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श्रीकृष्ण हिन्दू धर्म में भगवान हैं वे विष्णु के 8वें अवतार माने गए हैं

श्रीकृष्ण हिन्दू धर्म में भगवान हैं वे विष्णु के 8वें अवतार माने गए हैं

श्रीकृष्ण, हिन्दू धर्म में भगवान हैं। वे विष्णु के 8वें अवतार माने गए हैं। कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता है। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्जित महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष, युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तृत रूप से लिखा गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इस उपदेश के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है।

जन्माष्टमी पर कृष्ण भगवान की सम्पूर्ण जीवन गाथा, श्रीकृष्ण कौन थे?

श्री कृष्ण करुणा, ज्ञान और प्रेम के ईश्वर
कृष्ण
श्री मारिमान मंदिर, सिंगापुर में यदुवंशी अहीर श्री कृष्ण प्रतिमा

श्री कृष्ण के 12 नाम कौन कौन से हैं?

देवनागरी
कृष्ण
संस्कृत लिप्यंतरण
कृष्णः
तमिल लिपि
கிருஷ்ணா
तमिल लिप्यंतरण
Kiruṣṇā
कन्नड़ लिपि
ಕೃಷ್ಣ
कन्नड़ लिप्यंतरण
Kr̥ṣṇa
संबंध
स्वयं भगवान्, परमात्मन,ब्राह्मण, विष्णु, राधा कृष्ण
निवासस्थान
वृंदावन, द्वारका, गोकुल, वैकुंठ
अस्त्र
सुदर्शन चक्र
युद्ध
कुरुक्षेत्र युद्ध
जीवनसाथी
राधा,रुक्मिणी, सत्यभामा, जांबवती, नग्नजित्ती, लक्षणा, कालिंदी, भद्रा
माता-पिता
देवकी (माँ) और वासुदेव (पिता), यशोदा (पालक मां) और नंदा बाबा (पालक पिता)
भाई-बहन
बलराम, सुभद्रा
शास्त्र
भागवत पुराण, हरिवंश, विष्णु पुराण, महाभारत ('भगवद् गीता' ), गीत गोविंद
त्यौहार
कृष्णा जन्माष्टमी, होली
बाल कृष्ण का लड्डू गोपाल रूप, जिनकी सदियों से घर घर में पूजा की जाती रही है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर फोटो Krishna Janmashtami Image

श्रीकृष्ण कौन थे? इनके माता-पिता कौन थे? कंस कहां का राजा था?

कृष्ण वसुदेव और देवकी की 8वीं संतान थे। देवकी कंस की बहन थी। कंस एक अत्याचारी राजा था। उसने आकाशवाणी सुनी थी कि देवकी के आठवें पुत्र द्वारा वह मारा जाएगा। इससे बचने के लिए कंस ने देवकी और वसुदेव को मथुरा के कारागार में डाल दिया। मथुरा के कारागार में ही भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को उनका जन्म हुआ। कंस के डर से वसुदेव ने नवजात बालक को रात में ही यमुना पार गोकुल में यशोदा के यहाँ पहुँचा दिया। गोकुल में उनका लालन-पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता-पिता थे।
बाल्यावस्था में ही उन्होंने बड़े-बड़े कार्य किए जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। अपने जन्म के कुछ समय बाद ही कंस द्वारा भेजी गई राक्षसी पूतना का वध किया, उसके बाद शकटासुर, तृणावर्त आदि राक्षस का वध किया। बाद में गोकुल छोड़कर नंद गाँव आ गए वहां पर भी उन्होंने कई लीलाएं की जिसमे गोचारण लीला, गोवर्धन लीला, रास लीला आदि मुख्य है। इसके बाद मथुरा में मामा कंस का वध किया। सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहाँ अपना राज्य बसाया। पांडवों की मदद की और विभिन्न संकटों से उनकी रक्षा की। महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और रणक्षेत्र में ही उन्हें उपदेश दिया। 124 वर्षों के जीवनकाल के बाद उन्होंने अपनी लीला समाप्त की। उनके अवतार समाप्ति के तुरंत बाद परीक्षित के राज्य का कालखंड आता है। राजा परीक्षित, जो अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र तथा अर्जुन के पौत्र थे, के समय से ही कलियुग का आरंभ माना जाता है।
हिन्दुओं के इतिहास, साहित्य और धर्म का एक दृश्य, जिसमें उनके शिष्टाचार और रीति-रिवाजों का एक मिनट वर्णन और उनके प्रमुख कार्यों (1863) (147 9 1550762) से अनुवाद शामिल है||
कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष— सिद्धेश्वर नाथ पाण्डेय
सिद्धेश्वर नाथ पाण्डेय
ग्राम+पोस्ट असहनी
थाना रसूलपुर
प्रखंड एकमा
जिला सारण
राज्य बिहार
जय श्री राधेकृष्ण

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