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बहादुर का सारांश समीक्षा चरित्र चित्रण एवं लघु तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर

बहादुर का सारांश समीक्षा चरित्र चित्रण एवं लघु तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर


बहादुर कहानी के लेखक का नाम अमरकांत है यह कहानी बिहार बोर्ड के मैट्रिक के सिलेबस में शामिल है जिसके कारण इस कहानी का अध्ययन हम सबके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। कक्षा— 10 हिन्दी गोधूलि भाग 2 पृष्ठ संख्या 42, पाठ – 6 बहादुर से परीक्षा में महत्वपूर्ण सवाल पूछे जाते हैं इसलिए बहादुर कहानी के प्रश्नों के उत्तर लिखने का अभ्यास अभी से शुरू कर देना चाहिए ताकि हम सबको बिहार बोर्ड की Class 10th Exam 2024 में सफलता प्राप्त हो सके! इसी को ध्यान में रखते हुए आज की पोस्ट में हम अमरकांत द्वारा लिखित कहानी बहादुर का सारांश समीक्षा चरित्र चित्रण एवं लघु तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर और ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर ( Objective Question Answer ) प्रस्तुत करने जा रहे हैं।

बहादुर कहानी के लेखक का संक्षिप्त परिचय:

अमरकांत का जन्म जुलाई 1925 ईस्वी में नगरा, जिला बलिया, उत्तर प्रदेश में हुआ। उन्होंने गवर्नमेंट हाई स्कूल बलिया से हाई स्कूल तक की शिक्षा प्राप्त की। कुछ दिनों तक उन्होंने गोरखपुर और इलाहाबाद में रहकर इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की लेकिन 1942 के स्वाधीनता संग्राम में सम्मिलित होने के कारण पढ़ाई अधूरी रह गई और आखिरकार 1946 ईस्वी में सतीश चंद्र कॉलेज बलिया से इंटरमीडिएट किया। उन्होंने 1947 ईस्वी में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक किया और 1948 ईस्वी में आगरा के दैनिक पत्र ‘सैनिक’ के संपादकीय विभाग में नौकरी करने लगे। आगरा में ही वे प्रगतिशील लेखक संघ के सदस्य बने और वहीं से कहानी लिखने की शुरुआत की। बाद में वे दैनिक ‘अमृत पत्रिका’ इलाहाबाद दैनिक ‘भारत’ इलाहाबाद मासिक पत्रिका ‘कहानी’ इलाहाबाद तथा ‘मनोरमा’ इलाहाबाद के भी संपादकीय विभागों में बने रहे। अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में उनकी कहानी ‘डिप्टी कलेक्टरी’ को पुरस्कृत किया गया। अमरकांत को कथा लेखन के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है।

अमरकांत की रचनाएं

अमरकांत के द्वारा लिखी गई कुछ कहानी और उपन्यास बहुत महत्वपूर्ण है जैसे— ‘जिंदगी और जोंक’ ‘देश के लोग’ ‘मौत का नगर’ ‘मित्र मिलन’ ‘कुहासा’ यह सब उनके मशहूर कहानी संग्रह हैं और ‘सूखा पत्ता’ ‘आकाशपक्षी’ ‘काले उजले दिन’ ‘सुखजीवी’ ‘बीच की दीवार’ ‘ग्राम सेविका’ यह सब उपन्यास हैं। इन्होंने ‘वानर सेवा’ के नाम से एक बाल उपन्यास भी लिखा है।

बहादुर कहानी का सारांश लिखिए (कथानक )

कहानी का नायक दिल बहादुर नाम का एक पहाड़ी लड़का है। वह नेपाल का रहने वाला था इसलिए लोग उसे नेपाली भी कहते थे। बहादुर एक अनाथ और असहाय लड़का था। जिसके पिता की मृत्यु युद्ध में हो चुकी थी। उसकी माँ उसे बात बत पर पीटती रहती थी इसलिए वह घर से भाग आया था और वह एक मध्यमवर्गीय परिवार के यहां नौकरी करने लगा था। बहादुर बड़ा परिश्रमी लड़का था वह दिन रात अपने मालिक की सेवा में लगा रहता था।

घर की मालकिन निर्मला उसके काम से बहुत खुश रहती थी। निर्मला ने ही उसका नाम बहादुर रखा था। बहादुर के परिश्रमी और आज्ञाकारी होने के कारण पूरा घर साफ सुथरा - रहने लगा और घर के सभी सदस्यों के कपड़े भी साफ रहने लगे। बहादुर देर रात तक काम करता रहता और सुबह जल्दी उठकर फिर से घर के काम में जुट जाता। वह अपने काम से खुश था और हर समय मुस्कुराते रहता था। वह रात को सोते समय नेपाल की पहाड़ी भाषा में कोई गीत गुनगुनाता रहता था। हँसना और हँसाना मानो उसकी आदत सी बन गई थी।

निर्मला मालकिन का बड़ा लड़का किशोर एक बिगड़ा हुआ लड़का था। वह शान शौकत और रोबदार स्वभाव का था। उसने अपने सारे काम बहादुर पर छोड़ दिए थे। अगर बहादुर उसके काम में थोड़ी सी भी लापरवाही बरतता तो किशोर उसे गालियाँ देने लगता। इतना ही नहीं, वह छोटी छोटी बातों पर अक्सर बहादुर को पीटता भी रहता था। किशोर से पीटने के बाद बहादुर एक कोने में चुपचाप खड़ा हो जाता और कुछ देर बाद घर के कामों में फिर से जुट जाता। एक दिन किशोर ने बहादुर को सूअर का बच्चा कह दिया। बहादुर इस गाली को बर्दाश्त न कर सका, उसके मन में आत्म सम्मान की भावना जागृत हुई और उसने किशोर का काम करने से इनकार कर दिया। जब निर्मला के पति ने भी उसे डाँटा तो उसने अपना तेवर बदलते हुए कहा—

“बाबूजी, भैया ने मेरे मरे बाप को क्यों लाकर खड़ा किया ?”

इतना कहकर बहादुर रोने लगा।

शुरू शुरू में निर्मला बहादुर को बहुत प्यार से रखती थी और उसके खाने-पीने बहुत ध्यान दिया करती थी, लेकिन कुछ ही दिनों के बाद बहादुर के प्रति उसका व्यवहार भी बदलता गया। उसने बहादुर के लिए खाना बनाना बन्द कर दिया। अब घर में बहादुर की हालत यह हो गई थी कि जरा सी गलती होने पर भी किशोर और निर्मला उसे मारने पीटने लगते थे। लगातार गालियों के कारण बहादुर से गलतियाँ भी अधिक होने लगी थी। एक दिन रविवार को निर्मला के रिश्तेदार अपनी पत्नी और बच्चों के साथ निर्मला के घर आएं हुए थे। नाश्ता करने के बाद आपस में बातचीत होने लगी।

अचानक उस आगंतुक रिश्तेदार की पत्नी नीचे फर्श पर झुककर देखने लगी और चारपाई पर कमरे के अन्दर भी छानबीन करने लगी। पूछने पर उसने बताया कि उसके ग्यारह रुपये खो गए हैं, जो उन्होंने चारपाई पर ही निकालकर रखे थे। इसके बाद सबने बहादुर पर संदेह करना शुरू किया।


जब बहादुर से रुपए के बारे में पूछा गया तो उसने रुपये लेने से इनकार कर दिया। तब उसे खूब पीटा गया और पुलिस के हवाले करने की धमकी भी दी गई। निर्मला ने भी बहादुर को बहुत डराया धमकाया और पीटा। सभी लोग सोच रहे थे कि पिटाई के डर से वह अपना अपराध स्वीकार कर लेगा लेकिन जब उसने रुपये लिए ही नहीं तो वह कैसे कहता कि रुपये उसने उठाए थे। इस घटना के बाद से घर के सभी सदस्य बहादुर को शक की निगाह से देखने लगे और उसे कुत्ते की तरह दुत्कारने लगे।

उस दिन के बाद से बहादुर बहुत ही दुखी रहने लगा और एक दिन दोपहर को अपना बिस्तर, पहनने के कपड़े, जूते आदि सभी सामान छोड़कर घर से निकल गया। जब निर्मला के पति शाम को ऑफिस से लौटे तो उन्होंने निर्मला को सिर पर हाथ रखे परेशान देखा। आँगन मैं गंदगी फैली थी, बर्तन गन्दे पड़े थे और घर का सामान अस्त व्यस्त था। कारण पूछने पर पता चला कि बहादुर अपना सामान छोड़कर घर से चला गया। निर्मला, उसके पति और किशोर को उसकी ईमानदारी पर विश्वास हो गया था। उन्होंने कहा कि रिश्तेदारों के रुपये भी उसने नहीं चुराए थे। निर्मला, उसका पति और किशोर सभी बहादुर पर किए गए अत्याचारों के लिए बहुत पश्चात्ताप करने लगे।

'बहादुर' कहानी का उद्देश्य

लेखक ने बहादुर कहानी के माध्यम से समाज के निम्नवर्गीय और मध्यमवर्गीय लोगों के बीच चल रहे अंतर्द्वंद का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है।

आधुनिक समाज में लोग अमीर होने का झूठा प्रदर्शन और अपनी झूठी शान दिखाने में विश्वास करते हैं। लोग बनावटी चेहरे की सहायता से नाम कमाना चाहते हैं। कहानीकार ने निम्न वर्ग के मजदूर बहादुर पर हो रहे अत्याचार के प्रति सहानुभूति रखते हुए मध्यम वर्ग के लोगों की मानसिकता की वास्तविकता को समझाया है। समाज में चल रहे वर्ग भेद मिटाने को प्रोत्साहन दिया है कहानीकार का सन्देश यह है कि मानवीय सहानुभूति के आधार पर ही वर्ग भेद की खाई को पाटा जा सकता है।

बहादुर का चरित्र चित्रण

1. परिचय

बहादुर जिसका रंग गोरा है और मुंह चिपटा है नेपाल के एक गांव का रहने वाला पहाड़ी बालक है। जिसके पिता की युद्ध में मृत्यु हो चुकी है। मां ही सारे परिवार का भरण पोषण करती है। वह दस बारह वर्ष की उम्र का ठिगना सा बालक है।‌ बहादुर सफेद नेकर, आधी बाह की सफेद कमीज और भूरे रंग का जूता पहने था तथा गले में स्काउटों जैसा रुमाल बांधे हुए था।

२. मां से प्रताड़ित

बहादुर की मां क्रोधी स्वभाव की महिला थी। वह जब तब किसी न किसी बात पर बहादुर की पिटाई कर देती थी। एक दिन बहादुर ने उसकी मां की प्रिय भैंस को डण्डे से मारा और मां ने उसी डण्डे से बहादुर की इतनी पिटाई की कि उसका दिल मां की और से फट गया। वह मा के रुपए चुराकर बस में बैठकर गोरखपुर भाग आया।

३. मेहनती बालक

लेखक के साले साहब बहादुर को लेकर आए थे। और उन्होंने नौकर के रूप में उसे रख लेने का आग्रह किया। बहादुर बहुत परिश्रमी बालक था हर काम बड़ी सफाई, होशियारी एवं मेहनत से करता था। घर के सारे काम दौड़-दौड़कर करता और सुबह से लेकर रात तक काम में लगा रहता फिर भी कभी आलस नहीं करता। अपने परिश्रम के बल पर ही वह घर के सारे सदस्यों को प्रभावित कर लेता है।

४. प्रसन्नचित्त एवं मृदुभाषी

हर समय मुस्कराना उसका स्वभाव है। बहादुर प्रसन्नचित्त एवं मृदुभाषी स्वभाव का बालक है। छल कपट से वह कोसों दूर है। उसकी बोली में मधुरता एवं मिठास है तथा हँसी में कोमलता है। उसके साथ चाहे कोई कितना ही कठोर व्यवहार क्यों न करे किन्तु वह सदैव मुस्कराता ही रहता है।

५. सहनशील एवं स्वाभिमानी

बहादुर सहनशील किन्तु - स्वाभिमानी नौकर है। किशोर जब उसे बात बत पर गालियां देता है। एवं मारपीट करता है, तो वह चुपचाप सह लेता है किन्तु जब एक दिन वह उसे सुअर का बच्चा' कहता है तो उसके स्वाभिमान को ठेस लगती है। मेरे बाप को क्यों गाली दी इस बात से चिढ़कर वह किशोर की साइकिल साफ नहीं करता और पीटा जाता है। अपनी बेबसी पर रोता हुआ वह लेखक से शिकायत करता है- "बाबूजी भैया ने मेरे मरे बाप को क्यों लाकर खड़ा किया ? " इससे उसके अहं को ठेस लगी और वह विद्रोह पर उतारू हो गया।

६. ईमानदार और निष्कपट

बहादुर ईमानदार एवं निष्कपट बालक है। उसने कभी कोई सामान नहीं चुराया, किन्तु जब निर्मला के रिश्तेदारों ने उस पर ग्यारह रुपये चुराने का इल्जाम लगाया तो उसने साफ इनकार कर दिया कि उसने रुपये नहीं चुराये हैं। भले ही वह गरीब है, किन्तु ईमानदार है। वह जानता ही नहीं कि बेईमानी क्या होती है। काम करते समय यदि उसे कहीं पैसे पड़े हुए मिल जायें तो तुरन्त उठाकर निर्मला को दे देता था चोरी का झूठा आरोप उस पर लगाया गया जिससे उसके मन को बहुत ठेस लगी। वह नौकरी छोड़कर चला गया और अपना सामान तथा वेतन भी छोड़ गया।


७. स्नेह पाने को लालायित

बहादुर को अपनी मां से उसे जो स्नेह न मिल सका वह उसे अन्यत्र खोज रहा है। निर्मला ने प्रारम्भ में उसे मातृ स्नेह दिया किन्तु बाद में जब उसने भी बहादुर को नौकर समझते हुए उसका ध्यान रखना बन्द कर दिया और उसे अपने लिए रोटियां स्वयं सेकने का आदेश दिया तो बहादुर का मोह भंग हो गया । जिस स्नेह को वह खोज रहा था वह उसे न मिल सका, यद्यपि उसने अपनी ओर से पूरी तरह निर्मला को मां समझते हुए उसका ध्यान रखा। वह उसे कोई काम न करने देता बीमार होने पर दवाई खिलाता तथा उसकी सुख सुविधा का पूरा ध्यान रखता।

निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि बहादुर एक जीवन्त चरित्र है। इस प्रकार के नौकर सामान्यतः घरों में देखने को मिल जाते हैं। भले ही वह एक काल्पनिक पात्र हो किन्तु उसका चरित्रांकन लेखक ने इतनी इतनी खूबसूरती और कुशलता के साथ किया है कि पढ़ने वाला बहादुर से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता है।

बहादुर कहानी के प्रश्नों के उत्तर


प्रश्न १.

लेखक को क्यों लगता है कि जैसे उस पर एक भारी दायित्व आ गया हो ?

उत्तर : लेखक के घर में ऐसी हालत हो गई थी, जिससे लगता था कि लेखक को नौकर रखना अब बहुत जरूरी है। लेकिन नौकर कैसा हो और कहाँ मिलेगा यही सवाल लेखक को एक भारी दायित्व के रूप में महसूस हो रहा था। इसी कारण लगता है कि उस पर एक भारी दायित्व आ गया है।

प्रश्न २.

अपने शब्दों में पहली बार दिखे बहादुर का वर्णन कीजिए।

उत्तर : पहली बार दिखे बहादुर की उम्र लगभग बारह या तेरह वर्ष की थी। उसका रंग गोरा, मुँह चिपटा एवं शरीर ठिगना चकैठ था। वह सफेद नेकर, आधी बाँह की सफेद कमीज़ और भूरे रंग का पुराना जूता पहने था।

प्रश्न ३.

लेखक को क्यों लगता है कि नौकर रखना बहुत ज़रूरी हो गया था ?

उत्तर : लेखक की पत्नी निर्मला सुबह से शाम तक घर का काम किया करती थी। सभी रिश्तेदारों के यहाँ नौकर देखकर लेखक को उनसे जलन भी हुई थी। नौकर नहीं होने के कारण लेखक और उसकी पत्नी लगभग अपने आपको अभागे समझने लगे थे। इन परिस्थितियों में उनके लिए भी नौकर रखना बहुत ज़रूरी हो गया था।

प्रश्न ४.

साले साहब से लेखक को कौन-सा किस्सा असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा ?


उत्तर : लेखक को साले साहब से एक दुखी लड़के का किस्सा असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा, वह किस्सा इस प्रकार था कि बहादुर नेपाली था, उसका बाप युद्ध में मारा गया था और उसकी माँ सारे परिवार का भरण-पोषण करती थी।


प्रश्न ५.

बहादुर अपने घर से क्यों भाग गया था ?


उत्तर : एक बार बहादुर ने अपनी माँ की प्यारी भैंस को डंडे से बहुत मारा, तब उसकी मां ने भैंस की मार का काल्पनिक अनुमान करके उसी डंडे से उसकी दुगुनी पिटाई की। लड़के का मन माँ से फट गया और वह चुपके से कुछ रुपया लिया और घर से भाग गया।

प्रश्न ६.
बहादुर के नाम से ‘दिल' शब्द क्यों उड़ा दिया गया ? विचार करें।

उत्तर : पहली बार नाम पूछने पर बहादुर ने अपना नाम दिलबहादुर बताया था। यहाँ दिल शब्द का अभिप्राय भावात्मक परिवेश में है। बहादुर को उदारता से दूर रहकर मन और मस्तिष्क से केवल अपने घर के कार्यों में लीन रहने का उपदेश दिया गया। इस प्रकार से निर्मला द्वारा उसके नाम से दिल शब्द उड़ा दिया गया।


प्रश्न ७.

किन कारणों से बहादुर ने एक दिन लेखक का घर छोड़ दिया ?


उत्तर : शुरू शुरू में लेखक के घर में बहादुर को अच्छा से रखा गया। कुछ दिनों बाद पत्नी एवं पुत्र दोनों बात बात पर उसकी पिटाई पर कर देते थे। एक रिश्तेदार लेखक ने भी बहादुर की पिटाई कर दी। बार-बार प्रताड़ित होने से एवं मार खाने के कारण एक दिन अचानक बहादुर भाग गया।

बहादुर Objective Question


प्रश्न १.

‘अमरकान्त’ लिखित कहानी का नाम क्या है –

उत्तर : बहादुर

प्रश्न २.

बहादुर का बाप कहाँ मारा गया था ?

उत्तर : युद्ध में

प्रश्न ३.

बहादुर से मार खाकर भैंस भागी-भागी किसके पास चली आई ?

उत्तर : माँ के

प्रश्न ४.

बहादुर अपने घर से क्यों भागा था ?

उत्तर : माँ की मार के कारण

प्रश्न ५.

बहादुर का पूरा नाम क्या है?

उत्तर : दिलबहादुर


प्रश्न ६.

बहादुर कहाँ का रहनेवाला था ?

उत्तर : नेपाल

प्रश्न ७.

लेखक के रिश्तेदार ने बहादुर पर क्या आरोप लगाए ?

उत्तर : पैसे चुराने का

प्रश्न ८.

‘बहादुर’ कहानी का नायक कौन है?

उत्तर : नेपाली गँवई गोरखा

प्रश्न ९.

बहादुर लेखक को क्या कहकर संबोधित करता था ?

उत्तर : बाबूजी

प्रश्न १०.

बहादुर पर कितने रुपये की चोरी का इल्जाम लगा था ?

उत्तर : 11 रुपये


प्रश्न ११.

बहादुर लेखक के घर से अचानक क्यों चला गया ?

उत्तर : स्वयं के प्रति लेखक तथा उसके घरवालों के व्यवहार में आए परिवर्तन के कारण

प्रश्न १२.

बहादुर को किसकी याद नहीं आती थी ?

उत्तर : माँ की

प्रश्न १३.

बहादुर की माँ स्वभावतः कैसी थी ?

उत्तर : गुस्सैल

प्रश्न १४.

बहादुर कौन था ?

उत्तर : नौकर

प्रश्न १५.

‘बहादुर’ कहानी के लेखक की पत्नी का नाम क्या है ?

उत्तर : निर्मला


प्रश्न १६.

‘आकाशपक्षी’ किस विधा की रचना है –

उत्तर : उपन्यास

प्रश्न १७.

कहानीकार के लड़के का क्या नाम था ?

उत्तर : किशोर

प्रश्न १८.

नाश्ता-पानी के बाद बातों की क्या छनने लगी ?

उत्तर : जलेबी

प्रश्न १९.

‘जहाँ प्रतिष्ठा नहीं, वहाँ क्या रहना।’ यह बात किसके मन में उत्पन्न हुई ?

उत्तर : बहादुर के मन में

प्रश्न २०.

‘बहादुर’ पाठ के रचनाकार हैं –

उत्तर : अमरकांत


प्रश्न २१.

‘जिन्दगी और जोंक’ किसकी कहानी है ?


उत्तर : अमरकान्त की

प्रश्न २२.

अमरकांत ने किस दैनिक पत्रिका के संपादकीय विभाग में नौकरी की ?

उत्तर : सैनिक

प्रश्न २३.

निर्मला कौन थी ?

उत्तर : कहानीकार की पत्नी

प्रश्न २४.

“मौत का नगर’ किस लेखक की कहानी-संग्रह है ?

उत्तर : अमरकान्त

प्रश्न २५.

लेखक के घर में किसकी नितांत आवश्यकता थी ?

उत्तर : नौकर की


प्रश्न २६.

बहादुर लेखक की पत्नी निर्मला को किस रूप में देखता था ?

उत्तर : माँ के रूप में

प्रश्न २७.

रुपये खोने का प्रपंच किसने रचा था ?

उत्तर : कहानीकार के रिश्तेदार ने

प्रश्न २८.

बहादुर घर से चलते समय कितनी राशि लेकर चला था ?

उत्तर : दो रुपये

प्रश्न २९.

बहादुर स्वभावतः कैसा था ?

उत्तर : हँसमुख एवं मेहनती

प्रश्न ३०.

निर्मला आँखों पर क्या रखकर रोने लगी ?

उत्तर : आँचल

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