Ticker

6/recent/ticker-posts

कृष्ण जन्माष्टमी भजन हिंदी में लिखी हुई Krishna Bhagwan Bhajan Lyrics Hindi

मुरली वाले बता मेरा कौन है रखवाला? श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भजन Krishna Bhajan Lyrics

भक्ति गीत : मुरली वाले बता
मुरली वाले बता, मेरा कौन है रखवाला,
वंशी वाले बता, मेरा कौन है रखवाला?
फंसा है संकट में आज जीवन यह मेरा,
आकर मेरी आज जान बचा ले गोपाला।
मुरली वाले बता…
दुनिया के अंधेरे में भटक रहा हूं प्रभुजी,
मेरे अंतर्मन को, थोड़ा दे दे तू उजाला।
सारी दुनिया पर है कृष्णा तेरी ही माया,
एक बार तो अपने दर्शन दे दे नंदलाला।
मुरली वाले बता…
माखन मिश्री का तुमको भोग चढ़ाऊंगा,
चरण रज से तेरे, मैं तिलक लगाऊंगा।
आज मझधार से तू बचा लो मेरी नैया,
तेरे जैसा कौन, इस सृष्टि में दिलवाला?
मुरली वाले बता…

Shree Krishna Bhajan

तेरी मुरली जब जब, पुकारे राधा नाम,
सारी दुनिया करती है, तुमको प्रणाम।
भगवान मेरे, करो कृपा एक बार आज,
जन्म जन्म तक जपूंग, तेरी ही माला।
मुरली वाले बता…
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

चला किधर मुरलीधर : कृष्ण भगवान भजन हिंदी Krishna Bhajan Lyrics Hindi

भजन : चला किधर मुरलीधर
चला किधर तू मुरलीधर,
तुमको ढूंढ रही है राधा।
भूल गया कैसे कन्हैया?
याद करो अपना वादा।
चला किधर…
भटक रही वह वन वन,
समझो उसकी उलझन।
सुबह से खा रहे माखन,
पेट नहीं भरा है आधा।
चला किधर…
यमुना तट सूना लगता,
पनघट भी सूना लगता।
मन लग गया गोकुल में,
क्या बदल गया इरादा?
चला किधर…
हो तुम ही सूर के श्याम,
तुम ही मीरा के भगवान।
यमुना किनारे जाओ तुम,
निभाओ किया जो वादा।
चला किधर…
हम तो हुए तेरे भक्त पुराने,
नाम लेता हूं किसी बहाने।
सबको तेरी जरूरत कृष्णा,
क्या कहूं मैं इससे ज्यादा?
चला किधर…
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

कृष्ण भगवान के भजन हिंदी में लिखी हुई Bhajan Lyrics In Hindi Of Krishna

आ गए चितचोर
भक्ति काव्य/गीत
मैया मैया मचाते हुए शोर,
संसार में आ गए चितचोर।
अंजान रह गया कंस बेचारा,
मिला धर्म को बड़ा सहारा।
थे वो इस जगत के स्वामी,
छुपे कहीं चंदा और चकोर।
मैया मैया…
पुण्य धर्म की, लाज बचाने,
पाप अधर्म, जग से मिटाने।
बड़े दिनों से जिसकी प्रतीक्षा,
पूरी हो चुकी थी वो परीक्षा।
बीत गए दिन दुःख के सारे,
छा गया आनंद चारों ओर।
मैया मैया…
सारा संसार प्रभु का अपना,
भक्तों का सच हुआ सपना।
है यही भगवान की महिमा,
आते बचाने जग की गरिमा।
पता नहीं कंस को कुछ भी
पहरेदार हो गए नींद विभोर।
मैया मैया…
छलक पड़ी मां की ममता,
पिता वसुदेवजी हुए कठोर।
भादो अष्टमी, घटा घनघोर,
चले पिता गोकुल की ओर।
कैदखाने में अकेली थी मैया,
थामकर एक आशा की डोर।
मैया मैया…
काली रात के वासुदेव नंदन,
सुबह हुई तो हुए नंदकिशोर।
प्रसन्न हो गई यशुमति मैया
बंध गई यशोदा मैया से डोर।
दो मैया जहां, एक कन्हैया,
गोकुल बस गए माखनचोर।
मैया मैया…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

जन्माष्टमी भजन : कान्हा बड़ा शुभ तेरा आना Krishna Bhajan For Janmashtami

भजन : कान्हा बड़ा शुभ तेरा आना
कान्हा बड़ा शुभ होता है, तेरा जग में आना,
तुमको सारी दुनिया ने, मन से है प्रभु माना।
कृष्णा, तेरी जन्माष्टमी है, तेरा दिल से स्वागत,
कब से राह तेरी देख रहा है, यह सारा जमाना?
कान्हा बड़ा शुभ……
असुर दानव के तुम, होश उड़ा देते हो वंशीधर,
भरा रहता है दया धर्म से, हरदम तेरा खज़ाना।
जब जब मीठी वंशी बजती तेरी, यमुना किनारे,
राधा रानी को सब छोड़कर, वहां पड़ता है जाना।
कान्हा बड़ा शुभ……
ग्वाल बाल संग गैया चराते, राधा संग रास रचाते,
अपनी मीरा से भी होगा, अपना हर वादा निभाना।
बड़ा उदास लगता, यमुना तट पर पेड़ कदम का,
वृंदावन को पड़ रहा, सुबह शाम आंसू बहाना?
कान्हा बड़ा शुभ……
संत सूर के प्रभु जी, तुम ही लगते हो स्वामी,
तेरे बिना किसी का नहीं है, कहीं कोई ठिकाना।
है कोरोना का घना साया, छाया हुआ तेरी दुनिया पर,
अपने सुदर्शन चक्र से कन्हैया, कोरोना को भगाना।
कान्हा बड़ा शुभ……
संभालकर रखा हमने, माखन और मिश्री तेरे लिए,
नंदलाल, तुम आना, और प्रेम से भोग लगा लगाना।
रास्ता निहार रही है तुम्हारी, प्यारी देवकी मैया भी,
पिता वासुदेव जी का भी, शान से है मान बढ़ाना।
कान्हा बड़ा शुभ……
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

बाल गोपाल गीत: मैं तेरा लला हूँ, तू है मोरी मैया Krishna Janmashtami Utsav Bhajan

बाल (गोपाल) गीत : मैं तेरा लला

“श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां आप भक्तों को”

मैं तेरा लला हूँ, तू है मोरी मैया,
तुम वहां हो, यहां तेरा कन्हैया!
किसे खोज रही हो बताओ मोहे,
मैं तो गया था वन चराने गैया।
मैं तेरा लला……….

मैया, माखन नहीं चुराया आज,
मैंने कुछ भी नहीं खाया आज।
गोपियों की, झूठी शिकायत है,
मेरे संग संग थे बलराम भैया।
मैं तेरा लला………..

पास तेरे क्यों आती यह राधा?
बेकार की, बातें करती ज्यादा।
अपने कान्हा पर भरोसा रखो,
मैं तो ठहरा एक वंशी बजैया।
मैं तेरा लला…………

मुझको घर में मत बंद करना,
इन गोपियों की आदत लड़ना।
नहीं बांधना ओखली से मुझको,
हे मोरी मैया, पड़ूं मैं तेरे पैयां
मैं तेरा लला………..

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

बाल भक्ति गीत : मेरे गोपाल

“हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैयालाल की,
दुनिया पूजा कर रही है आज गोपाल की।”
“समस्त देशवासियों को भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव/प्रकटोत्सव की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाईयां।”

मेरे गोपाल, मेरे नंदलाल,
हमें ले चलो गैया चराने।
तेरे दर्शन हो जाएंगे हमें,
गैया चराने के ही बहाने।
मेरे गोपाल………

अपना बाल सखा बना लो,
हमें ले चलो यमुना नहाने।
तेरा बाल रूप खूब भाता है,
हम बच्चे मित्र हैं तेरे पुराने।
मेरे गोपाल……..

हमारे घर पधारो हे कन्हैया,
कभी तो तुम माखन खाने।
बालपन तेरा अच्छा लगता,
हम बच्चे ठहरे तेरे दीवाने।
मेरे गोपाल………..

हम बच्चे बेसुध हो जाते हैं,
जब तुम लगते वंशी बजाने।
गायों के गले, घंटी टन टन,
हमें तो रख लो गौ खिलाने।
मेरे गोपाल………..

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

गीत : नंदलाला

“ॐ श्री वासुदेवाय नमः”
आप सभी भाइयों, बहनों, मित्रों एवं प्यारे बच्चों को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव/प्रकटोत्सव की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां। सबका भला करे भगवान योगेश्वर श्रीकृष्ण।
हंसते हंसते जग में आए नंदलाला,
सारी दुनिया पर हैं छाए नंदलाला।
पूजा अर्चना चल रही मंदिर मंदिर,
सबका मन आज मोह रहे गोपाला।
हंसते हंसते जग में………..

तीनों लोक की शक्ति, लगती इसमें,
ऋषि मुनियों की सारी भक्ति इसमें।
बड़ा विलक्षण, लगता है यह बालक,
बात कहता, गोकुल का हर ग्वाला।
हंसते हंसते जग में…………

भादो कृष्ण पक्ष अष्टमी की थी रात,
हुई थी गगन से प्रकाश की बरसात।
नहीं रहा जग को खुशी का ठिकाना,
फैल गया दुनिया में, गजब उजाला।
हंसते हंसते जग में…………


नींद में सो गए कंस के सारे पहरेदार,
शिशु संग पिता ने किया यमुना पार।
लाल को जाते देखती रही देवकी मैया,
दुनिया को मिल गया सच्चा रखवाला।
हंसते हंसते जग में………..

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

कृष्ण जन्माष्टमी पर भजन : मेरे गोपाल सुन लो

मेरे कन्हैया मेरे देव, गोपाल सुन लो,
हे देवकीनंदन, मुरारी नंदलाल सुन लो!
सबके पालनहार, हे दीनदयाल सुन लो,
हे माखन चोर, यशुमती लाल सुन लो!
गोकुल वृंदावन के, सारे हाल सुन लो,
मीरा और राधा के भी सवाल सुन लो!
मेरे कन्हैया…

पाप बढ़ रहा है, स्वर्ग समान धरती पर,
हे तारणहार, कृपाल, हे धर्मपाल सुन लो!
महामारी कोरोना से बचाओ प्रभु सबको,
जग का हाल मेरे नयन विशाल सुन लो।
हे पाप विनाशक, धर्म कर्म के रक्षक प्रभु,
अपने सेवकों के मन के ख्याल सुन लो!
मेरे कन्हैया…

बेरा पार लगा दो, खेवनहार मेरी नैया के,
हे द्रौपदी के भ्राता, लाज की ढाल सुन लो!
तेरी गीता तुमको फिर बुला रही है केशव,
हे योगेश्वर, रिपु दमन विकराल सुन लो!
तेरे जन्म दिन पे मुरलीधर, तुम्हें प्रणाम,
हे द्वारकाधीश, सुदामा का हाल सुन लो!
मेरे कन्हैया……

हे रास रचैया, वंशी बजैया, भूलना मत हमें,
हे नंदलाल, हमारे जी का जंजाल सुन लो।
मनमोहन, मेरे वंशीधर, हे गिरिधर गोपाल,
हे बलराम शखा, गोकुल के ग्वाल सुन लो!
हे नाग नथैया, हे सारथी धनुर्धर अर्जुन के,
कलियुग का, आज गजब कमाल सुन लो!
मेरे कन्हैया……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

भक्ति गीत : कहाँ खो गए गोपाल कृष्ण भजन लिरिक्स इन हिंदी

भक्ति गीत : कहाँ खो गए गोपाल
हाय राम, तुम कहाँ खो गए गोपाल?
कुछ तो बोलो, दुनिया के दीनदयाल!
आज क्यों चुप है गिरिधर, वंशी तेरी?
बोलो मुरलीधर, वृंदावन बिहारी लाल!
हाय राम, तुम……

मंदिर मंदिर तुम्हीं को खोज रही है मीरा,
उसकी बोली से जैसे छलक रही है पीड़ा।
नहीं बनी राधा कभी तेरी राहों की बाधा,
लेकिन पूछ रहे सवाल, सारे ग्वाल बाल।
हाय राम……

छेड़ो तान, उठाओ और बजाओ बांसुरिया,
कब तक सोचते रहोगे, राधा के सांवरिया?
राह निहार रही तुम्हारी, गोकुल की गैया,
ललाट तेरे तिलक, सिर पर घुंघराले बाल।
हाय राम……

कभी आ रहा, कभी जा रहा यह कोरोना,
प्रभु,कभी यहां तो कभी वहां पर है रोना!
अपनी कृपा बरसाओ, दुनिया को बचाओ,
लगता है आज, भक्तों का बड़ा बुरा हाल।
हाय राम……

बीतता जा रहा है मस्त मौसम बसंत का,
क्या सोच रहे हो रंगीन होली के अंत का?
नहीं भूल सकता तुमको कदम की छैयां,
ब्रज में एकबार फिर उड़ाओ रंग गुलाल।
हाय राम………
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

जय जय मोरे कृष्ण कन्हैया - कृष्ण भगवान के भजन आरती

भक्ति गीत : जय जय मोरे कृष्ण कन्हैया
जय जय मोरे कृष्ण कन्हैया, वंशी बाजैया,
जय जय मुरलीधर मनमोहन घनश्याम जी!
तेरी दुनिया, तेरी धरती है, मेरे देवकीनंदन,
कृपा करो मुझ पर, लेता में तेरा नाम जी!
जय जय मोरे कृष्ण……
राधे राधे मैं जपता, मीरा मीरा मैं जपता,
दे दो अपने दर्शन, सुबह नहीं तो शाम जी!
नंदलाल, गोपाल, वृंदावनवाले प्रिय प्रभुजी,
चरण रज देकर, बना दो अपने काम जी।
जय जय मोरे कृष्ण……
ज्ञान वही है, गीता में जो तुमने कहा है,
द्वापर के मुरलीधर हो, त्रेता श्रीराम जी!
नाचता है जो चक्र तुम्हारा, उंगलियों पर,
साथ साथ जग नाचता है, मेरे श्याम जी!
जय जय मोरे कृष्ण……
गोकुल से वृंदावन तक, छाया है कोरोना,
साथ साथ कराह रहा, मिथिला धाम जी,
हे नंदलाला, हे गोपाला, कहां बैठे हो तुम,
क्या भूल गए हैं हमको भैया बलराम जी?
जय जय मोरे कृष्ण……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह, 
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

भक्ति गीत : क्यों भूल गए घनश्याम कृष्ण जन्माष्टमी भजन | सुबह सुबह के कृष्ण भजन

भक्ति गीत : क्यों भूल गए घनश्याम
हमें क्यों भूल गए घनश्याम?
हां हमें क्यों भूल गए भगवान?
तेरे बिन लगता है जीवन सूना,
बिगड़ गए जीवन के सब काम।
हमें क्यों भूल गए…….
क्यों चुप है अब मुरलिया तेरी?
आने में तुम क्यों करते हो देरी?
जब पधारते तुम मन मंदिर में,
मन को चैन, दिल को आराम।
हमें क्यों भूल गए…….
कब तक इंतजार करेगी मीरा?
आत्मा बन गई उसकी अधीरा।
राह तेरी ताक रही यह दुनिया,
सुबह से अब तो हो गई शाम।
हमें क्यों भूल गए…….
सूना सूना लगता यह मधुवन,
महकना छोड़ रो रहा है चंदन।
गलियां उदास, कलियां व्यथित,
सबके होठों पर बस तेरा नाम।
हमें क्यों भूल गए…….
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं, भक्ति गीत भजन Bhagwan Ke Ghar Der Hai Andher Nahi Bhajan In Hindi

भक्ति गीत : भगवान तेरे घर में
भगवान तेरे घर में देर है, अंधेर नहीं है,
कब आएगा, हमारे जीवन में उजियारा?
मूर्ख मन को मैं बारंबार, क्या समझाऊं?
यहां वहां, जहां तहां, भटक रहा बेचारा!
भगवान तेरे घर में…
तेरी कृपा बिन, जीवन बगिया सूनी लगती,
चमका दो प्रभु, मेरे भी भाग्य का सितारा।
सेवा में कोई भूल हुई तो, क्षमा कर देना,
संभव है, सारा का सारा दोष होगा हमारा।
भगवान तेरे घर में…
अपने तरीके से, करते हैं हम पूजा अर्चना,
चरणों में आया हूं, दुनिया में सबसे हारा।
कर लो स्वीकार प्रभु जी, पूजा के फूल ये,
तेरे चरणों में बहती देवा, करुणा की धारा।
भगवान तेरे घर में…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

Krishna Janmashtami Bhajan

कृष्ण भगवान का भजन फोटो - Krishna Bhagwan Imageभक्ति गीत : झूला झूले नंदलाल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर भजन

भक्ति गीत : झूला झूले नंदलाल
“श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां”
झूला झूले नंदलाल, मनमोहन बाल गोपाल,
घनश्याम दीन दयाल, झूला झूले नंदलाल।
झूला झूले…….
नंद किशोर माखन चोर,
हाथ जिसके जग की डोर।
आगे आगे देवकी नंदन,
पीछे पीछे ग्वाल बाल।
झूला झूले……
पांव बाजे पैजनियां छम छम,
गले चमके मोतीयन के माल।
श्याम सुंदर तन मन लुभाए,
सिर घने घुंघराले काले बाल।
झूला झूले…….
एक ने जना, एक ने पाला,
बना लाडला जग रखवाला।
लाल लाल फुले फुले गाल,
केशव माधव नयन विशाल।
झूला झूले……
गोकुल मथुरा, आधा आधा,
प्रेम दीवानी, बन गई राधा।
दीन सुदामा का मित्र सच्चा,
मिले ताल से, जिसके ताल।
झूला झूले……
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

योगेश्वर कृष्ण, कर्मयोग का सिद्धांत भगवद गीता - कर्म योग क्या है? Karma Yoga

कर्म योग
(कविता)
भारत कर्म योग की, सुप्रसिद्ध स्थली है
हर भारतीय को, होना चाहिए यह ज्ञान।
यदि हमको, कर्म योग का पता नहीं है,
तो हम कैसे बढ़ा सकते, देश का मान?
भारत एक …
हम योगेश्वर कृष्ण की, माला जपते हैं,
स्पष्ट संदेश दे रहा है, गीता का ज्ञान।
कान्हा से बड़ा कर्म योगी कोई नहीं है,
कर्म योग से बनती है हमारी पहचान।
भारत एक…
बिन फल की इच्छा के कर्म करना है,
कहीं और भटकने नहीं देना है ध्यान।
जैसा कर्म योग करता कोई भी भक्त,
वैसे ही फल से होता, उसका सम्मान।
भारत एक…
क र्म योग ऋषि मुनियों की परम्परा है,
परंतु इसके साथ भी, जुड़ा है विज्ञान।
कर्म योग हर उलझन को सुलझाता है,
कर्म योगी हेतु, धरती है स्वर्ग समान।
भारत एक…
कर्म योग, घर में रहकर भी संभव है,
आवश्यक नहीं होता, वन को प्रस्थान।
कृष्ण से बड़ा प्रेम पुजारी कौन हुआ है?
पर उनका कर्म योग है जग की शान।
भारत एक…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

कृष्ण भजन - बोल हरी बोल, हरी हरी बोल | Bol Hari Bol Hari Hari Bol Lyrics Hindi

भजन : बोल हरि बोल
बोल हरि बोल, भैया बोल हरि बोल,
सारे जग में, यह नाम है अनमोल।
बेड़ा उसका पार है जीवन सागर से,
जाके हरि नाम पर मन गया डोल।
बोल हरि बोल……
जहां से कोई चलता, वापस आ जाता,
हरि की प्यारी दुनिया, लगती है गोल।
हरि से कैसे छुप सकता है, कुछ भी?
कभी न कभी खुल जाता इसका पोल।
बोल हरि बोल……
हरि घर में देर है, होता नहीं है अंधेर,
कहना हरि का मान, तौल फिर बोल।
कुछ नहीं होनेवाला जाने से हरिद्वार,
हरि तेरे पास है, इसे मन में तू घोल।
बोल हरि बोल……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

कृष्ण भक्ति गीत : तेरे द्वार खड़े गिरिधारी | कृष्ण भजन आरती

भक्ति गीत : तेरे द्वार खड़े गिरिधारी
हम कब से तेरे द्वार खड़े गिरिधारी,
झलक अपनी दिखा दो कृष्ण मुरारी।
वृंदावन से बाहर निकलो, हे कन्हैया,
देखो, जग में सब भक्तों की लाचारी!
हम कब से……
बजती है जब जब मधुर मुरलिया तेरी,
बेसुध होकर दशा, बिगड़ जाती है मेरी।
न मैं हूं राधा रानी, न मीरा दर्द दीवानी,
तेरी भक्ति में पागल मैं एक दुखियारी।
हम कब से………
बड़ा अच्छा लगता है तेरा माखन खाना,
खाकर चुपके चुपके से बाहर चले जाना।
तुम तो भाग जाते प्रभु यमुना तट पर,
उलाहना सुनती है, मैया यशोदा बेचारी।
हम कब से……
एक बीमारी जाती नहीं, इस दुनिया से,
दूसरे की आने की, हो जाती है तैयारी।
घर सबका बन चुका कैदखाना कंस का,
जल्दी से भगाओ, कोरोना की महामारी!
हम कब से……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

कृष्ण भजन Lyrics In Hindi

भक्ति गीत : तू मोरा कन्हैया
तू मोरा कन्हैया है, तू मोरा कन्हैया,
क्यों भटक जाते हो, चराते हुए गैया?
मुझको क्यों तुम, वन वन दौड़ाते हो?
तुम तो जग की, पार लगाते हो नैया।
तू मोरा कन्हैया……
मैं तो तेरी दर्द दीवानी योगिन मीरा हूं,
मेरे भाग्य में नहीं है, कदम की छैयां।
वृंदावन केवल, प्यारी राधा के लिए है,
बन जाना भव सागर में, मेरा खेवैया।
तू मोरा कन्हैया……
तेरे मंदिर मंदिर भटकना अच्छा लगता,
एकबार अपने दर्शन दे दो, वंशी बजैया!
मुझ योगिन को क्या लेना है दुनिया से?
तेरे दर्शन में सब कुछ है, हे नाग नथैया!
तू मोरा कन्हैया……
तू मेरा भगवान है, मैं हूं तेरी पुजारिन,
मेरा स्वर्ग वहां है, जहां पर हैं तेरे पैयां।
जहां जहां जाओगे मैं वहां वहां आऊंगी,
पीछा नहीं छुटा सकते द्रौपदी के भैया!
तू मोरा कन्हैया………….
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

राधा यमुना किनारे आ जाना— प्रेम भक्ति गजल Shri Krishna Janmashtami New Bhajan

राधा यमुना किनारे आ जाना
(प्रेम भक्ति गजल)
जैसे मैं शुरु कर दूं, बांसुरी बजाना,
राधा तुम यमुना किनारे आ जाना।
मैं हूं कन्हैया तेरा प्रेम पुजारी राधे,
अपनी पायलिया बजाने, आ जाना।
राधा तुम यमुना…………

मैं नंदलाल तुमसे, करता एक वादा,
पालन करूंगा सृष्टि की हर मर्यादा।
सखियां तेरी आती हैं तो, आने देना,
तुम मधुवन, रास रचाने आ जाना।
राधा तुम यमुना…………

बड़ा सूना सूना सा पनघट लगता है,
बाट जोहता ये यमुना तट लगता है।
देखा नहीं जा रहा है, हाल कदम का,
खन खन कंगना खनकाने आ जाना।
राधा तुम यमुना…………..

रुकना नहीं, चाहे तुम्हें कोई भी रोके,
झुकना नहीं, चाहे तुम्हें कोई भी रोके।
वृंदावन की आज की अंधेरी शाम में,
मेरे संग एक दीया जलाने आ जाना।
राधा तुम यमुना…………..

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार


गीत : हृदय से तेरा स्वागत नंदलाला

(कृष्ण भक्ति रचना)

 “ॐ श्री वासुदेवाय नमः”
“आप सभी मित्रों एवं साथियों तथा प्यारे बच्चों को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की ढेर सारी अग्रिम शुभकामनाएं एवं बधाईयां।”
हृदय पूर्वक तेरा स्वागत है नंदलाला,
तू है कान्हा, सारे जग का रखवाला।
तुमने मन से सारा डर भागा दिया है,
जीने का एक विश्वास जगा दिया है।
मैया यशोदा तो बड़ी गोरी लगती है,
तू क्यों लगता, काले मेघ सा काला ?
हृदय पूर्वक तेरा………

तेरा भोला बालपन सबको भाता है,
जो देखता तुझे, तेरा गुण गाता है।
लुभाता है सबको तेरा रूप सलोना,
चेहरा के आगे फीका लगता सोना।
बन गया है तू सबका मन मोहन,
तेरे नाम की जग जपता है माला।
हृदय पूर्वक तेरा………

काली अंधेरी रात में, त्यागा मथुरा,
नंद जी ने दिया था तुमको आसरा।
मैया देवकी ने दिल पे पत्थर रखा,
आंसू रोककर स्वाद विष का चखा।
कंस को कुछ भी न पता चल सका,
वह अपने अहंकार में रहा मतवाला।
हृदय पूर्वक तेरा………

कृष्णा, नेताओं को देना गीता का ज्ञान,
पलटी मारते, करते जनता का अपमान।
धर्म कर्म से क्या लेना, करते झूठी बात।
मौका मिलते ही, मारते एक लम्बा हाथ।
माखन में भी मिलावट की संभावना है,
तेरे सामने, कैसे गलेगी किसी की दाल?
हृदय पूर्वक तेरा………….

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

भक्ति गीत : कृष्णाष्टमी पर हनुमान

“भादव मास कृष्ण पक्ष का मंगलवार है,
घनश्याम और हनुमान को नमस्कार है।“
भादव मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर,
धरती पर पधारो वीर बजरंगबली हनुमान।
उसी रात बाल रूप में आ रहे हैं धरती पर, 
माखन चोर, नंदकिशोर श्री कृष्ण भगवान।
भादव मास के कृष्ण………..

दिखाता है यही भगवान श्री राम से नाता,
द्वापर में भगवान श्री कृष्ण तक है जाता।
पवनसुत आप तो हर युग में हैं दुनिया में,
आप रखते हैं हनुमानजी हर युग का ज्ञान।
भादव मास के कृष्ण……….

बहुत प्रसन्न होंगे मुरली मनोहर घनश्याम,
इस मिलन से आनंदित होंगे भगवान राम।
बजरंगबली जी महाराज, भूलना नहीं आना,
कलियुग को भी मिल जाएगी नई पहचान।
भादव मास के कृष्ण……….. 

वंशीधर के स्वागत की चल रही है तैयारी,
इसमें पधारकर बनिए पुण्य के अधिकारी।
कोई नहीं है त्रिलोक में आप से बड़ा ज्ञानी,
न हुआ है, न होगा आपके जैसा बलवान।
भादव मास के कृष्ण………..

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

Radha Krishna Janmashtami Bhajan

कृष्ण जन्माष्टमी भजन फोटो Krishna Janmashtami Image

विषय : कृष्ण की रासलीला Krishna Raslila Bhajan

विधा - नीलस्वरूप छन्द
दीनदयाल भजो तुम प्यारे।
गोकुल के वह पालनहारे।।
माखन चोर कहें हम सारे।
हैं सब तारणहार सहारे।।

कृष्ण भजन

माखन की मटकी झट तोड़े।
कंकड़ मार सदा वह फोड़े।।
गाय चराकर वापिस आये।
गोकुल में वह शोर मचाये।।

Krishna Bhajan

मोहन नाम धरे गिरधारी।
बोल रहे इनको बनवारी।।
श्याम कहो यह लगता प्यारा।
गोकुल का वह राज दुलारा।।

कृष्ण जन्माष्टमी भजन

बोल रही सबसे जब राधा।
मोहन है जग खातिर आधा।
वो उपकार सदा कर जाते।
लाज बचावन ही वह आते।।

कृष्ण भजन

मोहन की यह सूरत प्यारी।
नाच रहे जब श्याम बिहारी।।
नाथ दिखा जग में अब माया।
केशव दूर करो हर छाया।।

श्रीकृष्ण भक्ति गीत

नाथ हमें अब राह दिखा दें।
मुश्किल आन पड़ी बतला दें।।
गोकुल में तुम रास रचाओ।
देर करो मत वापिस आओ।।

Krishna Aarti

माखन की मटकी कर चोरी।
गोकुल में करते बल जोरी।।
माधव तू मनमोहन प्यारे।
बात सुनो तुम पालनहारे।।
राजकुमार छापड़िया
मुंबई, महाराष्ट्र

कान्हा अब तू जल्दी आना— जन्माष्टमी पर चौपाई Bhajan On Krishna Janmashtami

विधा - चौपाई
विषय - कान्हा अब तू जल्दी आना
गाय चराने हरदम जाना।
मुरली मीठी रोज बजाना।।
तुझसा मित्र नहीं मिल पाना।
कान्हा अब तू जल्दी आना।।

गोकुल के तुम रास रचैया।
मटकी फोड़े सदा कन्हैया।।
ग्वाल-बाल सब माखन खाये।
छींका तोड़ तुम्हीं जो लाये।।

यमुना के तट पर भी जाना।
कदम तले दिन आप बिताना।।
माखन-मिश्री तुम्हें खिलाना।
कान्हा अब तू जल्दी आना।।

मोर मुकुट धारी कहलाते।
गोकुल में तुम उधम मचाते।।
सदा गोप को खूब सताते।
फिर भी देख तुम्हें मुस्काते।।

मीरा ने भी अपना माना।
राधा के दिल में बस जाना।।
बुला रहा जग हो दीवाना।
कान्हा अब तू जल्दी आना।।

फिर से जग में विपदा आयी।
फटते बादल दिये दिखायी।।
जल में धरती देख समाई।
त्राहि-त्राहि मच रहा कन्हाई।।

मुश्किल धरती पर रह पाना।
गोवर्धन फिर पड़े उठाना।।
हमें कहर से आप बचाना।
कान्हा अब तू जल्दी आना।।

माधव जग के पालनहारी।
मात यशोदा भी बलिहारी।।
मनमोहन मेरे गिरधारी।
जय-जय होती सदा तुम्हारी।।

तेरे दर पर शीश झुकाना।
भजनों से है तुझे रिझाना।।
कोई चलना नहीं बहाना।
कान्हा अब तू जल्दी आना।।
राजकुमार छापड़िया

कान्हा अब तू जल्दी आना— कृष्ण भजन लिरिक्स हिंदी

कान्हा अब तू जल्दी आना
कान्हा अब तू फिर ना जाना।
कान्हा अब तू जल्दी आना।।
सुनसान गलियां सूने पनघट
यशुदा मैया निहारे नटखट
श्यामा श्यामा यमुना पुकारे
राधे कृष्णा प्यारे रट रट
कान्हा अब तू वचन निभाना।
कान्हा अब तू जल्दी आना।।
अब वृक्ष ना देते शीतल छांव
अब लगता सूना - सूना गांव
रेगिस्तानी नेत्र हो गए
अब द्वेष लगाता अपना दांव
कान्हा अब तू मन समझाना।
कान्हा अब तू जल्दी आना।।
फिर राक्षसों ने पांव पसारे
प्रिय प्रीत भरी न बहे बहारे
लुप्त हो गई सुगंध जगत से
उगले जहर नदिया के धारे
कान्हा अब तू जगत बचाना।
कान्हा अब तू जल्दी आना।।
‌भास्कर सिंह माणिक,कोंच

हे कान्हा, सारथि बन जाना : कृष्ण भजन संध्या आरती Krishna Bhajan Lyrics Hindi

अश्व रज्जु ले अपने हांथो
मंजिल तक मुझको ले जाना

यद्यपि मैं हूं नहीं पार्थ पर,
हे कान्हा, सारथि बन जाना।
मेरे जीवन रथ के सरपट,
अश्वों पर नाथनी लगाना।
मेरे अर्थ,अनर्थी निर्णय,
भटका देंगे पथ से अपनें।
अश्व रज्जु ले अपने हाथों,
मंज़िल तक मुझको ले जाना।

क्रोध,लोभ,माया,मत्सर के,
कांधों बंधा जीवनी रथ है।
चाहे अनचाहे रिश्तों से,
कंटक युक्त,मलिन यह पथ है।
वाहन-चक्रों को कांटो के,
दंशों से अब तुम्हीं बचाना।
अश्व रज्जु ले अपने हाथों,
मंजिल तक मुझको ले जाना।

जीवन में अनगिन चौराहे,
चहुंदिशि दिखैं सुहानी नगरी।
इत जाऊं या फिर उत जाऊं,
समझ सकूं न,मैं बेसबरी।
अश्व चतुर्दिशि खींचें रथ को,
हे माधव तुम राह दिखाना।
अश्व रज्जु ले अपने हाथों,
मंजिल तक मुझको ले जाना।

संतोष श्रीवास्तव "विद्यार्थी"
मकरोनियां,सागर, मध्यप्रदेश
9425474534

कान्हा जी हटते नाही: कृष्ण जन्माष्टमी भजन हिंदी में

लोचन लालच वश हटते नाही कान्हा
कान्हा संग अनुरक्त झुलसे वियोगमय
ज्यौं मधुकर केतकी पुष्प अनुरागी होय
चाहत में भवंरा करोड़ों शूल सह जाय

प्रीत पपीहा बादल सी प्रेमसुधा बरसाओ
वियोगलता नयन नीर से पाताल पहुँच गई
अब घनेरी छाया कैसे करूँ पृथक मैं काया
विरह में नित नई कोपल प्रेमांकुर फूट गये

नैना नीर भरे दरस दो दिन कजरा लगाऊं
नैनों का क्या अपराध रसना रटत कान्हा
सुयश अगम्य अथाह सुमत चित्त व्याकुल
हीरे की कनी खाऊँ अब दर्द सहा न जाए

जनम जनम से प्यासे नैनों को दे दो दर्शन
मन-मन्दिर में तुम बैठे नैनो में छवि तेरी
जैसे राधा की सुनी, रसखान की पुकार
अरज सुनो भावभक्ति से मोहित गिरधारी
शबनम मेहरोत्रा

कृष्ण भगवान के भजन Krishna Bhagwan Ke Bhajan

।। भजन ।।
सुन के बाँसुरियाँ के बोल रे राधा का जियरा डोल गया कान्हा
डोल गया कान्हा रे डोल गया कान्हा --2
भेद गया जियरा का खोल रे,
राधा का जियरा डोल गया कान्हा

कैसे छुपाए राधा श्याम जी कि चाहत
स्याम बिन मन में न आती है राहत
बिक गई प्रेम में बेमोल रे,
राधा का जियरा डोल गया कान्हा

राधा की नैनों में कान्हा की प्यास है
वही है भूगोल और वही इतिहास है
कृष्ण के पग में भूगोल रे
राधा का जियरा डोल गया कान्हा

दैहिक शबनम न भक्ति का प्यार है
डूब जाऊँ कान्हा में यही इकरार है
राधा का प्रेम अनमोल रे
राधा का जियरा डोल गया कान्हा

सुनके बाँसुरिया के बोल रे राधा का जियरा डोल गया कान्हा
सुनके बाँसुरिया के बोल रे
शबनम मेहरोत्रा
कृष्ण भगवान का भजन Krishna Bhagwan Ka Bhajan

कृष्ण भगवान का भजन Krishna Bhagwan Ka Bhajan

गीत
कर सकते हो गुदना वाले बोलो मेरा काम रे
जहाँ जहाँ काया पर बोलूँ लिख कान्हा का नाम रे

लम्बे मेरे केश पे लिखना मदुसूदन का नाम रे
और कपोल पे लिखते जाओ श्री मोहन जी नाम रे

भों पे लिखना नन्द के लाला पलकों पर प्रभाकर
काली काली पुतली पर तुम लिख देना मुरलीधर

अब तो तुम पर भी खुश होंगे मेरे प्यारे श्याम रे
जहाँ जहाँ काया पर बोलूँ लिख कान्हा का नाम रे

नाक पे लिखना पार्थसार्थी कान पे मेरा माधव
गाल पे लिखना पद्मनाभ और ठुड्डी पर मोहन

और बताऊँ लिखते जाओ दूँगी मैं इनाम रे
जहाँ जहाँ काया पर बोलूँ लिख कान्हा के नाम रे

गले पे लिखना श्रीकांत और छाती पर गोपाल रे
बाहं पे लिखना वासुदेव और हाथों नन्दलाल रे

अंत मे लिखना अपराजित रे
वही है मेरा प्यारा कान्हा मेरे मन का मीत रे

अब जब चाहो "शबनम"देगी तेरे काम का दाम रे
जहाँ जहाँ काया पर बोलूँ लिख कान्हा का नाम रे
शबनम मेहरोत्रा

मुझे पता है चितचोर: कृष्ण जन्माष्टमी भजन आरती

छंद मुक्त कविता
“हक़दार"
मेरे कान्हा---
कहाँ हो अजनबी तुम ?
तुम तो जादूगर हो
कैसा जादू करदिया
मेरे मन प्राण को बेकाबू कर दिया।
अब तो हर पल ,हर क्षण --
तुम्हारी याद संजोने में बीत जाता है।
फिर भी भुलाये न भूल पाती हूँ
मुझे पता है चितचोर,
तुम भी मेरे पल पल की ---
रखते हो खबर।
आशीष देने के बहाने चूमते हो मेरे कपोल।
फिर सहलाते हो ,पुचकारते हो,दुलारते हो।
हाँ सामने नही आते हो निर्मोही
पर मैं तुम्हे राधा, मीरा,सूर न होकर भी महसूस तो कर ही
लेती हूं।
कृष्ण तुम्हारे प्रेम आकंठ डूब कर ---
तुम्हें प्यार बना लिया, दिलदार बना लिया,
अपने धड़कते दिल का हक़दार बना लिया...
हक़दार बना लिया,,,हक़दार बना लिया
"शबनम" मरहोत्रा
( कल्पना के प्रसव से )

कृष्ण तुम्ही थे मैं थी तेरी राधा: राधा-कृष्ण भजन आरती हिंदी में

"एक गीत"
कभी तो मेरे कृष्ण तुम्ही थे मैं थी तेरी राधा।
मिले नही इस जन्म में अबतो लगता आधा आधा।

छोड़ गए निर्मोही मुझको
तुम गोकुल से मथुरा।
दर्द दिया है ज़ख्म दिया है
तुमने इतना गहरा।

यही क्या कम है तोड़ दिया है तुमने मिलन का वादा।
मिले नहीं इस जन्म में अब तो लगता आधा आधा।

सोते जागते इन आँखों मे
छवि तेरी मुस्काती।
मैं बेबस लाचार यहां हूँ
मिलन को धड़के छाती।

एक बार जी भर कर देखु और न चाहूं ज्यादा।
मिले नहीं इस जन्म में अब तो लगता आधा आधा।

जतन करो कि एक बार
बस तुमसे मैं मिल पाऊँ
तेरे चरणों मे सर रख कर
आंसू खूब बहाऊँ।
"शबनम"कभी नही तोड़ेगी प्रेम की ये मर्यादा।
शबनम मेहरोत्रा
Krishna Bhajan

श्री कृष्ण भगवान के भजन जय श्री कृष्णा

इजाज़त दो तुम्हारी रूह का श्रृंगार बन जाऊँ।
तुम्हारे धड़कनो में मोहनी मनुहार बन जाऊँ।
तुम्हारी साँस में महकूं ये मन हो जाए बृन्दावन,
तुम्हारी बांसुरी धुन में प्रणय झनकार बन जाऊं।
शबनम मेहरोत्रा

कौन सा गीत सुनाऊँ कान्हा जिससे तेरा मन बहले, कृष्ण भक्ति गीत

गीत
कौन सा गीत सुनाऊँ कान्हा जिससे तेरा मन बहले,
गाती नहीं पर गाऊँ कान्हा जिस से तेरा मन बहले।

मधुबन लिखूँ गोकुल लिखूँ या लिखूँ बरसाने,
या मथुरा के राजा बने जब मन था लगा हरसाने।
चुप्पी पर मरजाऊँ कान्हा जिससे तेरा मन बहले।

तेरे भारत की लिखूँ मैं घटती जो घटनाएँ,
हत्या, चोरी, बलात्कार मे मरती है बालाएँ।
कितना मैं बतलाऊँ कान्हा जिससे तेरा मन बहले।
"शबनम"तुझको कैसे भूले तुम उसकी परछाई,
कोई कहे दीवानी मुझको, कोई कहे हरजाई।
मन की क्या दिखलाऊँ कान्हा जिस से तेरा मन बहले।
कौन से गीत सुनाऊँ कान्हा जिस से तेरा मन बहले।।
शबनम मेहरोत्रा

कृष्ण भजन Krishna Bhajan Lyrics: मैं बिकने आई हूँ कान्हा क्या देगा मेरा मोल

मैं बिकने आई हूँ कान्हा क्या देगा मेरा मोल।
अगर नहीं कुछ देना चाहो बिक जाऊं बे मोल।
ओ कान्हा क्या देगा तू मोल….

राधा भी न मीरा भी न सत्यभामा न रुक्मिणी।
प्रीती कहाँ से मैं लाऊँ करती थी जामवंती।
उनके बराबर नहीं मैं कान्हा उनसा न तू तोल।
ओ कान्हा क्या तू देगा मोल…

पूर्ण समर्पित न हो पाऊँ तब ये जादू करना।
तुम पे समर्पित हो जाऊँ मैं ज्ञान से आँचल भरना।
कुछ तो तुमसे छुपा नही है अब तो दृष्टि खोल।
ओ कान्हा क्या तू देगा मोल….

नहीं खरीदेगा रे मुझको होगी ही बदनामी।
"शबनम"कान्हा कृपण नहीं जग में है बड़ा नामी।
मुझे खरीदो जैसे भी हो कुछ तो मोल दो बोल।
ओ कान्हा क्या तू देगा मोल अगर नही कुछ देना चाहो।
बिक जाऊँ बे मोल ओ कान्हा..
शबनम मेहरोत्रा

कृष्ण जन्माष्टमी भजन | कृष्ण जन्माष्टमी पर लोरी
कृष्ण जन्माष्टमी भजन | कृष्ण जन्माष्टमी पर लोरी
लोरी

हे कान्हा तुम सो भी जाओ, नींद से पलकें भारी है,
राधा तेरी याद में जागी, कितनी रात गुजारीं हैं।
तेरे सिराहने मैं बैठूंगी, तुम सोजाओ मैं जागूँगी,
चाहे कितनी नींद हो गहरी मैं सपने में आऊँगी।
खुश हूँ मैं, नहीं सोचना की राधा की लाचारी है,
राधा तेरे याद में जागी, कितनी रात गुजारी हैं।
तुम में समाहित हो जाऊँगी तुमको गई हूँ जान,
चाहे मानव रूप में तुम हो, लेकिन हो भगवान।
तेरे चरण की दासी हूँ मैं, मत समझो पर नारी है,
राधा तेरी याद में जागी, कितनी रात गुज़ारीं हैं।
प्यार हमारा अमर रहेगा, आओ करे कुछ काम,
युग युग तक हर होंठों पर हो, राधा किशन का नाम।
"शबनम"तुम राधा को छोड़ो समझूँगी तुझे प्यारी है,
राधा तेरी याद में जागी, कितनी रात गुज़ारीं हैं।
हे कान्हा तुम सो भी जाओ नींद से पलके भारी हैं।
शबनम मेहरोत्रा

घनाक्षरी: राधा कृष्ण पनघट पर मनोरम भक्ति गीत | जन्माष्टमी पर भजन

पनियां भरण चली राधा रानी सखी संग,
यमुना किनारे कान्हा मुरली बजात हैं।

मुरली की तान सुन राधाजी विकल भई,
देखे नहीं सांवरे को मन अकुलात हैं।

रिम झिम रिम झिम घनन घनन घन,
पुरवाई जोर सावन खूब घघरात हैं।

रुन झुन रुन झुन बोले झमाझम झम,
पांव में पायल राधा जी के हरषात हैं।

कदम की डारी चढ़ी मगन कन्हैया बैठे,
कान्हा तोहे देखें बिन रहलो न जात हैं।

सांझ भई कैसे जाऊं घर आ जा श्याम,
माथे पे कलश भरी अंधियारी रात हैं।
उदय शंकर चौधरी नादान
युवा सशक्तिकरण संघ राष्ट्रीय महासचिव
9934775009

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र जाप

अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्।।
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधरः पाणिर्मधुरः पादौमधुरौ,
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्।।
गोपी मधुरा लीला मधुरा, राधा मधुरा मिलनं मधुरम्।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्।।"
'गोविंद बोलो, गोपाल बोलो,
राधा -रमण हरि, गोपाल बोलो।'
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
जय श्रीकृष्ण

कृष्ण जन्माष्टमी कान्हा के नाम - कविता Krishna Janmashtami Bhajan

कान्हा के नाम
रचना- कविता
मेरे व्याकुल नयना जो पुकारे।
है श्याम तुम्ही पे तन-मन बारे।

आज रूख करों गलियों की मेरे
सखियन सब तेरी राह निहारें।

तेरा आना भी मानों गजब होगा
नस-नस में बसा तु श्याम प्यारे।

है डुब गया सब श्याम तुम्ही में
तेरे लिए ही सब खुद को है हारे।

बिन तेरे कुछ भी यादों में नही है
बस तुही तो है एक तारण- हारे।

तेरे बिना क्या ढूंढे हम सहारा
हे श्याम तुम्ही मेरी नैया सवारें।

है सखियन की बाँहें अतिआतुर
लो शीघ्र आकर तुम रास रचारे।

अब ढांढस खोये रही मेरी नैना
न जाने कब मेरे घनश्याम पधारे।
पूनम यादव
महुआ, वैशाली (बिहार )

सुनो मेरे श्याम सावरिया! कृष्ण जन्माष्टमी भजन श्याम भक्ति भजन

बिरह भक्ति गीत- मेरे श्याम सावरिया
चुराकर दिल मेरा मुझे दीवाना बना दिया।
सुनो मेरे श्याम सावरिया।
सुनाकर मीठी बाते मुझे अपना बना दिया।
सुनो मेरे श्याम सावरिया।

नैनो मे बसकर चल दिये कहा चुपके चुपके।
तेरे बिना राधा रोये सबसे छुप छुपके।
करके जुदा मुझे खुद से बेगाना बना दिया।
सुनो मेरे श्याम सावरिया।

जब पास होते थे मीठी मुरली सुनाते थे।
आओ प्यारी राधा आओ मुझको बुलाते थे।
छोड़ गए छलिया मुझको अंजाना बना दिया।
सुनो मेरे श्याम सावरिया।

रोती है कीतनी राधा सुनो निष्ठुर निर्मोही।
याद मे तेरी भटकूँ मै पगली खोई खोई।
प्यार मे अपने दुशमन जमाना बना दिया।
सुनो मेरे श्याम सावरिया।

बहती है यमुना एक गोकुल तीरे तीरे।
दूजे बहे यमुना धार राधा नैन धीरे धीरे।
मै बावरी को मरने का बहाना बना दिया।
सुनो मेरे श्याम सावरिया।
अब ना आओगेकान्हा राधा नहीं पाओगे।
मनमोहिनी मुरली श्याम किसको सुनाओगे।
प्यार मे तेरे तड़पूँ गोरी को खिलौना बना दिया।
सुनो मेरे श्याम सावरिया।
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो, झारखंड, मोबाइल 9955509286

गीत - श्याम तेरे नाम से, तेरे चलते छलिया— श्याम भजन कृष्ण भगवान भजन

तेरे चलते छलिया नाम मेरा बदनाम हो रहा है।
तेरे मेरे चर्चे दुनिया में सरेआम हो रहा है।

बांसुरी की धुन पे तेरी बावरी हुई मै।
मोहिनी मूरत पे मोहित सांवरी हुई मै।
चितचोर दिल में तेरा बड़ा गुणगान हो रहा है।
तेरे चलते छलिया---

कहते हो राधा तुम हो मेरी प्राण प्यारी।
हाय कान्हा दिल देके तुझको मै सब हारी।
तेरे बिन कान्हा, राधा न कहीं आराम हो रहा है।
तेरे चलते छलिया --

दिल देके तुझको मैंने ये क्या कर लिया है।
दर्दे दिल नैनो आंसू तुझसे प्यार कर लिया है।
हरते हो पीड़ा सबकी मेरा न कोई काम हो रहा है।
तेरे कारण छलिया नाम मेरा बदनाम हो रहा है।
श्याम कुंवर भारती
बोकारो झारखण्ड
9955509286

श्याम भजन - मेरी राधा प्यारी Krishna Janmashtami Bhajan Song

श्याम भजन - मेरी राधा प्यारी।
तू मेरी जान से प्यारी है।
राधा मेरी प्राण प्यारी है।

तू ब्रिज की ग्वाल बाला है।
मै ब्रिज का बांका छोरा हूं।
तू गोरी कन्या कुंवारी है।
राधा मेरी प्राण प्यारी है।

तेरी बाली उमर गगरी कमर।
पनघट पनीया भरे तू चले उधर।
तू नटखट बंसी बनवारी है।
राधा मेरी प्राण से प्यारी है।

तेरे बिना चैन न आवे।
तेरी याद बड़ी तड़पावे।
राधे तेरा प्यारी जरूरी है।
राधा प्राण से प्यारी है।

तेरे बिना भाए न बृंदावन।
यमुना पनघट तट सूनापन।
तू मेरा प्रीतम मदन मुरारी है।
राधा प्राण से प्यारी है।

मेरी बंसी की धुन लहराओ।
रास रचाए अब तुम आओ।
तेरी अंगुली गिरवर गिरधारी है।
राधा मेरी प्राण से प्यारी है।

हरते हो हर की पीड़ा तुम।
एक मुझको ही छोड़ा क्यो।
मोहन मेरा प्यार लाचारी है।
राधा मेरी प्राण से प्यारी है।
श्याम कुंवर भारती
बोकारो झारखण्ड
कृष्ण भजन लिरिक्स हिंदी Krishna Bhajan Lyrics Hindi

कृष्ण भजन लिरिक्स हिंदी

मुक्तक - आने का वादा।
अकेली छोड़ न जाओ कान्हा।
रहेगी कैसे तेरे बिन तेरी राधा।
सुनाएगा कौन मोहिनी मुरली।
आने का कर के जाओ वादा।
श्याम कुंवर भारती।

श्याम भजन लिरिक्स हिंदी – राधा बिना श्याम Shyam Bhajan Lyrics Hindi

राधा बिना श्याम है आधा तुम आ जाओ।
जहा रहे राधा वहा रहे कान्हा तुम आ जाओ।
तू है प्राण प्यारी मै तुझपर बलिहारी।
तेरे बिन जीना कैसे हे राधा किशोरी।
करूँ प्रीत तुझसे कम न कोई ज्यादा।
तुम आ जाओ।
राधा बिना श्याम है आधा तुम आ जाओ।
तुम राधा गोरी मै प्रीतम तेरा काला।
मुझपर तूने दिल हारी मै तेरा दिलवाला।
चैन श्याम तेरे बिना कही नहीं है पाता।
तुम आ जाओ।
राधा बिना श्याम है आधा तुम आ जाओ।
मुरली की धुन सुन राधा दौड़ी चली आती।
नाचे सुध बुध खोई संग श्याम रमाती।
तेरे बिन प्यारी बृंदावन न मुझको सुहाता।
तुम आ जाओ।
राधा बिना श्याम है आधा तुम आ जाओ।

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो, झारखंड 9955509286

कृष्ण की मैं दीवानी उनके दिल की महारानी— कृष्ण जन्माष्टमी भजन

शीर्षक- कृष्ण की दीवानी
कृष्ण की मैं दीवानी,
उनके दिल की महारानी।
छोड़ आयी सुखद आला,
पी ली विष की प्याला।
गाऊं भजन दिन-रात,
न चाह कोई सौगात।
भा गये मोहे मुरली मनोहर,
ढूंढूं उन्हें चहुंओर।
पढ़ ली मैंने प्रेम ग्रंथ,
भटकाए न जीवन भ्रंश,
सुनु श्याम सवैया मुख संत,
खिंची चाहत लकीर हथेली अनंत।
मुरली की धुन बुलावे मधुवन,
दौड़ी जाऊं, नाचूं हो मगन,
रिझाऊं कान्हा भोग लगा लडुवन,
देख मुस्कान झूमे संग धरा-गगन।
दरस प्यासी भटकूं मैं मीरा,
आस मिलन को लुभाए न हीरा।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार
स्वरचित एवं अप्रकाशित

तू मेरा दीवाना तुझें श्याम कह दु क्या? Janmashtami Bhajan Lyrics

तुझें क्या कहूं
मईया यशोदा का नन्दलाल कहूँ,
या देवकीनंदन कहूँ।
तू मेरा दीवाना तुझें श्याम कह दु क्या?
बोल कान्हा बोल क्या कहूँ तुझें
राधा तेरी चाहत
रुक्मिणी तेरी दीवानी है
सत्यभामा की सुंदरता अपार है
कन्हैया तू किसका है
क्या नाम देदु तुझें
कन्हा माखन चुराये
दिल को भाये
गोपी संग नैन मटकाये
राधा का श्याम बन जाये
मेरी आँखों में कर जादू
कानों में बाँसुरी मधुर बजाये
चूड़ी वाला बन मेरी कलाई दबाएँ।
बोल नटखट बोल क्या नाम देदु तुझें।
प्रतिभा जैन
टीकमगढ़ मध्यप्रदेश

याद तुम्हारी आई कान्हा - कृष्ण भजन भक्ति गीत लिरिक्स

गीत
याद तुम्हारी आई कान्हा,
सिर पर जम गई गागर।
हर-पल रहुं ख्यालों में तेरे,
अब हो जाओ उजागर।
अब‌ आ भी जाओ कान्हा,
अब आ भी जाओ कान्हा, कान्हा।

मैं कुंज गली में गई,
बिन तेरे बहुत ‌मैं रोई,
डोलुं इत-उत कुछ मै खोई,
नहीं रात को थी मैं सोई।
याद तुम्हारी आई कान्हा---------।

तुम गए हो किस नगरिया,
तुम्हें लग गई किस की नजरिया,
आ जाओ मेरे सांवरिया,
तेरी राह में बिछाउं चुनरिया।
याद तुम्हारी आई कान्हा-------।

आंखे प्यासी दरस तुम्हारी,
करवद्ध सुनों विनती हमारी,
कहां छुप गए तुम वनवारी,
आ जाओ मेरे गिरधारी।
याद तुम्हारी आई कान्हा,
सिर पर जम गई गागर।
हरपल रहुं ख्यालों में तेरे,
अब हो जाओ उजागर।
अब आ भी जाओ कान्हा,
अब आ भी जाओ कान्हा, कान्हा।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

Krishna Janmashtami Bhajan कृष्ण जन्माष्टमी भजन

हर कवि कृष्ण भक्त श्रेष्ठ होता है।
''नंद" वही जो परमानंद देता है।।

नंदन तो आनंद पाता - देता है।
''गोप्'' सदा हीं 'आनंद' देता है।।

''गो पालक'' कृष्ण कहलाते है।
सूर के कृष्ण ग्वाले कहलाते हैं।।

"रागानूगाभक्ति" कही गई है।
प्रथम चरण ''रागात्मिका'' है।।

द्वितीय चरण रागानुमा भक्ति है।
रागानुमा का सही अर्थ यही है।।

भक्त के प्यार से उन्हें आनंद मिलता है।
प्रियतम् "ब्रजगोपाल" को प्यार कर।।

कृष्ण भक्त अति आह्लादित होता है।
रागानुगा यही उच्चस्तरीय भक्ति है।।

रागात्मिका भक्ति में एषणा नहीं है।
कृष्ण हो प्रसन्न, परमउद्देश्य यही है।।

ऐसे कर्म, सुकृत सारे हों हमारे।
प्रसन्न रहें श्रीकृष्ण सदा हमारे।।

इसमें चाहे कोई बाधा-विध्न आये।
पथ कंटकाजीर्ण हो सहज बनायें।।

समस्त क्लेश समित हों, अश्रु बहा नहीं पाएं।
नन्दनविज्ञान यही हम सबका जीवन बन जाए।।

विश्व-ब्रह्माण्ड के खण्ड-खण्ड में वे गोचर हैं।
अणु-चेतन हर खण्ड में वे अभिप्रकाशित है।।

हर खण्ड- पल- अणुपल- विपल भाव में हो।
जिस रूप में भी तुम हीं 'प्रतिभात' हुए हो।।

इस खण्ड से अखण्ड आनंद भक्त पाता है।
अनुभूतियों को गुँथ सुंदर माला बनाता है।।

तुम्हारा हर अभिप्रकाश कांत मणि सम है।
एक सुत्र में पिरो तुझे पा जाऊँ चाह यही है।।

मानो- यही सच्ची कृष्ण भक्ति है।
कृष्ण से प्यार महत् अनुरक्ति है।।

रास के हम सब गोप-गोपियाँ,
संग भक्तों के उनकी शक्ति है।
कृष्ण प्रिय की यही भक्ति है।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल

Krishna Bhajan Lyrics In Hindi

कान्हा
कान्हा के प्रीत में भूल गयी सब लाज
साँवरी छवि बनी मीरा की साज

भूले से जो भूल हो भूल जाना तुम
दुनियां की भीड़ में हो न जाना गुम

रोकर तेरी याद में अश्क बहाये है
सलोना मुखड़ा दिल मे सजाए है

तेरे दरस की आस कब से लगी है
नैन तके राह को प्यास सी जगी है।
अर्पणा दुबे अनूपपुर मध्यप्रदेश

यशोदा के आँगन में खेलें नन्दलाला कृष्ण जन्माष्टमी भजन

मोर है मुकुट सर मुरली अधर धर,
यशोदा के आँगन में खेलें नन्दलाला है।
हाथ नवनीत लिए अद्भुत शृंगार किए,
संग संग गइयन के चलें जैसे ग्वाला हैं।
मुरली की तान सुन गूँजे जो मधुर धुन,
रुप देख मोहन को नाचे बृजबाला हैं।
मृग से कटीले नैन, बोलें मिश्री सी बैन,
नन्द का नन्दन सारे,जग से निराला हैं।।५11
विभा तिवारी

Krishna Bhajan Lyrics In Hindi Pdf Download

जन्माष्टमी
नटखट कान्हा कर अटखेली
कभी राधा कभी गोपियन को सताऐ
छेड़ तान मीठी बांसुरी की
खिंच सबको ले आऐ।।

गौ हो या गोपियन को वो
नटखट मंत्रमुग्ध कर जाऐ
चुरा खाऐ हर बार माखन सबका
फिर भी चहेता सबका कहलाऐ।।

फोड़े मटकी पनघट पे सबकी
कभी कालिया को धूल चटाऐ
ओ मेरे कान्हा तुम काहे को
दर्शन अब तक मुझको ना देने आऐ।।

तड़पत अंखियां तेरे दरस को
अब तो दरस दे तू कान्हा
तेरी भक्ति की दिलोजान से
अब तक तू क्यों ना माना।।

माखन मिसरी भोग बनाई
अपने हाथन से तुझे खिलाऊं
ना देख तुझे कान्हा मैं व्याकुल
जोर-जोर से बुलाई।।

तड़पत मेरे मन की व्यथा कान्हा
अखियन से बह कर आई।
अब तो आजा मेरे कान्हा जी
वीना मीरा बन यशगान तेरी गाई।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र

द्वारकाधीश कभी बने तुम krishna janmashtami ke latest bhajan
Happy Krishna Janmashtami

द्वारकाधीश
द्वारकाधीश कभी बने तुम
कभी बने अचवतम केशव
लीला तुमने खूब रचाई
तुम्हीं तो हो परमेश्वर।।

कभी बन नटखट कान्हा कर अटखेली
कभी राधा कभी गोपियन को सताऐ
छेड़ तान मीठी बांसुरी की
खिंच सबको ले आऐ।।

गौ हो या गोपियन को वो
नटखट मंत्रमुग्ध कर जाऐ
चुरा खाऐ हर बार माखन सबका
फिर भी चहेता सबका कहलाऐ।।

फोड़े मटकी पनघट पे सबकी
कभी कालिया को धूल चटाऐ
ओ मेरे कान्हा तुम काहे को
दर्शन अब तक मुझको ना देने आऐ।।

तड़पत अंखियां तेरे दरस को
अब तो दरस दे तू कान्हा
तेरी भक्ति की दिलोजान से
अब तक तू क्यों ना माना।।

माखन मिसरी भोग बनाई
अपने हाथन से तुझे खिलाऊं
ना देख तुझे कान्हा मैं व्याकुल
जोर-जोर से बुलाई।।

तड़पत मेरे मन की व्यथा कान्हा
अखियन से बह कर आई।
अब तो आजा मेरे कान्हा जी
वीना मीरा बन यशगान तेरी गाई।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र

श्रीकृष्ण का होगा सर्वप्रथम में नाम Krishna Janmashtami Bhajan In Hindi

बात जब जब चलेगी सोलह कलाओ में निपुणता की
तो उसमें श्रीकृष्ण का होगा सर्वप्रथम में नाम।
जिनके जन्मोत्सव के सुंदर आयोजन हेतु
सज चुका है गोकुल, मथुरा और ब्रज का धाम।।
सज चुका है गोकुल मथुरा और ब्रज का धाम,उत्सव के लिए हर्षित है देश का कोना कोना।
भले ही इस वर्ष और अभी भी,तनिक खलल डाल रहा कोरोना।।
खूँटातोड़,दो गज की दूरी के पालन साथ ही इस बार भी मनाना चाहिए
जन्माष्टमी का त्योहार।
पाठ गायन, भजनादि सब करो,फिर भी मत भूलो इन दो गज दूरी वाला व्यवहार।।
हो जाए नही जबतक पूरे देश की जनता का वैक्सीनेशन
तबतक देखते रहो धूम धड़ाका तालिबान का।
पता नही उस रोज भी भजन गायन सुनने देखने को मिले या न मिले
जिस रोज जन्म हुआ है श्री कृष्ण भगवान का।।
कवि:आर बी सिंह ,खूँटातोड़
व्यंग्यकार/गीतकार
कल्याण/मुंबई

मीरा तो हो गई श्याम की Krishan Janmashtami Ke Bhajan

विधा गीत
जो नजर मेरे श्याम पर डाली जाएगी
वह नजर दुनिया से हटा ली जाएगी
राणा बोला मान जा मेरा कहना
वरना तू घर से निकाली जाएगी
मीरा बोली नहीं चाहिए तेरे राज महल
झोपड़ी जंगल में बना ली जाएगी
जो नजर मेरे श्याम पर डाली जाएगी
वह नजर दुनिया से हटा ली जाएगी
नाचूंगी आऊंगी करूंगी कीर्तन हाय जोगिया
साड़ी पहन ली जाएगी
वह नजर दुनिया से हटा ली जाएगी
जो नजर मेरे श्याम पर डाली जाएगी
मीरा बोली मीरा तो हो गई श्याम की
अब ना यह मीरा संभाली जाएगी
श्यामा जी अपना संभालो कारवां
यह बला हमसे ना टाली जायेगी।
आशा श्री वास्तव भोपाल

माखन सखाओं संग चुराया कृष्ण ने Krishna Janmashtami Ke Bhajan

एक मनहरण,
संग संग ग्वाल बाल,
मगन होते गोपाल,
माखन सखाओं संग,
था चुराया कृष्ण ने।

प्रेम भाव भूखे काधा,
दुर्योधन मेवा त्यागा,
जाकर विदुर घर,
साग खाया कृष्ण ने।

छल द्यूत क्रीड़ा सुनो,
द्रोपदी की पीड़ा सुनो,
भरी सभा लाज कृष्णा,
की बचाया कृष्ण ने।

रास को रचाने वाले,
बांसुरी बजाने वाले,
युद्ध क्षेत्र गीता पार्थ,
को सुनाया कृष्ण ने।
अनिल शर्मा

कृष्णा-कृष्णा बोल सब— कृष्ण जन्माष्टमी भजन Krishna Janmashtami Bhajan

कृष्णा
कृष्णा-कृष्णा बोल सब
बोलो नंद कुमार।
कण-कण में कृष्णा बसे
प्रभु मीरा का प्यार।
प्रभु मीरा का प्यार
दरस दे दो गौपाला।
मीरा के विषपान
प्रगट हो वंशीवाला।
तड़प-तड़प अनुराग
चरम मीरा की तृष्णा।
सबसे ऊपर भा
शरीर बसे जो कृष्णा।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार

भक्तजन को हो बधाई पावनी जन्माष्टमी आई— कृष्ण भजन

कन्हाई
भक्तजन को हो बधाई,
पावनी जन्माष्टमी आई,

उर बसे कृष्ण कन्हाई,
जिसने ब्रज में धूम मचाई।

सुन नंदकुमार की माई,
कहने लगी गोपियां सारी,

नटखट तेरे लल्ला ने,
बरसाने की नार सताई।

काली फन नाच रचाई,
यमुना निर अमृत कराई,

गोपी की मटकी फोड़ी,
माखन गयो सारा चटाई।
लेडी जिब्रान

इस जन्माष्टमी पर दोस्तों को— कृष्ण जन्माष्टमी का भजन दीजिए

कृष्ण जन्माष्टमी
कृष्ण हुये भारत की जमीन पर वहीं कंस भी।
जहाँ शेष नाग का फन वहीं बिच्छू का डंख भी।।

यशोदा का ललना देवकी लाल बना ग्वाला।
बासुरी बजती मोह ले सबको विष्णू शंख भी।।

वासूदेव नंद का ललना मथूरा का राजा।
उसके दर पे समान चाहे राजा या रंक भी।।

राधा रूखमिनी या सत्यभामा का मान है।
प्रेम लिला रासलिला काना मुखुट मोर पंख भी।।

गोकुल या मथुरा समान हक काना बलराम का।
कंस के अलावा महाभारत की देखी जंग मी।।

रास लिला बाललिला कृष्ण की महिमा महान।
बिरज मे हुई होली खेले कनैय्या रंग भी ।।

महाभारत के नायक कृष्ण गोकुलवासी।
यादव घराणा लिलाओं का दर्शन हुये दंग भी।।

'शहजाद' अच्छें कर्म वालों को मिला भगवान।
इसिलिए जरूरी हुआ संतो के साथ सतसंग भी।।
कवि:- मजीदबेग मुगल 'शहजाद'
हिगणघाट, जि,वर्धा, महाराष्ट्र
8329309229

बाल गीत -माखन चोर Krishna Ji Ke Janmashtami Bhajan

बाल गीत -माखन चोर
आ जाओ नंद के लाला,
यशोदा के बाल गोपाला।
मुंह में माखन चुराकर,
बाल रूप में सज रहे,
बंसी बजैया रास रचैया
हे गिरधर गोपाल।
कान्हा माखन चोर,
है आया माखन चोर।
गलियों में मच गया शोर,
हे आया माखन चोर।
दूध छुपा लो, दही छुपा लो,
सारी हांडी छुपा लो।
कान्हा से माखन की,
मटकी बचा लो।
मैय्या री मैय्या,
ये तेरा कन्हैया
नटखट बड़ा माखन चुरैया।
चंदन की चौकी पर इसको बिठाना
हमको सताये न इसको समझाना
गलियों में मच गया शोर
हे आया माखन चोर।
कविता मोटवानी बिलासपुर छत्तीसगढ़

जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के टॉप 100 भजन Krishna Bhajan List

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर समस्त देशवासियों बहुत बहुत बधाई एवं ढेरों शुभकामनाएँ।श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर सेवार्थ एक रचना।

सोमवार दिवस माँ और शिव के,
आज श्रीकृष्ण ले रहे अवतार।

भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन हेतु,
बहुत सुंदर सुअवसर सुतार।।

बाल लीला रासलीला जीवन में,
लीला कृष्ण की बहुत है अपार।

गौरी शंकर कैलाश से चलकर,
आएँगे आज वे मथुरा के द्वार।।

धन्य हुए वसुदेव और देवकी,
देकर प्यारे कृष्ण को शुभ जन्म।

व्रत उपासना करके हम सब,
आनंदित होते हैं जन्माजन्म।।

बाबा नन्द और संग माँ यशोदा,
भगवान कृष्ण के हुए पालनहार।

जन्म दी हैं माँ देवकी किन्तु,
बाल लीला दर्शन है यमुना पार।।

पुकारू नाम हुआ कृष्ण कन्हैया,
और मिला नाम मदन गोपाल।

मोर पंख से मुकुट सुसज्जित,
सुशोभित होता कृष्ण का भाल।।

दधि मक्खन चुराने के कारण,
कान्हा कहलाए अब माखनचोर।

घर घर से बहुत उलाहने आते,
नन्द बाबा के घर मचता है शोर।।

कुछ बड़े हो कृष्ण गौएँ चराते,
मुरली बजा गोपियों को सुनाते।

छेंड तान गौओं को वे बुलाते,
होते शाम श्याम घर लेकर आते।।

मुरलीधर की तान चित्त में बसा,
कहलाने लगे कृष्ण चित्तचोर।

मुरली कारण बने मुरलीमुरारी,
रास रचाए यही श्याम किशोर।।

ग्वालियर रक्षा हेतु गिरि उठाए,
नाम पड़ा उनका अब गिरधारी।

वृंदावन में रास रचाने के कारण,
कन्हैया बन गए अब बनवारी।।

राधा संग जब वे प्यार रचाए,
राधा जुड़ गईं कृष्ण के संग।

राधाकृष्ण से हुए वे प्रचलित,
सुनकर हो गए सब कोई दंग।।

दुष्टों को मार कृष्ण सुशोभित,
मथुरा का लिए राजसिंहासन।

हुए मुक्त मात पिता कारागार से,
कृष्ण पाए भगवान का आसन।।

श्याम वर्ण होने के ही कारण,
कान्ह कहलाए कृष्ण और श्याम।

हृदय बसाए गोकुल मथुरा वासी,
सब मिल करते नित्य हैं प्रणाम।।

जय राधाकृष्ण जय राधेश्याम,
सबके बना दो बिगड़े हुए काम।

यश कीर्ति बल बुद्धि हमें दे दो,
सबकी सेवा बने तेरा ही धाम।।

अरुण दिव्यांश 9504503560

जय श्रीकृष्ण

आज का दिन है अति पावन,
श्रीकृष्ण का जन्म अतिसुहावन।

दुखियों के दुःख को हरने ही हेतु,
उनके दिन करने को मनभावन।।

धन्य माता पिता देवकी वसुदेव,
पुत्ररूप में बाल ईश्वर हुए प्राप्त।

फड़क रही अरियों की बाईं आँखें,
दुष्टों राक्षसों को भारी भय व्याप्त।।

धन्य भाग्य बाबा नंद यशोदा के,
ईश पालन का अवसर मिले थे।।

धन्य भाग्य थे गोप ग्वालों के भी,
मधुर पावन प्यार पुष्प खिले थे।।

धन्य भाग्य हुए मथुरा नगरी के,
दुष्ट कंस का जब हुआ था अंत।

चारों तरफ दौड़ी खुशी की लहरें,
जैसे छाए हो चारों ओर बसंत।।

महाभारत में धर्म रक्षक बने थे,
बहन द्रौपदी की लाज बचाए थे।

अधर्मी कौरव कुल का नाश कर,
धर्मी पाण्डव कुल को बसाए थे।।

हर कुछ होती है कृष्ण महिमा,
श्रीकृष्ण की सदा ही जय हो।

दुखियों की पीड़ा को हरने हेतु,
दुराचारियों का सदा ही क्षय हो।।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा सारण
बिहार।

जय श्रीकृष्ण

भाद्रपद माह का अष्टमी तिथि,
घनी काली अँधेरी थी वह रात।

बाहर तेज आँधी तूफान हवाएँ,
जोरों की मूसलाधार बरसात।।

बहन बहनोई दुखिया दुखियारी,
दुराचारी भाई कंस के जेल में बंद।

द्रवित हो आए थे भगवान विष्णु,
मात पिता को करने हेतु स्वछंद।।

बालरूप में अवतरित वे होकर,
देवकी वसुदेव पुत्र वे कहलाए थे।

कंस के भय से पुत्र सुरक्षा हेतु,
टोकरी में ले बेटे को सिर उठाए थे।।

जोरों की बारिस जोरों की हवाएँ 
संतरियों की लगी नींद मतवाली थी।

कृष्ण की माया से खुले गेट ताले,
रात्रि दशा गहरी भयंकर काली थी।।

सिर पर लेकर लाल श्रीकृष्ण को,
निकल पड़े थे नदी यमुना के पार।

मित्र नंद बाबा के घर पहुँचाकर,
बच्ची ले पहुँचे कैदखाने के द्वार।।

ज्यों ही अंदर देवकी पास पहुँचे,
बच्ची लगी थी जोर जोर से रोने।

पहुँची खबर दुराचारी भ्रात कंस,
दुष्ट को देख देवकी दुबकी कोने।।

जबरन छिन बहन से बच्ची को,
पटकने हेतु ज्यों ऊपर उठाया था।

हाथ से छुट वह आकाश पहुँची,
अरि जन्म खबर उसने सुनाया था।।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा सारण
बिहार।

ऐसे मेरे गिरधर गोपाल कृष्ण भजन Shri Krishna Bhajan Lyrics Hindi

ऐसे मेरे गिरधर गोपाल
मामा कंस को मोक्ष दिलाऐ
कालीया को मार गिराऐ
सब गोपियन को भी हसाऐ
राधा संग खूब रास रचाऐ।।
ऐसे मेरे नटखट गिरधर
माखन मिसरी खूब चुराऐ
फोड़ी मटकी, खाऐ माटी
मुख मे ही ब्रम्हांड दिखाऐ।।
ऐसे मेरे गिरधर गोपाल
बाल सखा संग सबको सताऐ
ग्वाला बन गायों को भी कान्हा
वन मे खूब चरवा बन चारा खिलाऐ।।
ऐसे मेरे गिरधर गोपाल
चेहरा जिनका मोहित कर जाऐ
अटखेली कर भोले बनते
मां बांध खूब सजा दे जाऐ।।
ऐसे मेरे गिरधर गोपाल
मां से सजा पाके भी माया रचाऐ
लाल को देख मां के नैन भर ही जाऐ
पर कान्हा पाके सजा भी मंद-मंद मुस्काऐ।।
ऐसे मेरे गिरधर गोपाल
बांसुरी धुन से सबको रिझाऐ
एक ऊंगली पे उठा गोवर्धन
देखो सबके प्राण भी बचाऐ।।
ऐसे मेरे गिरधर गोपाल
नारायण रुप सबको दिखाऐ
महाभारत मे सारथी बन वो
अर्जुन को खूब पाठ पढ़ाऐ।।
ऐसे मेरे गिरधर गोपाल
गीता ज्ञान सबको दिलाऐ
मुरली मनोहर, श्याम सलोना
कोई माखनचोर बुलाऐ।।
ऐसे मेरे गिरधर गोपाल
मोर पंख मुकुट मे सजाऐ
बांसुरी, करधनी,पायल संग
कान्हा श्रृंगार सभी को भाऐ।।
ऐसे मेरे गिरधर गोपाल।।2।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र

यशोदा नंदन, देवकी का सुत बाल गोपाल - कृष्ण भजन

यशोदा नंदन, देवकी का सुत
कर्ण मधुर मधु मुरली बजावत
बाल सखाओं संग खेल-खेलत
मक्खन चोर मटकी को फोड़त।।

बाल-गोपाल तू गौएँ चरावत
यमुना के तीर क्रीड़ाएँ करत
सुदामा जैसे सच्चे मित्र पावत
मोर मुकुट मनमोहन तू धारत।।

गोपियों संग रासलीला रचावत
राधा के संग राधे-राधे पुकारत
मीठी बातों से सबको रिझावत
पुष्प, लताएँ चहुँ ओर खिलावत।।

गिरी पर्वत तू उँगली उठावत
कालिया को सबक सिखावत
धर्म रक्षक तू, असुर विनाशक
श्री कृष्ण नाम से भक्त पुकारत।।

अनाचारी कंस का वध करावत
ऋषि जनों को आदर दिलावत
महाभारत में सत धर्म दिखावत
अर्जुन को गीता उपदेश सुनावत।।
डॉ. पोपट
भावराव बिरारी, महाराष्ट्र

कृष्ण ने लिया मनुज अवतार Krishna Janmashtami Kirtan Bhajan

गीत
कंस का राज मिटाने को, कृष्ण ने लिया मनुज अवतार
धर्म का राज बसाने को, मिटा दिया सब पापाचार

कारागार में जनम लियो है, लीला अपनी दिखाने को
देवकी नंदन आयो है, नारी लाज बचाने को
कैसो चमत्कार भयो है, हथकड़ियाँ सारी टूट गई
निद्रा में सोये हैं प्रहरी, अखियों से धारा फूट गई

चूम रही माता देवकी, बरस रहा है कितना प्यार
कंस का राज मिटाने को, कृष्ण ने लिया मनुज अवतार

वासुदेव हैं पुण्य आत्मा, प्रभु का जाने हैं विधान
धन्य हुवे हैं भाग हमारे, दर्शन देते हैं भगवान
द्वार सारे खुल गए हैं, घनघोर घटाएँ बरस रही
वहां खड़े है देव सारे, दर्शन को आँखें तरस रही

जमुना बहती बड़ी बेग से, प्रभु मिलन का अब विचार
कंस का राज मिटाने को, कृष्ण ने लिया मनुज अवतार

काली नाग का वध किया, अद्भुद रूप दिखाया है
गोवर्धन पर्वत उठाकर, गोकुल को आज बचाया है
मिटा दिया अभिमान इंद्र का, सारा जग हर्षाया है
चूसा सारा रक्त पूतनी का, स्वर्ग उसे पहुँचाया है

ग्वाल-बाल के संग खेलते,शोभित होता है संसार
कंस का राज मिटाने को, कृष्ण ने लिया मनुज अवतार

माखन मिश्री नित वो खाते, दधि का करते नित वो पान
गोपियों की मटकी फोड़ें, बन जाते हैं फिर अनजान
माँ यशोदा को रिझायें, जैसे जन्मों की पहचान
बाल क्रीड़ा सब वो करते, तनिक नहीं दिखता अभिमान

रास लीला बहुत निराली,सबसे करते बहुत दुलार
कंस का राज मिटाने को, कृष्ण ने लिया मनुज अवतार

द्यूत क्रीड़ा कभी न कीजे, बुद्धि का होता विनाश
सब कुछ अपना लुट जाता है, मानव फिर होता हताश
द्रौपदी की लाज बचाई, चीर बढ़ाया मुरारी ने
वहशी सारे सहम गए, याद किया दुखयारी ने

गीता का उपदेश दिया है, सबका होता है उद्धार
कंस का राज मिटाने को, कृष्ण ने लिया मनुज अवतार

पांडव संग कृष्ण खड़े है, कौरव संग सेना अपार
धर्म संग हैं पांडव सारे, कौरव संग है पापाचार
शंखनाद है धर्म युद्ध का, दुष्टों का होगा संघार
सत्य के हाथों विजय सदा ही, असत्य की है निश्चित हार

कभी न भूलो सत्य मार्ग को, ईश्वर हैं सबके आधार
कंस का राज मिटाने को, कृष्ण ने लिया मनुज अवतार
श्याम मठपाल,उदयपुर

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं Happy Krishna Janmashtami Wishes

कृष्ण आप पर क्या लिखूँ कितना लिखूँ Krishna Janmashtami Bhajan Hindi

कृष्ण आप पर क्या लिखूँ कितना लिखूँ
रहोगे आप फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूँ
जेल में जन्मा लिखूँ या गोकुल का पलना लिखूँ
देवकी की गोदी लिखूँ या यशोदा का ललना लिखूँ
रहोगे आप फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूँ।

प्रेम का सागर लिखूँ! या चेतना का चिंतन लिखूँ!
प्रीति की गागर लिखूँ या आत्मा का मंथन लिखूँ!
रहोगे आप फिर ....!!

ज्ञानियों का गुंथन लिखूँ या गाय का ग्वाला लिखूँ!
कंस के लिए विष लिखूँ या भक्तों का अमृत प्याला लिखूँ।
रहोगे आप फिर....!!

पृथ्वी का मानव लिखूँ या निर्लिप्त योगेश्वर लिखूँ।
चेतना चिंतक लिखूँ या संतृप्त देवेश्वर लिखूँ।
रहोगे आप फिर....!!

गोपियों का प्रिय लिखूँ या राधा का प्रियतम लिखूँ।
रुक्मणि का श्री लिखूँ या सत्यभामा का श्रीतम लिखूँ।
रहोगे आप फिर....!!

देवकी का नंदन लिखूँ या यशोदा का लाल लिखूँ।
वासुदेव का तनय लिखूँ या नंद का गोपाल लिखूँ।
रहोगे आप फिर ....!!

नदियों-सा बहता लिखूँ या सागर-सा गहरा लिखूँ।
झरनों-सा झरता लिखूँ या प्रकृति का चेहरा लिखूँ।
रहोगे आप फिर.!!

आत्मतत्व चिंतन लिखूँ या प्राणेश्वर परमात्मा लिखूँ।
स्थिर चित्त योगी लिखूँ या यताति सर्वात्मा लिखूँ।
रहोगे आप फिर....!!
जंन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं जीवन में सदैव श्री कृष्ण की कृपा सपरिवार पर बनी रहें जय श्री कृष्ण
श्रीकांत दुबे
बरजी गोपीगंज
भदोही 9830177533

बाल श्री कृष्ण - श्री कृष्ण जी के भजन हिंदी में

बाल श्री कृष्ण
जन्म लिए काल कोठरी मेँ, रंग सांवला पाये।
पहचान बताने विष्णु मैं हूँ, आँगन माटी खाये।

दौड़ी आई माँ यशोदा, मुख लल्ला का दिये खुलवाय।
कान्हा खोले मुख अपना, यशोदा क़ो ब्रह्माण्ड दर्शन कराये।

मार पड़ी, कान खिंचाई, फिरभी बाज ना आए।
ताड़ मौका माखन हंडी, पल मेँ चट कर जाए।

माखन चोर के जब, चोरी पकड़ी जाए।
कहे, दुष्ट बाल शखा, माखन मुख मेँ दिये लगाय।

कान पकड माँ यशोदा, कान्हा क़ो झिड़की लगाए।
दांव चली न कान्हा की, अपमान सहा न जाए।

सब देखें कान्हा क़ो, कोई न होए सहाय।
माँ की देख तनी भृकुटि, मन मेँ डर समाए।

लिपट गये माँ के छाती से, मिल दोनों नयन बरसाय।
जो पोंछे सब के आँसु गागर भर नीर बहाए।

लल्ला रिझाए माँ क़ो अपनी, माँ लल्ला क़ो रिझाए।
प्रभु लीला प्रभु हीं जाने, वरुण तुक्ष समझ न पाए।

कलम स्याही सूख गये, वर्णन पूरा लिखा ना जाय।
कागज सब धरती करो, फिरभी आंट ना आए।
जय श्री कृष्ण
वरुण

जय राधे कृष्णा दोहावली

कृष्ण पक्ष शुचि अष्टमी, था यह पावन माह।
जल अथाह, यमुना भरी, आप दिखाई राह।।

विन्द्रावन, मथुरा नगर, ग्राम, शहर सब देश।
धूम मची घर घर यहां, सतरंगी परिवेश।।

कान्हा का झूला सजा, हर घर खिली बहार।
वर्षा रानी आ गयीं, लाईं साथ फुहार।।

कान्हा तुम नटखट बड़े, तुम ही माखन चोर।
सत्येन्द्र मोहित हुआ, मनमोहन चितचोर।।

लीलाएं अद्वितीय थीं, अद्भुत विविध प्रकार।
मै मतिमंद, निकृष्ट हूं, कैसे पाऊं पार।।
सत्येन्द्र कृमशः

भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर हाइकु

हम सब के आराध्य भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की आप सभी को मंगलमय हार्दिक बधाई शुभकामना...
हाइकु
भगवान श्रीकृष्ण
1
सुन्दर बेला
भाद्रपद अष्टमी
मंगलकारी।
2
हर्षित मन
सर्वार्थसिद्धियोग
जन्म उत्सव।
3
ये वर्षा ऋतु
सूर्य दक्षिणायन
मंगलमय।
4
कारागृह के
खुल गये जो ताले
सुखद क्षण।
5
नटखट सा
अनुपम स्वरूप
माखनचोर।
6
माखन मिश्री
मनमोहक बांसुरी
नन्द कुमार।
7
दही मटकी
ठुमक-ठुमक नाच
मीठी मुस्कान।
8
मथुरा काशी
वृंदावन नगरी
गोकुल धाम।
9
गोमातरम
बन के ग्वाल बाल
अपरम्पार।
बन सारथी
गीता उपदेशक
भक्त रक्षक।
रामबाबू शर्मा, राजस्थानी,दौसा(राज.)

मन मोहना बंसी वाले नाग नथैया कृष्ण कन्हैया मीरा के गिरधर कृष्ण भजन विधा पिरामिड

विषय मन मोहना
विधा पिरामिड
हे
मन
मोहना
बंसी वाले
नाग नथैया
कृष्ण कन्हैया
मीरा के गिरधर
यशोदा के लाड़ले
मोहिनी मूरत
राधा के प्रिय
बंसी वाले
कृष्ण को
नमन
शत
है।।
धन्यवाद
अंशु तिवारी पटना

चौपैया छ्न्द - हे, जसुमति प्यारे, नन्ददुलारे मोहन, कृष्ण, मुरारी

चौपैया छ्न्द
हे, जसुमति प्यारे, नन्ददुलारे,
मोहन, कृष्ण, मुरारी।
हैं रास रचावत, गाय चरावत,
दीनबंधु सुखकारी।
त्रयलोक तिहारे, ब्रह्म सकारे,
दुनिया पूजत सारी।
कर जोड़ मनाऊँ, शीश नवाऊँ,
विनय सुनो गिरधारी।
रचनाकार नित्यानन्द
पाण्डेय 'मधुर'
देवरिया उत्तरप्रदेश

कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

माखन चुराकर जिसने खाया,
बंसी बजाकर जिसने नचाया,
खुशी मनाओ उसके जन्म दिन की,
जिसने दुनिया को प्रेम का रास्ता दिखाया।

कृष्ण जन्मोत्सव की ढेर सारी शुभकामनाएँ

राधा के दिल में कृष्ण,
राधा के साँसों में कृष्ण,
चाहे कितना भी रास रचे कृष्ण,
लोग तो बस यही कहेंगे – “राधे कृष्ण राधे कृष्ण”

Happy Krishna Janmashtami Wishes Quotes Images

मुबारक हो आपको जन्माष्टमी का त्यौहार Happy Janmashtami Wishes Hindi

मुबारक हो आपको जन्माष्टमी का त्यौहार Happy Janmashtami Wishes Hindi

चंदन की ख़ुशबू को रेशम का हार,
सावन की सुगंध और बारिश की फुहार,
राधा की उम्मीद को कन्हैया का प्यार,
मुबारक हो आपको जन्माष्टमी का त्यौहार

श्याम नाम रस पी भया, श्याम भजन लिरिक्स

श्याम नाम रस पी भया, मतवाला मन मोर।
राधा राधा नित् जपे, मिल गये नंद किशोर।।
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू

Read More और पढ़ें:

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ