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प्रेरणादायक कविता, एक दूसरे की प्रेरणा, बीज बोती हूं मैं : चेतना चितेरी

प्रेरणादायक कविता, एक दूसरे की प्रेरणा, बीज बोती हूं मैं : चेतना चितेरी

प्रेरणा
एक — दूसरे की प्रेरणा ही,
मेरे अंत: करण में नवीन ऊर्जा का संचार करता

नित नवीन रचनाओं का सर्जन कर,
भावनाओं में मैं बह जाती,

कुछ आज मैं पाई हूं,
अजीब —सा एहसास होता,

मुझे कुछ वैसा ही महसूस होता है,

कुछ साल पहले चेतनाप्रकाश को प्रेम हुआ था जैसे;

मुझे किसी ने पढ़ा तो सही
बार-बार दिल की गहराइयों से,

चेतना चितेरी की कलम आभार व्यक्त करती,
तेरा बहुत खूब कहना,
मेरे जीवन को संवारता,

तेरे ये शब्द मेरे हौसला बढ़ाते
मेरी प्रेरणा मेरे पाठक ही होते।

(मौलिक)
चेतना चितेरी, प्रयागराज

बीज बोती हूं मैं, प्रेरणादायक कविता

मैं
बीज बोती हूं मैं,
खाद पानी देती हूं मैं,
फल जब आते हैं,
तो सबको खिलाती हूं मैं।

कर्म करती हूं मैं,
ये नहीं देखती हूं मैं,
कौन साथ देगा मेरा,
अकेले राह पर चलती हूं मैं।

थक —सी जाती हूं मैं,
दिन-रात चलती हूं मैं,
नींद आती ही नहीं,
सब के सपनों को सजाती हूं मैं।

चेतना प्रकाश हूं मैं,
फर्ज निभाती हूं मैं,
भूले भटके को भी,
राह दिखाती हूं मैं।

(मौलिक रचना)
चेतना चितेरी, प्रयागराज

जिंदगी के प्रति चेतनाप्रकाश का दृष्टिकोण

जिनके अंदर सीखने की ललक होगी, वह जीवन भर कुछ न कुछ सीखते रहेंगे, अपने ज्ञान को प्रतिदिन बढ़ाने के लिए हम एक— दूसरे से कुछ न कुछ सीखते हैं,मैं तो अपने से छोटे उम्रवालों के साथ से भी बहुत कुछ सीखती हूं।
मेरे अपनों का प्यार मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है।
मैं उनके लिए कुछ कर सकूं,जिसके लिए मैं कड़ी मेहनत करती हूं।
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मेरी पसंद क्या है? मैं अपने आप से सवाल करती हूं

मेरी पसंद क्या है? मैं अपने आप से सवाल करती हूं और जवाब भी स्वयं ढूंढती हूं।अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करना, सुंदर-सुंदर पौधों से अपने घर को सजाना, और अपनी जिंदगी को संवारना मुझे अच्छा! लगता है।
मैं अपने जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास करती हूं, और एक अच्छी जिंदगी जीना पसंद करती हूं।
मेरे लिए समय बहुत ही कीमती है, कभी-कभी तो समय कम ही पड़ जाता है,लगता है दिन कितना छोटा हो रहा है ।
मैं घर का काम—काज अपने हाथों से करती हूं। क्या! शहर क्या! गांव मेरे लिए एक समान है।
मैं आज भी शहर में रहकर गांव की जिदंगी जीती हूं और अपने गांव में बिताए हुए हर लम्हों को याद करती हूं।
एक अच्छी पत्नी और एक अच्छी मां बनकर अपने कर्तव्यों का निर्वाह करती हूं।
जीवन में चुनौतियों को स्वीकार करती हूं, असंभव कार्य को भी संभव बनाने का प्रयास करती हूं।
एक बार मन में जो संकल्प लिया उसे पूर्ण करने का प्रयास करती हूं। मैं अपनी जिंदगी! को एक नए नजरिए से देखती हूं।
(मौलिक)
चेतना चितेरी, प्रयागराज

आज दीपावली है,

सबके जीवन में चेतनाप्रकाश हो,
इन्हीं कामनाओं के साथ,
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई! एवं शुभकामनाएं।
चेतनाप्रकाश
चेतना चितेरी, प्रयागराज
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