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कारगिल विजय दिवस पर कविता Poem On Kargil Vijay Diwas Hindi

कारगिल विजय दिवस

विषय : कारगिल विजय दिवस
दिनांक : 26 जुलाई, 2023
दिवा : बुधवार

1999 ई का ये 26 जुलाई,
सदा सदा यह याद रहेगा।

कारगिल पे तिरंगा लहराया,
कारगिल में आबाद रहेगा।।

लगाई तूने जान की बाजी,
सदा सदा यह याद रहेगा।

तेरी शौर्यता का शौर्यगाथा,
लहराता ध्वज सदा कहेगा।।

ऊंचाई पर जो छिपे थे बैठे,
ऊपर से गोलियां बरसाए थे।

नीचे से जवाबी फायर कर,
पाकिस्तान को भी भगाए थे।।

जबतक रहे ये धरा आसमां,
भारतीय ध्वज लहराता रहेगा।

तेरी शौर्यता वीरता की गाथा,
भारतीय तिरंगा सदा कहेगा।।

भारतभूमि बहादुर सैनिकों,
कोटि कोटि तुझको नमन है।

शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित,
तेरी कृपा से ये शत्रु दमन हैं।।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।


कारगिल विजय की यादें Kargil Vijay Diwas Par Kavita

“कैसे भूल सकते हैं उन वीरों की कुर्बानी,
  जिन्होंनें हंसते हंसते लूटा दी थी जवानी।
  कोटि कोटि कारगिल के वीरों को नमन,
  अपने लहू से जिन्होंने सजा दिया चमन।”

26 जुलाई 1999 का दिन हमेशा यादगार और सदाबहार रहेगा,
जब दूम दबाकर भागी थी, कारगिल से शत्रु सेना पाकिस्तानी।
कारगिल विजय के लिए भारत ने भी बड़ी कीमत चुकाई थी,
देनी पड़ी थी भारत को भी, अपने वीर सपूतों की कुर्बानी।
दुश्मनों को आज भी, सपने में भारत से बड़ा डर लगता होगा,
जब नाचती होगी आंखो के आगे, कारगिल की वो कथा पुरानी।
26 जुलाई 1999 का दिन……

चोरी छिपे अचानक हुए हमले का, हमने मुंहतोड़ जवाब दिया,
कारगिल विजय की यादें दोस्तो, कभी कैसे हो सकती है पुरानी?
दुश्मनों ने चालाकी और धोखेबाजी का लिया था भरपूर सहारा,
लेकिन हमारे जवानों के आगे, दुश्मनों की याद आ गई थी नानी।
भारत के जवानों ने दुश्मनों को, दिन में तारे दिखला दिए थे,
मोर्चे पर कदम कदम पर बज रहा था, डंका हिन्दुस्तानी।
26 जुलाई 1999 का दिन……

तब के अधिकांश भारतीय जवान, आज सेवानिवृत हो चुके हैं,
आज भी उनके दिल में वही आग है, और आंखो में वही पानी।
तत्काल आदेश पर, हमारी यूनिट निकल पड़ी थी मोर्चे पर,
वक्त से पहले पहुंच गई थी, था जोश दिल में बड़ा तूफानी।
कम समय में हमारी सेना ने, नजारा ही बदल दिया था
ठंडा हो गया जोश शत्रु का, हो गए थे शर्म से पानी पानी।
26 जुलाई 1999 का दिन……

यह दिवस आता है, आकर भारतीय जन जीवन में खुशियां भर देता है,
कारगिल विजय दिवस की खुशी से, होगी आज की शाम फिर सुहानी।
कारगिल विजय दिवस की हार्दिक बधाई है सारे देशवासियों को,
सेवानिवृत जवानों का जोश इतना बढ़ गया कि लगता लौट आई जवानी।
विजय की खुशियां मुबारक हो आज के सेवारत जवानों को भी,
जिन पर नाज़ करता है, कश्मीर से कन्याकुमारी तक हिन्दुस्तानी।
26 जुलाई 1999 का दिन……………..

कोरोना ने सारे जग को, चिंता की चादर में लपेट रखा है,
इस विजय दिवस खुशी से, होगी आज की शाम फिर सुहानी।
कारगिल विजय दिवस की, हार्दिक बधाई है देशवासियों को,
सेवानिवृत जवानों का जोश बढ़ गया है, लौट आई जवानी।
विजय की खुशियां मुबारक हो, आज के तैनात जवानों को,
कश्मीर से कन्याकुमारी तक, जिन पे नाज करता हिन्दुस्तानी।
26 जुलाई 1999 का दिन……

“कारगिल के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि एवं कोटि कोटि सादर हार्दिक नमन मेरा”
जय हिन्द, जय भारत, वंदे मातरम्।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

कारगिल विजय दिवस पर विशेष कविता

आओ हम सब याद करें भारत के वीर जवानों को,
जिन वीरों ने कारगिल की चोटी पर लहराया तिरंगा।
उन देश भक्तों शूरवीरों की कुर्बानी को।
जिन्होंने दुश्मनों के सैनिकों को मार गिराया,
और नाकामयाब किया उनकी हर इक चालों को,
श्रद्धा सुमन अर्पित उन साहसी वीर जवानों पर।
निडर भारत भूमि के भारत-पुत्र लाडलों को।
बर्फ पर चलते दुश्मनों को कुचलते मार गिराते,
और रात भर जागते देश की रक्षा करने को,
आंधी हो या तूफान हो या हो रेगिस्तान
याद करो उन शूरवीरों की शहादत को।
जिनके कारण देश के लोग सुकून से सोते रात भर
हम शत् शत् नमन करते हैं ऐसे पहरेदारों को।
जब वह खाते अपने सीने पर गोलियां
तभी मनाते हैं हम सब होली और दीवाली ‌
भूलों नहीं ऐसे देश के रखवालों को।

सलाम कारगिल विजय के जवानों को कारगिल विजय दिवस पर कविता

ओज कविता - सलाम उनको।
जबांज जवानों ने दिलाया जीत सलाम उनको।
धूल चटाया दुश्मनों को दिया खूब पैगाम उनको।
हिन्द के बिर डरते नहीं किसी तीर और तलवारो से।
टकराए कोई भारत से मिले टक्कर घमासान उनको।
चढ़ आया धोखे से दुश्मन सोचा कारगिल जीत लिया।
बढ़ाया हाथ दोस्ती का घोंप छुरा पीठ में कैसा प्रीत किया।
खोल दिया मुंह बोफोर्स तोप ने गीदड़ों में कोहराम मचा।
मारा चुन चुन कर एक एक दुश्मन न निशान बचा।
छुड़ाया छक्का बैरीयो के गिरा चोटी किया हैरान उनको।
शाहिद हुए जवान ए हिन्द उनको नमन हमारा है।
बूंद बूंद बदला खून का लिया दिया जवाब करारा है।
हरदम जीता है आगे भी जीतेंगे न पीठ दिखाएंगे हम।
चले सीर बांध कफन जीतेंगे या लिपट तिरंगा आयेंगे हम।
गाड़ दिया तिरंगा छाती जीना किया हराम उनको।
जय हिन्द।
श्याम कुंवर भारती
बोकारो झारखण्ड

कारगिल विजय दिवस पर कविता शायरी Poem On Kargil Vijay Diwas Hindi

प्राण दिये पर कर दी दुश्मन
की कोशिश नाकाम
ओ सीमा के सजग प्रहरियों
शत् शत् तुम्हें प्रणाम
दिया कारगिल युद्ध क्षेत्र में
जो तुमने बलिदान
युगों-युगों तक याद रखेगा
उसको हिन्दुस्तान
छक्के छुडा दिये दुश्मन के
जीना किया हराम
धन्य धन्य पितु मातु तुम्हारे
धन्य तुम्हारा गाँव
जिनकी गोदी में पले बढ़े
तुमसे ललना के पाँव
जब तक सूरज चाँद रहेगा
अमर रहेगा नाम
पड़ा भागना पाक फौज को
लेकर अपनी जान
सौ के ऊपर पड़ा हिन्द का
भारी एक जवान
अपने कर्मों का नवाज जी
भोग गये परिणाम।
पाकिस्तानी सेना को किया परास्त
करो याद भारत के वीर जवानों को।
कारगिल की चोटी पर लहराया तिरंगा
उन देश भक्तों की कुर्बानी को।
दुश्मन के सैनिकों को मार गिराया
नाकामयाब किया उनकी चालों को।
श्रद्धा सुमन अर्पित उन साहसी
निडर भारत भूमि के लाडलों को।
बर्फ पर चलते दुश्मन को मार गिराते
रात जागते देश की रक्षा करने को।
आंधी हो तूफान हो या हो रेगिस्तान
याद करो उन वीरों की शहादत को।
देश के लोग सुकून से सोते रात भर
शत् शत् नमन ऐसे पहरेदारों को।
तब वह खाते अपने सीने पर गोलियां
भूलों नहीं ऐसे देश के रखवालों को।

Kargil Vijay Diwas Poem | Kargil Diwas Par Kavita

टूटी चूड़ी, धुला महावर, रूठा कंगन हाथों का
कोई मोल नहीं दे सकता वासन्ती जज्बातों का
जो पहले-पहले चुम्बन के बाद लाम पर चला गया
नई दुल्हन की सेज छोड़कर युद्ध-काम पर चला गया
उनको भी मीठी नीदों की करवट याद रही होगी
खुशबू में डूबी यादों की सलवट याद रही होगी
उन आँखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे हैं
जब मेंहदी वाले हाथों ने मंगलसूत्र उतारे हैं
गीली मेंहदी रोई होगी छुपकर घर के कोने में
ताजा काजल छूटा होगा चुपके-चुपके रोने में
जब बेटे की अर्थी आई होगी सूने आँगन में
शायद दूध उतर आया हो बूढ़ी माँ के दामन में
वो विधवा पूरी दुनिया का बोझा सिर ले सकती है
जो अपने पति की अर्थी को भी कंधा दे सकती है
मैं ऐसी हर देवी के चरणों में शीश झुकाता हूँ
इसीलिए मैं कविता को हथियार बनाकर गाता हूँ
जिन बेटों ने पर्वत काटे हैं अपने नाखूनों से
उनकी कोई मांग नहीं है दिल्ली के कानूनों से
जो सैनिक सीमा रेखा पर ध्रुव तारा बन जाता है
उस कुर्बानी के दीपक से सूरज भी शरमाता है
गर्म दहानों पर तोपों के जो सीने अड़ जाते हैं
उनकी गाथा लिखने को अम्बर छोटे पड़ जाते हैं
उनके लिए हिमालय कंधा देने को झुक जाता है
कुछ पल सागर की लहरों का गर्जन रुक जाता है
उस सैनिक के शव का दर्शन तीरथ-जैसा होता है
चित्र शहीदों का मन्दिर की मूरत जैसा होता है।
कारगिल विजय दिवस पर कविता शायरी Poem On Kargil Vijay Diwas Hindi

कारगिल विजयोत्सव Kaargil Yudhy Vijay Divas Par Kavita - कारगिल युद्ध विजय दिवस

अतिक्रमित कारगिल क्षेत्र विजय करने हेतु मिग-21 / 27 चलाये।
"ऑपरेशन विजय" में भारत के 527 जवान हुए शहीद- कहलायें।
1300 से अधिक घायल फौजी- 527 बाँकुरे वीरगति गले लगाये।
भारतीय जवानो में से अधिकतर जीवन के 30वसन्त देख नहीं पाये।
सत्-सत्-नमन् योद्धाओं को 2700 पाक फौजियों को भून मार डाला।
नहीं ले गये भीरू तो लाशों को हमने सम्मान दे उन्हें दफ़न कर डाला।
18000 फीट ऊचाई हिमगिरी पर चढ़- यह कारगिल युद्व निराला।
बर्फ हीं बर्फ की चट्टाने हर ओर, न गया पेट में सप्ताह एख निवाला।
२५० पाकिस्तानी सैनिक पलायन कर भागे रण अपनी जान बचा कर।
मोर्चा सौभाला 300 किलोमीटर वापस लिया एल ओ सी पार खँगाला।
धुसपैठियों को खदेड़ भारत भू - खण्ड पर लहराया तिरंगा प्यारा,
श्रद्धांजलि सुमन चढ़ाते आज चरणों में मांग रहे मातृभूमि से यह वर।
तेरा वैभव अमर रहे माँ दिन चार ये रहे न रहे, झुक नहीं पाए तेरा सर।
सहृदय साधुवाद् "राजपुताना" रेजिमेंट को- आहुत वीर अमर हो।
फिर देखा अगर इधर पाक तो आँख निकाल लाना सुनिश्चित हो।
वंदेमातरम् जय हिन्द डॉ. कवि कुमार निर्मल

ऐ मेरे वतन के लोगों, कारगिल विजय दिवस पर कविता

कारगिल
ऐ मेरे वतन के लोगों,
तुम्हें याद सदा हीं रखनी।
इन शहिदों की कुर्बानी।
कहते हैं हम अब चले,
देश है तेरे हवाले।
मत रहना गफ़लत में
अब जागो अपना घर देखो।
भीख मांगते दुनिया से,
उजड़ा चमन अब भी चेतो।
मेर प्यारे देशवाशियों अब
हम तो सफर करते हैं,
मत कर भरोसा ये वोही है पाक।
नही है भऱोसे-काबिल,
अपनी ये आतंकी जात।
देखे अब अपनी औकात।
कारगिल पर झंडा फहराया।
दुनिया को शौहर दिखलाया।
हालतें पुलवामा भी देखा।
कायर द्रोण चला कर भी देखा।
कश्मीर को अपना बताया।
आ अगर है माँ का जाया।।
पुष्पा निर्मल
बेतिया, बिहार

कारगिल युद्ध पर कविता Poem On Kargil War In Hindi 

कारगिल युद्ध
युद्ध मे उतरे वीर सिपाही
भारत की जो शान है
भिड़ उठे आतंक से हर पल
LOC जो उनकी जान है..

भारत का हिस्सा कारगिल
कैसे हथियाने वो देते
पहले हमारे सीने से गुजरों
तभी तो वो खाने देते।।

हर पल सीना बड़ा डटे वो
मुंह के बल गिराया है
दुश्मन सुन लो भारत के
तुम्हें को कारगिल मे धूल चटाया है।।

वीर हैं भारत के वीर हम
तभी तो आतंक को खौंफ
जदा आज हमने कराया है।।2।।

वीना आडवानी"तन्वी"
नागपुर, महाराष्ट्र

कारगिल विजय दिवस पर कविता शायरी Poem On Kargil Vijay Diwas Hindi

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