस किया। लेकिन वर्तमान में तीसरी पीढ़ी को उसका सहज स्मरण नहीं है। यह महोत्सव वर्तमान पीढ़ी को उन सपनों, आदर्शों, आशाओं एवं अपेक्षाओं का स्मरण दिलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। जिसको 'हम भारत के लोग' अपने हृदय में संजोए हुए रहते हैं। आर्थिक-सामाजिक असामनता के भेद भाव को मिटाकर खुशहाल भारत के निर्माण की योजना पूरा करने के उद्देश्य एवं इस मिशन में शीघ्रता से जुड़ जाने के उद्देश्य से यह आजादी का अमृत महोत्सव हर वर्ष मनाया जाता है।

आजादी के पश्चात की तीसरी पीढ़ी वह है जो देश को एक युवा राष्ट्र बनाती है। हमारी 65 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या 35 साल से कम आयु वाली है जो अभूतपूर्व परिवर्तन लाने की असीम क्षमता रखती है। अगर इन सबको गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार और अवसर मिल जाए तथा स्वास्थ्य ठीक रखने के साधन हों और इनके हाथों में भी हुनर दे दिया जाए तो यह पीढ़ी परिपक्व और परिपूर्ण होकर हमारी अर्थव्यवस्था में भागीदार बन सकते हैं। इससे हमारे देश को दुनिया के शीर्ष पर पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता है। अतः यही वह सुन्दर समय है जब हम अपने प्राचीन इतिहास वाले नवीन राष्ट्र के भविष्य के लिए लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं।

स्वतंत्रता दिवस का अमृत महोत्सव

स्वतंत्रता दिवस का अमृत महोत्सव हम सभी देशवासियों को यह अवसर देता है कि हम अपने भविष्य पर नज़र रखते हुए देश की आजादी के संघर्ष के गौरवशाली इतिहास को भी स्मरण करते रहें। अपनी कमियों को जानें और उनका आकलन करें। परंतु उनसे लज्जित या हीन भावना का संचार न हो बल्कि उन कमियों को दूर करने हेतु विचार करें तथ आत्मसम्मान के साथ आगे बढ़ते रहने की सोचें। भारत के पास गर्व करने के लिए बहुत सारी सामाग्री है। हमारा समृद्ध इतिहास है और चेतनामय सांस्कृतिक विरासत भी जो हमें ऊंची उड़ान भरने के लिए शक्तिशाली पंख प्रदान करते हैं।

इस विशेष महोत्सव के दौरान लोकतांत्रिक व्यवस्था में नैतिकता के प्रतिमानों का स्मरण भी आएगा तथा संविधान प्रदत्त अधिकारों एवं कर्तव्यों के आग्रह के साथ हमलोगों में अपने दायित्वों के निर्वहन का बोध भी होगा। साथ ही हम अपने तथा अपनों के संकुचित परिधियों से मुक्त होकर एक वृहद सामाजिक दायित्व को भी समझ सकेंगे। अपनी सच्चाई को सार्वभौमिक सच मानने के दुराग्रह से बचेंगे और यही सनातन मार्ग भी है। हमारा ऐसा करना कुछ विशेष लोगों का काम नहीं है बल्कि यह हम सभी का दायित्व है। तीव्रता से प्रगति कर रही डिजिटल यंत्र तकनीक के के इस काल में इस बात की महत्ता और भी बढ़ जाती है। तभी हम तीव्रता से हो रहे परिवर्तन के समय में अपने पांव मजबूती से जमाए रख सकने में सक्षम होंगे तथा ऋग्वेद के इस पवित्र मंत्र का अनुसरण कर सकेंगे - 'ऊँ संगच्छध्वं संवदध्वंसं वो मनांसि जानताम्' अर्थात 'हम सभी एक साथ चलें और आपस में संवाद करें तथा हमारे मन एक हों।
आजादी का अमृत महोत्सव निबंध Aazadi Ka Amrit Mahotsav Nibandh
21वीं सदी का हिंदुस्तान आत्मनिर्भरता की ओर उन्मुख हो रहा है। कोरोना काल में हमारा देश सारे विश्व के सामने प्रत्यक्ष सिद्ध हो गया है कि आत्मनिर्भर हिंदुस्तान मानवता को महामारी के संकट से बचाने में, वैक्सीन निर्माण में एक बहुत बड़ा उदाहरण है। इससे न सिर्फ अपनी बल्कि विश्व के अनेक दूसरे देशों की जनता की जान बचाने हेतु यथासंभव प्रयास किए और कोरोना वैक्सीन भी उपलब्ध करवाई।

आजादी के बाद नई उपलब्धियों की ओर प्रस्थान कर रहा है भारत

भारत लगातार नई नई उपलब्धियों की ओर प्रस्थान कर रहा है। परंतु आवश्यकता इस बात की है कि इन उपलब्धियों को हम केवल अपने हित के लिए नहीं बल्कि इसे पूरी दुनिया को रोशनी दिखाने हेतु सार्वजनिक करें। इससे पूरी मानवता की आशाएं पूरी होनी चाहिए तभी तो हमारा आधुनिक भारत महान बन सकेगा। हम भारतवासी चाहे देश में रहे हों या विदेशों में हमने सदा अपने परिश्रम से यह प्रमाणित किया है कि भारत एक महाशक्ति और शांतिप्रिय देश है। हमें अपने देश पर गर्व है। हमें अपने संविधान तथा हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं और परंपराओं पर गर्व है। भारत सदा से लोकतंत्र की जननी रही है और आज भी लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करते हुए आगे कदम बढ़ा रहा है। भारत की इस आत्मनिर्भरता से ओतप्रोत हमारी विकास यात्रा पूरी दुनिया की विकास और सफलता को गति देने वाली है।

दांडी यात्रा से जुड़े स्थलों का पुनरुद्धार

भारतीय इतिहास के इस गौरवशाली यादों को सहेजने हेतु सभी राज्यों, सभी क्षेत्रों भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। दांडी यात्रा से जुड़े स्थलों का पुनरुद्धार देश ने दो वर्ष पूर्व ही पूरा कर लिया है। अंडमान में जिस जगह पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने देश की पहली आज़ाद सरकार बनाकर भारत का तिरंगा फहराया था देश ने उस विस्मृत इतिहास को भी भव्य आकार दे दिया है। अंडमान निकोबार के द्वीप समूहों का नाम स्वतन्त्रता संग्राम के नामों पर रखा गया है। जालियाँवाला बाग का भव्य स्मारक हो या फिर ‘पाइका-आंदोलन’ के स्मरण में स्मारक हर जगह पर तेज़ी से काम हुआ है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर से जुड़े स्थानों का भी विकास देश ने पंचतीर्थ के रूप में किया है।

भारत का हर नागरिक लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के 'पूर्ण स्वराज' चंद्रशेखर आज़ाद जी के 'आज़ाद हिंद फौज के 'दिल्ली चलो', भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान को देश कभी भुला नहीं सकता। आज भी मंगल पांडे, रानी लक्ष्मी बाई, तात्या टोपे, भगत सिंह, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर से हर कोई प्रेरणा लेता है।

भारत को आजाद कराने में देश के कोने-कोने से कितने ही आदिवासी, दलित, युवा, और महिलाएं आगे आएं थे जिन्होंने असंख्य त्याग और बलिदान किए। स्वतंत्रता के आंदोलन की इस बहुमूल्य ज्योति को निरंतर जागृत करने का कार्य, पूरब-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण, हर एक दिशा में हर क्षेत्रों में हमारे साधू संतो-महंतों, आचार्यों ने अपना योगदान दिया था। एक प्रकार से यह अभुतपूर्व भक्ति आंदोलन ने राष्ट्रव्यापी स्वाधीनता आंदोलन की भूमिका निभाई थी।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी ने जब दांडी यात्रा की तथा नमक के कठोर कानून को तोड़ा तो उस समय में नमक भारत की आत्मनिर्भरता का बहुत बड़ा प्रतीक था। अंग्रेजों ने भारत के मूल्यों के साथ-साथ इस आत्मनिर्भरता की नींव पर भी चोट करने की कोशिश की थी। यह तब की बात है जब भारत के लोगों को इंग्लैंड से आने वाले नमक पर निर्भर होना पड़ता था। उस समय गांधी जी ने देश के उस पुरानी और गंभीर समस्या को समझा और जन-जन से जुड़ी उस सबसे बड़ी समस्या को पकड़ा। कुछ ही दिनों में यह महाआंदोलन हर एक भारतवासी का आंदोलन बन गया। हर एक भारतवासी ने इसे संकल्प के रूप में अपनाया। हमारे यहां नमक का अर्थ है- निष्ठा एवं ईमानदारी। हम इसीलिए आज भी कहते हैं कि हमने अपने देश का नमक खाया है। ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि नमक कोई बहुमूल्य वस्तु है। बल्कि ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि नमक हमारे यहाँ श्रम और समानता का प्रतीक और आदर्श बन चुका है।

जब हम अंग्रेज़ो के शासन के युग के संबंध में विस्तारपूर्वक विचार करते हैं तो हमारे ध्यान में आता है कि जब करोड़ों लोग स्वतंत्रता की प्रतीक्षा कर रहे थे। तो यह स्वतंत्रता के 75 वर्षों के महोत्सव को और भी महत्वपूर्ण और संवेदनशील बना देता है। आजादी का अमृत महोत्सव आज़ादी के संघर्षों के साथ-साथ आज़ाद भारत के सपनों तथ कर्तव्यों को देश के सामने लाकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा।

हम सभी का यह बहुत बड़ा सौभाग्य है कि आज हम सभी भारतवासी आज़ाद भारत के इस ऐतिहासिक कालखंड के साक्षी बने हैं जिसमें भारत उन्नति की नई ऊंचाइयों को दिन प्रतिदिन छूता जा रहा है। आज का आधुनिक भारत विश्व में अपना नाम सबसे आगे की पंक्ति में लिखवा चुका है। हम इस पुण्य पावन अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं और देश के स्वाधीनता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले तथा देश को नेतृत्व प्रदान करने वाले सभी महान विभूतियों के चरणों में नमन एवं उनका कोटि-कोटि वंदन करते हैं। आज़ादी का अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) उन सभी लोगों को धन्यवाद देने का हमारा एक प्रयास है। जिनके कारण हम भारतवासी स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं। यह स्मरण करने का समय है कि स्वतंत्रता को हल्के में नहीं लिया जा सकता यह कठिन परिश्रम, संघर्ष और पुरुषार्थ के पश्चात प्राप्त किया गया अमृत है जिसे प्राप्त करने हेतु शहीदों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।

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