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तुम भूल गए हो या याद हूंँ मैं? अपनों की यादें कविता याद हूंँ मैं

तुम भूल गए हो या याद हूंँ मैं? अपनों की यादें कविता

चेतनाप्रकाश चितेरी की चित्र


सुनहरी यादें कविता | सुनहरी यादें कविता
याद हूंँ मैं
तुम भूल गए हो या याद हूंँ मैं
अपनी धुन में खोए हुए रहते हो,
मन में आस लिए, तेरी राह में,
पलकें बिछाए बैठी रहती हूँ ‌।

कहीं खो गई हूंँ या याद हूंँ मैं
तुम्हारे दिल की बात, अब मुझ तक नहीं पहुंँचती,
न फोन, न मैसेज, इंटरनेट के दौर में भी,
हम बेगाने से लगते हैं,
बीते पल को याद करके दिल से लगा कर बैठी हूंँ।

तुम भूल गए हो या याद हूंँ मैं
आपाधापी में रहते हो,
खाई थी हमने कसमें, जीवन के सफर में साथ मिलकर चलेंगे,
टूटी हुई यादों के सहारे, आज भी
ज़िंदा हूंँ मैं
तुम भूल गए हो या याद हूंँ मैं

(मौलिक रचना)
चेतनाप्रकाश चितेरी, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश ।
8/10/2022,5:46 p.m.

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